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श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
॥ श्री आगम-गुण-मञ्जूषा ॥ ।। श्री भागम-गुण-मंभूषा ।।
II Sri Agama Guna Manjusa II (सचित्र)
प्रेरक-संपादक
अचलगच्छाधिपति प.पू. आ. भ. स्व. श्री गुणसागर सूरीश्वरजी म.सा.
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HOROS555555555555555555555555555 ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय 555555555555555555555555555QUOTE
| ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय |
११ अंगसूत्र
के जीवन चरित्र है, धर्मकथानुयोग के साथ चरणकरणानुयोग भी इस सूत्र मे सामील है
। इसमे ८०० से ज्यादा श्लोक है। श्री आचारांग सूत्र :- इस सूत्र मे साधु और श्रावक के उत्तम आचारो का सुंदर वर्णन है । इनके दो श्रुतस्कंध और कुल २५ अध्ययन है। द्रव्यानुयोग, गणितानुयोग,
श्री अन्तकृद्दशांग सूत्र :- यह मुख्यत: धर्मकथानुयोग मे रचित है। इस सूत्र में श्री धर्मकथानुयोग और चरणकरणानुयोगोमे से मुख्य चौथा अनुयोग है। उपलब्ध श्लोको
शत्रुजयतीर्थ के उपर अनशन की आराधना करके मोक्ष मे जानेवाले उत्तम जीवो के
छोटे छोटे चरित्र दिए हए है। फिलाल ८०० श्लोको मे ही ग्रंथ की समाप्ति हो जाती 5 कि संख्या २५०० एवं दो चुलिका विद्यमान है।
है। श्री सूत्रकृतांग सूत्र :- श्री सुयगडांग नाम से भी प्रसिद्ध इस सूत्र मे दो श्रुतस्कंध और २३ अध्ययन के साथ कुलमिला के २००० श्लोक वर्तमान में विद्यमान है । १८०
श्री अनुत्तरोपपातिक दशांग सूत्र :- अंत समय मे चारित्र की आराधना करके क्रियावादी, ८४ अक्रियावादी, ६७ अज्ञानवादी अपरंच द्रव्यानुयोग इस आगम का
अनुत्तर विमानवासी देव बनकर दूसरे भव मे फीर से चारित्र लेकर मुक्तिपद को प्राप्त मुख्य विषय रहा है।
करने वाले महान् श्रावको के जीवनचरित्र है इसलीए मुख्यतया धर्मकथानुयोगवाला
यह ग्रंथ २०० श्लोक प्रमाणका है। श्री स्थानांग सूत्र :- इस सूत्र ने मुख्य गणितानुयोग से लेकर चारो अनुयोंगो कि बाते आती है। एक अंक से लेकर दस अंको तक मे कितनी वस्तुओं है इनका रोचक वर्णन
श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र :- इस सूत्र मे मुख्यविषय चरणकरणानुयोग है। इस आगम है, ऐसे देखा जाय तो यह आगम की शैली विशिष्ट है और लगभग ७६०० श्लोक है।
में देव-विद्याघर-साधु-साध्वी श्रावकादि ने पुछे हुए प्रश्नों का उत्तर प्रभु ने कैसे दिया
इसका वर्णन है । जो नंदिसूत्र मे आश्रव-संवरद्वार है ठीक उसी तरह का वर्णन इस सूत्र श्री समवायांग सूत्र :- यह सूत्र भी ठाणांगसूत्र की भांति कराता है । यह भी
मे भी है । कुलमिला के इसके २०० श्लोक है। संग्रहग्रंथ है । एक से सो तक कौन कौन सी चीजे है उनका उल्लेख है। सो के बाद देढसो, दोसो, तीनसो, चारसो, पांचसो और दोहजार से लेकर कोटाकोटी तक
११) श्री विपाक सूत्र :- इस अंग मे २ श्रुतस्कंध है पहला दुःखविपाक और दूसरा कौनसे कौनसे पदार्थ है उनका वर्णन है। यह आगमग्रंथ लगभग १६०० श्लोक प्रमाण
सुखविपाक, पहेले में १० पापीओं के और दूसरे में १० धर्मीओ के द्रष्टांत है मुख्यतया मे उपलब्ध है।
धर्मकथानुयोग रहा है । १२०० श्लोक प्रमाण का यह अंगसूत्र है। श्री व्याख्याप्रज्ञप्ति सूत्र (भगवती सूत्र) :- यह सबसे बडा सूत्र है, इसमे ४२
१२ उपांग सूत्र शतक है, इनमे भी उपविभाग है, १९२५ उद्देश है। इस आगमग्रंथ मे प्रभु महावीर के प्रथम शिष्य श्री गौतमस्वामी गणधरादि ने पुछे हुए प्रश्नो का प्रभु वीर ने समाधान
१) श्री औपपातिक सूत्र :- यह आगम आचारांग सूत्र का उपांग है । इस मे चंपानगरी किया है। प्रश्नोत्तर संकलन से इस ग्रंथ की रचना हुइ है। चारो अनुयोगो कि बाते
का वर्णन १२ प्रकार के तपों का विस्तार कोणिक का जुलुस अम्बडपरिव्राजक के
७०० शिष्यो की बाते है। १५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। अलग अलग शतको मे वर्णित है। अगर संक्षेप मे कहना हो तो श्री भगवतीसूत्र रत्नो का खजाना है। यह आगम १५००० से भी अधिक संकलित श्लोको मे उपलब्ध है।
श्री राजप्रश्नीय सूत्र :- यह आगम सुयगडांगसूत्र का उपांग है। इसमें प्रदेशीराजा का ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र :- यह सूत्र धर्मकथानुयोग से है। पहले इसमे साडेतीन करोड
अधिकार सूर्याभदेव के जरीए जिनप्रतिमाओं की पूजा का वर्णन है। २००० श्लोको
से भी अधिक प्रमाण का ग्रंथ है। कथाओ थी अब ६००० श्लोको मे उन्नीस कथाओं उपलब्ध है। १७) श्री उपासकदशांग सूत्र :- इसमें बाराह व्रतो का वर्णन आता है और १० महाश्रावको Gorak45555555555555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा G555555555555555555555555555555ory
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२) त्रास
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KAROKKAXXE E EEEE994%953589 ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय 985555359999999455889 श्री जीवाजीवाभिगम सूत्र :- यह ठाणांगसूत्र का उपांग है । जीव और अजीव के
दश प्रकीर्णक सूत्र बारे मे अच्छा विश्लेषण किया है। इसके अलावा जम्बुद्विप की जगती एवं विजयदेव ने कि हुइ पूजा की विधि सविस्तर बताइ है। फिलाल जिज्ञासु ४ प्रकरण, क्षेत्रसमासादि
श्री चतुशरण प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में अरिहन्त, सिद्ध, साधु और गच्छधर्म जो पढ़ते है वह सभी ग्रंथे जीवाभिगम अपरग्च पनवणासूत्र के ही पदार्थ है । यह
के आचार के स्वरूप का वर्णन एवं चारों शरण की स्वीकृति है। आगम सूत्र ४७०० श्लोक प्रमाण का है। श्री प्रज्ञापना सूत्र- यह आगम समवायांग सूत्र का उपांग है । इसमे ३६ पदो का वर्णन
श्री आतुर प्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस आगम का विषय है अंतिम आराधना है। प्रायः ८००० श्लोक प्रमाण का यह सूत्र है।
और मृत्युसुधार ५) श्री सुर्यप्रज्ञप्ति सूत्र :
श्री चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र :- इस दो आगमो मे गणितानुयोग मुख्य विषय रहा है। सूर्य, ३) श्री भक्तपरिज्ञा प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में पंडित मृत्यु के तीन प्रकार (१) चन्द्र, ग्रहादि की गति, दिनमान ऋतु अयनादि का वर्णन है, दोनो आगमो मे २२००,
भक्त परिज्ञा मरण (२) इंगिनी मरण (३) पादोपगमन मरण इत्यादि का वर्णन है। २२०० श्लोक है। श्री जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र :- यह आगम भी अगले दो आगमों की तरह गणितानुयोग
६) श्री संस्तारक प्रकीर्णक सूत्र :- नामानुसार इस पयन्ने में संथारा की महिमा का वर्णन मे है। यह ग्रंथ नाम के मुताबित जंबूद्विप का सविस्तर वर्णन है। ६ आरे के स्वरूप
है। इन चारों पयन्ने पठन के अधिकारी श्रावक भी है। बताया है। ४५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है।
श्री तंदुल वैचारिक प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने को पूर्वाचार्यगण वैराग्य रस के श्री निरयावली सूत्र :- इन आगम ग्रंथो में हाथी और हारादि के कारण नानाजी का
समुद्र के नाम से चीन्हित करते है । १०० वर्षों में जीवात्मा कितना खानपान करे दोहित्र के साथ जो भयंकर युद्ध हुआ उस मे श्रेणिक राजा के १० पुत्र मरकर नरक मे
इसकी विस्तृत जानकारी दी गई है। धर्म की आराधना ही मानव मन की सफलता है। गये उसका वर्णन है।
ऐसी बातों से गुंफित यह वैराग्यमय कृति है। श्री कल्पावतंसक सूत्र :- इसमें पद्यकुमार और श्रेणिकपुत्र कालकुमार इत्यादि १० भाइओं के १० पुत्रों का जीवन चरित्र है।
८) श्री चन्दाविजय प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु सुधार हेतु कैसी आराधना हो इसे इस पयन्ने । १०) श्री पुष्पिका उपांग सूत्र :- इसमें १० अध्ययन है । चन्द्र, सूर्य, शुक्र, बहुपुत्रिका
में समजाया गया है। देवी, पूर्णभद्र, माणिभद्र, दत्त, शील, जल, अणाढ्य श्रावक के अधिकार है। ११) श्री पुष्पचुलीका सूत्र :- इसमें श्रीदेवी आदि १० देवीओ का पूर्वभव का वर्णन है। ९) श्री देवेन्द्र-स्तव प्रकीर्णक सूत्र :- इन्द्र द्वारा परमात्मा की स्तुति एवं इन्द्र संबधित ई श्री वृष्णिदशा सूत्र :- यादववंश के राजा अंधकवृष्णि के समुद्रादि १०पुत्र, १० मे
अन्य बातों का वर्णन है। पुत्र वासुदेव के पुत्र बलभद्रजी, निषधकुमार इत्यादि १२ कथाएं है। अंतके पांचो उपांगो को निरियावली पञ्चक भी कहते है।
१०A) श्री मरणसमाथि प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु संबधित आठ प्रकरणों के सार एवं अंतिम
आराधना का विस्तृत वर्णन इस पयन्ने में है।
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१०B) श्री महाप्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में साधु के अंतिम समय में किए
जाने योग्य पयन्ना एवं विविध आत्महितकारी उपयोगी बातों का विस्तृत वर्णन है।
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N54555554454549 श्री आगमगुणमजूषा
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१०C) श्री गणिविद्या प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में ज्योतिष संबंधित बड़े ग्रंथो का सार है।
उपरोक्त दसों पयन्नों का परिमाण लगभग २५०० श्लोकों में बध्य हे। इसके अलावा २२ अन्य पयन्ना भी उपलब्ध हैं। और दस पयन्नों में चंदाविजय पयन्नो के स्थान पर गच्छाचार पयन्ना को गिनते हैं।
छह छेद सूत्र
(१) निशिथ सूत्र (२) महानिशिथ सूत्र (३) व्यवहार सूत्र (४) जीतकल्प सूत्र (५) पंचकल्प सूत्र (६) दशा श्रुतस्कंध सूत्र
इन छेद सूत्र ग्रन्थों में उत्सर्ग, अपवाद और आलोचना की गंभीर चर्चा है। अति गंभीर केवल आत्मार्थ, भवभीरू, संयम में परिणत, जयणावंत, सूक्ष्म दष्टि से द्रव्यक्षेत्रादिक विचार धर्मदष्टि से करने वाले, प्रतिपल छहकाया के जीवों की रक्षा हेतु चिंतन करने वाले, गीतार्थ, परंपरागत उत्तम साधु, समाचारी पालक, सर्वजीवो के सच्चे हित की चिंता करने वाले ऐसे उत्तम मुनिवर जिन्होंने गुरु महाराज की निश्रा में योगद्वहन इत्यादि करके विशेष योग्यता अर्जित की हो ऐसे मुनिवरों को ही इन ग्रन्थों के अध्ययन पठन का अधिकार है।
चार मूल सूत्र
१)
श्री दशवैकालिक सूत्र :- पंचम काल के साधु साध्वीओं के लिए यह आगमग्रन्थ अमृत सरोवर सरीखा है। इसमें दश अध्ययन हैं तथा अन्त में दो चूलिकाए र तिवाक्या व, विवित्तचरिया नाम से दी हैं। इन चूलिकाओं के बारे में कहा जाता है कि श्री स्थूलभद्रस्वामी की बहन यक्षासाध्वीजी महाविदेहक्षेत्र में से श्री सीमंधर स्वामी से चार चूलिकाए लाइ थी। उनमें से दो चूलिकाएं इस ग्रंथ में दी हैं। यह आगम ७०० श्लोक प्रमाण का है।
२)
श्री उत्तराध्ययन सूत्र :- परम कृपालु श्री महावीरभगवान के अंतिम समय के उपदेश इस सूत्र में हैं । वैराग्य की बातें और मुनिवरों के उच्च आचारों का वर्णन इस आगम ग्रंथ में ३६ अध्ययनों में लगभग २००० श्लोकों द्वारा प्रस्तुत हैं।
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३)
श्री निर्युक्ति सूत्र :- चरण सत्तरी-करण सत्तरी इत्यादि का वर्णन इस आगम ग्रन्थ में है। पिंडनियुक्ति भी कई लोग ओघ निर्युक्ति के साथ मानते हैं अन्य कई लोग इसे अलग आगम की मान्यता देते हैं। पिंडनियुक्ति में आहार प्राप्ति की रीत बताई हैं । ४२ दोष कैसे दूर हों और आहार करने के छह कारण और आहार न करने के छह कारण इत्यादि बातें हैं ।
४)
श्री आवश्यक सूत्र :- छह अध्ययन के इस सूत्र का उपयोग चतुर्विध संघ में छोट बड़े सभी को है । प्रत्येक साधु साध्वी, श्रावक-श्राविका के द्वारा अवश्य प्रतिदिन प्रातः एवं सायं करने योग्य क्रिया (प्रतिक्रमण आवश्यक) इस प्रकार हैं :
(१) सामायिक (२) चतुर्विंशति (३) वंदन (४) प्रतिक्रमण (५) कार्योत्सर्ग (६) पच्चक्खाण
दो चूलिकाए
१) श्री नंदी सूत्र :- ७०० श्लोक के इस आगम ग्रन्थ में परमात्मा महावीर की स्तुति, संघ की अनेक उपमाए, २४ तीर्थकरों के नाम ग्यारह गणधरों के नाम, स्थविरावली और पांच ज्ञान का विस्तृत वर्णन है।
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२)
श्री अनुयोगद्वार सूत्र :- २००० श्लोकों के इस ग्रन्थ में निश्चय एवं व्यवहार के आलंबन द्वारा आराधना के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी गई है। अनुयोग याने शास्त्र की व्याख्या जिसके चार द्वार है (१) उत्क्रम (२) निक्षेप (३) अनुगम (४) नय
यह आगम सब आगमों की चावी है। आगम पढने वाले को प्रथम इस आगम से शुरुआत करनी पडती है। यह आगम मुखपाठ करने जैसा है।
॥ इति शम् ॥
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Introduction 45 Agamas, a short sketch
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It is of the size of around 800 Ślokas.
(8) Antagaḍa-daśānga-sutra: It deals mainly with the teaching of the religious discourses. It contains brief life-sketches of the highly spiritual souls who are born to liberate and those who are liberating ones: they are Andhaka Vṛṣṇi, Gautama and other 9 sons of queen Dharini, 8 princes like Akṣobhakumāra, 6 sons of Devaki, Gajasukumara, Yadava princes like Jali, Mayāli, Vasudeva Kṛṣṇa, 8 queens like Rukmiņi. It is available of the size of 800 Ślokas. (9) Anuttarovavayi-daśānga-sūtra : It deals with the teaching of the religious discourses. It contains the life-sketches of those who practise the path of religious conduct, reach the Anuttara Vimāna, from there they drop in this world and attain Liberation in the next birth. Such souls are Abhayakumara and other 9 princes of king Śrenika, Dirghasena and other 11 sons, Dhanna Apagara, etc. It is of the size of 200 Ślokas.
I Eleven Angas: (1) Acărănga-sutra: It deals with the religious conduct of the monks and the Jain householders. It consists of 02 Parts of learning, 25 lessons and among the four teachings on entity, calculation, religious discourse and the ways of conduct, the teaching of the ways of conduct is the main topic here. The Agama is of the size of 2500 Ślokas.
(2) Suyagaḍānga-sutra: It is also known as Sūtra-Kṛtānga. It's two parts of learning consist of 23 lessons. It discusses at length views of 363 doctrine-holders. Among them are 180 ritualists, 84 nonritualists, 67 agnostics and 32 restraint-propounders, though it's main area of discussion is the teaching of entity. It is available in the size of 2000 Ślokas.
(3) Thapanga-sutra: It begins with the teaching of calculation mainly and discusses other three teachings subordinately. It introduces the topic of one dealing with the single objects and ends with the topic of eight objects. It is of the size of 7600 Slokas. (4) Samaväyänga-sutra: This is an encompendium, introducing 01 to 100 objects, then 150, 200 to 500 and 2000 to crores and crores of objects. It contains the text of size of 1600 slokas.
(5) Vyakhyā-prajñapti-sūtra : It is also known as Bhagavati-sūtra. It is the largest of all the Angas. It contains 41 centuries with subsections. It consists of 1925 topics. It depicts the questions of Gautama Ganadhara and answers of Lord Mahavira. It discusses the four teachings in the centuries. This Agama is really a treasure of gems. It is of the size of more than 15000 Ślokas.
(6) Jäätädharma-Kathānga-sutra: It is of the form of the teaching of the religious discourses. Previously it contained three and a half crores of discourses, but at present there are 19 religious discourses. It is of the size of 6000 Ślokas.
SEVEN A
(7) Upāsaka-daśānga-sutra: It deals with 12 vows, life-sketches of
10 great Jain householders and of Lord Mahāvīra, too. This deals with the teaching of the religious discourses and the ways of conduct.
(10) Praśna-vyākaraṇa-sūtra: It deals mainly with the teaching of the ways of conduct. As per the remark of the Nandi-satra, it contained previously Lord Mahavira's answers to the questions put by gods, Vidyadharas, monks, nuns and the Jain householders. At present it contains the description of the ways leading to transgression and the self-control. It is of the size of 200 Ślokas. Vipaka-sūtranga-sutra: It consists of 2 parts of learning. The first part is called the Fruition of miseries and depicts the life of 10 sinful souls, while the second part called the Fruition of happiness narrates illustrations of 10 meritorious souls. It is available of the size of 1200 Ślokas.
(11)
II Twelve Upangas
(1)
Uvavayi-sutra: It is a subservient text to the Acaranga-sutra. It deals with the description of Campă city, 12 types of austerity, procession-arrival of Konika's marriage, 700 disciples of the monk Ambaḍa. It is of the size of 1000 slokas.
(2) Rayapaseni-sutra: It is a subservient text to Suyagaḍanga-sutra. It depicts king Pradesi's jurisdiction, god Suryabha worshipping the Jina idols, etc. It is of the size of 2000 Ślokas.
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(3) Jivābhigama-sutra : It is a subservient text to Thāṇānga-sūtra. It one Vasudeva, his son Balabhadra and his son Nişadha.
deals with the wisdom regarding the self and the non-self, the Jambo continent and its areas, etc. and the detailed description of the III Ten Payanna-sutras : veneration offered by god Vijaya. The four chapters on areas, society, (1) Aurapaccakhāņa-sūtra : It deals with the final religious practice etc. published recently are composed on the line of the topics of this and the way of improving (the life so that the) death (may be Sutra and of the Pannavaņa-sutra. It is of the size of 4700 Slokas. improved).
Pannavaņā-sutra : It is a subservient text to the Samavāyānga- (2) Bhattaparinna-sutra : It describes (1) three types of Pandita death, sätra. It describes 36 steps or topics and it is of the size of 8000
(2) knowledge, (3) Ingini devotee ślokas.
(4) Pādapopagamana, etc. (5) Sürya-prajfapti-sutra and
(4) Santhäraga-payannā-sutra : It extols the Samstäraka. Candra-prajñapti-sätra : These two falls under the teaching of the calculation. They depict the solar and the lunar transit, the ** These four payannás can also be learnt and recited by the Jain movement of planets, the variations in the length of a day, seasons,
householders. ** northward and the southward solstices, etc. Each one of these Āgamas are of the size of 2200 Slokas.
(5) Tandula-viyaliya-payanna-sūtra : The ancient preceptors call this Jambadvipa-prajñapti-sutra : It mainly deals with the teaching Payanna-sutra as an ocean of the sentiment of detachment. It of the calculations. As it's name indicates, it describes at length the describes what amount of food an individual soul will eat in his life objects of the Jambu continent, the form and nature of 06 corners of 100 years, the human life can be justified by way of practising a (ära). It is available in the size of 4500 Slokas.
religious life. Nirayávali-pacaka :
(6) Candāvijaya-payannā-sūtra : It mainly deals with the religious (8) Nirayávali-sütra : It depicts the war between the grandfather and practice that improves one's death.
the daughter's son, caused of a necklace and the elephant, the death (7) Devendrathui-payanna-sutra : It presents the hymns to the Lord of king Greñika's 10 sons who attained hell after death. This war is sung by Indras and also furnishes important details on those Indras. designated as the most dreadful war of the Downward (avasarpini) (8) Maranasamadhi-payanna-sutra : It describes at length the final age.
religious practice and gives the summary of the 08 chapters dealing (9) Kalpāvatamsaka-sutra : It deals with the life-sketches of with death.
Kalakumara and other 09 princes of king Sreņika, the life-sketch of (9) Mahäpaccakhāņa-payanna-sutra : It deals specially with what a Padamakumpra and others.
monk should practise at the time of death and gives various beneficial (10) Pupphiya-upanga-sutra : It consists of 10 lessons that covers the informations.
topics of the Moon-god, Sun-god, Venus, queen Bahuputrikā, (10) Gaņivijaya-payanna-sūtra : It gives the summary of some treatise Purnabhadra, Manibhadra, Datta, sila, Bala and Aņāddhiya.
on astrology (11) Pupphacultya-upanga-sutra : It depicts previous births of the 10 These 10 Payannās are of the size of 2500 ślokas. queens like Sridevi and others.
Besides about 22 Payannās are known and even for these above (12) Vahnidaśa-upanga sätra : It contains 10 stories of Yadu king 10 also there is a difference of opinion about their names. The Gacchācāra
Andhakavrşni, his 10 princes named Samudra and others, the tenth is taken, by some, in place of the Candāvijaya of the 10 Payannās.
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IV Six Cheda-sūtras
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(2) Nisitha-sūtra,
(4) Pancakalpa-sutra,
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(1) Vyavahara-sutra,
(3)
Mahānisitha-sutra,
(5) Daśāśruta-skandha-sūtra and (6) Bṛhatkalpa-sūtra. These Chedasûtras deal with the rules, exceptions and vows.
