Book Title: Adhyatma Prakaran
Author(s): Hukammuni, Hirachand Vajechand
Publisher: Hirachand Vajechand

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Page 721
________________ प्रथसिद्धनीटालो. GOver ॥ पंदरनेदेसिद्धथयातेनी॥ ढालपहली॥ पांडवपां चमोक्षेगया ॥ एदेशी॥विरजिनेश्वरउपदेशे सांनलजो चितलाइरे॥ समज्याथीसुखउपजे पन्नवणासुत्रमांहीरे ॥ १॥ विरजिनेश्वरउपदेशे। एत्रांकणी ॥ जिवसंसारी सिद्धिया टालीरागनेद्वेषरे ॥ श्राश्रवादिकारणतजी पामीगुरुउपदेशरे ॥ वि०२॥ मोहमच्छरदरेकरी चा रित्रपांचमुंपामेरे ॥ केवलपामीबजोगीथया सिलेसीक रणतेठामेरे ॥ वि० ३॥ ध्यानशुकलचउनेदथी पूर्णहो यतेठामेरे। एकसमेस्थितितेगया पूर्णसिद्धतेपामेरे ॥वि. ४॥ तेसिद्धबहूविधजाणीये पणपंचदशनेदभाखुरे ॥स्व रूपतेनुदाखशु नामकहिनेदारे ॥वि०५॥ तिर्थअतिर्थ तिर्थकरु अतिर्थकरस्वयंअंगबोधभाख्यारे ॥प्रत्येकबो धबुद्धबोहिकह्या त्रलिंगेसिद्धदाख्यारे ॥वि०६॥ स्व लिंगअणलिंगग्रहिलिंगे एकअनेकतेजाणोरे ॥ एपंदरे भेदनाखीया सिद्धतणाचित्तप्राणोरे ॥ वि०७॥ तेनंस्व रुपागेभाखशुं श्रोतासुणजोदश्कानरे॥ मुनिहूकमस्व रुपसिद्धनुं जाणताहोयबहूमानरे ॥वि० ८॥ढालपहेली संपूर्ण ॥ ढालबीजी॥ आजतोबधाइराजानाभीकेदरबा ररे ॥ एदेशी ॥ तिर्थसिद्धनेपजियेरे भावधरीनेसाचोरे

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