Book Title: Adhyatma Prakaran
Author(s): Hukammuni, Hirachand Vajechand
Publisher: Hirachand Vajechand
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पद..
७०७
लोकप्रकाशो॥ ज्ञेयप्रमाणेज्ञानतेजाणो स्यादवादपक्ष थीबहुरासो॥ए०२॥नयनिक्षेपप्रमाणविचारत भेदाभेद तिहांआयो।मुनिहूकमकहे एध्यानछे शुकलध्याननोपायो ॥ ए०३ पद३०९ संपुर्ण ॥ ॥ पद ३१ मुं रागधनाश्री ॥ नटकतकुनफरेरे ॥ एदेशि ॥ सुणरेसैयांध्यानएछे साचो आपेशीवसुखजाचोरे ॥स०॥ एकत्ववित्रकबिजे पाये अभेदज्ञानतेसाचो ॥ करमचारएघातिहणिने नीज चतृष्टीपदमाचोरे ॥सु०१॥ बादरसुक्षमजोगकुरोकिने हू वाअजोगिताही॥ प्रक्रतिपंचासिसतानिहणिनेजिहांनहि छेबंधडाहिरे ।। सु०२ ॥ पंचलघुत्रक्षररेकारणकारजक रीलोकतेपेठो।मुनिहुकमकहेहेचिदानंदमय श्रापेथइने बेठोरे ॥सु०॥पद३१मुं संपुर्ण ॥
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॥ इतिश्रीचिदानंदबत्रिसिसमाप्तः॥
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पदारागबेहाग॥ स्वभावपरपाटणमांहि वसेचिदानं दरायरे॥ आपत्रभ्यासेतिहांराजकरतां सेहेजस्वरुपीथा यशस्वभाव०१॥स्वरुपप्रकारतेहदिसे सेहेजानंददुवार।। उपियोगदरवानदिसेसुंदर नहिमोहनोपेसार॥२॥ संमे
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