The study of these is restricted only to those best monks who are (1) serene, (2) introvert, (3) fearing from the worldly existence, (4) exalted in restraint, (5) self-controlled, (6) rightfully descerning the subtlety of entity, territories, etc. (7) pondering over continuously the protection of the six-limbed souls, (8) praiseworthy, (9) exalted in keeping the tradition, (10) observing good religious conduct, (11) beneficial to all the beings and (12) Who have paved the path of Yoga under the guidance of their master.
V Four Malasitras
(1) Daśavaikalika-sutra: It is compared with a lake of nectar for the monks and nuns established in the fifth stage. It consists of 10 lessons and ends with 02 Cūlikäs called Rativakya and Vivittacariya. It is said that monk Sthulabhadra's sister nun Yakşă approached Simandhara Svāmi in the Mahāvideha region and received four Culikās. Here are incorporated two of them.
(2) Uttaradhyayana-sutra: It incorporates the last sermons of Lord Mahavira. In 36 lessons it describes detachment, the conduct of monks and so on. It is available in the size of 2000 Slokas.
(3) Anuyogadvara-sutra: It discusses 17 topics on conduct, behaviour, etc. Some combine Pifaniryukti with it, while others take it as a separate Agama. Pindaniryukti deals with the method of receiving food (bhiksă or gocari), avoidance of 42 faults and to receive food, 06 reasons of taking food, 06 reasons for avoiding food, etc. (4) Avasyaka-sutra: It is the most useful Agama for all the four groups
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of the Jain religious constituency. It consists of 06 lessons. It describes 06 obligatory duties of monks, nuns, house-holders and housewives. They are (1) Samayika, (2) Caturvimśatistava, (3) Vandana, (4) Pratikramana, (5) Kayotsarga and (6) Paccakhāṇa.
VI Two Culikäs
(1) Nandi-sütra: It contains hymn to Lord Mahavira, numerous similies for the religious constituency, name-list of 24 Tirthankaras and 11 Gaṇadharas, list of Sthaviras and the fivefold knowledge. It is available in the size of around 700 Ślokas.
(2) Anuyogadvara-sutra: Though it comes last in the serial order of the 45 Agamas, the learner needs it first. It is designated as the key to all the Agamas. The term Anuyoga means explanatory device which is of four types: (1) Statement of proposition to be proved, (2) logical argument, (3) statement of accordance and (4) conclusion.
It teaches to pave the righteous path with the support of firm resolve and wordly involvements.
It is of the size of 2000 Ślokas.
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છSSSSSSSSSSSSSSSSSSSન સભ્ય સતીષuપર્વ ]
S આગમ - ૧૮
આયુધશાળા, ચક્ર વગેરે ચાર, છત્ર વગેરે ત્રણ, શ્રીધર સેનાપતિ વગેરે ચાર રત્નો અને ગણિતાનુયોગ પ્રધાન જંબૂદીપ પ્રતિ ઉપાંગ સૂત્ર - ૧૯
અશ્વ, ગજ તેમજ સ્ત્રી રત્નોના ઉત્પત્તિસ્થાન બતાવ્યાં છે. તે પછી રત્ન, નિધિ, દેવ વગેરેથી
માંડીને કુરાજ્યભિલ્લ વગેરેના રાજ્ય સુધી ૨૫ વિષયોની સંખ્યા બનાવી છે. અન્યનામ:- બુદ્દીવાણત્તિ.
અંતે ભરતનું આત્મદર્શન અને નિર્વાણ તેમજ તેના શાશ્વત નામની વાત સાથે આ કે અધ્યયન---
વક્ષસ્કાર પૂર્ણ થાય છે. વક્ષસ્કોર - - - - - - - -
-
૪) ચુલ્લહિમવંત વક્ષસ્કાર ઉપલબ્ધ પાઠ --- -૪૧૪૬ શ્લોક પ્રમાણ
આમાં યુદ્ધ હિમવંત વર્ષધર પર્વતના સ્થાન, આયામ વગેરેના વર્ણન પછી પદ્મદ્રહ, ગદ્યસૂત્ર ---- - ૧૭૮
પદ્મ, ગંગાનદી, ગંગાદ્વીપ, સિધુનદી,સિંધુદ્વીપ, રોહિતાશા નદી, રોહિતાશા દ્વીપ, યુદ્ધ પદ્યસૂત્ર - - ૫૨
હિમવંતના ૧૧ ફૂટ અને તેના સ્થાન, હૈમવંત ક્ષેત્ર અને તેના આયામ-વિખંભ વગેરે,
શબ્દાપાતી વૃત્ત વૈતાઢ્ય પર્વત અને તેના સ્થાન, આયામ વગેરે, મહાહિમવંત વિષધર ૧) ભરતક્ષેત્ર વક્ષસ્કાર
પર્વત અને મહાપદ્મદ્રહ તેમજ તેના સ્થાન, આયામ વગેરે, રોહિતા નદી, હરિકાન્તા નહી આ ઉપાંગના આરંભે પરમેષ્ટીને વંદના કરીને મિથિલા નગરીમાં ભગવાન મહાવીરનું
અને દ્વિીપ તથા હરિવર્ષ ક્ષેત્ર, વિકટાપાતી વૃત્ત વૈતાઢ્ય પર્વત વગેરે ઐરાવત વર્ષના સ્થાન
ન આ૫ તથા ૭ સમવસરણ, ભગવાન ગૌતમ ગણધરની જિજ્ઞાસા, જંબૂદ્વીપના પ્રમાણ, સંસ્થાન વગેરે, વગરનું વિસ્તૃત વર્ણન છે. એની જગતી, વિજયદ્વાર વગેરેના વર્ણન પછી ભરતક્ષેત્ર, દક્ષિણાર્ધ ભરત, વૈતાઢ્ય પર્વતના સ્થાન વગેરેના વર્ણન બાદ સિદ્ધાયતનકૂટ અને દક્ષિણાર્ધ ભરતકૂટ, દક્ષિણાર્ધ રાજધાની, ૫) જિનજન્માભિષક વહારકાર ઉત્તરાર્ધ ભરત, ઋષભકૂટ પર્વત વગેરેનું વર્ણન છે.
આમાં જિનના જન્મસમયે વિવિધ સ્થાનોમાંથી ૫૬ દિકકુમારીઓનું આગમન,
શકેન્દ્ર, ઈશાનેન્દ્ર વગેરેનું મેરુપર્વત પર આગમન, તીર્થોદક, ગંધોદક વગેરેથી અભિષેક, ૨) કાલ વક્ષરકાર
ગીત-નૃત્ય-વાજિત્રોના સંગીત સાથે જન્મમહોત્સવની ઉજવણી, તીર્થંકરના ભવનમાં આમાં અવસર્પિણી- ઉત્સર્પિણી કાળના ભેદ એક મુહર્તના શ્વાસોચ્છવાસ, કાળના સ્પિયા ભાડા
હિરણ્યથી ભંડાર ભરવા કેન્દ્રનોવેશ્રવણને આદેશ, તીર્થકર અને તીર્થંકરની માતાનું અનિષ્ટ સ્તોક, લવ, મુહર્ત વગેરે તેમજ અન્ય પરિમાણ, ઔપમિક કાળ, સુષમ-સુષમા વગેરે ન કરવાની ઘોષણા અને દેવો દ્વારા અષ્ટાલિકા મહોત્સવનું વર્ણન છે. કાળના ભેદ-પ્રભેદોનું વિસ્તૃત વર્ણન કરીનેઋષભદેવની ઉત્પત્તિથી માંડીને તેમજ કેવળજ્ઞાન પ્રાપ્તિ સુધીનું વર્ણન, તેમના ગણધર વગેરે, ભગવાન ઋષભદેવનો નિર્વાણકાળ, વિવિધ ૬) જેબકીપ-ગત પદાર્થ સંગ્રહ વર્ણન વક્ષસકાર સ્થાનોએ અષ્ટાદ્દિકા મહોત્સવ, જિન-અસ્થિઓની સ્થાપના અને અર્ચના વેગેરેના વિસ્તૃત
આમાં જેબૂદીપના પ્રદેશો, લવણ સમુદ્ર સાથે સ્પર્શન વગેરે વર્ણન કરી જેબૂદ્વીપના વર્ણન પછી દુષમ- દુષમા કાળ અને ઉત્સર્પિણી કાળના મેઘ અને વર્ષોનું વર્ણન વગેરે
મા બળ અને ઉત્સર્પિણી કાળના મેઘ અને વર્ષનું વર્ણન વગેરે ૧૦ પદાર્થોનું વર્ણન છે, તે પછી જંબુદ્રીપના વર્ગયોજન, વર્ષક્ષેત્ર, પર્વતો, ટો, તીર્થો, કે નિરૂપણ છે.
શ્રેણિઓ, ગુફાઓ, કહો, નદીઓ વગેરે ૨૯ વિષયોનું વર્ણન છે.
૩) ભરત ચક્રવર્તી વક્ષસ્કાર
૭) જ્યોતિષ્ક - વર્ણન વક્ષસ્કાર આમાં ભરતના નામનો હેતુ, વિનીતા નગરી, ભરત ચક્રવર્તી, ચક્રરત્નોની ઉત્પત્તિ,
આના આરંભે જંબુદ્વીપના ચંદ્ર, સૂર્ય, નક્ષત્ર અને તારા વિષે જણાવીને સૂર્યમંડળ, છ ખંડની વિજયયાત્રા વગેરેનું વિસ્તૃત વર્ણન કરીને ૧૪ રત્નોના ઉત્પત્તિ સ્થાન, સૂર્યમંડળનું અંતર વગેરે સૂર્ય વર્ણન ૧૫ અધિકારોમાં કરીને, ચંદ્રમંડળ, ચંદ્રમંડળ વચ્ચેનું
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શ્રી કાનજગુoriઝૂપા - ૪૨
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અંતર વગેરે ચંદ્રવર્ણનના સાત અધિકારો, નક્ષત્રમંડળ, નક્ષત્રમંડળનું અંતર વગેરે નક્ષત્રવર્ણનના સાત અધિકારો વર્ણવીને સંવત્સરના ભેદ-પ્રભેદો, લૌકિક તથા લોકોત્તર માસના નામો, દિવસ-રાત ના ૩૦ મુહૂર્તોના નામો, ૧૧ કરણો, ૧૦ યોગ, ૨૮ નક્ષત્રો અને પૌરુષી પ્રમાણ, ૧૬ અધિકાર વગેરેના વિસ્તૃત વર્ણન પછી અંતે મિથિલાના મણિભદ્ર ચિત્યમાં ચતુર્વિધ સંઘ અને દેવ-દેવીઓ સમક્ષ ભગવાન મહાવીર દ્વારા પ્રજ્ઞપ્તિના પ્રતિપાદનથી ઉપસંહાર કર્યો છે.
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तेणं
सिरि सहदेव सामिस्स णमो । सिरि गोडी - जिराउला - सव्वोदयपासणाहाणं णमो । नमोऽत्थुणं समणस्स भगवओ महइ महावीर वद्धमाण सामिस्स । सिरि गोयम- सोहम्माइ सव्व गणहराणं णमो । सिरि सुगुरु- देवाणं णमो । 555 श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्गम् । काणं तेणं समए महिला णामं णयरी होत्था, रिद्धत्थिमियसमिद्धा वण्णओ, तीसे णं मिहिलाए णयरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसिभाए एत्थ णं माणिभद्दे णामं चे होत्था वण्णओ, जियसत्तू राया धारिणी देवी वण्णओ, तेणं कालेणं० सामी समोसढो, परिसा णिग्गया, धम्मो कहिओ, परिसा पडिगया | १| तेणं कालेणं० समणस्स भगवओ महावीरस्स जेट्ठे अंतेवासी इंदभूई णामं अणगारे गोअमगोत्तेणं सत्तुस्सेहे समचउरंससंठाणे जाव तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ वंदइ णमंसइ त्ता (प्र० जाव) एवं वयासी |२| कहिं णं भंते ! जंबुद्दीवे केमहालए णं भंते! जंबुद्दीवे किंसंठिए णं भंते ! जंबुद्दीवे किमायारभावपडोयारे णं भंते ! जंबुद्दीवे पण्णत्ते ?, गोयमा ! अंयण्णं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीवसमुद्दाणं सव्वब्भंतराए सव्वखुड्डाए वट्टे तेल्लापूयसंठाणसंठिए वट्टे रहचक्क वालसंठाणसंठिए वट्टे पुक्खरकण्णियासंठाणसंठिए वट्टे पडिपुण्णचंदसंठाणसंठिए एगं जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोयणसयसहस्साइं सोलस सहस्साइं दोण्णि य सत्तावीसे जोयणसए तिण्णि य कोसे अट्ठावीस (२०९) च धणुसयं तेरस अंगुलाई अर्द्धगुलं च किंचिविसेसाहियं परिक्खेवेणं पं० | ३ | से णं एगाए वइरामईए जगईए सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते, सा णं जगई अट्ठ जोयणाई उड्ढउच्चत्तेणं मूले बारस जोअणाइं विक्खंभेणं मज्झे अट्ठ जोयणाई विक्खंभेणं उवरिं चत्तारि
अणा विक्खंभेणं मूले विच्छिन्ना मज्झे संक्खित्ता उवरिं (प्र० प्पिं) तणुया गोपुच्छसंठाणसंठिया सव्ववइरामई अच्छा सण्हा लण्हा घट्टा मट्ठा णीरया णिम्मला णिप्पंका णिक्कंकडच्छाया सप्पभा समिरीया सउज्जोया पासादीया दरिसणिजा अभिरुवा पडिरूवा, सा णं जगई एगेणं महंतगवक्ख (प्र० जाल) कडणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ता, से णं गवक्खकडए अद्धजोअणं उड्ढउच्चत्तेणं पंच धणुसयाइं विक्खंभेणं सव्वरयणामये अच्छे जाव पडिरूवे, तीसे णं जगईए उप्पिं बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगा पउमवरवेइया पं० अद्धजोयणं उड्ढउच्चत्तेणं पंच धणुसयाई विक्खंभेणं जगईसमिया परिक्खेवेणं सव्वरयणाच्छ पडिरूवा, तीसे णं पउमवरवेइयाए अयमेयारूवे वण्णापासे पं० तं० वइरामया णेमी एवं जहा जीवाभिगमे जाव अट्ठो जाव धुवा णियया सासया जाव णिच्चा | ४ | तीसे णं जगईए उप्पिं बाहिं पउमवरवेइयाए एत्थ णं महं एगे वणसंडे पं० देसूणाई दो जोअणाई विक्खंभेणं जगईसमए परिक्खेवेणं वणसंडवण्णओ णायव्वो । ५ । तस्स णं वणसंडस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० से जहाणामए आलिंगपुक्खरेइ वा जाव णाणाविहपंचवण्णेहिं मणीहि य तणेहि य उवसोभिए, तं०- किण्हेहिं एवं वण्णो गंधो रसो फासो सद्दो पक्खरिणीओ पव्वयगा घरगा मंडवगा पुढविसिलावट्टया णेयव्वा, तत्थ णं बहवे वाणमंतरा देवा य देवीओ य आसयंति सयंति० पुरापोराणाणं सुपरक्कंताणं सुभाणं कल्लाणाणं कडाणं कम्माणं कल्लाणफलवित्तिविसेसं पच्चणुभवमाणा विहरंति, तीसे णं जगईए उप्पिं अंतो पउमवरवेइआए एत्थ णं एगे महं वणसंडे पं०, देसूणाई दो जोअणाई विक्खंभेणं वेदियासमएण परिक्खेवेण किण्हे जाव तणविहूणो णेअव्वो । ६ । जंबुद्दीवस्स णं भंते ! दीवस्स कइ दारा पं० ?, गो० ! चत्तारि दारा पं० तं०-विजए वेजयंते जयंते अपराजिए, एवं चत्तारिवि दारा सरायहाणिआ भाणियव्वा | ७| कहिं णं भंते! जंबुद्दीवस्स विजए णामं दारे पं० ?, गो० ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमेणं पणयालीसं जोयणसहस्साइं वीइवइत्ता जंबुद्दीवपुरत्थिमपेरंते लवणसमुद्दपुरत्थिमद्धस्स पच्चत्थिमेणं सीआए महाणईए उप्पिं एत्थ णं जंबुद्दीवस्स विजए णामं दारे पं० अट्ठ जोयणाई उद्धंउच्चत्तेणं चत्तारि जोयणाइं विक्खंभेणं तावइयं चेव पवेसेणं सेए वरकणगथूभियाए जाव दारस्स वण्णओ जाव रायहाणी | ८| जंबुद्दीवस्स णं भंते! दीवस्स दारस्स य दारस्स य केवइए अबाहाए अंतरे पं० १, गो० ! अउणासीई जोअणसहस्साई
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સૌજન્ય :- પ.પૂ. વિદુષી સાધ્વીશ્રી ચારૂલતાશ્રીજી ના શિષ્યા પ.પૂ. સાધ્વીશ્રી તત્ત્વપૂર્ણાશ્રીજી ની પ્રેરણાથી મુલુન્ડ (પશ્ચિમ) અચલગચ્છ જૈન સમાજ.
