Book Title: Aagam Manjusha 40 Mulsuttam Mool 01 Aavassay Nijjuttisah
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

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Page 3
________________ *श्रीआवश्यकसूत्रं (सनियुक्तिकम् ) आभिणियोहियनाणं सुयनाणं चेव ओहिनाणं च। तह मणपज्जवनाणं केवलनाणं च पञ्चमयं ॥१॥ उग्गह ईहाऽवाओ य धारणा ""Vएव हुँति चत्तारि। आमिणिबोहिअनाणस्स भेयवत्थू समासेणं ॥२॥ अत्याणं ओगहणम्मि उम्गहो तह पियारणे ईहा। ववसा. यन्मि अवाओ धरणमि य धारण विति ॥ ३॥ उग्गह इक समयं ईहाऽवाया मुहुत्तमबं(मंत) तु। कालमसंखं संखं च धारणा होइ नायबा ॥४॥ पुढे सुणेइ सई रूवं पुण पासई अप? तु। गंधं रसं च फासं च बबपुढे वियागरे ॥५॥ भासासमसेढीओ सह जं सुणइ मीसयं सुणई। वीसेढी पुण सई सुणेइ नियमा पराघाए ॥ ६ ॥ गिण्हइ य काइएणं निसरइ तह वाइएण जोएण। एगंतरं च गिण्हइ निसिरइ एगंतरं चेव ॥ ७॥ तिविहम्मि सरीरंमि उ जीवपएसा हवंति जीवस्स । जेहि उ गिण्हइ गहर्ण तो भासइ भासओ भासं ॥८॥ ओरालिय वेउ बिय आहारउ गेण्हई मुयइ भास। सच सचामोसं मोसं च असचमोसं च ॥ ९॥ कइहिं समएहिं लोगो भासाएँ निरन्तरं तु होइ फुडो ?। लोगस्स य कइभाए कइभाओ होइ भासाए? R ॥१०॥ चउहि समयेहि लोगो भासाएँ निरंतरं तु होइ फुडो। लोगस्स य चरिमंते चरिमंतो होइ भासाए ॥१॥ ईहा अपोह वीमंसा, मग्गणा य गवेसणा। सण्णा सई मई पण्णा, सर्व Ta आभिणिदोहियं ॥२॥ संतपयपरूवणया दवपमाणं च खित्त फुसणा य। कालो अंतर भागो भाव अप्पाबहुं चेव ॥३॥ गई इंदिए य काए जोए वेए कसाय लेसासु । सम्मत्त नाण दसण संजय उवओग आहारे ॥४॥ भासग परित्त पजत मुहुमे सण्णी य होइ भव चरिमे। आभिणिबोहिअनाणं मग्गिजइ एसु ठाणेसु (चू० एएहिं तु पदेहिं संतपदे होति वक्खाणं प्र० पुषपडिवाए वा मग्गिजइ एसु ठाणेसु)॥५॥ आभिणियोहियनाणे अट्ठावीसइ वन्ति पयडीओ। सुयणाणे पयडीओ वित्थरओ आवि वोच्छामि ॥६॥ पत्तेयमक्खराई अखरसंजोग जत्तिया लोए। एवइया पयडीओ सुयनाणे होति नायवा ॥ ७॥ कत्तो मे वण्णेउं सत्ती सुयनाणसवपयडीओ ?। चउदसविहनिक्लेवं सुयनाणे आवि वोच्छामि ॥८॥ अक्खर सण्णी सम्मं साईयं खलु सपजवसिअंच। गमियं अंगपविटै सत्तवि एए सपडिवक्खा ॥९॥ ऊससियं नीससि निच्छूढं खासिनं च छीयं च। णीसिं (संघियमणुसारं अणक्खरं छेलियाईअं॥२०॥ आगमसत्थरगहणं जं बुद्धिगुणेहिं अडहिं दिढ़। बिति सुयणाणलंभं तं पुत्रविसारया धीरा ॥१॥ सुस्सूसइ पडिपुच्छइ सुणेइ गिण्हइ य ईहए वावि । तत्तो अबोहए वा धारेइ करेइ वा सम्म ॥२॥ मुअं हुंकारं वा बाढक्कार पडिपुच्छ वीमंसा । तत्तो पसंगपारायणं च परिणि? सत्तमए ॥३॥ सुत्तत्यो खलु पढमो बीओ निज्जुत्तिमीसओ भणिओ। तइओ य निरवसेसो एस विही भणिअ अणुओगे॥४॥ संखाईआओ खलु ओहीनाणस्स सवपयडीओ। काउइ भवपचइया खओक्समिआओ काओवि ॥५॥ कत्तो मे वण्णेउं सत्ती ओहिस्स सवपयडीओ ?। चउदसविहनिक्खेवं इड्ढीपत्ते य चोच्छामि ॥६॥ ओही खित्तपरिमाणे, संठाणे आणुगामिए। अवट्टिए चले विश्वमन्द पडिवाउप्पयाइय॥७॥ नाणदंसणविन्भंगे, देसे खित्ते गई इअ। इइढिपत्ताणुओगे य, एमेआ पडिवत्तिओ ॥८॥ नाम ठवणा दबिए खित्ते काले भवे य भावे य। एसो खलु ओहिस्सा निक्खेवो होइ सत्तविहो ॥९॥ जावइया तिसमयाहारगस्स सुहुमस्स पणगजीवस्स। ओगाहणा जहण्णा ओहीखित्तं जहण्णं तु ॥३०॥ सबबहुअगणिजीवा निरन्तरं जत्तियं भरिजंसु। खित्तं सवदिसागं परमोही खित्त निहिट्ठो ॥१॥ अंगुलमावलियाणं भागमसंखिज दोसु संखिज्जा। अंगुलमावलिअंतो आवलिआ अंगुलपहत्तं ॥२॥ हत्थंमि महत्तन्तो दिवसंतोगा जोयण दिवसपुहुत्तं पक्खंतो पण्णवीसा उ ॥३॥ भरहमि अदमासो जंबूदीवंमि साहिओ मासो। वासं च मणुअलोए वासपुहुत्तं च रुयगंमि ॥४॥ संखिज्जमि उ काले दीवसमुदावि हुँति संखिज्जा। कालंमि असंखिजे दीवसमुद्दा उ भइयवा ॥५॥ काले चउण्ह बुड्ढी कालो भइयबु खित्तवुड्ढीए। बुड्ढीइ दवपजव भइयत्रा खित्तकाला उ॥६॥ सुहुमो य होइ कालो तत्तो मुहुमयरं हवइ खित्तं। अंगुलसेदीमित्ते ओसप्पिणीओ असंखेजा ॥७॥ तेआभासादवाण अन्तरा इत्थ लहइ पट्ठवओ। गुरुलहुअअगुरुलहु तंपिअ तेणेव निट्ठाइ॥८॥ ओरालविवाहारतेअभासाऽऽणपाणमणकम्मे। अह दववग्गणाणं कमो विवजासो खित्ते॥९॥ कम्मोवरिं धुवेयर सुण्णेयरवाणा अर्णताओ। चउ धुवऽणंत तणुवमाणा य मीसो तहाऽचित्तो ॥४०॥ ओरालिअवेउविजआहारगतेज गुरुलहू दया। कम्मगमणभासाई एआई अगुरुलहुआई ॥१॥ संखिज मणोदधे भागो लोगपलियस्स बोडशो। संखिज कम्मदवे लोए थोवृणगं पलियं ॥२॥ तेयाकम्मसरीरे तेआदचे अ भासदवे अ । बोद्धश्चमसंखिजा दीवसमुद्दा य कालो अ॥३॥ एगपएसोगादं परमोही लहइ कम्मगसरीरं । लहइ य अगुरुयलघुअं तेयसरीरे भवपुहुत्तं ॥४॥ परमोहि असंखिजा लोगमित्ता समा असंखिजा। रुवगर्य लहइ सवं खित्तोवमिअं अगणिजीचा ॥५॥ आहारतेयलंभो उक्कोसेणं तिरिक्खजो णीसु । गाउय जहण्णमोही नरएसु उ जोयणुकोसो ॥६॥चत्तारि गाउयाई अधुढाई तिगाउयं चेव । अड्ढाइजा दुण्णि य दिवड्दमेगं च नरएम् ॥७॥ (अधुटाईयाई जहण्णयं (२९४) ११७ आवश्यक सनिय-सातक मलमुत्र Ranamgaoमाम htriHITEHRUITalentdearenाजEONLIMI - letöflur मुनि दीपरत्नसागर 4430

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