Book Title: Adhyatma Prakaran
Author(s): Hukammuni, Hirachand Vajechand
Publisher: Hirachand Vajechand
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श्रीश्रात्मचिंतामणी.
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कहे तेनाबाठनेदले जातमद १ कुलमद २ बलमद३ रुपमद ४ धनमद ५ इश्वरीयमद६ ज्ञानमद ७ तप मद ८ इत्यादीकअनेकनेदएमदअहंकारना तथामाया कहेतांजेकपटस्वार्थकरे परअर्थेकरे तथास्वनावेपणक पटमांजरम्याकरे लोभकहेतांजेतृप्ना धननी राजनी पु बनीस्विनी जसकीर्तिनी अाभवनी परभवनी एसर्वेनेत जाकहिये एक्रोधादिकचारेनेकखायकहिये एवाचारक खायथकीरहित तेनेकखाइकहिये एटलेएसिद्धभगवा नखाइजछे तथासखाइकहतां जेसिदभगवान सखाइकहेता कोइनीसाहाजकरेनहि एटलेजेमुक्तिग यातेनीकोइजिवाशाराखे जेमहारुकारजकरे तेसर्वमि थ्यासिधनगवानश्रहियांआवेपणनहि नेकोइनुंकारज करेपणनहि त्यांबेठापणकोइनुंकारजकरेनहि एतोपोता नास्वभावमास्थीरभावेछे माटेएमनेसखाइकहिये अथ वाबिजोअर्थजेसखाइकहेतां एबिजाकोश्नीसाहाजेसि ध्धरह्यानथी अनेकोश्नीसाहाजथकी सिद्धथयानथी एतो पोतानीत्रात्मशक्तियेजसिध्धथयाछे नेपोतानीवात्मा क्तियेजस्थीरनावेसिध्धनेविषेरह्याछेअहियांकोइनीसाहा जखपलागतीनथीकोइनीसाहाजथकीपुर्वेसिध्धथयानथी हमणांपणकोश्नीसाहाजथकी कोइसिद्धथतानथी श्रावते कालेपणकोइनासाहजथकीसिद्धथवानानथी अहियांतो

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