ॐ श्री आगमगुणमंजूषा - १९८३ 5509)
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति ९ वक्खारो
[२]
बावणं च जोअणाई देसूणं च अद्धजोअणं दारस्स य २ अबाहाए अंतरे पं० 'अउणासीइ सहस्सा बावण्णं चेव जोअणा हुंति। ऊणं च अद्धजोअण दारंतर जंबुद्दीवस्स ||१||९| कहिं णं भंते । जंबुद्दीवे दीवे भरहे णामं वासे पं० ?, गो० ! चुल्लहिमवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणेणं दाहिणलवणसमुद्दस्स उत्तरेणं पुरत्थिमलवणसमुद्दस्स पच्चत्थिमेणं पच्चत्थिमलवणसमुद्दस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे दीवे भरहे णामं वासे पं०, खाणुबहुले कंटक० विसम० दुग्ग० पव्वय० पवाय० उज्झर० णिज्झर० खड्डा० दरी० ई० दह० रूक्ख० गुच्छ० गुम्म० लया० वल्ली० अडवी० सावय० तण० तक्कर० डिम्ब० डमर० दुब्भिक्ख० दुक्काल० पासंड० किवण वणीमग० ईति० मारि० कुवुट्टि० अणावुट्ठि० राय० रोग० संकिलेसबहुले अभिक्खणं २ संखोहषहुले पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे उत्तराओ पलिअंकसंठाणसंठिए दाहिणओ धणुपिट्टसंठिए तिधा लवणसमुद्दं पुट्ठे गंगासिंधूहिं महाणईहिं वेअड्ढेण य पव्वएण छब्भागपविभत्ते जंबुद्दीवदीवणउयसयभागे पंचछव्वीसे जोअणसए छच्च एगूणवीसइभाए जो अणस्स विक्खंभेणं, भरहस्स णं वासस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं वेअड्ढे णामं पव्वए पं०, जेणं भरहं वासं दुहा विभायमाणे २ चिट्ठइ, तं० - दाहिणइढभरहं च उत्तरइढभरहं च । १०। कहिं णं भंते जंबुद्दीवे दीवे दाहिणद्धे भरहे णामं वासे पं० ?, गो० ! वेयद्धस्स पव्वयस्स दाहिणेणं दाहिणलवणसमुद्दस्स उत्तरेणं पुरत्थिमलवणसमुद्दस्स पच्चत्थिमेणं पच्चत्थिमलवणसमुद्दस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणद्धभरहे णामं वासे पं० पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे अद्धचंदसंठाणसंठिए तिहा लवणसमुद्दं पुट्ठे गंगासिंधूहिं महाणईहिं तिभागपविभत्ते दोण्णि अतीसे जोअणसए तिण्णि अ एगूणवीसइभागे जोयणस्स विक्खंभेणं, तस्स जीवा उत्तरेणं पाईणपडीणायया दुहा लवणसमुद्दं पुट्ठा पुरत्थिमिल्लाए कोडीए पुरत्थिमिल्लं लवणसमुद्दं पुट्ठा पच्चत्थिमिल्लाए कोडीए पच्चत्थिमिल्लं लवणसमुद्दं पुट्ठा णव जोयणसहस्साई सत्त य अडयाले जोयणसए दुवालस य एगूणवीसभाए जोयणस्स आयामेणं तीसे धणुपुट्टे दाहिणेणं णव जोयणसहस्साइं सत्त छावट्टे जोयणसए इक्कं च एगूणवीसइभागे जोयणस्स किंचिविसेसाहिअं परिक्खेवेणं पं०, दाहिणद्धभरहस्स णं भंते ! वासस्स केरिसए आयारभावपडोयारे पं० १, गो० ! बहुसमरशमणिज्जे भूमिभागे पं०, से जहाणामए आलिंगपुक्खरेइ वा जाव णाणाविहपञ्चवण्णेहिं मणीहिं तणेहि य उवसोभिए, तं० कित्तिमेहिं चेव अकित्तिमेहिं चेव, दाहिणद्धभरहे णं भंते! वासे मणुयाणं केरिसाए आयारभावपडोयारे पं० ?, गो० ! ते णं मणुआ बहुसंघयणा बहुउच्चत्तपज्जवा बहुआउपज्जवा बहूई वासाई आउं पालेति त्ता अप्पेगइया णिरयगामी अप्पेगइया तिरिंय० अप्पेगइया मणय० अप्पेगइया देव० अप्पेगइआ सिज्झति बुज्झति मुच्वंति परिणिव्वायंति सव्वदुक्खाणमंतं करेति । ११ । कहिं णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे भरहे वासे वेयदे णामं पव्वए पं० ?, गो० ! उत्तरद्धभरहवासस्स दाहिणेणं दाहिणन्द्र भरहवासस्स उत्तरेणं पुरत्थिमलवणसमुहस्स पच्चत्थिमेणं पच्चत्थिमलवणसमुद्दस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं जंबु भरहे वासे वेअद्धे णामं पव्वए पं० पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे दुहा लवणसमुद्दं पुट्ठे पुरत्थिमिल्लाए कोडीए पुरत्थिमिल्लं लवणसमुद्दं पुट्ठे पच्चत्थिमिल्लाए कोडीए पच्चत्थिमिल्लं लवणसमुद्दं पुट्ठे पणवीसं जोयणाई उद्धंउच्चत्तेणं छ सकोसाइं जोअणाई उव्वेहेणं पण्णासं जोअणांइं विक्खंभेणं तस्स बाहा पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं चत्तारि अट्ठासीए जोयणसए सोलस य एगूणवीसइभागे जोअणस्स अद्धभागं च आयामेणं पं०, तस्स जीवा उत्तरेणं पाईणपडीणायया दुहा लवणसमुद्दे पुट्ठा पुरत्थिमिल्लाए कोडीए पुरत्थिमिल्लं लवणसमुद्दं पुट्ठा पच्चत्थिमिल्लाए कोडीए पच्चत्थिमिल्लं लवणसमुद्दं पुट्ठा दस जोयणसहस्साइं सत्त य वीसे जोअणसए दुवास य एगूणवीस भागे जोअणस्स आयामेणं तीसे धणुपट्टे दाहिणेणं दस जोअणसहस्साइं सत्त य तेआले जोयणसए पण्णरस य एगूणवीसइभागे जोयणस्स परिक्खेवेणं रूअगसंठाणसंठिए सव्वरययामए अच्छे सण्हे लण्हे घट्टे मट्ठे णीरए णिम्मले णिप्पंके णिक्कंकडच्छाए सप्पभे जाव पडिरूवे, उभओ पासिं दोहिं पउमवरवेइयाहिं दोहिं अ वणसंडेहिं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते, ताओ णं पउमवरवेइयाओ अद्धजोयणं उद्धंउच्चत्तेणं पंच धणुसयाई विक्खंभेणं पव्वयसमियाओ आयामेणं वण्णओ भाणियव्वो, ते णं वणसंडा देसूणाई दो जोअणाई विक्खंभेणं पउमवरवेइयासमगा आयामेण किण्हा किण्होभासा जाव वण्णओ, वेयद्धस्स णं
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105555584333380eog पव्वयस्स पुरच्छिमपच्चच्छिमेणं दो गुहाओ पं०, उत्तरदाहिणाययाओ पाईणपडीणविच्छिण्णाओ पण्णासं जोअणाई आयामेणं दुवालस जोअणाई विक्खंभेणं अट्ठ
जोयणाई उद्धंउच्चत्तेणं वइरामयकवाडोहाडिआओ जमलजुअलकवाडघणदुप्पवेसाओ णिच्चंधयारतिमिस्साओ ववगयगहचंदसूरणक्खत्तजोइसपहाओ जाव म पडिरूवाओ तं०-तमिसगुहा चेव खंडप्पवायगुहा चेव, तत्थ णं दो देवा महिद्धीया महज्जुइआ महाबला महायसा महासुक्खा महाणुभागा पलिओवमट्ठिझ्या परिवसंति,
तं-कयमालए चेव णट्टमालए चेव, तेसिंणं वणसंडाणं बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ वेअद्धस्स पव्वयस्स उभओ पासिं दस २ जोअणाई उद्धं उप्पइत्ता एत्थ णं. दुवे विज्जाहरसेढीओ पं० पाईणपडीणाययाओ उदीणदाहिणविच्छिण्णाओ दस २ जोअणाई विक्खंभेणं पव्वयसमियाओ आयामेणं उभओ पासिं दोहिं पउमवरवेझ्याहिं दोहिं य वणसंडेहिं संपरिक्खित्ताओ, ताओ णं पउमवरवेइयाओ अद्धजोअणं उद्धंउच्चत्तेणं पञ्च धणुसयाइं विक्खंभेणं पव्वयसमियाओ आयामेणं वण्णओ णेयव्वो, वणसंडावि पउमवरवेझ्यासमगा आयामेणं वण्णओ, विज्जाहरसेढीणं भंते ! भूमीणं केरिसए आयारभावपडोयारे पं०?, गो० ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं०, से जहाणामए आलिंगपुक्खरेइ वा जाव णाणाविहपंचवण्णेहि मणीहिंतणेहि य उवसोभिए, तं०-कित्तिमेहिं चेव अकित्तिमेहिंचेव, तत्थ णं दाहिणिल्लाए विज्जाहरसेढीए गगणवल्लभपामोक्खा पण्णासं विज्जाहरणगरावासा पं०, उत्तरिल्लाए विज्जाहरसेढीए रहनेउरचक्कवालपामोक्खा सर्व्हि विज्जाहरणगरावासा पं०, एवामेव सपुव्वावरेणं दाहिणिल्लाए उत्तरिल्लाए विज्जाहरसेढीए एगं दसुत्तरं विज्जाहरणगरावाससयं भवतीतिमक्खायं, ते विज्जाहरणगरा रिद्धस्थिमियसमिद्धा पमुइयजणजाणवया जाव पडिरूवा, तेसु णं विज्जाहरणगरेसु बहवे विज्जाहररायाणो परिवसंति महयाहिमवंतमलयमंदरमहिंदसारा रायवण्णओ भाणिअव्वो, विज्जाहरसेढीणं भंते ! मणुआणं केरिसए आयारभावपडोयारे पं०?, गो० ! तेणं मणुआ बहुसंघयणा बहुसंठाणा बहुउच्चत्तपज्जवा बहुआउपज्जवा जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेति. तासिंणं विज्जाहरसेढीणं बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ वेअद्धस्स पव्वयस्स उभओ पासिंदस २ जोअणाई उद्धं उप्पइत्ता एत्थ णं दुवे आभिओगसेढीओ पं० पाईणपडीणाययाओ उदीणदाहिणविच्छिण्णाओ दस २ जोअणाइविक्खंभेणं पव्वयसमियाओ आयामेणं उभओ पासिंदोहिं पउमवरवेइयाहिं दोहि अवणसंडेहिं संपरिक्खित्ताओ वण्णओ दोण्हवि पव्वयसमियाओ आयामेणं, आभिओगसेढीणं भंते ! केरिसए आयारभावपडोयारे पं०?, गो० ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० जाव तणेहि य उवसोभिए वण्णाई जाव तणाणं सद्दोत्ति, तासिंणं आभिओगसेढीणं तत्थ २ देसे तहिं २ जाव वाणमंतरा देवा य देवीओ य आसयंति सयंति जाव फलवित्तिविसेसं पच्चणुभवमाणा विहरंति, तासु णं आभिओगसेढीसु सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो सोमजमवरूणवेसमणकाइआणं आभिओगाणं देवाणं बहवे भवणा पं०, ते णं भवणा बाहिं वट्टा अंतो चउरंसा वण्णओ जाव अच्छरगणंसंघविकिण्णा जाव पडिरूवा, तत्थ णं सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो सोमजमवरूणवेसमणकाइया बहवे आभिओगा देवा महिद्धीआ महज्जुईआ जाव महासुक्खा पलिओवमट्ठिइया परिवसंति, तासिं णं आभिओगसेढीणं बहसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ वेयड्ढस्स पव्वयस्स उभओ पासिं पंच २ जोयणाई उद्धं उप्पइत्ता एत्थ णं वेयद्धस्स पव्वयस्स सिहरतले पं० पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे दस जोअणाइं विक्खंभेणं पव्वयसमगे आयामेणं, से णं इक्काए पउमवरवेइयाए इक्केणं वणसंडेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते पमाणं वण्णगो दोण्हंपि, वेयड्ढस्सणंभंते! पव्वयस्स सिहरतलस्स केरिसए आगारभावपडोआरे पं०?, गो० ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० सेजहाणामए आलिंगपुक्खरेइ वा जावणाणाविहपंचवण्णेहिं मणीहिं उवसोभिए जाव वावीओ पुक्खरिणीओ जाव वाणमंतरा देवा य देवीओ य आसयंति जाव भुंजमाणा विहरंति, जंबुद्दीवेणं भंते ! दीवे भारहे वासे वेअड्ढपव्वए कइ कूडा पं०?, गो०! णव कूडा पं० तं०-सिद्धाययणकूडे दाहिणड्ढभरहकूडे खंडप्पवायगुहा० माणिभद्द० वेअड्ढ० पुण्णभ६० तिमिसगुहा० उत्तरड्ढभरह० वेसमणकूडे।१२। कहिणं भंते! जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे वेअद्धपव्वए सिद्धायतणकूडे णामं कूडे पं०?, गो० ! पुरच्छिमलवणसमुदस्स पच्चच्छिमेणं दाहिणद्धभरहकूडस्स पुरच्छिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे भारहे वासे वेअद्धे पव्वए सिद्धायतणकूडे णामं कूडे पं०, छ सक्कोसाइं जो अणाई उद्धंउच्चत्तेणं मूले
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5555555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा - ११८५555555555555555555555555556OR
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो १
[४]
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छ सक्कोसाइंजोयणाइं विक्खंभेणं मज्झे देसूणाई पंच जोयणाई विक्खंभेणं उवरिं साइरेगाई तिण्णि जोअणाई विक्खंभेणं मूले देसूणाई बावीसंजोअणाई परिक्खेवेणं मज्झे देसूणाई पण्णरस जोअणाई परिक्खेवेणं उवरिं साइरेगाइं णव जोअणाई परिक्खेवेणं मूले विच्छिण्णे मज्झे संखित्ते उप्पिं तणुए गोपुच्छसंठाणसंठिए सव्वरयणामए अच्छे सण्हे जाव पडिरूवे, सेणं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वणसंडेण सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते पमाणं वण्णओ दोण्हंपि, सिद्धायतणकूडस्स णं उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं०, से जहाणामए आलिंगपुक्खरेइ वा जाव वाणमंतरा देवा य जाव विहरंति, तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभागे एत्थ णं महं एगे सिद्धाययणे पं० कोसं आयामेणं अद्धकोसं विक्खंभेणं देसूणं कोसं उद्धंउच्चत्तेणं अणेगखंभसयसन्निविट्ठ
खंभुग्गयसुकयवइरवेइआतोरणवररइअसालभंजिअसुसिलिट्ठविसिट्ठलट्ठसंठिअपसत्थवेरूलिअविमलखंभेणाणामणिरयण-खचिअउज्जलबहुसमसुविभत्तभूमिभागे 5 ईहामिगउसभतुरगणरमगरविहगवालगकिन्नररूरूसरभचमरकुंजरवणलयजावपउमलयभत्तिचित्ते कंचणमणिरयणथूभियाए णाणाविहपंच० वण्णओ'
घंटापडागपरिमंडिअग्गसिहरे धवले मरीइकवयं विणिम्मुअंते लाउल्लोइअमहिए जाव झया, तस्स णं सिद्धायतणस्स तिदिसिं तओ दारा पं०, ते णं दारा पंच धणुसयाई उद्धंउच्चत्तेणं अद्धाइज्जाइंधणुसयाइं विक्खंभेणं तावइयं चेव पवेसेणं सेआ वरकणगथूभिआगा दारवण्णओ जाव वणमाला, तस्स णं सिद्धाययणस्स
अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं०, से जहाणामए आलिंगपुक्खरेइ वा जाव तस्स णं सिद्धाययणस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ फणं महं एगे देवच्छंदए पं० पंच धणुसयाई आयामविक्खंभेणं साइरेगाइं पंच धणुसयाई उद्धंउच्चत्तेणं सव्वरयणामए, एत्थ णं अट्ठसयं जिणपडिमाणं
जिणुस्सेहप्पमाणमित्ताणं संनिक्खित्तं चिट्ठइ एवं जाव धूवकडुच्छुगा ।१३। कहिं णं भंते ! वेअड्ढपव्वए दाहिणड्ढभरहकूडे णामं कूडे पं०?, गो० ! खंडप्पवायकूडस्स पुरच्छिमेणं सिद्धाययणकूडस्स पच्चच्छिमेणं एत्थ णं वेअडढपव्वए दाहिणडढभरकूडे णामं कूडे पं०, सिद्धाययणकूडप्पमाणसरिसे जाव तस्सणं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे पासायवडिसए पं० कोसं उड्ढंउच्चत्तेणं अद्धकोसं विक्खंभेणं अब्भुग्गयमूसियपहसिए जाव पासाईए०, तस्स णं पासायवडंसगस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थणं महं एगा मणिपेढिआ पं०, पंच धणुसयाई आयामविक्खंभेणं अड्ढाइज्जाई धणुसयाई बाहल्लेणं सव्वमणिमई, तीसेणं मणिपेढिआए उप्पिं सिंहासणं पं० सपरिवारं भाणियव्वं, से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-दाहिणड्ढभरहकूडे २१, गो० ! दाहिणड्ढभरहकूडे णं दाहिणड्ढभरहे णामं देवे महिड्ढीए जाव पलिओवमट्टिईए परिवसइ, से णं तत्थ चउण्हं सामाणिअसाहस्सीणं चउण्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं तिण्हं परिसाणं सत्तण्हं अणियाणं ई सत्तण्हं अणियाहिवईणं सोलसण्हं आयरक्खदेवसाहस्सीणं दाहिणड्ढभरहकूडस्स दाहिणड्ढाए (भरहाए पा०) रायहाणीए अण्णेसिंबहूणं देवाण य देवीण य जाव विहरइ, कहिणं भंते ! दाहिणड्ढभरहकूडस्स देवस्स दाहिणड्ढा णामं रायहाणी पं०?, गो० ! मंदरस्स पव्वतस्स दक्खिणेणं तिरियमसंखेज्जे दीवसमुद्दे वीईवइत्ता 'जंबुद्दीवे दीवे दक्खिणेणं बारस जोयणसहस्साई ओगाहित्ता एत्थ णं दाहिणड्ढभरहकूडस्स देवस्स दाहिणड्ढभरहा णामं रायहाणी भाणिअव्वा जहा विजयस्स
देवस्स, एवं सव्वकूडा णेयव्वा जाव वेसमणकूडे परोप्परं पुरच्छिमपच्चत्थिमेणं, इमेसि (इमा से पा०) वण्णावासे गाहा-'मज्झे वेअड्ढस्स उ कणयमया तिण्णि होति कूडा उ। सेसा पव्वयकूडा सव्वे रयणामया होति ॥२|| माणिभद्दकूडे वेअड्ढकूडे पुण्णभद्दकूडे एए तिण्णि कूडा कणगामया सेसा छप्पि रयणामया, दोण्हं ॥ विसरिसणामया देवा कयमालए चेव णट्टमालए चेव, सेसाणं छण्हं सरिसणामया-'जण्णामया य कूडा तन्नामा खलु हवंति ते देवा । पलिओवमट्ठिईया हवंति पत्तेअपत्तेयं ॥३॥ रायहाणीओ जंबुद्दीवे दीवे० बारस जोअणसहस्साई ओगाहित्ता एत्थ णं रायहाणीओ भाणिअव्वाओ विजयरायहाणीसरिसियाओ ।१४। से केणटेणं भंते! एवं वुच्चइ-वेअड्ढे पव्वए २?, गो०! वेअड्ढे णं पव्वए भरह वासंदुहा विभयमाणे २ चिट्ठइ, तं०-दाहिणड्ढभरहं च उत्तरड्ढभरहं च, वेअड्ढगिरिकुमारे अ इत्थ देवे महिड्ढीए जाव पलिओवमट्ठिइए परिवसइ, से तेणद्वेणं गो० ! एवं वुच्चइ-वेअड्ढे पव्वए २, अदुत्तरं च णं गो० । वेअड्ढस्स पव्वयस्स सासए णामधेज्जे
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Mero555555555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा - ११८६55555555555555555555555555 4GIORS
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पं० जंण कयाइ ण आसी ण कयाइ ण भवइण कयाइ ण भविस्सइ भुविं च भवइ अ भविस्सइ अ धुवे णिअए सासए अक्खए अव्वए अवट्ठिए णिच्चे ।१५। कहिणं म भंते! जंबुद्दीवे उत्तरड्ढभरहे णामं वासे पं०?, गो० ! चुल्लहिमवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणणं वेअड्ढस्स पव्वयस्स उत्तरेणं पुरच्छिमलवणसमुदस्स पच्चच्छिमेणं
