Book Title: Adhyatma Prakaran
Author(s): Hukammuni, Hirachand Vajechand
Publisher: Hirachand Vajechand

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Page 713
________________ ७०१ श्रीचिंदानंदवत्रीशी. हारकिशातापुछे मोहेवसमनजेहनु।निजचिदानंदअंतर खेले तिहांश्राहारनचिनुंह०१॥ बाहाजाहारतेपुद्गल लेवे सोतोपुद्गल उपासी ॥ अंतराहारचेतनलेवे सजा यध्यानमनवाशी ॥१० २॥ याविधाहारविवीक्षाकरे जेलेशेएआहार ॥मुनिहुकमकहतेहनेरे सेजेनवजलपा र॥१०पद १२संपुर्ण॥ पद १३९॥ वादलसेंसुरजकुं ढंकत ज्युकर्मचेतनकुंरे॥तेमतरियाजोगकुंखंमत नरलो केध्यानमनकुंरे॥१॥रलोकनसेध्याननहोवे ध्यानएकांते कहियरे ॥ध्यानतणिजोकरेरोविवीक्षा तोभेगीमतकरस इयुरे ॥वा०२॥ कविपणएकांतरहिने करेकवितारुडी रे॥ मुनिहूकमकहेसुणोनाइसंतो एमतनहिछेकुंडीरे ॥ वा०३॥पद १३संपुर्ण॥ ॥पद १४९ ॥रागगोडी।चेत नक्यातुंमनदोडावे एसुदुरगतिपावे ॥०॥ एमनछेपु दलकाघरको सोहिबिजातीजाणोविजातीकोसंगकरण सु कालअनादिगमाणो ॥चे०१॥ तोपणतेरेकुंलाजन श्रावत हजिमननसमारो॥ अवसुंचुक्योफेरहिचेतन ज इसंसारभमारो॥ चे०२ ॥ तेमाटेमनवशकरराखो ज्यु शीवसुखफलचाखो॥ मुनिहूकमकहेसुणोभाइसंतो ए उपदेशमैदाखोचे०३॥पद १४संपुर्ण॥ ॥पद १५ ॥ ॥रागगोडिाचेतनक्यातुंमनदोडावे जेहसुंअप्पानपावे।। ॥चे॥ द्रव्यगुणपर्यायकुजाणत भेदाभेदसबंध ॥ नयन

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