Book Title: Adhyatma Shanti Author(s): Buddhisagar Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal View full book textPage 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रस्तावना. उद्देश. परमपवित्र परमात्मा श्री तीर्थकर महाराजना मुवधी स्याहार वचनामृतोपदेश भव्यात्माभोना हृदयमां वसी तेमने परमात्मा रुपे बनावेछे. श्री वीर परमात्मा आत्मा अने कर्म स्वरुप तथा बहिरात्मा अंतरात्मा परमात्मानुं स्वरुप कथन कर्तुं छे. तेनुं यत्कंचित ज्ञान अन्य भव्यात्माभने ग्रंथद्वारा प्राप्त करावकुं एज मुख्य उद्देश छे. क्षमापना. आ अध्यात्मशांति ग्रंथनो विषय वांचतां शंका पडे तो गुरुगमद्वारा समजी तेनो निर्णय करी लेवो. अत्र वीतराग वचन विरुद्ध भाषण थयुं होय ते पंडित पुरुषोए सुधारी वांचवं. अने ते संबंधी मिच्छामिदुक्कडं दतुं स्व परहितकारक आ ग्रंथ थाओ. इत्येव श्री शांतिः शांतिः शांतिः आशीर्वाद. भव्य जीवो स्याद्वाद वचनामृतालय अध्यात्मशांति ग्रंथ यांची व्यवहार भने निश्चयनयपूर्वक आत्मसाधन करी कर्म कलंक हरी परम मंगलमय शाश्वत शिवस्थान प्राप्त करो एवी मारी आकांक्षा सफल थाओ. तथास्तु. श्री शांतिः शांतिः शांतिः www.kobatirth.org For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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