पच्चच्छिमलवणसमुदस्स पुरच्छिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे उत्तरड्ढभरहे णामं वासे पं० पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे पलिअंकसंठिए दुहा लवणसमुदं पुढे पुरच्छिमिल्लाए कोडीए पुरच्छिमिल्लं लवणसमुदं पुढे पच्चच्छिमिल्लाए जाव पुढे गंगासिंधूहिं महाणईहिं तिभागपविभत्ते दोण्णि अद्वतीसे जोअणसए तिण्णि अ एगूणवीसइभागे जोअणस्स विक्खंभेणं, तस्स बाहा पुरच्छिमपच्चच्छिमेणं अट्ठारस बाणउए जोअणसए सत्त य एगूणवीसइभागे जोअणस्स अद्धभागं च आयामेणं, तस्स जीवा उत्तरेणं पाइणपडीणायया दुहा लवणसमुदं पुट्ठा तहेव जाव चोइस जोअणसहस्साइं चत्तारि य एक्कसत्तरे जोअणसए छच्च एगूणवीसइभाए जोअणस्स किंचिविसेसूणे आयामेणं पं०, तीसे धणुपट्टे दाहिणेणं चोद्दस जोअणसहस्साइं पंच अट्ठावीसे जोअणसए एक्कारस य एगूणवीसइभाए जोयणस्स परिक्खेवेणं, उत्तरड्ढभरहस्स णं भंते ! वासस्स केरिसए आयारभावपडोयारे पं०?, गो० ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० से जहाणामए आलिंगपुक्खरेइ वा जाब कित्तिमेहिं चेव अकित्तिमेहिं चेव, उत्तरड्ढभरहे णं भंते ! वासे मणुआणं केरिसए आयारभावपडोयारे पं०?, गो० ! ते णं मणुआ बहुसंघयणा जाव अप्पेगइआ सिज्झंति जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेति ।१६। कहिं णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे उत्तरड्ढभरहे वासे उसभकूडे णाम पव्वए पं०?, गो० ! गंगाकुंडस्स पच्चत्थिमेणं सिंधुकुंडस्स पुरच्छिमेणं चुल्लहिमवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणिल्ले णितंबे एत्थ णं जंबुद्दीवे उत्तरड्ढभरहे वासे उसहकूडे णामं पव्वए पं० अट्ठ जोअणाई उड्ढउच्चत्तेणं दो जोयणाई उव्वेहणं मूले अट्ठ जोअणाई विक्खंभेणं मज्झे छ जोअणाई विक्खंभेणं उवरिं चत्तारि जोयणाई विक्खंभेणं मूले साइरेगाइं पणवीसंजोअणाइं परिक्खेवेणं है मज्झे साइरेगाइं अट्ठारस जोअणाई परिक्खेवेणं उवरिं साइरेगाई दुवालस जोअणाइं परिक्खेवेणं वाचनान्तरं मूले बारस जोअणाई विक्खंभेणं मज्झे अट्ठ जोअणाई विक्रखंभेणं उप्पिं चत्तारि जोअणाई विक्खंभेणं मूले साइरेगाइं सत्तत्तीसं जोअणाइं परिक्खेवेणं मज्झे सातिरेगाइं पणवीसं जोयणाइं परिक्खेवेणं उप्पिं साइरेगाइं बारसजोअणाई परिक्खेवेणं, मूले विच्छिण्णे मज्झे संखित्ते उप्पिं तणुएगोपुच्छसंठाणसंठिए सव्वजंबूणयामए अच्छे सण्हे जाव पडिरूवे, सेणं एगाए पउमवरवेइआए तहेव जाव भवणं कोसं आयामेणं अद्धकोसं विक्खंभेणं देसऊणं कोसं उड्ढउच्चत्तेणं अट्ठो तहेव, उप्पलाणि पउमाणि जाव उसमे अ एत्थ देवे महिड्ढीए जाव दाहिणेणं रायहाणी तहेव मंदरस्स पव्वयस्स जहा विजयस्स अविसेसियं ।१७।★★★जंबुद्दीवेणं भंते ! दीवे भारहे वासे कतिविहे काले पं० १, गो० !दुविहे काले ॥ पं० २०-ओसप्पिणीकाले अ उस्सप्पिणीकाले अ, ओसप्पिणीकाले णं भंते ! कतिविहे पं०?, गो० ! छव्विहे पं० तं०-सुसमसुसमाकाले सुसमा० सुसमदुस्समा० दुस्समसुसमा० दुस्समा० दुस्समदुस्समा०, उस्सप्पिणीकाले णं भंते ! कतिविहे पं०?, गो०! छव्विहे पं० तं०-दुस्समदुस्समा जाव सुसमसुसमाकाले, एगमेगस्स णं भंते ! मुहुत्तस्स केवइया उस्सासद्धा विआहिआ?, गो० ! असंखिज्जाणं समयाणं समुदयसमिइसमागमेणं सा एगा आवलिअत्ति पवुच्चइ संखिज्जाओ आवलिआओ ऊसासे संखिज्जाओ आवलिआओ नीसासे 'हवस्स अणवगल्लस्स, णिरूवकिट्ठस्स जंतुणो । एगे ऊसासनीसासे, एस पाणुत्ति वुच्चई ॥४॥ सत्त पाणूइं से थोवे, सत्त थोवाइं सेलवे । लवाणं सत्तहत्तरीए, एस मुहुत्तेत्ति आहिए।५।। तिण्णि सहस्सा सत्त य सयाइं तेवत्तरिं च ऊसासा । एस मुहुत्तो भणिओ सव्वेहिं अणंतनाणीहिं ||६|| एएणं मुहत्तप्पमाणेणं तीसं मुहुत्ता अहोरत्तो पण्णरस अहोरत्ता पक्खो दो पक्खा मासो दो मासा उऊ तिण्णि उऊ अयणे दो अयणा संवच्छरे पंचसंवच्छरिए जुगेवीसंजुगाई वाससए दस वाससयाईवाससहस्से सयं वाससहस्साणं वाससयसहस्से चउरासीई वाससयसहस्साई से एगे पुव्वंगे चउरासीई पुव्वंगसयसहस्साई से एगे पुव्वे एवं बिगुणं २ णेअव्वं तुडिए २ अडडे २ अववे २ हूहुए २ उप्पले २ पउमे २ णलिणे २ अच्छिणिउरे २ अउए २ नउए २ पउए २ चूलिये २ सीसपहेलिए २जाव चउरासीइं सीसपहेलिअंगसयसहस्साइं सा एगा सीसपहेलिया एतावताव गणिए एतावताव गणिअस्स विसए तेणं परं ओवमिए।१८। से किं तं ओवमिए ?,
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो २ [६]
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२ दुविहे पं० तं०-पलिओवमे अ सागरोवमे अ, से किं तं पलिओवमे ?, पलिओवमस्स परूवणं करिस्सामि, परमाणू दुविहे पं० तं०-सुहुमे अ वावहारिए अ, अणंताणं सुहुमपरमाणुपुग्गलाणं समुदयसमिइसमागमेणं वावहारिए परमाणू णिप्फज्जइ, तत्थ णो सत्थं कमइ- 'सत्येण सुतिक्खेणवि छेत्तुं भित्तुं च जं किर ण सक्का । तं परमाणुंसिद्धा वयंति आई पमाणाणं ||७|| अनंताणं वावहारि अपरमाणूणं समुदयसमिइसमागमेणं सा एगा उस्साहसण्डिआइ वा सण्हसहिआइ वा उद्धरेणूइ वा तसरेणूइ वा रहरेणूइ वा वालग्गेइ वा लिक्खाइ वा जूआइ वा जवमज्झेइ वा उस्सेहंगुलेइ वा, अट्ठ उस्सण्हसहिआओ सा एगा सण्हसहिया अट्ठ सहसहिआओ साएगा उद्धरेणू अट्ठ उद्धरेणूओ सा एगा तसरेणू अट्ठ तसरेणूओ सा एगा रहरेणू अट्ठ रहरेणूओ से एगे देवकुरूत्तरकुराणं मणुस्साणं वालग्गे अट्ठ देवकुरूत्तरकुराण मस्साण वालग्गा से एगे हरिवासरम्मयवासाण मणुस्साणं वालग्गे एवं हेमवयहेरण्णवयाण मणुस्साणं पुव्वविदेहअवरविदेहाणं मणुस्साणं अट्ठ पुव्वविदेह अवरविदेहाणं मणुस्साणं वालग्गा सा एगा लिक्खा अट्ठ लिक्खाओ सा एगा जूआ अट्ठ जूआओ से एगे जवमज्झे अट्ठ जवमज्झा से एगे अंगुले एतेणं अंगुलप्पमाणेणं छ अंगुलाई पाओ बारस अंगुलाई वितत्थी चउवीसं अंगुलाई रयणी अडयालीसं अंगुलाइ कुच्छी छण्णउई अंगुलाई से एगे अक्खेइ वा दंडे वा धणू वा जुगेइ वा मुसलेइ वा पालिआइ वा एतेणं धणुप्पमाणेणं दो धणुसहस्साइं गाउअं चत्तारि गाउआई जोअणं एएणं जोअणप्पमाणेणं जे पल्ले जोअणं आयामविक्खंभेणं जोयणं उड्ढउच्चत्तेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं, से णं पल्ले एगाहिअबेहियतेहिअ० उक्कोसेणं सत्तरत्तपरूढाणं संमट्ठे सण्णिचिए भरिए वालग्गकोडणं, ते णं वालग्गा णो कुत्थेज्जा णो परिविद्धंसेज्जा णो अग्गी डहेज्जा णो वाऊ हरेज्ना णो पूइत्ताए हव्वमागच्छेज्जा, तओ णं वाससए २ एगमेगं वालग्गं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे णीरए णिल्लेवे णिट्टिए भवइ से तं पलिओवमे, 'एएसि पल्लाणं कोडाकोडी हवेज्ज दसगुणिआ। तं सागरोवमस्स उ एगस्स भवे परीमाणं ॥ ८॥ एएणं सागरोवमप्पमाणेणं चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसमसुसमा तिण्णि सागरो० सुसमा दो सागरो० सुसमदुस्समा एगा सागरोवमकोडाकोडी बायालीसाए वाससहस्सेहिं ऊणिआ दुस्समसुसमा एक्कवीसं वाससहस्साई दुस्समा एक्कवीसं वाससहस्साइं दुस्समदुस्समा पुणरवि उस्सप्पिणीए एक्कवीसं वाससहस्साइं कालो दुस्समदुस्समा एवं पडिलोमं णेअव्वं जाव चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसमसुसमा० दससागरोवमकोडाकोडीओ कालो ओसप्पिणी दससागरोवमकोडाकोडीओ कालो उस्सप्पिणी वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ कालो ओसप्पिणीउस्सप्पिणी (कालचक्कं) | १९| जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे भरहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए उत्तमकट्ठपत्ताए भरहस्स वासस्स केरिसए आयारभावपडोयारे होत्था ?, गो० ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे होत्था, से जहाणामए आलिंगपुक्खरेइ वा जाव णाणामणिपंचवण्णेहिं तणेहि य मणीहि य उवसोभिए तं० - किण्हेहिं जाव सुक्किल्लेहिं, एवं वण्णो गंधो फासो सद्दो अ तणाण य मणीण य भाणिअव्वो जाव तत्थ णं बहवे मणुस्सा य मणुस्सीओ य आसयंति जाव ललंति, तीसे णं समाए भरहे वासें बहवे उद्दाला कुद्दाला मुद्दाला कयमाला णट्टमाला दंतमाला नागमाला सिंगमाला संखमाला से अमाला णामं दुमगणा पं० कुसविकुसविसुद्धरूक्खमूला मूलमंतो कंदमंतो जाव बीअमंतो पत्तेहि अ पुप्फेहिं अ फलेहि य उच्छण्णपडिच्छण्णा सिरीए अईव २ उवसोभेमाणा चिद्वंति, तीसे णं समाए भरहे वासे तत्थ २ बहवे भेरूतालवणाई हेरूताल० मेरूताल० पभया (वा पा०) लव० सालव० सरल० सत्तिवण्ण० पूअफलिव० इक्खु० खज्जूरीव० णालिएरीवणाई कुसविकुसविसुद्धरूक्खमूलाई जाव चिद्वंति, तीसे णं समाए भरहे वासे तत्थ २ बहवे सेरिआलगुम्मा णोमालिआ० कोरंटय० बंधुजीव० मणोज्ज० बीअ० बाण० कणइर० कुज्जाय० सिंदुवार० मोग्गर० जूहिआ० मल्लिआ० वासंतिआ० वत्थु० कत्थुल० सेवाल० अगत्थि० मगदंतिआ० चंपक० जाती० णवणीइआ० कुंद महाजाइगुम्मा रम्मा महामेहणिउरंबभूआ दसद्धवण्णं कुसुमं कुसुमेति जे णं भरहे वासे बहुसमरमणिज्जं भूमिभागं वायविधुअग्गसाला मुक्कपुप्फपुंजोवयारकलिअं करेति, तीसे णं समाए भरहे वासे तत्थ २ तहिं २ बहुईओ पउमलयाओ किण्हाओ किण्होभासाओ जाव लयावण्णओ, तीसे णं समाए भरहे वासे तत्थ २ तहिं २
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(१८) जंबूदीवपत्रत्ति वक्खारो २ बहुओ वणराईओ पं० किण्हाओ किण्होभासाओ जाव मणोहराओ रयमत्तगछप्पयको रंगभिंगारगको डलगजीवं जीवगनंदीमुहकविलपिंगलक्खगकारंडवचक्क वायगकलहंसहंससारस अणेगसउणगणमिहुणविअरिआओ सद्गुण्णइयमहुरसरणाइआओ संपिंडिअ० णाणाविहगुच्छ० वावीपुक्खरणीदीहिआसु अ सुणि० विचित्त० अब्भिं० साउत्ति० णिरोगक० सव्वोउअपुप्फलसमिद्धाओ पिंडिम जाव पासादीआओ० | २०| तीसे णं समाए भरहे वासे तत्थ २ तहिं २ मत्तंगाणामं दुमगणा पं० जहा से चंदप्पभा जाव छण्णपडिच्छण्णा चिट्ठति, एवं जाव अणिगणा (प्र० आयाणी णामं दुमगणा पं० ) | २१ | तीसे णं भंते ! समाए भरहे वासे मणुआणं केरिसए आयारभावपडोयारे पं० १, गो० ! ते णं मणुआ सुपइट्ठिअकुम्मचारूचलणा जाव लक्खणवंजणगुणोववेआ सुजायसुविभत्तसंगयंगा पासादीया जाव पडिरूवा, तीसे णं भंते! समाए भरहे वासे मणुईणं केरिसए आगारभावपडोआरे पं० ?, गो० ! ताओ णं मणुईओ सुजायसव्वंगसुंदरीओ पहाणमहिलागुणेहिं जुत्ता अइक्कंतविसप्पमाणमउयसुकुमालकुम्मसंठि अविसिट्ठचलणा उज्जु (प्र० पउम) मउअपीवरसुसाहयंगुलीओ अब्भुण्णयरइअतलिणतंबसुइरइयणिद्धणक्खा रोमरहिअवट्टलट्ठसंठिअअजहण्णपसत्थलक्खणअक्कोप्पजंघजुअलाओ सुणिम्मिअसुगूढजाणुमंडलसुबद्धसंधीओकयलीखंभाइरेकसंठि -अणिव्वणसुकुमालमउअमंसलअविरलसमसंहिअसुजायवट्टपीवरणिरंतरोरू अट्ठावयवीइयपट्टसंठिअपसत्थविच्छिण्णपिहुलसोणी
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वयणायामप्पमाणदुगुणिअविसालमंसलसुबद्धजहणवरधारिणीओ वज्जविराइअपसत्थलक्खणनिरोदरतिवलिअवलिअतणुणमिअमज्झिमाओ उज्जुअसमसहि
अजच्चतणुकसिणणिद्धआइज्जलडहसुजातसुविभत्तकंतसोभंतरूइलरमणिज्जारोमराई गंगावत्तपयाहिणावत्ततरंगभंगुररविकिरण-तरूणबोहिअआकोसायंतपउमगंभीरविअडणाभी अणुब्भडपसत्थपीणकुच्छीओ सण्णयपासा संगयपासा सुजायपासा मिअमाइअपीणरइअपासा अकरंडुअकणगरूअगणिम्मलसुजायणिरूवहयगायलट्ठीओ कंचणकलसप्पमाणसमसहिअलट्ठचुच्चु आमेलगजमलजुअलवट्टिअ अब्भुण्णयपीवरपीणरइयपओहराओ भुंअंगअणुपुव्वतणुअगोपुच्छवट्टसमसहिअणमिअआइज्जललिअबाहा तंबणहाओ मंसलग्गहत्थाओ पीवरकोमलवरंगुलीआओ णिद्धपाणिरेहा रविससिसंखवरचक्क सोत्थियसुविभत्तसुविरइ अपाणिलेहाओ पीणुण्णयकरकक्खवत्थिप्पएसा पडिपुण्णगलकपोला चउरंगुलसुप्पमाणकंबुवरसरिसगीवाओ मंसलसंठिअपसत्थहणुगाओ दाडिमपुप्फप्पगासपीवरपलंबकुंचिअवराधराओ सुंदरूत्तरोट्ठाओ दहिदगरयचंदकुंदवासंतिमउलधवलअच्छिद्दविमलदस - (२१०) णाओ रत्तुप्पलपत्तमउअसुकुमालतालुजीहाओ कणवीरमउलअकुडिलअब्भुग्गयउज्जुतुंगणासाओ सारयणवकमलकुमुअकुवलयविमलदलणि- अरसरिसलक्खणपसत्थ- अजिम्हकंतणयणा पत्तलधवलायतआतंबलोअणाओ आणामिअचावरूइलकिण्हब्भराइसंगयसुजायभुमगाओ अल्लीणपमाणजुत्तसवणा सुसवणाओपीणमट्टगंडलेहाओचउरं सपसत्थसमणिडालाओ को मुईरयणिअरविमल पडि पुण्णसोमवयणा-छत्तुण्णयुत्तमं गाओ अक विलसु सिणिद्धसुंगंधदीहसिरयाओ छत्तज्झयजूअथूभदामणिकमंडलुकलसवाविसोत्थिअपडाग १० जवमच्छकुम्भहवरमगरज्झयअंक सुक्कथाल - अंकुस अट्ठावयसुपइट्ठग २० मयूरसिरिअभिसेअतोरणमेइणिउदहिवरभवणगिरिवर आयंससलीलगयउस ३० सीहचामरउत्तमपसत्यबत्तीसलक्खणधरीओ हंससरिसगईओ कोइलमहुरगिरसुस्सराओ कंता सव्वस्स अणुमयाओ ववगयवलिपलि अवंगदुव्वणवाहिदोहग्गसोगमुक्का उच्चत्तेण य णराण थोवूणमुस्सिआओ सभावसिंगारागारचारूवेसा संगयगयहसियभणिअचिट्ठिअविलाससंलावणिउणजुत्तोवयारकुसला सुंदरथणजहणवयणकरचलणणयणला वण्णवण्णरूवजोव्वणविलासकलिआ णंदणवणविवरचारिणीउव्व अच्छराओ भरहवासमणुसच्छराओ अच्छेरगपेच्छणिज्जाओ पासाईआओ जाव पडिरूवाओ, ते णं मणुआ ओहस्सरा हंसस्सरा कोंचस्सरा मंदिस्सरा दिघोसा सीहस्सरा सीहघोसा सूसरा सूसरणिग्घोसा छायाउज्जोविअंगमंगा वज्जरिसहनारायसंघयणा समचउरंससंठाणसंठिआ छविणिरातंका अणुलोमवाउवेगा कंकरगहणी कवोयपरिणामा सउणिपो सपिङ्कं तरो रूपरिणया छद्धणुसहस्समूसिआ, तेसिं णं मणुआणं बे छप्पण्णा पिट्ठकरंडगसया पं० समणाउसो !,
फफफफफफफ श्री आगमगुणमंजूषा ११८९YO
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो २
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पउमुप्पलगन्धसरिसणीसासुरभिवयणा, ते णं मणुआ पगईपयणुकोहमाणमायालोभा मिउमद्दवसंपन्ना अल्लीणा भद्दगा विणीआ अप्पिच्छा असण्णिहिसंचया विडिमंतरपरिवसणा अहिच्छिअकामकामिणा १२२ । तेसिं णं भंते! मणुआणं केवइकालस्स आहारट्ठे समुप्पज्जइ ?, गो० ! अट्टमभत्तस्स आहारट्ठे समुप्पज्जइ, पुढवीपुप्फफलाहाराणं ते मणुआ पं० समणाउसो !, तीसे णं भंते! पुढवीए केरिसए आसाए पं० १, गो० ! से जहाणामए गुलेइ वा खंडेइ वा सक्कराइ वा मच्छंडिआइ वा पप्पडमोअएइ वा भिसेति वा पुप्फुत्तराइ वा पउमुत्तराइ वा विजयाइ वा महाविजयाइ वा आकासिआइ वा आदंसिआइ वा आगासफलोवमाइ वा उग्गाइ वा अणोवमाइ वा, भवे एआरूवे ?, णो इणमट्ठे समट्ठे, सा णं पुढवी इत्तो इट्ठतरिआ चेव जाव मणामतरिआ चेव आसाएणं पं०, तेसिं णं भंते! पुप्फफलाणं केरिसए आसाए पं० १, गो० ! से जहाणामए रण्णो चाउरंतचक्कवट्टिस्स कल्लाणे भोअणजाए सयसहस्सनिप्फन्ने वण्णेणुववेए जाव फासेणं उववेए आसायणिज्जे विसाणिज्जे दप्पणिज्जे मयणिज्जे विहणिज्जे सव्विदिअगायपल्हायणिज्जे, भवे एआरूवे ?, णो इणमट्ठे समट्ठे, तेसिं णं पुप्फफलाणं एत्तो इट्ठतराए चेव जाव आसाए पं० | २३ | ते णं भंते! मणुया तमाहारमाहारेत्ता कहिं वसहिं उवेति ?, गो० ! रूक्खगेहालया णं ते मणुया पं० समणाउसो !, तेसिं णं भंते ! रूक्खाणं केरिसए आयारभावपडोआरे पं० ?, गो० ! कूडागारसंठिआ पेच्छाच्छत्तझयथूभतोरणगोपुरवेइअचोप्फालग-अट्टालगपासायहम्मिअगवक्खवालग्गपोइआवलभीघरसंठिआ अत्थऽण्णेऽपेत्थ बहवे वरभवणविसिट्ठसंठाणसंठिआ दुमगणा सुहसीअलच्छाया पं० समणाउसो ! | २४ | अत्थि णं भंते! तीसे समाए भरहे वासे गेहाइ वा गेहावणाइ वा ?, गो० ! णो इणट्ठ समट्ठे, रूक्खगेहालया णं ते मणुआ पं० समणाउसो !, अत्थि णं भंते ! तीसे समाए भरहे वासे गामाइ वा जाव संणिवेसाइ वा ?, गो० ! णो इणट्ठे समट्ठे, जहिच्छिअकामगामिणो णं ते मणुआ पं०, अत्थि णं भंते !० असीइ वा मसीइ वा किसीइ वा वणिएत्ति वा पणिएत्ति वा वाणिज्जेइ वा ?, णो इणट्ठे समट्ठे, ववगय असिमसिकि सिवणिअपणिअवाणिज्जा णं ते मणुआ पं० समणाउसो !, अत्थि णं भंते ! हिरण्णेइ वा सुवण्णेइ वा कंसेइ वा दूसेइ वा मणिमोत्तिअसंखसिलप्पवालरत्तरयणसावइज्जेइ वा ?, हंता अत्थि, णो चेव णं तेसिं मणुआणं परिभोगत्ताए हव्वमागच्छइ, अत्थि णं भंते ! भरहे रायाइवा जुवरायाइ वा ईसरतलवरमाडंबिअकोडुंबिअइब्भसेट्ठिसेणावइसत्थवाहाइ वा ?, गो० ! णो इणट्ठे समट्ठे, ववगयइडिसक्काराणं ते मणुआ, अत्थि णं भंते ! भरहे वासे दासेइ वा पेसेइ वा सिस्सेइ वा भयगेइ वा भाइल्लएर वा कम्मरएइ वा ?, णो इणट्ठे समट्ठे, ववगयअभिओगा णं ते मणुआ पं० समणाउसो !, अत्थि णं भंते! तीसे समाए भरहे वासे मायाइ वा पियाइ वा भाया० भगिणी० भज्जा० पुत्त० धूआ० सुण्हाइ वा ?, हंता अत्थि, णो चेव णं तिव्वे पेम्मबंधणे समुप्पज्जइ, अत्थि णं भंते ! भरहे वासे अरीइ वा वेरिएइ वा घायएइ वा वहएइ वा पडिणीयए वा पच्चमित्तेइ वा ?, णो इणट्ठे समट्ठे, ववगयवेराणुसया णं ते मणुआ पं० समणाउसो !, अत्थि णं० भरहे वासे मित्ताइ वा वयंसाइ वा णायएइ वा संघाडिएइ वा सुहीइ वा संगएइति वा ?, हंता अत्थि, णो चेव णं तेसिं मणुआणं तिव्वे रागबंधणे समुप्पज्जइ, अत्थि णं भंते ! भरहे वासे आवाहाइ वा वीवाहाइ वा जण्णाइ वा सद्धाइ वा थालीपागाइ वा पितिपिंड निवेदणाइ वा ?, णो इणट्ठे समट्ठे, ववगयआवाहवीवाहजण्णसद्धथालीपाकपितिपिंडनिवेदणा णं ते मणुआ पं० समणाउसो !, अत्थि णं भंते ! भरहे वासे इंदमहाति वा खंद० णाग० जक्ख० भूअ० अगड० तडाग० दह० नदी० रूक्ख० पव्वय० धूभ० चेइयमहाइ वा ?, णो इणट्ठे समट्टे, ववगयमहिमा णं ते मणुआ पं०, अत्थि णं भंते ! भरहे वासे णडपेच्छाइ वा णट्ट० जल्ल० मल्ल० मुट्ठिअ० वेलंबग० कहग० पवग० लासगपेच्छाइ वा ?, णो इणट्ठे समट्ठे, ववगयकोउहल्ला णं ते मणुआ पं० समणाउसो !, अत्थि णं भंते ! भरहे वासे सगाइ वा रहाइ वा जाणाइ वा जुग्गा० गिल्लि० थिल्लि० सीअ० संदमाणिआइ वा ?, णो इणट्ठे समट्ठे, पायचारविहारा णं ते मणुआ पं० समणाउसो !, अत्थि जं भंते भरहे वासे गवाइ वा महिसीइ वा अयाइ वा एलगाइ वा ?, हंता अत्थि, णो चेव णं तेसिं मणुआणं परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति, अत्थि णं भंते ! भरहे वासे आसाइ वा हत्थि० उट्ट० गोण० गवय० अय० एलग० पसय० मिअ० वराह० रूरू० सरभ० चमर० कुरंगगोकण्णमाइआ ?, हंता अत्थि, णो चेव णं तेसि
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प्र श्री आगमगुणमंजूषा - ११९० फ्र
