Book Title: Adhyatma Prakaran
Author(s): Hukammuni, Hirachand Vajechand
Publisher: Hirachand Vajechand
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श्रीअात्मचिंतामणी.
pars
कोइप्रमाणनहि अनेव्यवहारनयशक्तिविशेषनेजग्रह तेमाटेसंग्रहनयथी व्यवहारनयनोविषयथोडो तथारज सूत्रनयवर्तमानविशेषधर्मनोग्राहकछे अनेव्यवहारतर कालीकविषयनोग्राहक तेमाटेव्यवहारबहूविषयत्रने व्यवहारथीरजुसुत्रअल्पविषयछे नेरजुसुत्रनयवर्तमान कालीशब्दनयकालादी वचनलिंगथीवहेंचतार्थनेग्रह अनेरजुसुत्रवचनलिंगने निन्नपाडतोनथी तेमाटेरजुसु नयीशब्दनयअल्पविषय अनेशब्दनयथीसर्वपर्या यनेएकग्रहे अनेसंभिरुढते जेधर्मवक्ततेवाचकपर्यायने ग्रहतेमाटे शब्दनयथी संभिरुढ नयनो अल्पविषयछे तथासंनिरुढ तेपर्यायनेबधोयेकालगवेखेडे अनेएवंभूत नयप्रतीसमीयक्रियानेदे भिनार्थपणेमानतोअल्पविषय बेतेमाटे एवंभुतअल्पविषइजाणवो एनयवचनछे तेपोता नानयनेस्वरुपेत्रस्तीपणुछे अनेपरनयस्वरुपेनास्तीप
ने एमसर्वनयनीविधी प्रतीबंधेकरीने सप्तभंगीउपजेप गनयनी सप्तभंगीनउपजाववी एपुरवात्राचारजियोये निखेदिछे.
तथारत्नाकरावतारीकायां विकलादेशस्वनावा दिन यसप्तभंगीवस्त्वंश मात्रपरुपकत्वात् सकलादेशस्वभा वार्नु प्रमाणसप्तनंगीसंपुर्ण वस्तुस्वरुप परुपकत्वात् एवचनछे.

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