Book Title: Adhyatma Prakaran
Author(s): Hukammuni, Hirachand Vajechand
Publisher: Hirachand Vajechand
View full book text
________________
७१६
सिद्धनढालो.
७मी ॥ हजियांमनीतोविभाडगीरीजइवंदीये ॥एदेशी॥ नवियांप्रत्येकबोधमुनीवंदियेजेसिध्याआगेअनेक।ज्ञानी मोराए नवीयांप्रत्येकबोधमुनिवंदिये ॥ एत्रांकणी ॥ प्रत्येकबोधमनीतेकह्या जेपामीकारणनेक। ज्ञानीमोराए ॥नवी०१॥ भवीयांस्वयंबोधप्रत्येकबोधमां फरकछेभा खुतेह ॥ज्ञा० नवीयां चारेप्रकारेतेकह्यो बोधउपधी सुतएह॥ज्ञानीमोराए न०२॥ नवी लिंगप्रवरतनचोथो कह्यो एचारेप्रकारेनिन ॥ ज्ञानीमोराए ॥ जेजेविशेषदो यमांही॥ भाख्यंछेवचनतेभिन्न ॥ ज्ञानीमोराए०३॥ नवीयांबाहाकारणकोइपामीने लहेप्रतीबोधसार ॥ज्ञानी मोराए ॥ रिषभजराकुलदेखीने करकंडपाम्योउदार ॥ ज्ञानी०४॥ चुडीथकीनमीराजियो इत्यादिकएचार ॥ज्ञानी०॥ आचोवीसीमांभाखिया जातीस्मर्णविचार ॥ज्ञानी०५॥ तेएकाकीयेविचरे निश्चैवनतेसार॥ज्ञानी०॥ बोधहोवेहवेतेहने जघन्यथीअंगअगियार ॥ ज्ञानी०६॥ उतकृष्टतेजाणिये दसपुर्वतेधारज्ञानी।पुर्वसुतनजनाक हि एभाख्योसुतविचार॥ज्ञानी०७॥ उपधीविचारहवेना खशुं तेसुणोधरीकान ॥ज्ञानी०॥ सातपात्रानाकह्या यो गीमोपतिमान ॥ज्ञानी०८॥ एनवउपगरणजाणिये हवे कहंलिंगविचार॥ज्ञानी०॥ लिंगापेदेवते अथवालिंग रहितहोयसार ॥ज्ञानी०९॥ स्वयंबोधप्रत्येकबोधमां ए

Page Navigation
1 ... 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738