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(१८) जंबूदीवपत्ति वक्खारो २ परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति, अत्थि णं भंते ! भरहे वासे सीहाइ वा वग्घाइ वा विगदीविग अच्छतरच्छसि आलबिडालसुणगकोकंतियकोलसुणगाइ वा ?, हं अत्थि, णो चेव णं तेसिं मणुआणं आबाहं वा वाबाहं वा छविच्छेअं वा उप्पार्येति, पगइभद्दया णं सावयगणा पं० समणाउसो !, अत्थि णं भंते! भरहे वासे सालीति वावीहिगोहूमजवजवजवाइ वा कलममसूरमुग्गमासतिलकुलत्थणिप्फावआलिसंदगअयसिकुसुंभकोद्दवकंगुवरालगसणसरिसवमूलगबीआइ वा ?, हंता अत्थि, णो चेवणं तेसिं मणुआणं परिभोगत्ताए हव्वमागच्छति, अत्थि णं भंते! भरहे वासे गड्डाइ वा दरीओवायपवायविसमविज्जलाइ वा ?, णो इणट्ठे समट्ठे, भरहे णं वासे बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० से जहाणामए आलिंगपुक्खरेड् वा०, अत्थि णं भंते ! भरहे वासे खाणूइ वा कंटगतणकयवराइ वा पत्तकयवराइ वा ?, णो इट्टे समट्ठे, ववगयखाणुकंटगतणकयवरपत्तकयवरा णं सा समा पं० समणाउसो !, अत्थि णं भंते ! भरहे वासे डंसाइ वा मसगाइ वा जूआइ वा लिक्खाइ वा ढिकुणाइ वा पिसुआइ वा ?, णो इणट्ठे समट्ठे, ववगयडंसमसगजूअलिक्खढिकुणपिसुआ उवद्दवविरहिआ णं सा समा पं०, अत्थि णं भंते ! भरहे अहीइ वा अयगराइ वा ?, हंता अत्थि, णो चेव णं तेसिं मणुआणं आबाहं वा जाव पगइभद्दया णं ते वालगगणा पं०, अत्थि णं भंते ! भरहे डिंबाइ वा डमराइ वा कलहबोलखारवइरमहाजुद्धाइ वा महासंगामाइ वा महासत्थपडणाइ वा महापुरिसपडणाइ वा महारूहिरपडणाइ वा ?, गो० ! णो इणट्ठे समट्ठे, ववगयवेराणुबंधा णं ते मणुआ पं० सम० !, अस्थि णं भंते ! भरहे वासे दुब्भूआणि वा कुलरोगाइ वा गामरोगाइ वा मंडलरोगाइ वा पोट्ठ० सीसवेअणाइ वा कण्णोट्ठअच्छिणहदंतवेअणाइ वा कासाइ वा सासाइ वा सोसाइ वा दाहाइ वा अरिसाइ वा अजीरगाइ वा दओदराइ वा पंडुरोगाइ वा भगंदराइ वा एगाहिआइ वा बेआहिआइ वा तेआहिआइ वा चउत्थाहिआइ वा इंदग्गहाइ वा धणुग्गहाइ वा खंदग्गहाइ वा कुमारग्गहाइ वा जक्खग्गहाइ वा भूअग्गहाइ वा मत्थयसूलाइ वा हियअसूलाइ वा पोट्ट० कुच्छि० जोणिसूलाइ वा गाममारीइ वा जाव सण्णिवेसमारीइ वा पाणिक्खया जणक्खया कुलक्खया वसणब्भूअमणारिआ ?, गो० ! णो इणट्टे समट्ठे, ववगयरोगायंका णं ते मणुआ पं० समणाउसो ! | २५ | तीसे णं भंते! समाए भारहे वासे मणुआणं केवइअं कालं ठिई पं० १, गो० ! जह० देसूणाई तिण्णि पलिओवमाइं उक्को० तिण्णि पलिओवमाई, तीसे णं भंते ! समाए भारहे वासे मणुआणं सरीरा केवइअं उच्चत्तेणं पं० ?, गो० ! जह० देसूणाई तिण्णि गाउआई उक्को० तिण्णि गाउआई, ते णं भंते! मणुआ किंसंघयणी पं० ?, गो० ! वइरोसभणारायसंघयणी पं०, तेसिं णं भंते! मणुआणं सरीरा किंसंठिआ पं० ?, गो० ! समचउरंससंठाणसंठिआ, तेसिं णं मणुआणं बेछप्पण्णा पिट्ठकरंडयसया पं० समणाउसो !, ते णं भंते! मणुआ कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छन्ति कहिं उववज्र्ज्जति ?, गो० ! छम्मासावसेसाउआ जुअलगं पसवंति, एगूणपणं इंदिआई सारक्खंति संगोवेंति त्ता कासित्ता छीइत्ता जंभात्ता अक्किट्ठा अव्वहिआ अपरिआविआ कालमासे कालं किच्चा देवलोएसु उववज्जंति, देवलोअपरिग्गहाणं ते मणुआ पं० सम० !, तीसे णं भंते! समाए भरहे वासे कइविहा मणुस्सा अणुसज्जित्था ?, गो० ! छव्विहा तं० पम्हगंधा मिअगंधा अममा ते अतली सहा सणिचारी । २६। तीसे णं समाए चउहिं सागरोवमकोडाकोडीहिं काले वीइक्कंते अणतेहिं वण्णपज्जवेहिं गंध० अणतेहिं रस० अणतेहिं फास० अणतेहिं संघयण० अणंतेहिं संठाण० अणंतेहिं उच्चत्त० अणंतेहिं आउ० अणंतेहिं गुरूलहु० अणंतेहिं अगुरूलहु० अणंतेहिं उट्ठाणकम्मबलवीरिअपुरिसकारपरक्कमपज्जवेहिं अणंतगुणपरिहाणीए परिहायमाणे एत्थ णं सुसमा णामं समाकाले पडिवज्जिसु समणाउसो !, जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे इमीसे ओसप्पिणीए सुसमाए समाए उत्तमकट्ठपत्ताए भरहस्स वासस्स केरिसए आयारभावपडोयारे होत्था ?, गो० ! बहुसमरमणिज्ने भूमिभागे होत्था, से जहाणामए आलिंगपुक्खरेइ वा तं चेव जं सुसमसुसमाए पुव्ववण्णिअं णवरं णाणत्तं चउधणुसहस्समूसिआ एगे अट्ठावीसे पिट्टकरंडकसए छट्टभत्तस्स आहारट्टे चउसट्ठि राइदिआई सारक्खंति दो पलिओवमाइं आऊ सेसं तं चेव, तीसे णं समाए चउव्विहा मणुस्सा अणुसज्जित्था तं०- एका पउरजंघा कुसुमा सुसमणा । २७। तीसे णं समाए तीहिं सागरोवमकोडाकोडीहिं काले वीइक्कं अणंतेहिं वण्णपज्जवेहिं जाव अनंतगुणपरिहाणीए परिहायमाणे एत्थ णं सुसमदुस्समाणामं समाकाले पडिवज्जिसु समणाउसो !, साणं समा तिहा विभज्जइ तं०
श्री आगमगुणमंजूषा ११९१ फफफफफफ
६ ६ ६ ६ ६ ६ ॐ ॐ
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐ
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो २
[१०]
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पढमे तिभाए मज्झिमे तिभाए पच्छिमे तिभाए, जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे इमीसे ओसप्पिणीए सुसमदुस्समाए समाए पढममज्झिमेसु तिभाएसु भरहस्स वासस्स केरिसए आयारभावपडोआरे पुच्छा, गो० ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे होत्था सो चेव गमो अव्वो णाणत्तं दोधणुसहस्साई उड्ढंउच्चत्तेणं, तेसिं च मणुआणं चउसटिपिट्ठकरंडगा चउत्थभत्तस्स आहारट्ठे समुप्पज्जइ ठिई पलिओवमं एगूणासीइं राइंदिआइं सारक्खंति संगावेति जाव देवलोगपरिग्गहिआणं ते मणुअगणा पं० समणाउसो!, तीसे णं भंते ! समाए पच्छिमे तिभाए भरहस्स वासस्स केरिसए आयारभावपडोयारे होत्था ?, गो० ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे होत्था से जहानामए आलिंगपुक्खरेइ वा जाव मणीहिं उवसोभिए, तं०-कित्तिमेहिंचेव अकित्तिमेहिंचेव, तीसेणंभंते! समाए पच्छिमे तिभागे भरहे वासे मणुआणं केरिसए आयारभावपडोआरे होत्था ?, गो० ! तेसिं मणुआणं छव्विहे संघयणे छविहे संठाणे बहूणि धणुसयाणि उद्धंउच्चत्तेणं जह० संखिज्जाणि वासाणि उक्को० असंखिज्जाणि वासाणि आउअंक पालंति त्ता अप्पेगइया णिरयगामी अप्पेगइया तिरिअगामी अप्पेगइया मणुयगामी अप्पेगइया देवगामी अप्पेगझ्या सिझंति जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेति ।२८। तीसे णं समाए पच्छिमे तिभाए पलिओवमट्ठभागावसेसे एत्थ णं इमे पण्णरस कुलगरा समुप्पज्जित्था, तं०-सुमई पडिस्सुई सीमंकरे सीमंधरे खेमंकरे खेमंधरे विमलवाहणे चक्खुमं जसमं अभिचंदे पसेणई मरूदेवेणाभी उसभेत्ति ।२९। तत्थ णं सुमईपडिस्सुईसीमंकरसीमंधरखेमकराणं एतेसिंपंचण्हं कुलगराणं हक्कारे णामं दण्डणीई होत्था,ते णं मणुआ हक्कारेणं दंडे णं हया समाणा लजिआ विलज्जिआ वेड्डा भीआ तुसिणीआ विणओणया चिट्ठ ति, तत्थ णं
खेमंधरविमलवाहणचक्खुमंजसमंअभिचंदाणं एतेसिंणं पंचण्हं कुलगराणं मक्कारेणामं दंडणीई होत्था, ते णं मणुआ मक्कारेणं दंडेणं हया समाणा जाव चिट्ठति, तत्थ ॥ जणं चंदाभपसेणइमरूदेवणाभिउसभाणं एतेसिंणं पंचण्हं कुलगराणं धिक्कारे णामं दंडणीई होत्था, ते णं मणुआ धिक्कारेणं दंडेणं हया समाणा जाव चिट्ठति ।३०।
णाभिस्स णं कुलगरस्स मरूदेवाए भारिआए कुच्छिसि एत्थ णं उसहे णामं अरहा कोसलिए पढमराया पढमजिणे पढमकेवली पढमतित्थकरे पढमधम्मवरचक्कवट्टी समुप्पज्जित्था, तए णं उसमे अरहा कोसलिए वीसं पुव्वसयसहस्साई कुमारवासमज्झे वसइ त्ता तेवढेि पुव्वसयसहस्साई महारायवासमज्झे वसइ तेवट्टि पुव्वसयसहस्साइं महारायवासमज्झे वसमाणे लेहाइआओ गणिअप्पहाणाओ सउणरूअपज्जवसाणाओ बावत्तरि कलाओ चोसहि महिलागुणे सिप्पसयं च कम्माणि तिण्णिवि पयाहिआए उवदिसइत्ता पुत्तसयं रज्जसए अभिसिंचइत्ता तेसीइं पुव्वसयसहस्साई महाराय (अगार) वासमज्झे वसइत्ताजे से गिम्हाणं पढमे मासे पढमे पक्खे चित्तबहुले तस्स णं चित्तबहुलस्स णवमीपक्खेणं दिवसस्स पच्छिमे भागे चइत्ता हिरण्णं० सुवण्णं० कोसं० कोट्ठागारं० बलं० वाहणं० पुरं० विउलधणकणगरयणमणिमोत्तिअसंखसिलप्पवालरत्तरयणसंतसारसावइज्जं विच्छड्डयित्ता विगोवइत्ता दायं दाइआणं परिभाएत्ता सुदंसणाए सीआए सदेवमणुआसुराए परिसाए समणुगम्ममाणमग्गे संखियचक्किअणंगलिअमुहमंगलिअपूसमाणगवद्धमाणग-आइक्खगलंखमंखघंटिअगणेहिं ताहिं इट्ठाहिं कंताहिं पियाहिं मणुण्णाहिं मणामाहिं उरालाहिं कल्लाणाहिं सिवाहिं धन्नाहिं मंगल्लाहिं सस्सिरिआहिं हिययगमणिज्जाहिं हिययपल्हायणिज्जाहिं कण्णमणणिव्वुइकरीहिं अपुणरूत्ताहिं अट्ठसइआहिं वग्गूहि अणवरयं अभिणंदंता य अभिथुणंता य एवं वयासी-जय जय नंदा ! जय जय भद्दा ! धम्मेणं अभीए परीसहोवसग्गाणं खंतिखमे भयभेरवाणं धम्मे ते अविग्धं भवउत्तिकटु अभिणंदंति य अभिथुणंति य, तएणं उसभे अरहा कोसलिएणयणमालासहस्सेहिं पिच्छिज्जमाणे २ एवं जाव णिग्गच्छइ जहा उववाइए जाव आउलबोलबहुलं णभं करते विणीआए रायहाणीए मज्झमझेणं णिग्गच्छइ त्ता आसिअसंमज्जिअसित्तसुइकपुप्फोवयारकलियं सिद्धत्थवणविउलरायमगं करेमाणे हयगयरहपहकरेणं पाइक्कचडकरेण य मंदं २ उद्धतरेणुयं करेमाणे २ जेणेव सिद्धत्थवणे उज्जाणे जेणेव असोगवरपायवे तेणेव
उवागच्छति त्ता असोगवरपायवस्स अहे सीअं ठावेइ त्ता सीयाओ पच्चोरूहइ त्ता सयमेवाभरणालंकारं ओमुअइ त्ता सयमेव चउहिं मुट्ठी (अट्टा) हिं लोअं करेइ त्ता ॐ छतॄणं भत्तेणं अपाणएणं आसाढाहिं णक्खत्तेणं जोगमुवागएणं उग्गाणं भोगाणं राइन्नाणं खत्तिआणं चउहिं सहस्सेहिं सद्धि एगं देवदूसमादाय मुंडे भवित्ता अगाराओ
HOUSCS5听听听听听听听听$$$$$$$$$$$$$$$乐乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明明
5555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा- ११९२55555555555555555555555555 OF
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(१८) जंबूदीपति क्वारी २
(११)
अणगारियं पव्वइए |३१| उसमे णं अरहा कोसलिए संवच्छरं साहिअं चीवरधारी होत्या, तेण परं अचेलए, जप्पभिदं च णं उसमे अरहा कोसलिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए तप्पभिदं च णं उसमे अरहा कोसलिए णिच्चं वोसट्टकाए चिअत्तदेहे जे केई उवसग्गा उप्पज्जंति तं०- दिव्वा वा जाव पडिलोमा वा अणुलोमा वा, तत्थ पडिलोमा वेत्तेण वा जाव कासेण वा काए आउट्टेज्जा अणुलोमा वंदेज्न वा जाव पज्जुवासेज्ज वा, ते सव्वे सम्मं सहइ जाव अहिआसेइ, तए णं से भगवं समणे जाए ईरिआसमिए जाव पारिट्ठावणिआसमिए मणसमिए वयसमिए कायसमिए मणगुत्ते जाव गुत्तबंभयारी अकोहे जाव अलोहे संते पसंते उवसंते परिणिव्वुडे छिण्णसोए निरूवलेवे संखमिव निरंजणे जच्चकणगंव जायरूवे आदरिसपडिभागेइव पागडभावे कुम्मइव गुत्तिदिए पुक्खरपत्तमिव निरूवलेवे गगणमिव निरालंबणे अणिलेइव णिरालए चंदोइव सोमदंसणे सूरोइव तेअंसी विहगइव अपडिबद्धगामी सागरोइव गंभीरे मंदरोइव अकंपे पुढवीविव सव्वफासविसहे जीवोविव अप्पडियगइत्ति, णत्थि णं तस्स भगवंतस्स कत्थइ पडिबंधे, से पडिबंधे चउव्विहे भवति, तं० दव्वओ खित्तओ कालओ भावओ, दव्वओ इह खलु माया मे पिया
भाया भगिणी मे जाव संगंथसंधुआ मे हिरण्णं मे सुवण्णं मे जाव उवगरणं मे, अहवा समासओ सच्चित्ते वा अचित्ते वा मीसए वा दव्वजाए, सेवं तस्स णं भवइ, खित्तओ गामे वा णगरे वा अरण्णे वा खेत्ते वा खले वा गेहे वा अंगणे वा, एवं तस्स ण भवइ, कालओ थोवे वा लवे वा मुहुत्ते वा अहोरत्ते वा पक्खे वा मासे वा उऊए वा अयणे वा संवच्छरे वा अन्नयरे वा दीहकालपडिबंधे, एवं तस्स ण भवइ, भावओ कोहे वा जाव लोहे वा भए वा हासे वा०, एवं तस्स ण भवइ, से णं भगवं वासावासवज्जं हेमंतगिम्हासु गामे एगराइए नगरे पंचराइए ववगयहाससोगअरइभयपरित्तासे णिम्ममे णिरहंकारे लहुभूए अगंथे वासीतच्छणे अदुट्ठे चंदणाणुलेवणे अरत्ते लेटुंमि कंचणंमि य समे इह परलोए य अपडिबद्धे जीवियमरणे निरयकंखे संसारपारगामी कम्मसंगाणिग्धायणट्ठाए अब्भुट्ठिए बिहरइ, तस्स णं भगवंतस्स एतेणं विहारेणं विहरमाणस्स एगे वाससहस्से विइक्कंते समाणे पुरिमतालस्स नगरस्स बहिया सगडमुहंसि उज्जाणंसि णिग्गोहवरपायक्स्स अहे झाणंतरिआए माणस्स फग्गुणबहुलस्स इक्कारसीए पुव्वण्हकालसमयंसि अट्टमेणं भत्तेणं अपाणएणं उत्तरासाढाणक्खत्तेणं जोगमुवागएणं अणुत्तरेण नाणेणं जाव चरित्तेण अणुत्तरेणं तवेणं बलेणं वीरिएणं आलएणं विहारेणं भावणाए खंतीए गुत्तीए मुत्तीए तुट्ठीए अज्जवेणं मद्दवेणं लाघवेणं सुचरिअसोवचिअफलनिव्वाणमग्गेणं अप्पाणं भावेमाणस्स अणंते अणुत्तरे णिव्वाघाए णिरावरणे कसिणे पडिपुण्णे केवलवरनाणदंसणे समुप्पण्णे जिणे जाए केवली सव्वण्णू सव्वदरिसी सणेरइअतिरि लोगस्स पज्जवे जाणइ पासइ, तं० आगई गई ठिई उववायं भुत्तं कडं पडिसेविअं आवीकम्मं रहोकम्मं तंतंकालं मणवइकाइये जोगे एवमादी जीवाणवि सव्वभावे अजीवाणवि सव्वभावे मोक्खमग्गस्स विसुद्धतराए भावे जाणमाणे पासमाणे एस खलु मोक्खमग्गे मम अण्णेसिं च जीवाणं हियसुहणिस्सेयसकरे सव्वदुक्खविमोक्खणे परमसुहसमाणणे भविस्सइ, तते णं से भगवं समणाणं निग्गंथाण य णिग्गंधीण य पंच महव्वयाई सभावणगाई छच्च जीवणिकाए धम्मं देसमाणे विहरति, तं०- पुढवीकाइए भावणागमेणं पंच महव्वयाई सभावणगाई भाणिअव्वाइंति, उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स चउरासीई गणा गणहरा होत्था, उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्सउसभसेणपामोक्खाओ चुलसीई समणसाहस्सीओ उक्कोसिया समणसंपया होत्था, उसभस्स णं० बंभीसुंदरीपामोक्खाओ तिण्णि अज्जिआसयसाहस्सीओ उक्कोसिया अज्जिआसंपया होत्था, उसभस्स णं० सेज्जंसपामोक्खाओ तिण्णि समणोवासगसयसाहस्सीओ पंच य साहस्सीओ उक्कोसिआ समणोवासगसंपया होत्था, उसभस्स णं० सुभद्दापामोक्खाओ पंच समणोवासिआसयसाहस्सीओ चउपण्णं च सहस्सा उक्कोसिया समणोवासिआसंपया होत्था, उसभस्स णं० अजिणाणं जिणसंकासाणं सव्वक्खरसन्निवाईणं जिणोविव अवितहं वागरमाणाणं चत्तारि चउद्दसपुव्वीसहस्सा अद्धट्ठमा य सया उक्को० चउदसपुव्वीसंपया होत्था, उसभस्स णं० णव ओहिणाणिसहस्सा उक्कोसिआ०, उसभस्स नं० वीसं जिणसहस्सा० वीसं वेउव्विअसहस्सा छच्च सया उक्कोसिआ० बारस विउलमईसहस्सा छच्च सया पण्णासा० बारस वाईसहस्सा छच्च सया पण्णासा० उसभस्स ० गइकल्लाणाणं ठिइकल्लाणाणं आगमेसिभद्दाणं बावीसं अणुत्तरोववाइआणं सहस्सा णव य सया, उसभस्स नं० वीसं समणसहस्सा सिद्धा चत्तालीसं अज्जिआसहस्सा सिद्धा सट्ठी अंतेवासीसहस्सा सिद्धा, अरहओ णं श्री आगमगुणमजूषा - ११९३
ॐ
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो २
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历历历历万$$
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उसभस्स० बहवे अंतेवासी अणगारा भगवंतो अप्पेगइआ मासपरिआया जहा उववाइए सव्वओ अणगारवण्णओ जाव उद्धंजाणू अहोसिरा झाणकोट्ठोवगया संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणा विहरंति, अरहओ णं उसभस्स दुविहा अंतकरभूमी होत्था, तं०-जुगंतकरभूमी य परिआयंतकरभूमी य, जुगंतकरभूमी जाव असंखेज्जाई पुरिसजुगाइं परिआयंतकरभूमी अंतोमुहुत्तपरिआए अंतमकासी।३२। उसभेणं अरहा पंचउत्तरासाढे अभीइछट्टे होत्था, तं०-उत्तरासाढाहिं चुए चइत्ता गब्भं वक्वंते उत्तरासाढाहिं जाए उत्तरासाढाहिं रायाभिसेअं पत्ते उत्तरासाढाहिं मुंडे भबित्ता आगाराओ अणगारियं पव्वइए उत्तरासाढाहिं अणंते जाव समुप्पण्णे अभीइणा परिणिव्वुए।३३। उसभे णं अरहा कोसलिए वज्जरिसहनारायसंघयणे समचउरंससंठाणसंठिए पंच धणुसयाई उड्ढंउच्चत्तेणं होत्था, उसभेणं अरहा वीसं पुव्वसयसहस्साई कुमारवासमझे वसित्ता तेवट्टि पुव्वसयसहस्साई महारज्जवासमझे वसित्ता तेसीई पुव्वसयसहस्साई अगारवासमझे वसित्ता मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए, उसभे णं अरहा एगं वाससहस्सं छउमत्थपरिआयं पाउणित्ता एगं पुव्वसयसहस्सं वाससहस्सूणं केवलिपरिआयं पाउणित्ता एगं पुव्वसयसहस्सं बहुपडिपुण्णं सामण्णपरिआयं पाउणित्ता चउरासीइं पुव्वसयसहस्साइं सव्वाउअं पालइत्ता जे से हेमंताणं तच्चे मासे पंचमे पक्खे माहबहले तस्स णं माहबहुलस्सतेरसीपक्खेणं दसहिं अणगारसहस्सेहिं सद्धिं संपरिबुडे अट्टावयसेलसिहरंसि चोद्दसमेणं भत्तेणं अपाणएणं संपलिअंकणिसण्णे पुव्वण्हकालसमयंसि अभीइणा णक्खत्तेणं जोगमुवागएणं सुसमदूसमाए समाए एगूणणवईहिं पक्खेहिं सेसेहिं कालगए वीइक्कंते जाव सव्वदुक्खपहीणे, समयं च णं उसभे अरहा
कोसलिए कालगए वीइक्वंते समुज्जाए छिण्णजाइजरामरणबंधणे सिद्धे बुद्धे जाव सव्वदुक्खप्पहीणे तंसमयं च णं सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो आसणे चलिए, तए भणं से सक्के देविदे देवराया आसणं चलिअंपासइ त्ता ओहिं पउंजइत्ता भयवं तित्थयरं ओहिणा आभोएइ त्ता एवं वयासी-परिणिव्वुए खलु जंबुद्दीवे दीवे भरहे वासे
