Book Title: Adhyatma Prakaran
Author(s): Hukammuni, Hirachand Vajechand
Publisher: Hirachand Vajechand

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Page 716
________________ श्री चिदानंदबत्रीशी. तिनवभ्रमणकरायो जन्ममर्णजंजाल ॥ कोमिनागमनं तबेकायो क्याकहुँवारंवार ॥ मो०२ ॥ श्रवमेतेरि संगक बहु नकरसुं जोहरीमोहेलाज ॥ मेरेघेरहेंरमणिसुंदर हु कमनें एहि सुख काज ॥ मो० ३ ॥ पद२१ संपुर्ण ॥ ॥ पद२२ मुं ॥ रागकाफि ॥ बनमर सोधेर आए॥ एहि बातहुइसब खोटि परघररह्याएभूलाये ॥ निजघरकितोखबर नहि लिनि रह्योमोयेकाये ॥ श्र० १ ॥ एत्तेदिन घर नाहि पीछानो परपोताकोठराये ॥ श्रवतोएहिबिधकरिने नि जघरजईखराये ॥ श्र० २ ॥ एसोबिचारकरतहेनमर दे खेजावनदाव ॥ मुनिहूकमचिदानंदमये विचारतसुखपा वे ॥ ०३॥ पद२२ ॥ संपूर्ण ॥ पद२३मुं रागमारुसरणा॥ चेतनचेतोरेएचाल भमरएमचेतोरेनिजघटमांकरबिचार ॥०॥ तववैराग्यतिहांप्रगट्यो मनसुथिरसंसार ॥ उ दासिनताघरहिपाचत तवथिरवरतिधार ॥न ०१ ॥ श्रो गणिसश्रोगणत्रिसगनोतर खपावत हेतेशिवार ॥ एक कोमाकोमसागररहियेहां सलतकर्मततकाल ॥ न०२ ॥ त्रागेकष्टिहे श्रसंख्याता चढतामुरतखपाये ॥ मुनिहूकम कहेचिदानंदमये पुर्वकर्णतेथाये ॥ ०३॥ पद२३ संपूर्ण ॥ ॥ पद २४ मुं रागमायसयणि ॥ चेतनएमचेतोरे श्राई मनउलास सखिइमबोलेरे ॥ सुणबेहेनिक हेसखिरे व धाईमोयेदेराये तुमपीउकुंमेंजाई बोलावुं सबंधसबहिए ७०४

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