Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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वाणमंतराजोइसिया वेमाणिया जहा नेरइया, अपज्जनाणं भंते! जीवा किं नाणी०? तिन्नि नाणा तिन्नि अन्नाणा भयणाए, अपजता
भंते! नेतिया किं नाणी अन्नाणी?, तिन्नि नाणा नियमा तिन्नि अन्नाा भयणाए, एवं जाव थणियकुमार, पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया जहा एगिदिया, बेदियाणं पुच्छा, दो नाणा दो अन्नाणा णियमा, एवं जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं, अएज्जतगा। णं भंते! मणुस्सा किं नाणी अनाणी?, तिन्नि नाई भ्याए दो अन्नााई नियमा, वाणमंतर जहा नेरइया, अपजतगा जोइसियवेमाणिया गं० तिन्नि नाणा तिन्नि अन्नाणा नियमा, नोपजत्तगानोअपजतगाणं भंते! जीवा किं नाणी०?, जहा सिद्धा निरयभवत्था णं भंते! जीवा किं नाणी अन्नाणी?,जहा निरयगतिया, तिरियभवत्था भंते! जीवा किं नाणी अन्नाणी?, तिन्निा नाणा |तिन्नि अन्नाणा भयणाए, मणुस्सभवत्था f० जहा सकाइया, देवभवत्था णं भंते!० जहा निरयभवत्था, अभवत्था जहा सिद्धा। भवसिद्धिया णं भंते! जीवा किं नाणी०?, जहा सकाइया, अभवसिद्धियाणं पुच्छ। गोयमा! नो नाणी अन्नाणी तिन्नि अन्नामाई|| भयणाए, नोभवसिद्धियानोअभवसिद्धिया णं भंते! जीवा० जहा सिद्धा। सन्नीणं पुच्छ। जहा सइंदिया, असन्नी जहा बेइंदिया, नोस-नीनोअसन्नी जहा सिद्धा ॥ ३१८॥ कइविहा णं भंते! लद्धी पं०?, गोयमा! दसविहा लद्धी पं० २० नाणलद्धी दसणलद्धी चरित्तलद्धी चरित्ताचरित्तलद्धी दाणलद्धी लाभलद्धी भोगलद्धी उवभोगलद्धी वीरियलद्धी इंदियलद्धी, णाणलद्धी णं भंते! कइविहा पं०? गोयमा! पंचविहा पं० २० आभिणिबोहियणाणलद्धी जाव केवलणाणलद्धी, अन्नाणलद्धी भंते! कतिविहा पं०?, गोयमा. ॥ श्रीभगवती सूत्र ॥
(पू. सागरजी म. संशोधित ||
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