उसहे अरहा कोसलिए तं जीअमेअंतीअपच्चुप्पण्णमणागयाणं सक्काणं देविंदाणं देवराईणं तित्थगराणं परिनिव्वाणमहिमं करेत्तए, तं गच्छामि णं अहंपि भगवतो तित्थगरस्स परिनिव्वाणमहिमं करेमित्तिकटु वंदइ णमंसइ त्ता चउरासीईए सामाणिअसाहस्सीहिं तायत्तीसाए तायत्तीसएहिं चउहिं लोगपालेहिं जाव चउहिं चइरासीईहि आयरक्खदेवसाहस्सीहि अण्णेहि अ बहूहि सोहम्मकप्पवासीहिं वेमाणिएहिं देवेहिं देवीहिं अं सद्धिं संपरिवुडे ताए उक्किट्ठाए जाव तिरिअमसंखेज्जाणं दीवसमुद्दाणं मज्झंमज्झेणं जेणेव अट्ठावयपव्वए जेणेव भगवओ तित्थगरस्स सरीरए तेणेव उवागच्छइ त्ता विमणे णिराणंदे अंसुपुण्णणयणे तित्थयरसरीरयं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ त्ता णच्चासण्णे णाइदूरे सुस्सूसमाणए जाव पज्जुवासइ, तेणं कालेणं० ईसाणे देविदे देवराया उत्तरद्धलोगाहिवई अट्ठावीसविमाणसयसहस्साहिवई सूलपाणी वसहवाहणे सुरिद अयरंबरवत्थधरे जाव विउलाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ, तए णं तस्स ईसाणस्स देविंदस्स देवरण्णो आसणं चलइ, तए णं से ईसाणे जाव देवराया आसणं चलिअंपासइत्ता ओहिं पउंजइ त्ता भगवं तित्थगरं ओहिणा आभोएइत्ता जहा सक्के निअगपरिवारेणं भणियव्वो जाव पज्जुवासइ, एवं सव्वे देविंदा जाव अच्चुए, णिअगपरिवारेणं आणेअव्वा, एवं जाव भवणवासीणं इंदा, वाणमंतराणं सोलस जोइसिआणं दोण्णि निअगपरिवारा, णेअव्वा, तए णं से सक्के देविदे देवराया बहवे भवणवइवाणमंतरजोइसवेमाणिए देवे एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिआ ! णंदणवणाओ सरसाई गोसीसवरचंदणकट्ठाई साहरह त्ता तओ चिइगाओ रएह-एगं भगवओ तित्थगरस्स एग गणधराणं एगं अवसेसाणं अणगाराणं, तए णं ते भवणवइजाववेमाणिआ देवा णंदणवणाओ सरसाइं गोसीसवरचंदणकट्ठाइं साहरंति त्ता तओ चिइगाओ रएंति, एगं भगवओ तित्थगरस्स एगं गणहराणं एगं अवसेसाणं अणगाराणं, तए णं से सक्के देविद देवराया आभिओगे देवे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! खीरोदगसमुद्दाओ खीरोदगं साहरह, तएणं ते आभिओगा देवा खीरोदगसमुद्दाओ खीरोदगं साहरंति, तएणं से सक्के देविदे देवराया तित्थगरसरीरगं खीरोदगेणं ण्हाणेति त्ता सरसेणं गोसीसवरचंदणेणं अणुलिंपइ त्ता हंसलक्खणं पडसाडयं णिअंसेइ २ त्ता सव्वालंकारविभूसिअं करेति, तए णं ते भवणवइजाववेमाणिआ गणहरसरीरगाइं अणगारसरीरगाइंपिय
9999996555555555555श्री आगमगुणमंजूषा - ११९४9 99999999999993FGiox
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(रसा जंबूदीवपत्ति वक्स्वारो
२
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खीरोदगेणं ण्हावंति त्ता सरसेणं गोसीसवरचंदेणं अणुलिंपत्ति त्ता अहताई दिव्वाइं देवदूसजुअलाइं णिअंसंति त्ता सव्वालंकारविभूसिआई करेति, तए णं से सक्के देविदे देवराया ते बहवे भवणवइजाववेमाणिए देवे एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिआ! ईहामिगउसभतुरयजाववणलयभत्तिचित्ताओ तओ सिबियाओ विउव्वह, एगं भगवओ तित्थगरस्स एगं गणहराणं एग अवसेसाणं अणगाराणं, तए णं ते बहवे भवणवइजाववेमाणिआ देवा तओ सिबिआओ विउव्वंति, एगं भगवओ तित्थगरस्स एगं गणहराणं एगं अवसेसाणं अणगाराणं, तएणं से सक्के देविद देवराया विमणे णिराणंदे अंसुपुण्णणयणे भगवओ तित्थगरस्स विणट्ठजम्मजरामरणस्स सरीरगं सीअं आरूहेति त्ता चिइगाए ठवेइ, तए णं ते बहवे भवणवइजाववेमाणिआ देवा गणहराणं अणगाराण य विणट्ठजम्मजरामरणाणं सरीरगाइं सीअं आरूहेति त्ता चिइगाए ठवेति, तए णं से सक्के देविदे देवराया अग्गिकुमारे देवे सद्दावेइ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! तित्थगरचिइगाए जाव अणगारचिइगाए अगणिकायं विउव्वह त्ता एअमाणत्तियं पच्चप्पिणह, तए णं ते अग्गिकुमारा देवा विमणा णिराणंदा अंसुपुण्णणयणा तित्थगरचिइगाए जाव अणगारचिइगाए य अगणिकायं विउव्वंति, तए णं से सक्के देविदे देवराया वाउकुमारे देवे सद्दावेइ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! तित्थगरचिइगाए जाव अणगारचिइगाए य वाउक्कायं विउव्वह त्ता अगणिकायं उज्जालेह त्ता तित्थगरसरीरग गणहरसरीरगाइं अणगारसरीरगाइं च झामेह, तए णं ते वाउकुमारा देवा विमणा णिराणंदा अंसुपुण्णणयणा तित्थगरचिइगाए जाव विउव्वंति अगणिकायं उज्जालेति त्ता तित्थगरसरीरगं जाव अणगारसरीरगाणि य झामेति, तए णं से सक्के देविदे देवराया ते बहवे भवणवइजाववेमाणिए देवे एवं वयासी-खिप्यामेव भो देवाणुप्पिया ! तित्थगरचिइगाए अणगारचिइगाए जाव अगुरूतुरूक्कघयमधुं च कुंभग्गसो य भारग्गसो य साहरह, तए णं ते भवणवइ जाव तित्थगर जाव भारग्गसो य साहरंति, तए णं से सक्के देविद देवराया मेहकुमारे देवे सद्दावेइ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! तित्थगरचिइगं जाव अणगारचिइगं च खीरोदगेणं णिव्ववेह, तएणं ते मेहकुमारा देवा तित्थगरचिइगं जाव णिव्वावेति, तए णं से सक्के देविदे देवराया भगवओ तित्थगरस्स उवरिल्लं दाहिणं सकहं गेण्हइ ईसाणे देविदे देवराया उवरिल्लं वामं सकहं गेण्हइ चमरे असुरिद असुरराया हेडिल्लं दाहिणं सकहं गेण्हइक बली वइरोअणिदेवयरोअणराया हिडिल्लं वामं सकहं गेण्हइ अवसेसा भवणवइजाववेमाणिआ देवा जहारिहं अवसेसाई अंगमंगाई केई जिणभत्तीए केई जीअमेअंतिकटटु केई धम्मोत्तिकटटु गेण्हंति, तए णं से सक्के देविदे देवराया बहवे भवणवइजाववेमाणिए देवे एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिआ ! सव्वरयणामए महइमहालए तओ चेइअथूभे करेह, एगं भगवओ तित्थगरस्स चिइगाए एगं गणहरचिइगाए एगं अवसेसाणं अणगाराणं चिइगाए, तए णं ते बहवे जाव करेंति, तए णं ते बहवे भवणवइजाववेमाणिआ देवा तित्थगरस्स परिणिव्वाणमहिमं करेति त्ता जेणेव नंदीसरवरे दीवे तेणेव उवागच्छन्ति, तए णं से सक्के देविद देवराया पुरच्छिमिल्ले ई अंजणगपव्वए अट्ठाहिअं महामहिमं करेति, तए णं सक्कस्स देविंदस्स० चत्तारि लोगपाला चउसु दहिमुहगपव्वएसु अट्ठाहियं महामहिमं करेंति, ईसाणे देविदे देवराया उत्तरिल्ले अंजणगे अट्ठाहिअं० तस्स लोगपाला चउसु दहिमुहगेसु अठ्ठाहियं० चमरो य दाहिणिल्ले० तस्स लोगपाला (२११) दहिमुहगपव्वएसु० बली पच्चत्थिमिल्ले० तस्स लोगपाला दहिमुहगेसु, तएणं ते बहवे भवणवइवाणमंतर जाव अट्ठाहिआओ महामहिमाओ करेति त्ता जेणेव साइं२ विमाणाइंजेणेव साइं २ भवणाइं जेणेव साओ २ सभाओ सुहम्माओ जेणेव सगा २ माणवगा चेइअखंभा तेणेव उवागच्छंति त्ता वइरामएसु गोलवट्टसमुग्गएसु जिणसकहाओ पक्खिवंति त्ता अग्गेहि वरेहिं मल्लेहि य गंधेहि य अच्चेति त्ता विउलाई भोगभोगाइं भुंजमाणा विहरंति ।३४। तीसे णं समाए दोहिं सागरोवमकोडाकोडीहिं काले वीइक्कते अणंतेहिं वणपज्जवेहिं तहेव जाव अणंतेहिं उट्ठाणकम्म जाव परिहायमाणे एत्थ णं दूसमसुसमाणामं समा काले पडिवज्जिसु समणाउसो!, तीसे णं समाए भरहस्स वासस्स केरिसए आगारभावपडोआरे पं०?, गो० ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं०, से जहाणामए आलिंगपुक्खरेइ वा जाव मणीहिं उवसोभिए, तं०-कित्तिमेहि चेव अकित्तिमेहिं चेव, तीसे णं भंते ! समाए भरहे वासे मणुआणं केरिसए आयारभावपडोयारे पं०?, गो० ! तेसिंणं मणुआणं छविहे संघयणे छव्विहे संठाणे बहूई
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श्री आगमगणमजषा-१११५
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो
२
१४१
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धणूइं उद्धंउच्चत्तेणं जह० अंतो० उक्को० पुव्वकोडीआउयं पालेति त्ता अप्पेगइया णिरयगामी जाव देवगामी अप्पेगइया सिझंति जाव सव्वदुक्खाणंमंतं करेंति, तीसे णं समाए तओ वंसा समुप्पज्जित्था तं०-अरहंतवंसे चक्कवट्टिवंसे दसारवंसे, तीसे णं समाए तेवीसं तित्थयरा इक्कारस चक्कवट्टी णव बलदेवा णव वासुदेवा ॥ समुप्पज्जित्था ।३५। तीसे णं समाए एक्काए सागरोवमकोडाकोडीए बायालीसाए वाससहस्सेहिं ऊणिआए काले वीइक्कंते अणंतेहिं वण्णपज्जवेहिं तहेव जाव परिहायमाणीए २ एत्थ णं दूसमाणामं समा काले पडिवज्जिस्सइ समणाउसो!, तीसे णं भंते ! समाए भरहस्स वासस्स केरिसए आगारभावपडोआरे भक्स्सिइ ?,, गो० ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे भविस्सइ से जहाणामए आलिंगपुक्खरेइ वा मुइंगपुक्खरेइ वा जाव णाणामणिपंचवण्णेहि कित्तिमेहिं चेव अकित्तिमेहिं चेव, तीसे णं भंते ! समाए भरहस्स वासस्स मणुआणं केरिसए आयारभावपडोयारे पं० ?, गो० ! तीसे णं मणुआणं छव्विहे संघयणे छव्विहे संठाणे बहुईओ रयणीओ उद्धंउच्चत्तेणं जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० साइरेगं वाससयं आउयं पालेति त्ता अप्पेगइया णिरयगामी जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेंति, तीसे णं समाए पच्छिमे तिभागे गणधम्मे पासंडधम्मे रायधम्मे जायतेए धम्मचरणे य वोच्छिज्जिस्सइ ।३६। तीसे णं समाए एक्कवीसाए वाससहस्सेहिं काले विक्ते अणंतेहिं वण्णपज्जवेहिं जावई परिहायमाणीए २ एत्थ णं दूसमदूसमाणामं समा काले पडिवज्जिस्सइ समणाउसो !, तीसे णं भंते ! समाए उत्तमकट्ठपत्ताए भरहस्स वासस्स के रिसए आयारभावपडोआरे भविस्सइ ?, गो० ! काले भविस्सई हाहाभूए भंभाभूए कोलाहलभूए समाणुभावेण य खरफरूसधूलिमइला दुव्विसहा वाउला भयंकराय वाया संवट्टगा य वाइस्संति, इह अभिक्खणं २ धूमाहिति य दिसा समंता रउस्सला रेणुकलुसतमपडलणिरालोआ समयलुक्खयाए णं अहिअं चंदा सीअं मोच्छिहिति अहिअं सूरिआ तविस्संति, अदुत्तरं च णं गो० अभिक्खणं अरसमेहा विरस० खार० खत्त (ट्ट पा०)० अग्गि० विज्जु० विसमेहा (असाणि० पा०) अज (पि पा०) वणिज्जोदगा वाहिरोगवेदणोदीरणपरिणामसलिला अमणुण्णपाणिअगाचंडानिलपहततिक्खधाराणिवातपउरं वासं वासिहिंति, जेणं भरहे वासे गामागरणगरखेडकब्बडमडं वदोणमुहपट्टणासमगयं जणवयं चउप्पयगवेलए खहयरे पक्खिसंघे गामारण्णप्पयारणिरए तसे य पाणे बहुप्पयारे रूक्खगुच्छगुम्मलयवल्लिपवालंकुरमादीए तणवणस्सइकाइए ओसहीओ य विद्धंसेहिति पव्वयगिरिडोंगरूत्थलभट्ठिमादीए य वेअड्ढगिरिवज्ने विरावेहिति सलिलबिलविसमगत्त (दुग्ग पा०) णिण्णुण्णयाणि य गंगासिंधुवज्जाइं समीकरेहिंति, तीसे णं भंते ! समाए भरहस्स वासस्स भूमीए केरिसए आगारभावपडोआरे भविस्सइ ?, गो० ! भूमी भविस्सइ इंगालभूआ मुम्मुर० छारिअ० तत्तकवेल्लुअ० तत्तसमजोइ० धूलिबहुला रेणु० पंक० पणय० चलणिबहुला बहूणं धरणिगोअराणं सत्ताणं दुन्निक्कमा यावि भविस्सइ, तीसे णं भंते ! समाए भरहे वासे मणुआणं केरिसए आयारभावपडोआरे भविस्सइ ?, गो० ! मणुआ भविस्संति दुरूवा दुवण्णा दुगंधा दुरसा दुफासा अणिट्ठा अकंता अप्पिआ असुभा अमणुन्ना अमणामा हीणस्सरा दीणस्सरा अणिट्ठस्सरा अकंतस्सरा अपिअस्सरा अमणामस्सरा अमणुण्णस्सरा अणादेज्जवयणपच्चायाता णिल्लज्जा कूडकवडकलहबंधवेरनिरया मज्जायातिक्कमप्पहाणा अकज्जणिच्चुज्जुया गुरूणिओगविणयरहिया य विकलरूवा परूढणहकेसमंसुरोमा काला खरफरूससा (झा पा०) मवण्णा फुट्टसिरा कविलपलिअकेसा बहुण्हारूणिसंपिणद्धदुईसणिज्जरूवा संकुडिअवलीतरंगपरिवेढिअंगमंगा जरापरिणयव्व थेरगणरा पविरलपरिसडि अदंतसेढी उब्भडघड (घाडा पा०) मुहा विसमणयणवंकणासा वंक (ग पा०) वलीविगयभेसणमुहा ददुविकिटिभसिब्भफुडिअफरूसच्छवी चित्तलंगमंगा कच्छूखसराभिभूआ खरतिक्खणक्खकंडूइअविकयतणू टोलागि (लग) ती विसमसंधिबंधणा उक्कडुअद्विअविभत्तदुब्बलकुसंघयणकुप्पमाणकुसंठिआ कुरूवा कुट्ठाणासणकुसेजकुभोइणो असुइणो अणेगवाहिपीलिअंगमंगा खलंतविब्भलगई णिरूच्छाहा सत्तपरिवज्जिता विगय (विणट्ठ प्र०) चेट्ठा नट्ठतेआ अभिक्खणं सीउण्हखरफरूसवायविज्झडिअमलिणपंसुरओगुंडिअंगमंगा बहुकोहमाणमायालोभा बहुमोहा
असुभदुक्खभागी ओसण्णं धम्मसण्णसम्मत्तपरिभट्ठा उक्को० रयणिप्पमाणमेत्ता सोलसवीसइवासपरमाउसो बहुपुत्तणत्तुपरियालपणयबहुला गंगासिंधूओ महाणईओ MOTIO N555555555श्री आगमगुणमंजूषा - ११९६ 99999999
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वेअड्ढं च पव्वयं नीसाए बावत्तरि बीअं बीअमेत्ता बिलवासिणो मणुआ भविस्संति, ते णं भंते ! मणुआ किमाहारमाहारिस्संति ?, गो० ! तेणं कालेणं० गंगासिंधूओ 2 महाणईओ रहपहमित्तवित्थराओ अक्खसोअप्पमाणमेत्तं जलं वोज्झिहिति, सेविअणं जले बहुमच्छकच्छभाइण्णे णो चेवणं आउबहुले भविस्सइ, तए णं ते मणुआ ) सूरूग्गमणत्थमणमुहुत्तंसिय बिलेहितो णिद्धाइस्संति त्ता मच्छकच्छभे थलाइंगाहेस्संतित्ता सीआतवतत्तेहिं मच्छकच्छभेहिं इक्कवीसं वाससहस्साइं वित्तिं कप्पेमाणा विहरिस्संति, ते णं भंते ! मणुआ णिस्सीला णिव्वया णिग्गुणा णिम्मेरा णिप्पच्चक्खाणपोसहोववासा ओसण्णं मंसाहारा मच्छाहारा खुड्डा (हा) हारा कुणिमाहारा कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिति कहिं उववज्जिहिति ?, गो० ! ओसण्णं णरगतिरिक्खजोणिएसु उववज्जिहिंति, तीसे णं भंते ! समाए सीहा वग्घा विगा दीविआ अच्छा तरच्छा परस्सरा सरभसियालबिरालसुणगा कोलसुणगा ससगा चित्तगा चिल्ललगा ओसण्णं मंसाहारा मच्छाहारा खोद्दाहारा कुणिमाहारा कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिति० ?, गो० ! ओसण्णं णरगतिरिक्खजोणिएसु उववज्जिहिति, ते णं भंते ! ढंका कंका पीलगा मग्गुगा सिही ओसण्णं मंसाहारा जाव कहिं गच्छिहिति०, गो० ! ओसण्णं णरगतिरिक्खजोणिएसुं जाव उववज्निहिति ।३७। तीसे णं समाए इक्कवीसाए वाससहस्सेहिं काले वीइक्कते आगमिस्साए उस्सप्पिणीए सावणबहुलपडिवए बालवकरणंसि अभीइणक्खत्ते चोद्दसपढमसमये अणंतेहिं वण्णपज्जवेहिं जाव अणंतगुणपज्जवपरिखुड्ढीए परिवद्धमाणे २ एत्थ णं दूसमदूसमाणामं समाकाले पडिवज्जिस्सइ समणाउसो!, तीसे णं भंते ! समाए भरहस्स वासस्स केरिसए आगारभावपडोआरे भविस्सइ ?, गो० ! काले भविस्सइ हाहाभूए भंभाभूए एवं सो चेव दूसमदूसमावेढगो णेअव्वो, तीसे णं समाए एक्कवीसाए वाससहस्सेहिं काले विइक्कते अणंतेहिं वण्णपज्जवेहिं जाव अणंतगुणपरिवुद्धीए परिवद्धेमाणे २ एत्थ णं दूसमाणामं समाकाले पडिवज्जिस्सइ समणाउसो! ।३८। तेणं कालेणं० पुक्खलसंवट्टए णाम महामेहे पाउब्मविस्सइ भरहप्पमाणमित्ते आयामेणं तदाणुरूवं च णं विक्खंभबाहल्लेणं, तए णं से पुक्खलसंवट्टए महामेहे खिप्पामेव पतणतणाइस्सइत्ता खिप्पामेव पविजुआइस्सइत्ता खिप्पामेव जुगमुसलमुट्ठिप्पमाणमित्ताहिं धाराहिं ओघमेघ सत्तरत्तं वासं वासिस्सइ, जेणं भरहस्स वासस्स भूमिभागं इंगालभूअं मुम्मुरभूअं छारिअभूअं तत्तकवेल्लुगभूअं तत्तसमजोइभूअं णिव्वाविस्सतित्ति, तंसिं च णं पुक्खलसंवट्टगंसि महामेहंसि सत्तरत्तं णिवतितंसि समाणंसि एत्थ णं खीरमेहे णामं महामेहे पाउन्भविस्सइ भरहप्पमाणमेत्ते आयामेणं तदणुरूवं च णं विक्खंभबाहल्लेणं, तए णं से खीरमेहे णामं महामेहे खिप्पामेव पतणतणाइस्सइ जाव खिप्पामेव जुगमुसलमुट्ठि जाव सत्तरत्तं वासं वासिस्सइ, जेणं भरहवासस्स भूमीए वण्णं गंधं रसं फासं च जणइस्सइ, तंसि च णं खीरमेहंसि सत्तरत्तं णिवतितंसि समाणंसि ॥ इत्थ णं घयमेहे णामं महामेहे पाउब्भविस्सइभरहप्पमाणमेत्ते आयामेणं तदणुरूवं च णं विक्खंभबाहल्लेणं, तएणं से घयमेहे खिप्पामेव पतणतणाइस्सइ जाव वासं वासिस्सइ, जेणं भरहस्स भूमीए सिणेहभावं जणइस्सइ, तंसिं च णं घयमेहंसि सत्तरत्तं णिवतितंसि समाणंसि एत्थ णं अमयमेहे पाउब्भविस्सइ भरहप्पमाणमित्तं आयामेणं जाव वासं वासिस्सइ, जेणं भरहवासे रूक्खगुम्मलयवल्लितणपव्वगहरितगओसहिपवालंकुरमाइए तणवणस्सइकाइए जणइस्सइ, तंसि चणं अमयमेहंसि सत्तरत्तं णिवतितंसि समाणंसि एत्थ णं रसमेहे णामं महामेहे पाउब्भविस्सइ भरहप्पमाणमित्ते आयामेणं जाव वासं वासिस्सइ, जेणं तेसिं बहूणं रूक्खगुच्छगुम्मलयवल्लितणपव्वगहरितओसहिपवालंकुरमादीणं तित्तकडुअकसायअंबिलमहुरे पंचविहे रसविसेसे जणइस्सइ, तए णं भरहे वासे भविस्सइ परूढरूक्खगुच्छगुम्मलयवल्लितणपव्वगहरिअओसहिए उवचियतयपत्तपवालपल्लवंकुरपुप्फफलसमुइए सुहोवभोगे आवि भविस्सइ ।३९। तए णं ते मणूसा भरहं वासं परूढरूक्ख० ओसहियं उवचि० समुइयं सुहोवभोगं जायं २ चावि पासिहिति त्ता बिलेहितो णिद्धाइस्संति हट्ठतुट्ठा अण्णमण्णं सहाविस्संति त्ता एवं
वदिस्संति जाते णं देवाणुप्पिआ ! भरहे वासे परूढरूक्ख० जाव सुहोवभोगे, तं जे णं देवाणुप्पिआ ! अम्हे केई अज्जप्पभिइ असुभं कुणिमं आहारं आहारिस्सइ से म णं अणेगाहिं छायाहिं वज्जणिज्जे (वज्ने पा०) त्तिकटु संठिइं ठवेस्संति त्ता भरहे वासे सुहंसुहेणं अभिरममाणा २ विहरिस्संति ।४०। तीसे णं भंते ! समाए भरहस्स
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55; श्री आगमगुणमंजूषा - ११९७55555555555555555555555555
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो २,३
[१६]
