Book Title: Adhyatma Prakaran
Author(s): Hukammuni, Hirachand Vajechand
Publisher: Hirachand Vajechand
View full book text
________________
७०२
श्रीचिंदानंदबत्रीशी.
खेपप्रमाणतुंजाणत वलिस्यादवादसबंध ॥ चे० १ ॥ पक्षखटकारकादिकसोजाणे निजबुद्धिनेअनुसारे ॥०॥ पणध्यानकरिसकेनहिरे तोमनकेमनवारे॥चे०२॥ मनव शथीचिदानंदप्रगटे निजघट होयदिवो॥मुनिहकमकहे सुणोनाइसंतो एहिअमृतकरीपीवो॥चे०३॥१५संपुर्ण। ॥पद १६ मुं ॥रागकेरबो ॥ पीयाबिनकेसेरहमें अब लाएकलडीनार ॥ पियातुमजिसदिनगयाविदेसे फेरख बरनहिपाये॥पी०१॥ जुरतजुरतबहकालबितो धीरज नहिरतकोइ ॥ पी०२॥ सखिहमारीहांसिकरति पीउ तुमकेमनबोलाय ॥पी० ३॥ अबतुमनामसमरणहुवों मोये बतियाफीटफीटजाय ॥पी०४॥ सासरीयेमोये साजनकिधि पिउपणमनसुभुलाये ॥पी०५॥ कमकहधीरजराखे अबतेरेकूबोलाये ॥पी०६॥ संपूर्ण॥ ॥ पद १७ मं ॥ पोउसेमेंकेसेकरुंरे रघरमेंजेजाय ॥ एकलमी घरमरहति तरुणवस्थापाय ॥ पी० १॥ वे रीरेदेखीछीदरदेखे॥रखकुलमेंकलंकलगाय ॥पी० २ ॥ मोयेकंद्रपकामेपीमी ॥ बिनअग्नितनमेंदाह्य ॥पी०३॥ रुपरंगचतुराश्तेखोई ॥ नरसुंबातकेमथाय ॥पी०४॥ सुणोसखीएअरजहमारी॥जइमोयेपीउकुजनाय॥पी५०॥ मुनिहूकमसुंजाइकहूं।चेतनघरअगायापी०६॥संपुर्ण। पद १८ मुं॥ जोबनमातीरागजेजेवंती सुणएभमरवा

Page Navigation
1 ... 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738