Book Title: Adhyatma Prakaran
Author(s): Hukammuni, Hirachand Vajechand
Publisher: Hirachand Vajechand

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Page 710
________________ ६९८ थीचिंदानंदवत्रीशी. तमदीनरे ॥१०२॥ अंतरात्मखेलेन्यारो ज्युंजलक मलद्रष्टांते ॥ मुनीहकमकहेनहीकर्मबंधन सोपरमात्म वतंतरे ॥१० ३॥ संपूर्ण ३॥ राग अाशावरी ॥ में तोमेरीरेनोजाईकुसमरुं ओरसूनहीमोयेकाज ॥ोरसू कछूगरजसरेनहीरे घरकेसाथेलाज॥अबधूोरकुकुणसं नारे १॥ मेरीभोजाईमेरीपासे सोतोरहीमुन॥ अहो निशस्मरणकरतीमोरी वाकुछो कुण ॥अब० २॥ नी जनानीकेरेपासेरेहेशुं करशुश्रात्मकाज ॥ मुनीहुकम कहेसांनलोरे जेशुंशीवपुरराजरे ॥पद ४ संपूर्ण ॥ ॥ पद ५ रागकल्याण ॥ चेतनक्युखेलेतुंपरमें जोखेले तोखेलघरमें ॥चेतन०॥ तुंजाणेपरबुजवूरे सोनहीतुज गणनाग ॥ परउपदेशपरजोगथीरे परग्रहणेतुंलागरे ॥चेतन० १॥ सकलमनोरथपूरवेरे चीदानंदमहाराज ॥ जेथीभवत्रमणमटेरे आपेशीवपूरराज ॥चेतन०२॥ ते माटेचेतनभजोरे काढीओरबलाय ॥ हूकमकहेतुमेखेलो सहीरे निजघेरसेहेजसमायरे॥चेतन०३॥पद ५ संपूर्ण॥ ॥ पद ६ रागप्रनाती॥ अहीनेदुधपावेजेमाणस दु विखवधारेरे ॥ तेनेतेखावेसहीरे उलटोगुणतेजारेरे चेतनक्यातुंपरसमजावे निजघरनहीतुंपावरे॥चेतन०१॥ परसमजावतापकुरखोवत निजचेतनापसंभारेरे ॥ आपसमजावतहोवेवर्षी जेहसुहोवेसुखकाररे॥ चेतन..

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