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वासस्स केरिसए आयारभावपडोआरे भविस्सइ ?, गो० ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे भविस्सइ जाव कित्तिमिहिं चेव अकित्तिमेहिं चेव, तीसे णं भंते ! समाए मणुआणं केरिसए आयारभावपडोआरे भविस्सइ ?, गो०! तीसे णं० मणुआणं छव्विहे संघयणे छव्विहे संठाणे बहूईओ रयणीओ उड्ढउच्चत्तेणं जह० अंतोमुहत्तं उक्को० साइरेगं वाससयं आउअं पालेहिति त्ता अप्पेगइआ णिरयगामी जाव अप्पेगइआ देवगामी णं सिझंति०, तीसे णं समाए एक्कवीसाए वाससहस्सेहिं काले वीइक्कते अणंतेहिं वण्णपज्जवेहिं जाव परिवड्ढेमाणे २ एत्थ णं दूसमसुसमाणामं समाकाले पडिवज्जिस्सइ समणाउसो ?, तीसे णं भंते ! समाए भरहस्स वासस्स केरिसए आयारभावपडोआरे भविस्सइ ?, गो० ! बहुसमरमणिज्जे जाव अकित्तिमेहिं चेव, तीसेणं भंते ! मणुआणं केरिसए आयारभावपडोआरे भविस्सइ ?, गो० ! तेसिं, णं मणुआणं छविहे संघयणे छव्विहे संठाणे बहूई धणूई उद्धंउच्चत्तेणं जह० अंतोमुहृत्तं उक्को० पुव्वकोडीआउअं पालिहिति त्ता अप्पेगइआ णिरयगामी जाव अंतं करेहिति, तीसे णं समाए तओ वंसा समुप्पज्जिस्संति, तं०-तित्थगरवंसे चक्कवट्टिवंसे दसारवंसे, तीसे णं समाए तेवीसं तित्थगरा एक्कारस चक्कवट्टी णव बलदेवा णव वासुदेवा समुप्पज्जिस्संति, तीसेणं समाए एगाए सागरोवमकोडाकोडीए बायालीसाए वाससहस्सेहिंऊणिआए काले वीइक्वंते अणतेहिं जाव अणंतगुणपरिवुद्धीए परिवुद्धमाणे २ एत्थ णं सुसमदूसमाणामं समाकाले पडिवज्जिस्सइ समणाउसो!, सा णं समा तिहा विभज्जिस्सइ, तं०-पढमे तिभागे मज्झिमे तिभागे पच्छिमे तिभागे, तीसे णं भंते ! समाए पढमे तिभाए भरहस्स वासस्स केरिसए आयारभावपडोआरे भविस्सइ?, गो० ! बहुसमरमणिज्जे जाव भविस्सइ, मणुआणं जा चेव
ओसप्पिणीए पच्छिमे तिभागे वत्तव्वया सा भाणिअव्वा कुलगरवज्जा उसभसामिवज्जा, अण्णे पढंति-तीसे णं समाए पढमे तिभाए इमे पण्णरस कुलगरा समुप्पज्जिस्संति तं०-सुमई जाव उसभे, सेसं तं चेव, दंडणीईओ पडिलोमाओ, तीसे णं समाए पढमे तिभाए रायधम्मे जाव धम्मचरणे य वोच्छिजिस्सइ, तीसेणं समाए मज्झिमपच्छिमेसु तिभागेसु जा पढममज्झिमेसु वत्तव्वया ओसप्पिणीए सा भाणिअव्वा, सुसमा तहेव, सुसमासुसमावि तहेव जाव छव्विहा मणुस्सा अणुसज्जिस्संति जाव सणिचारी।४१ *** से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-भरहे वासे २१, गो० ! भरहे णं वासे वेअद्धस्स पव्वयस्स दाहिणेणं चोद्दसुत्तर जोअणसयं एगारस य एगूणवीसभाए जोयणस्स अबाहाए लवणसमुद्दस्स उत्तरेणं चोद्दसुत्तरं जोयणसयं एक्कारस य एगूणवीसइभाए जोयणस्स अबाहाए गंगाए महाणईए पच्चत्थिमेणं सिंधूए महाणईए पुरत्थिमेणं दाहिणद्धभरहमज्झिल्लतिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं विणीआणामं रायहाणी पं० पाईणपडीणायया उदीणदाहिणविच्छिन्ना दुवालसजोअणायामा णवजोअणविच्छिण्णा धणवइमतिणिम्माया चामीयरपागारा णाणामणिपञ्चवण्णकविसी-सगपरिमंडिआभिरामा अलकापुरीसंकासा पमुइयपक्कीलिआ पच्चक्खं देवलोगभूआ रिद्धस्थिमिअसमिद्धा पमुइअजणजाणवया जाव पडिरूवा ।४२॥ तत्थ णं विणीआए रायहाणीए भरहे णामं राया चाउरंतचक्कवट्टी समुप्पज्जित्था, महयाहिमवंतमलयमंदर जाव रज्जं पसासेमाणे विहरइ, बिइओ गमो रायवण्णगस्स इमो-तत्थ असंखेज्जकालवासंतरेण उप्पज्जए जसंसी उत्तमे अभिजाए सत्तवीरिअपरक्कमगुणे पसत्थवण्णसरसारसंघयणतणुगबुद्धिधारणमेहासंठाणसीलप्पगई पहाणगारवच्छायाग (प्र० रा) इए अणे गवयणप्पहाणे तेअआउबलवीरिअजुत्ते अझुसिरघणणिचिअलोहसंकलणारायवइरउसहसंघयणदेहधारी झसजुगभिंगारवद्धमाणगभद्दासणगसंखच्छत्तवीअणपडागचक्क १० णंगलमुसलरहसोत्थिअअंकु सचंदाइच्च अग्गिजूयसागर २० इंदज्झयपुहविपउमकुंजरसीहासणदंडकुम्मगिरिवरतुरगवरवरमउड ३० कुंडलणंदावत्तधणुकोतगागरभवणविमाण ३६ अणेगलक्खणपसत्थसुविभत्तचित्तकरचरणदेसभागे
उद्धामुहलोमजालसुकुमालणिद्धमउआवत्तपसत्थलोमविरइ-असिरिवच्छच्छण्णविउलवच्छे देसखेत्तसुविभत्तदेहधारी तरूणरविरस्सिबोहिअवरकमल5 विबुद्धगब्भवण्णे हयपोसणकोससण्णिभपसत्थपिटुंतणिरूवलेवे पउमुप्पलकुंदजाइजूहियवरचंपगणागपुप्फसारंगतुल्लगंधी छत्तीसाअहिअपसत्थपत्थिवगुणेहिं जुत्ते ॐ अव्वोच्छिण्णातपत्ते पागडउभयजोणी विसुद्धणिअगकुलगयणपुण्णचंदे चंदेइव सोमयाए णयणमणणिव्वुइकरे अक्खोभे सागरोवथिमिए धणवइव्व
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MOcs195555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ११९८5555555555555555555555555EGION
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एकजन्दावफात वखारो ७ि
199333333535555ROOK भोगसमुदयसद्दव्वयाए समरे अपराइए परमविक्कमगुणे अमरवइसमाणसरिसरूवे मणुअवई भरहचक्कवट्टी भरहं भुंजइ पणट्ठसत्तू ।४३। तए णं तस्स भरहस्स रण्णो अण्णया कयाई आउहघरसालाए दिव्वे चक्करयणे समुप्पज्जित्था, तए णं से आउहधरिए भरहस्स रण्णो आउहघरसालाए दिव्वं चक्करयणं समुप्पण्णं पासइ त्ता हठ्ठतुट्ठचित्तमाणंदिए नंदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहिअएजेणामेव से दिव्वे चक्करयणे तेणामेव से उवागच्छइ त्ता तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ त्ता करयल जाव कटु चक्करयणस्स पणामं करेइ त्ता आउहघरसालाओ पडिणिक्खमइ त्ता जेणामेव बाहिरिआ उवट्ठाणसाला जेणामेव भरहे राया तेणामेव उवागच्छइत्ता करयलं जाव जएणं विजएणं वद्धाबेइत्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिआणं आउहघरसालाए दिव्वे चक्करयणे समुप्पण्णे तं एअण्णं देवाणुप्पिआणं पिअट्ठयाए पिअं णिवेएमो पिअं भे भवउ, तते णं से भरहे राया तस्स आउहधरिअस्स अंतिए एअमट्ठ सोच्चा णिसम्म हट्ठ जाव सोमणस्सिए विअसिअवरकमलणवणवयणे पयलिअवरकडगतुडिअकेऊरमउडकुंडलहारविरायंतरइअवच्छे पालंबपलंबमाणघोलंतभूसणधरे ससंभमं तुरिअं चवलं णरिद सीहासणाओ अब्भुढेइ त्ता पायपीढाओ पच्चोरूहइ त्ता पाउआओ ओमुअइ त्ता एगसाडिअं उत्तरासंगं करेइ त्ता अंजलिमउलिअग्गहत्थे चक्करयणाभिमुहे सत्तट्ठ प्रयाइं अणुगच्छइत्ता वामं जाणुं अंचेइ त्ता दाहिणं जाणुं धरणितलंसि णिहट्ट करयलजावअंजलिं० चक्करयणस्स पणामं करेइत्ता तस्स आउहघरिअस्स अहामालिअं मउडवज्जं ओमोअं दलइ त्ता विउलं जीविआरिहं पीइदाणं दलइ त्ता सक्कारेइ सम्माणेइ त्ता पडिविसज्जेइ त्ता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे सण्णिसण्णे, तए णं से
भरहे राया कोडुबिअपुरिसे सद्दावेइ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिआ ! विणीअं रायहाणिं सब्भितरबाहिरिअं आसिअसंमज्जिअसित्तसुइगरत्यंतरवीहिअं म मंचाइमंचकलिअंणाणाविहरागवसणऊसिअझयपडागपडागातिपडागमंडिअं लाउल्लोइअमहिअंगोसीससरसरत्तचंदणदद्दरदिन्नपंचगुलितलं उवचियचंदणकलसं
चंदणघडसुकयजावगंधुद्धआभिरामं सुगंधवरगंधिअं गंधवट्टिभूअं करेह कारवेह त्ता य एअमाणत्तिअं पच्चप्पिणह, तए णं ते कोडुबिअपुरिसा भरहेणं रण्णा एवं वुत्ता हट्ठ० करयल जाव एवं सामित्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणंति त्ता भरहस्स अंतिआओ पडिणिक्खमंति त्ता विणीअं रायहाणिं जाव करेत्ता कारवेत्ता य तमाणत्तिअंपच्चप्पिणंति, तएणं से भरहे राया जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइत्ता मज्जणघरं अणुपविसइत्ता समुत्तजालाकुलाभिरामे विचित्तमणिरयणकुट्टिमतले रमणिज्जे पहाणमंडवंसि णाणामणिरयणभत्तिचित्तंसि पहाणपीढंसि सुहणिसण्णे सुहोदएहिं गंधोदएहिं पुप्फोदएहिं सुद्धोदएहिं य पुण्णे कल्लाणगपवरमज्जणविहीए मज्जिए तत्थ कोउअसएहिं बहुविहेहिं कल्लाणगपवरमज्जणावसाणे पम्हलसुकु मालगंधकासाइअलूहिअंगे सरससुरहिगोसीसचंदणाणुलित्तगत्ते अंहयसुमंहग्घदूसरयणसुसंवुड़े सुइमालावण्णगविलेवणे आविद्धमणिसुवण्णे कप्पिअहारद्धहारतिसरिअपालंबपलंबमाणकडिसुत्तसुकयसोहे पिणद्धगेविज्जगअंगुलिज्जगललिअगयकयाभरणे णाणामणिकडगतुडि अथं भिअभुए अहिअसस्सिरीए कुंडलउज्जोइआणणे मउड दित्तसिरए हारोत्थयसुकयवच्छे पालंबपलबमाणसुकयपडउत्तरिज्जे मुद्दिआपिंगलंगुलीए णाणामणिकणगविमलमहरिहणिउणोविअमिसिमिसिंतविरइअसुसिलिट्ठविसिट्ठ-लट्ठसंठिअपसत्थआविद्धवीरवलए, किं बहुणा ?, कप्परूक्खए चेव अलं कि अविभूसिए णरिंदे सकोरंट जाव चउचामरवालवीइअंगे मंगलजयजयसद्दकयालोए
अणेगगणणायगदंडणायगजावदूअसंधिवाल सद्धिं संपरिवुडे धवलमहामेहणिग्गए इव जाव ससिव्व पियदंसणे णरवई धूवपुप्फगंधमल्लहत्थगए मज्जणघराओ म पडिणिक्खमइत्ता जेणेव आउहघरसाला जेणामेव चक्करयणे तेणामेव पहारेत्थ गमणाए, तए णं तस्स भरहस्स रण्णो बहवे ईसरजावपभिइओ अप्पेगइआ पउमहत्थगया
अप्पे० उप्पलहत्थगया जाव अप्पेगइआ सयसहस्सपत्तहत्थगया भरहं रायाणं पिट्ठओ अणुगच्छंति, तए णं तस्स भरहस्स रण्णो बहूईओ-'खुज्जा चिलाइ वामणि
वडभीओ वव्वरी बउसिआओ। जोणिअ पल्हविआओ ईसिणिअथारूकिणिआओ९|| लासिअलउसिअ दमिली सिंहलि तह आरबी पुलिंदी य। पक्कणि बहलि मुरूंडी 9 सबरीओ पारसीओ य ||१०|| अप्पेगइयाओ चंदणकलसहत्थगयाओ चंगेरीपुप्फ पडलहत्थगयाओ भिगारआदंसथालपातिसुप
明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो ३ [१८] इट्ठगवायकरगरयणकरंडपुप्फचंगेरीमल्लवण्णचुण्णगंधहत्थगयाओ वत्थआभरणलोमहत्थयचंगेरीपुप्फपडलहत्थगयाओ जाव लोमहत्थहत्थगयाओ अप्पेगइआओ सीहासणहत्थगयाओ छत्तचामरहत्थगयाओ तिल्लसमुग्गयहत्थगयाओ- 'तेल्ले कोट्ठसमुग्गे पत्ते चोए य तगरमेला य । हरिआले हिंगुलए मणोसिला सासवसमुग्गे ||११|| अप्पेगइआओ तालिअंटहत्थगयाओ अप्पे० धूवकडुच्छु अहत्थगयाओ भरहं रायाणं पिट्टओ अणुगच्छंति, तए णं से भरहे राया सव्विडीए सव्वजुईए सव्वबलेणं सव्वसमुदयेणं सव्वायरेणं सव्वविभूसाए सव्वविभूईए सव्ववत्थपुप्फगंधमल्लालंकारविभूसाए सव्वतुडियसद्दसण्णिणाएणं महया इडीए जाव महया वरतुडियजमगसमगपवाइएणं संखपणवपडहभेरिझल्लरिखरमुहिमुरजमुइंगदुंदुहिनिग्घोसणाइएणं जेणेव आउहघरसाला तेणेव उवागच्छइ त्ता आलोए चक्करयणस्स पणामं करेइ त्ता जेणेव चक्करयणे तेणेव उवागच्छइ त्ता (प्र० पुप्फारोहणं ) लोमहत्थयं परामुसइ त्ता चक्करयणं पमज्जइ ता दिव्वाए उदगधाराए अब्भुक्खड़ ता सरसेणं गोसीसवरचंदणेणं अणुलिंपइ त्ता अग्गेहिं वरेहिं गंधेहिं मल्लेहि अ अच्चिणइ पुप्फारूहणं मल्लगंधवण्णचुण्णवत्थारूहणं आभरणारूहणं करेइ त्ता अच्छेहिं सण्हेहिं सेएहिं रययामएहिं अच्छरसातंडुलेहिं चक्करयणस्स पुरओ अट्ठट्ठमंगलए आलिहइ, तं० सोत्थियसिरिवच्छणंदिआवत्तवद्धमाणगभद्दासणमच्छकलसदप्पण, अट्ठट्ठमंगलए आलिहित्ता करेइ उवयारंति, किं ते ?, पाडलमल्लि अचंपगअसो-गपुण्णागचूअमंजरिणवमालिअबकुलतिल-गकणवीरकुंदकोज्जयकोरंटयपत्तदमणयवरसुरहिसुगंधगंधिअस्स कयग्गाहगहिअकरयलपब्भट्टविप्पमुक्कस्स दसद्धवण्णस्स कुसुमणिगरस्स तत्थ चित्तं जाणुस्सेहप्पमाणमित्तं ओहनिगरं करेत्ता चंदप्पभवइरवेरूलिअविमलदंडं कंचणमणिरयणभत्तिचित्तं कालागुरूपवरकुंदुरूक्कतुरूक्क धूवमघमघंतगंधुत्तमाणुविद्धं च धूमवद्धिं विणिम्मुअंतं वेरूलिअमयं कडुच्छुअं पग्गहेत्तु पयते धूवं दहइ त्ता सत्तट्ठ पयाइं पंच्चोसक्कइ त्ता वामं जाणुं अंचेइ जाव पणामं करेइ त्ता आउहघरसालाओ पडिणिक्खमइ त्ता जेणेव बाहिरिआ उवद्वाणसाला जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छइ त्ता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे सण्णिसीअइ त्ता अट्ठारस सेणिपसेणीओ सद्दावेइ त्ता एवं वयासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पिआ ! उस्सुकं उक्करं उक्तिट्टं अदिज्जं अमिज्जं अभडप्पवेसं अदंडकोदंडिमं अधरिमं गणिआवरणाडइज्जकलिअं अणेगतालायराणुचरिअं अणुद्धअमुइंगं अभिलायमल्लदामं पमुइअपक्कीलिअसपुरजणजाणवयं विजयवेजयंतचक्करयणस्स अट्ठाहियं महामहिमं करेह त्ता ममेअमाणत्तिअं खिप्पामेव पच्चप्पिणह, तए णं ताओ अट्ठारस सेणिप्पसेणीओ भरहेणं रन्ना एवं वुत्ताओ समाणीओ हट्ठाओ जाव विणएणं पडिसुर्णेति त्ता भरहस्स अंतिआओ पडिणिक्खमेन्ति त्ता उस्सुक्कं जाव करेति अ कारवेति अत्ता जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छंति ता जाव तमाणत्तिअं पच्चप्पिणंति । ४४ । तए णं से दिव्वे चक्करयणे अट्ठाहिआए महामहिमाए निव्वत्ताए समाणीए आउहघरसालाओ पडिणिक्खमइ त्ता अंतलिक्खपडिवण्णे जक्खसंहस्ससंपरिवुडे दिव्वतुडिअसद्दसण्णिणाएणं आपूरेंतं चेव अंबरतलं विणीआए यहा मज्झंमज्झेणं णिग्गच्छइ त्ता गंगाए महाणईए दाहिणिल्लेणं कूलेणं पुरत्थिमं दिसिं मागहतित्थाभिमुहं पयाते आवि होत्या, तए णं से भरहे राया तं दिव्वं चक्करयणं गंगाए महाणईए दाहिणिल्लेणं कूलेणं पुरत्थिमं दिसिं मागहतित्थाभिमुहं पयातं पासइ त्ता हट्टतुट्ठहियए कोडुंबिअपुरिसे; सद्दावेइ त्ता एवं वयासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पिआ ! आभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेह हयगयरहपवरजोहकलिअं चाउरंगिणिं सेण्णं सण्णाहेह त्ता एतमाणत्तिअं पच्चप्पिणह, तए णं ते कोडुंबिअ जाव पच्चप्पिणंति, तए णं से भरहे राया जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइ त्ता मज्जणघरं अणुपविसइ त्ता समुत्तजालाउलाभिरामे तहेव जाव धवलमहामेहणिग्गए इव ससिव्व पियदंसणे णरवई मज्जणघराओ पडिणिक्खमइ त्ता हयगयरहपवरवाहणभडच. डगरपहकरसंकुलाए सेणाए पहिअकित्ती जेणेव बाहिरिआ उवट्ठाणसाला जेणेव आभिसेक्के हत्थिरयणे तेणेव उवागच्छइ त्ता अंजणगिरिकडगसण्णिभं गयवरं णरवई दुरूढे, तए णं भरहाहिवे णरिंदे हारोत्थयसुकयरइयवच्छे कुंडलउज्जोइआणणे मउडदित्तसिरए णरसीहे णरवई गरिदे णरवसहे मरूअरायवसभकप्पे अब्भहिअरायते अलच्छीए दिप्पमाणे पसत्थमंगलसएहिं संधुव्वमाणे जयसद्दकयालोए हत्थिखंधवरगए सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं सेअवरचारमराहिं उद्ध्रुव्वमाणीहिं २ जक्खसहस्ससंपरिवुडे वेसमणे चेव धणवई अमरवइसण्णिभाए
६६६६६६६ श्री आगमगुणमंजूषा १२०० 535
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XXNXIIIIIIss एटा जवाणपति मक्खारी ३ (१९)
5989 %%%%%ERRON इड्ढीए पहिअकित्ती गंगाए महाणईए दाहिणिल्लेणं कूलेणं गामागरणगरखेडकब्बडमडंबदोणमुहपट्टणासमसंबाहसहस्समंडिअंथिमिअमेइणीअं वसुहं अभिजिणमाणे २ अग्गाइं वराइं रयणाई पडिच्छमाणे २ तं दिव्वं चक्करयणं अणुगच्छमाणे २ जोअणंतरिआहिं वसहीहिं वसमाणे २ जेणेव मागहतित्थे तेणेव उवागच्छइ त्ता मागहतित्थस्स अदूरसामंते दुवालासजोयणायामं णवजोअणविच्छिण्णं वरणगरसरिच्छं विजयखंधावारनिवेसं करेइ त्ता वड्ढइरयणं सद्दावेइ त्ता एवं वयासीखिप्पामेव भो देवाणुप्पिआ ! ममं आवासं पोसहसालं च करेहि त्ता ममेअमाणत्तिअं पच्चप्पिणाहिं, तए णं से वड्ढइरयणे भरहेणं रण्णा एवं वुत्ते समाणे हद्वतुट्ठ जाव वयणं पडिसुणेइ त्ता भरहस्स रण्णो आवसह पोसहसालं च करेइ त्ता एअमाणत्तिअं खिप्पामेव पच्चप्पिणति, तए णं से भरहे राया आभिसेक्काओ हत्थिरयणाओ पच्चोरूहइ त्ता जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ त्ता पोसहसालं अणुपविसइ त्ता पोसहसालं पमज्जइ त्ता दब्भसंथारगं संथरइ त्ता दब्भसंथारगं दुरूहइ त्ता मागहतित्थकुमारस्स देवस्स अट्ठमभत्तं पगिण्हइ त्ता पोसहसालाए पोसहिए बम्हयारी उम्मुक्कमणिसुवण्णे ववगयमालावण्णगविलेवणे णिक्खित्तसत्थमुसले दब्भसंथारोवगए एगे अबीए अट्ठमभत्तं पडिजागरमाणे २ विहरइ, तए णं से भरहे राया अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि पोसहसालाओ पडिणिक्खमइ त्ता जेणेव बाहिरिआ उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइत्ता कोडुंबिअपुरिसे सद्दावेइ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिआ ! हयगयरहपवरजोहकलिअं चाउरंगिणिं सेणं सण्णाहेह चाउग्घंटं च आसरह पडिकप्पेहत्तिकटु मज्जणघरं अणुपविसइ त्ता समुत्त तहेव जाव धवलमहामेहणिग्गए जाव मज्जणघराओ पडिणिक्खमइ त्ता हयगयरहपवरजोहवाहण जाव सेणाइ पहिअकित्ती जेणेव बाहिरिआ उवट्ठाणसाला जेणेव चाउग्घंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइत्ता चाउरघंट आसरहं दुरूढे ।४५ तएणं से भरहे राया चाउग्घंटं आसरहं दुरूढे समाणे हयगयरहपवरजोहकलिआए सद्धिं सेणाए संपरिखुडे महयाभडचडगरपहगरवंदपरिक्खित्ते चक्करयणदेसिअमग्गे अणेगरायवरसहस्साणुआयमग्गे महया उक्किट्ठसीहणायबोलकलकलरवेणं पक्खुभिअमहासमुद्दरवभूअंपिव करेमाणे २ पुरत्थिमदिसाभिमुहे मागहतित्थेणं लवणसमुई ओगाहइ जाव रहवरस्स कुप्परा उल्ला, तए णं से भरहे राया तुरगे निगिण्हइ त्ता रहं ठवेइ त्ता धणुं परामुसइ, तए णं तं अइरूग्णयबालचन्दइंदधणुसन्निकासं वरमहिसदरिअदप्पिदढघणसिंगग्गरइअसारं उरगवरपवरगवलपवरपरहुअभमरकुलणीलिणिद्धधंतधोअपढें णिउणोविअमिसिमिसिंतमणिरयणघंटिआजालपरिक्खत्तं तडितरूणतरणिकिरणतवणिजबद्धचिंधं दद्दरमलयगिरिसिहरकेसरचामरवालद्धचंदचिंधं कालहरिअरत्तपीअसुकिल्लबहुण्हारूणिसंपिणद्धजीवं जीविअंतकरणं धणुं गहिऊण से णरवई उसुं च वरवइरकोडिअं वइरसारतोंड कंचणमणिकणगरयणधोइट्ठसुकयपुंखं अणेगमणिरयणविविहसुविरइयनामचिंधं वइसाह ठाइऊण ठाणं आयतकण्णायतं च काऊण उसुमुदारं इमाई वयणाई तत्थ भणिअ से णरवई-'हंदि सुणंतु भवंतो बाहिरओ खलु सरस्सजे देवा । णागासुरा सुवण्णा तेसिं खुण (प्र० थुणि) मो पणिवयामि ॥१२|| हंदि सुणंतु भवंतो अभिंतरओ सरस्स जे देवा । णागासुरा सुवण्णा सव्वे मे ते विसयवासी॥१३॥ इतिकटटु उसुं णिसिरइत्ति-'परिगरणिगरिअमज्झो वाउछुअसोभमाणकोसेज्जो। चित्तेण सोभए धणुवरेण इंदोव्व पच्चक्खं ॥१४||तं चंचलायमाणं पंचमिचंदोवमं महाचावं । छज्जइ वामे हत्थे णरवइणो तंमि विजयंमि ||१५|| तए णं से सरे भरहेणं रण्णा णिसढे समाणे खिप्पामेव दुवालस जोअणाई गंता मागहतित्थाधिपतिस्स देवस्स भवणंसि निवइए, तए णं से मागहतित्थाहिवई देवे भवणंसि सरं णिवइअं पासइ त्ता आसुरत्ते रूढे चंडिक्किए कुविए मिसिमिसेमाणे तिवलिअं भिउडि णिडाले साहरइ त्ता एवं वयासी-केस णं भो एस अपत्थिअपत्थए दुरंतपंतलक्खणे हीणपुण्णचाउद्दसे हिरिसिरिपरिवज्जिए जेणं मम इमाए
