Book Title: Adhyatma Prakaran
Author(s): Hukammuni, Hirachand Vajechand
Publisher: Hirachand Vajechand
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७०६
श्री चिदानंदबत्रीशी.
भावलहोरि द्रव्यगुणपर्जायविचारत ॥ भेदाभेद किहोरी नुनवर सकुंए चाखत हैर मतसुमताघेरी ॥ मुनि हुकम कहे सहिएपाम्यो सहेजेसीवपुर शेरी ॥ ०३॥ पद २७ संपुर्ण ॥ ॥ पढ़ २८ मुं रागकानुडो ॥ साधुतुनामधरावेछे पंचं द्विमनवशनहितेरो ॥ विखयघेरोते देवेछे ॥ सा० ॥ श्रहो तुस्मरणकर विषेको साधुक्युंनामकहावेछे ॥ सा०१ ॥ ब्रह्मचारिथइनेतुंतो ब्रह्मचारिपायलगावे ॥ सा०॥यावि परीत दिसेछेखो जेहथिदुरगतिजावेछे ॥ सा०२ ॥ ते जाणिविखेदूरनिवारो साधुपणुजोचाहे ॥ मुनिहूकमक
सुपोभाइसंतो एका ढेसुखसाहेबे ॥ सा०३॥पद२८मुं संपुर्ण ॥ ॥ पद २९ ॥ जबल गेमोहननिवारचोछे तबलगे संजम किरियाजुठी ॥ क्युं तुतन कुंत पावेछे ॥ ज० ॥ पुत्रकलत्रमनशुं संभालत सत्रुमित्रुचितलावेछे ॥ ज०१॥ जवल गेमन शुंमोहननिवार चोतो चारित्र शुधीनहिपावेछे ॥ मोहबेहूदुखदाइ चहूंगतिभ्रमणकरावेछे ज०२॥ ते माटेएमोहकुँनिवारो जेहथिसंजमखोवेछे ॥ मुनिहुकमक हेचिदानंदभजतां मोहते दूरेजावे ॥ ०३॥ पद२९ मुं संपुर्ण ॥ ॥ पद ३० मुं रागमलार ॥ एानुनवहेप्या रो प्रापेध्यानरसालोहे ॥ ए० ॥ निजघर खेलतचिदानंद महि पुद्गलखंधनजाचो ॥ नादरस एचारित्र्नंतो ए कपरदेशवाच ॥ ए ०१ ॥ नाणादिपरदेशनंतो लोका

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