Book Title: Adhyatma Prakaran
Author(s): Hukammuni, Hirachand Vajechand
Publisher: Hirachand Vajechand

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Page 715
________________ श्री चिदानंदबत्रीशी. ७०३ त ॥ कुंछेतेरीजात कुंतेरोमाततात तुनहिजा ऐसोहि रे ॥०१॥ तुतोबेठो पर घर में पररमणितेरेदल में | सोहि मानतसुखमनमें एसमजनतांहिरे सु ०२ ॥ तेरोबर हे सोदूजो बतेरीनारकबुजो ॥ मुनिहूक मकहे अब सुझो सोहिपुछुतोहिरे ॥ ०३॥ पद १८ संपुर्ण ॥ ॥ पद १९ ॥ रा गभुपालि ॥ नमरक हे सुणसखीहमारीबातरे तुमकहेघर दूजो सोतोकुनातरे ॥ सखीक हे सुणनमरएतोबिजिजा तरे ॥ भ०१ ॥ बेचिदानंदमइ तेरोरुपउरजातरे ॥ ना रीतेरिप्रतिव्रता सोतोजुवेवाटरे ॥ २ ॥ एतोनारिहे दुखदाई तेरी करेघातरे ॥ मुनिहूकमकहे अबजाणो ऐसी येवढातरे ॥ ०३॥ पद १९ संपुर्ण ॥ ॥ पद२० ॥ चेतन तुकांफरेभुला चेतन क्युंकातुं भरमाये ॥ तेरारुपजालह्या जोराये ॥चे०॥ तेरीगतजाणलइघट में जमियोहूंगतिप टमे ॥ चे० १ ॥ रागद्वेषबंधवहेतेरा एपरिवारनहिमेरा ॥चे॥तेरिसगसेंमेकहियो नानारूपगतिमें लहियो॥चे०२ नर्कादिक दुख में सहियो सोतोमेंजाणवलहियो ॥०॥ मुनिहूकमक हे सुनाइयो एहसुंत्र लगानितरहियो ॥चे० ३ पद २० संपुर्ण ॥ ॥ पद २१ मुं ॥ रागकाफि || मोहेनहिगमतएबात ॥ श्र बतोतुंमेरेपासनाविश श्राविशतोखाइशगाल ॥ मेरेकुं तेंदुखवहुदिनो मेरेकुलकुंन रोतेंबार ॥ मो० १ ॥ वहुग

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