एआणुरूवाए दिव्वाए देविद्धीए दिव्वाए देवजुईए दिव्वेणं दिव्वाणुभावेणं लद्धाए पत्ताए अभिसमण्णागयाए उप्पिं अप्पुस्सुए भवणंसि सरं णिसिरइत्तिकटु सीहासणाओ # उद्वेइ त्ता जेणेव से णामाहयंके सरे तेणेव उवागच्छइ त्तातं णामाहयंकं सरं गेण्हइत्ता णामंकं अणुपवाइए नामंकं अणुप्पवाएमाणस्स इमे एआरूवे अब्भत्थिए चितिए
पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था-उप्पण्णे खलु भो ! जंबुद्दीवे दीवे भरहे वासे भरहे णामं राया चाउरंतचक्कवट्टी तं जीअमेअंतीअपच्चुप्पण्णमणागयाणं
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P मागहतित्थकुमाराणं देवाणं राईणमुवत्थाणीयं करेत्तए, तं (२१२) गच्छामि णं अहंपि भरहस्स रण्णो उवत्थाणीअं करेमित्तिकटु संपेहेति एवं त्ता हारं मउडं।
कुंडलाणि य कडगाणि य तुडिआणि य वत्थाणि य आभरणाणि य सरं च णामाहयंकं मागहतित्थोदगं च गेण्हइ त्ता ताए उक्किट्ठाए तुरिआए चवलाए जयणाए सीहाए ॥ सिग्घाए उधुआए दिव्वाए देवगईए वीईवयमाणे २ जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छइ त्ता अंतलिक्खपडिवण्णे संखिखिणीआई पंचवण्णाइं वत्थाई पवरपरिहिए करयलपरिग्गहिअंदसणहं सिर जाव अंजलिं कटटु भरहं रायं जएणं विजएणं वद्धावेइ त्ता एवं वयासी-अभिजिए णं देवाणुप्पिएहिं केवलकप्पे भरहे वासे पुरच्छिमेणं मागहतित्थमेराए तं अहण्णं देवाणुप्पिआणं विसयवासी अहण्णं देवाणुीप्पिआणं आणत्तीकिंकरे अहण्णं देवाणुप्पिआणं पुरच्छिमिल्ले अंतवाले तं पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिआ ! ममं इमेआरूवं पीइदाणंतिकटु हारं मउडं जाव मागहतित्थोदगं च उवणेइ, तए णं से भरहे राया मागहतित्थकुमारस्स देवस्स इमेयारूवं पीइदाणं पडिच्छइ त्ता मागहतित्थकुमारं देवं सक्कारेइ सम्माणेइ त्ता पडिविसज्जेइ, तए णं से भरहे राया रहं परावत्तेइ त्ता मागहतित्थेणं लवणसमुद्दाओ पच्चुत्तरइ त्ता जेणेव विजयखंधावारणिवेसे जेणेव बाहिरिआ उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ त्ता तुरए णिगिण्हइ त्ता रहं ठवेइ ता रहाओ पच्चोरूहति त्ता जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छति मज्जणघरं अणुपविसइ त्ता जाव ससिव्व पिअदंसणे णरवई मज्जणघराओ पडिणिक्खमइत्ता जेणेव भोअणमंडवे तेणेव उवागच्छइत्ता भोअणमंडवंसि सुहासणवरगए अट्ठमभत्तं पारेइ त्ता भोअणमंडवाओ पडिणिक्खमइ त्ता जेणेव बाहिरिआ उवट्ठाणसाला जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छइ त्ता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे णीसीअइ त्ता अट्ठारस सेणिप्पसेणीओ सद्दावेइ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो ! देवाणुप्पिया उस्सुक्कं उक्करं जाव मागहतित्थकुमारस्स देवस्स अट्ठाहिअं महामहिमं करेह त्ता मम एअमाणत्तिअं पच्चप्पिणंह, तए णं ताओ अट्ठारस सेणिप्पसेणीओ भरहेणं रण्णा एवं वुत्ताओ समाणीओ हट्ट जाव करेंति त्ता एअमाणत्तिअं पच्चप्पिणंति, तए णं से दिव्वे चक्करयणे वइरामयतुंबे लोहिअक्खमयारए जंबूणयणेमीए णाणामणिखुरप्पथालपरिगए मणिमुत्ताजालभूसिए सणंदिघोसे सखिखिणीए दिव्वे तरूणरविमंडलणिभे णाणामणिरयणघंटिआजालपरिक्खित्ते सव्वोउअसुरभिकुसुमआसत्तमल्लदामे अंतलिक्खपडिवण्णे जक्खसहस्ससंपरिवुडे दिव्वतुडिअसद्दसण्णिणादेणं पूरेते चेव अंबरतलं णामेण य सुदंसणे णरवइस्स पढमे चक्करयणे मागहतित्थकुमारस्स देवस्स अट्ठाहिआए महामहिमाए णिव्वत्ताए समाणीए आउहघरसालाओ पडिणिक्खमइ त्ता दाहिणपच्चत्थिमं दिसिं वरदामतित्थाभिमुहं पयाए यावि होत्था ।४६। तए णं से भरहे राया तं दिव्वं चक्करयणं दाहिणपच्चत्थिमं दिसिं वरदामतित्थाभिमुहं पयातं चावि पासइ त्ता हट्ठतुट्ठ० कोडुबिअपुरिसे सद्दावइ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिआ ! हयगयरहपवरचाउरंगिणिं सेण्णं सण्णाहेह आभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेहत्तिकटु मज्जणघरं अणुपविसइ त्ता तेणेव कमेणं जाव सेअवरचामराहिं उद्धव्वमाणीहिं २ माइअवरफलयपवरपरिगरखेडयवरवम्मकवयमाढीसहस्सकलिए उक्कडवरमउडतिरीड-पडागझयवेजयंतीचामरचलंतछत्तंधयारकलिए असिखेवणिखग्गचाव
णारायकणयकप्पणिसूललउडभिंडिमालधणुहतोणसरपहरणेहि य कालणीलरूहिरपी-असुक्किल्लअणेगचिंधसयसण्णिविढे अप्फोडिअसीहणायछेलिम अहयहेसिअहत्थिगुलुगुलाइअअणेगरहसय-सहस्सघणघणेतणीहम्ममाणसद्दसहिएण जमगसमगभंभाहोरंभकिणितखरमुहिमुगुंदसंखि
अपरिलिवच्चगपरिवाइणिवंसवेणुवीपंचिमहतिकच्छभिरिगिसिगि-अतलतालकंसतालकरदाणुत्थिदेण महता सद्दसण्णिणादेण सयलमवि जीवलोगं पूरयंते बलवाहणसमुदएणं एवं जक्खसहस्सपरिवुडे वेसमणे चेव धणवई अमरपतिसण्णिभाइ इद्धीए पहिअकित्ती गामागरणगरखेडकब्बड तहेव सेसं जाव विजयखंधावारणिवेसं करेइ त्ता वद्धइरयणं सद्दावेइ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिआ ! मम आवसहं पोसहसालं च करेहिं त्ता ममेअमाणत्तिअं पच्चप्पिणाहि ४७/तएणं से आसमदोणमुहगामपट्टणपुरवरखंधावारगिहावणविभागकुसले एगासीतिपदेसुसव्वेसुचेव वत्थूसुणेगगुणजाणए पंडिए विहि (प्र० ह) ण्णू पणयालीसाए
देवयाणं वत्थुपरिच्छाए णेमिपासेसु भत्तसालासुकोट्टणिसु अवासघरेसु अविभागकुसले छेज्जे वेज्झे (धेज्जे) अदाणकम्मे पहाणबुद्धी जलयाणं भूमियाण य भायणे mero
9 95555 श्री आगमगुणमंजूषा - १२०२॥555555555555555555555EGORK
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(१८) जंबूदीवपत्नति वक्खारो ३
जलथलगुहासु जंतेसु परिहासु अ कालनाणे तहेव सद्दे वत्थुप्पएसे पहाणे गब्मिणिकण्णरूक्खवल्लिवेढिअगुणदोसाविआणए गुणड्ढे सोलसपासायकरणकुसले चउसट्ठिविकप्पवित्थियमई णंदावत्ते य वद्धमाणे सोत्थिअरूअग तह सव्वओभद्दसंणिवेसे अ बहुविसेसे उइंडिअदेवकोट्ठदारूगिरिखायवाहणविभागकुसले-'इअ तस्स बहुगुणद्धे थवईरयणे णरिंदचंदस्स । तवसंजमनिण्णिट्टे किंकरवाणी तुवट्ठाई ||१६|| सो देवकम्मविहिणा खंधावारं णरिंदवयणेणं । आवसहभवणकलिअं करेइ सव्वं मुहुत्तेणं ||१७|| करेत्ता पवरपोसहघरं करेइ त्ता जेणेव भरहे राया जाव एतमाणत्तिअं खिप्पामेव पच्चप्पिणइ, सेसं तहेव जाव (प्र० जणपवराओ) मज्जणघराओ पंडिणिक्खमइ त्ता जेणेव बाहिरिआ उवट्टाणसाला जेणेव चाउग्घंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइ ।४८। तते णं तं धरणितलगमणलहुं ततो बहुलक्खणपसत्थं हिमवंतकदरंतरणिवायसंवद्धिअचित्ततिणिसदलिअं जंबूणयसुकयकूबरं कणयदंडियारं पुलयवरिंदणीलसासगपवालफलिहवररयणलेठुमणिविदुमविभूसिअं अडयालीसाररइयतवणिज्जपट्टसंगहिअजुत्ततुंबं पघसिअपसि - अनिम्मिअनवपट्टपुट्ठपरिणिद्विअं विसिट्ठलट्टणवलोहवद्धकम्मं हरिपहरणरयणसरिसचक्कं कक्केयणईंदणीलसासगसुसमाहिअबद्धजालकडगं पसत्थविच्छिण्णसमधुरं पुरवरं व गुत्तं सुकिरणतवणिज्जजुत्तककलिअं कंकटय (प्र० डग) णिजुत्तकप्पणं पहरणाणुजायं खेडगकणगधणु मंडलग्गव रसत्तिकों ततोमरस- रसयबत्तीसतोणपरिमंडिअं कणगरयणचित्तं जुत्तं हलीमुहवलागगयदंतचंदमोत्तिअतणसोल्लिअकुंदकुंडय - वरसिंदुवारकंदलवरफेणणिगरहारकासप्पगासधवलेहिं अमरमणपवणजइणचवलसिग्घगामीहिं चउहिं चामराकणगविभूसिअंगेहिं तुरगेहिं सच्छत्तं सज्झयं सघंटं सपडागं सुकयसंधिकम्मं सुसमाहिअसमरकणगगंभीरतुल्लघोसं वरकुप्परं सुचक्कं वरनेमीमंडलं वरधारातोंडं वरवइरबन्द्रतुंबं वरकंचणभूसिअं वरायरिअणिम्मिअं वरतुरगसंपउत्तं वरसारहिसुसंपग्गहिअं वरपुरिसे वरमहारहं दुरूढे आरूढे पवररयणपरिमंडिअं कणयखिखिणीजालसोभिअं अउज्झं सोआमणिकणगतविअपं- कयजासुअणजलणजलि असुअतोंड रागगुंजद्धबंधुजीवगरत्तहिंगुलगणिगरसिंदूररू इलकुं कु मपारे वयचलणणयणकोइलदसणावरणरइतातिरेगरत्तासोगकणगकेसु- अगयतानुसुरिंदगोवगसमप्पभप्पगासं बिंबफलसिलप्पवालउद्वितसूरसरिसं सव्वोउअसुरहिकुसुमआसत्तमल्लदामं ऊसिअसेअज्झयं महामेहरसि - अंगभीरणिद्धघोसं सत्तुहिअयकंपण पभाए अ सस्सिरीअं णामेणं पुहविविजयलंभति विस्सुतं लोगविस्सुतजसो (घं) ऽयं चाउग्घंटं आसरहं पोसहिए णरवई दुरूढे, तए णं से भरहे राया चाउग्घंटं आसरहं दुरूढे समाणे सेसं तहेव दाहिणाभिमुहे वरदामतित्थेणं लवणसमुहं ओगाहइ जाव से रहवरस्स कुप्परा उल्ला जाव पीइदाणं से णवरिं चूडामणिं च दिव्वं उरत्थगेविज्जगं सोणिअसुत्तगं कडगाणि अ डिआणि अ दाहिणिल्ले अंतवाले जाव अट्ठाहिअं महामहिमं करेंति त्ता एअमाणत्तिअं पच्चप्पिणंति, तए णं से दिव्वे चक्करयणे वरदामतित्थकुमारस्स देवस्स अट्ठाहिआए महामहिमाएं निव्वत्ताए समाणीए आउहघरसालाओ पडिणिक्खमइ त्ता अंतलिक्खपडिवण्णे जाव पूरंते चेव अंबरतलं उत्तरपच्चत्थिमं दिसिं पभासतित्याभिमुहं पयाते यावि होत्था, तए णं से भरहे राया तं दिव्वं चक्करयणं जाव उत्तरपच्चत्थिमं दिसिं तहेव जाव पच्चत्थिमदिसाभिमुहं पभासतित्थेणं लवणसमुदं ओगाहेइ त्ता जाव से रहवरस्स कुप्परा उल्ला जाव पीइदाणं से णवरं मालं मउडं मुत्ताजालं हेमजालं कडगाणि य तुडियाणि य आभरणाणि य सरं च णामाहयंकं पभासतित्थोदगं च गिण्हइ त्ता जाव पच्चत्थिमेणं पभासतित्थमेराए अहण्णं देवाणुप्पिआणं विसयवासी जाव पच्चत्थिमिल्ले अंतवाले, सेसं तहेव जाव अट्ठाहिआ निव्वत्ता |४९ । तए प्पं से दिव्वे चक्करयणे पभासतित्थकुमारस्स देवस्स अट्ठाहिआए महामहिमाए णिव्वत्ताए समाणीए आउहघरसालाओ पडिणिक्खमइ ता जाव पूरेंते चेव अंबरतलं सिंधूए महाणईए दाहिणिल्लेणं कूलेणं पुरच्छिमं दिसिं सिंधुदेवीभवणाभिमुहं पयाते आवि होत्था, तए णं से भरहे राया तं दिव्वं चक्करयणं सिंधूए महाणईए दाहिणिल्लेणं कूलेणं पुरत्थिमं दिसिं सिंधुदेवीभवणाभिमुहं पयातं पासइ त्ता हट्ठतुट्ठचित्त० तहेव जाव जेणेव सिंधूए देवीए भवणे तेणेव उवागच्छइ त्ता सिंधूए देवीए भवणस्स अदूरसामंते दुवालसजोअणायामं णवजोयणविच्छिण्णं वरणगरसारिच्छं विजयखंधावारणिवेसं करेइ जाव सिंधुदेवीए अट्ठमभत्तं पगिण्हइ त्ता पोसहसालाए Yoश्री आगमगुणमंजूषा - १२०३ -
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____(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो ३
(२२)
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पोसहिए बंभयारी जाव दब्भसंथारोवगए अट्ठमभत्तिए सिंधुदेविं मणसिं करेमाणे चिट्ठइ, तए णं तस्स भरहस्स रण्णो अट्ठमभत्तसिं परिणममाणंसि सिंधूए देवीए आसणं चलइ, तए णं सा सिंधुदेवी आसणं चलिअं पासइ त्ता ओहिं पउंजइ त्ता भरहं रायं ओहिणा आभोएइ त्ता (तीसे) इमे एआरूवे अब्भत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था-उप्पण्णे खलु भो जंबुद्दीवे दीवे भरहे वासे भरहे णामं राया चाउरंतचक्कवट्टी; तं जीअमेअंतीपच्चुप्पण्णमणागयाणं सिंधूणं देवीणं भरहाणं राईणं उवत्थाणिअं करेत्तए, तं गच्छामि णं अहंपि भरहस्स रण्णो उवत्थाणिअं करेमित्तिकटु कुंभट्ठसहस्सं रयणचित्तं णाणामणिकणगरयणभत्तिचित्ताणि ॥ अ दुवे कणगभद्दासणाणि य कडगाणि अ तुडिआणि अ जाव आभरणाणि य गेण्हइ त्ता ताए उक्किट्ठाए जाव एवं वयासी-अभिजिए णं देवाणुप्पिएहिं केवलकप्पे (दाहिणे) भरहे वासे अहण्णं देवाणुप्पिआणं विसयवासिणी अहण्णं देवाणुप्पिआणं आणत्तिकिंकरी तं पडिच्छंतुणं देवाणुप्पिआ ! मम इमं २ एआरूवं पीइदाणंतिकटु कुंभट्ठसहस्सं रयणचित्तं णाणामणिकणगकडगाणि अजाव सो चेव गमोजाव पविसज्जइ, तए णं से भरहे राया पोसहसालाओ पडिणिक्खमइत्ता जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइत्ता बहाए कयबलिकम्मे जाव जेणेव भोअणमंडवे तेणेव उवागच्छइत्ता भोअणमंडवंसि सुहासणवरगए अट्ठमभत्तं परियादियइ त्ता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे णिसीअइ त्ता अट्ठारस सेणिप्पसेणीओ सद्दावेइ त्ता जाव अट्ठाहिआए महामहिमाए० तमाणत्तिअं पज्जप्पिणंति ।५०।तए णं से दिव्वे चक्करयणे सिंधूए देवीए अट्ठाहिआए महामहिमाए णिव्वत्ताए समाणीए आउहघरसालाओ तहेव जाव उत्तरपुरच्छिमं दिसिं वेअद्धपव्वयाभिमुहं पयाए आवि होत्था, तए णं से भरहे राया जाव जेणेव वेअद्धपव्वए जेणेव वेअद्धस्स पव्वयस्स दाहिणिल्ले णितंवे तेणेव उवागच्छइ त्ता वेअद्धस्स पव्वयस्स दाहिणिल्ले णितंबे दुवालसजोअणआयामं णवजोयणविच्छिण्णं वरणगरसरिच्छं विजयखंधावारनिवेसं करेइ त्ता जाव वेअद्धगिरिकुमारस्स देवस्स अट्ठमभत्तं पगिण्हंइ त्ता पोसहसालाए जाव अट्ठमभत्तिए वेअद्धगिरिकुमारं देवं मणसि करेमाणे २ चिट्ठइ, तए णं तस्स भरहस्स रण्णो अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि वेअद्धगिरिकुमारस्स देवस्स आसणं चलइ, एवं सिंधुगमो णेअव्वो, पीइदाणं आभिसेक्कं (हत्थिरयणं) रयणालंकारं कडगाणि य तुडिआणि य वत्थाणि य आभरणाणि य गेण्हइ त्ता ताए उक्किट्ठाए जाव अट्ठाहिअं जाव पच्चप्पिणंति, तए णं से दिव्वे चक्करयणे अट्ठाहियाए महामहिमाए णिव्वत्ताए समाणीए जाव पच्चत्थिमं दिसिं तिमिस्सगुहाभिमुहं पयाए यावि होत्था, तए णं से भरहे राया तं दिव्वं चक्करयणं जाव पच्चत्थिमं दिसिं तिमिस्सगुहाभिमुहं पयातं पासइ त्ता हट्ठतुट्ठचित्त जाव तिमिस्सगुहाए अदूरसामते दुवालसजोअणायाम णसजोअणविच्छिण्णं जाव कयमालस्स देवस्स अट्ठमभत्तं पगिण्हइत्ता पोसहसालाए पोसहिए बंभयारी जाव कयमालगं देवं मणसिं करेमाणे २ चिट्ठइ, तएणं तस्स भरहस्स रण्णो अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि कयमालस्स देवस्स आसणं चलइ तहेव जाव (जहा) वेअद्धगिरिकुमारस्स णवरं पीइदाणं इत्थीरयणस्स तिलचोद्दसंभ भंडालंकारं कडगाणि य जाव आभरणाणि य गेण्हइ त्ता ताए उक्किट्ठाए जाव सक्कारेइ सम्माणेइ त्ता पडिविसज्जेइ जाव भोअणमंडवे, तहेव महामहिमा कयमालस्स, पच्चप्पिणंति ।५१। तए णं से भरहे राया कयमालस्स अट्ठाहियाए महामहिमाए णिव्वत्ताए समाणीए सुसेणं सेणावई सद्दावइ त्ता एवं वयासी-गच्छाहिं णं भो देवाणुप्पिआ ! सिंधूए महाणईए पच्चत्थिमिल्लं णिक्खुडं ससिंधुसागरगिरिमेरागं समविसमणिक्खुडाणि य ओअवेहि त्ता अग्गाई वराई रयणाई पडिच्छाहि त्ता ममेअमाणत्तिअंपच्चप्पिणाहि, तते णं से सेणावई बलस्सणेआ भरहे वासंमि विस्सुअजसे महाबलपरक्कमे महप्पा ओअंसी तेअलक्खणजुत्ते मिलक्ख-भासाविसारए चित्तचारूभासी भरहे वासंमि णिक्खुडाणं निण्णाण य दुग्गमाण य दुप्पवेसाण य विआणए अत्थसत्थकुसले रयणं सेणावई सुसेणे भरहेणं रण्णा एवं वुत्ते समाणे
हट्ठतुट्ठचित्तमाणंदिए जाव करयलपरिग्गहिअं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु एवं सामी ! तहत्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ त्ता भरहस्स रण्णो म अंतिआओ पडिणिक्खमइत्ता जेणेव सए आवासे तेणेव उवागच्छइत्ता कोडुबिअपुरिसे सद्दावेइ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिआ ! आभिसेक्कं हत्थिरयणं म पडिकप्पेह हयकयरहपवर जाव चाउरंगिणिं सेण्णं सण्णाहेहत्तिकटु जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइ त्ता मज्जणघरं अणुपविसइ त्ता बहाए कयबलिकम्मे
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5 55555555555555555555श्री आगमगुणमंजूषा - १२०४॥355555555555555555555555OOK
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वाजपूतावाति समारो३र३]
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कयकोउअमंगलपायच्छित्ते सन्नद्धबद्धवम्मिअकवए उप्पीलिअसरासणपट्टिए पिणद्धगेविजे बद्भविमलवरचिधपट्टे गहिआउहप्पहरणे अणेगगणनायगदंडनायग जाव सद्धि संपरिबुडे सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं मंगलजयसद्दकयालोए मज्जणघराओ पडिणिक्खमइ त्ता जेणेव बाहिरिआ उवट्ठाणसाला जेणेव आभिसेक्के हत्थिरयणे तेणेव उवागच्छइ त्ता आभिसेक्कं हत्थिरयणं दुरूढे, तए णं से सुसेणे सेणावई हत्थिखंधवरगए सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं हयगयरहपवरजोहकलिआए एवं चाउरंगिणीए सेणाए सद्धि संपरिवुडे महयाभडचडगरपहगरवंदपरिक्खित्ते महयाउक्किट्ठसीहणाय-बोलकलकलसद्देणं समुद्दरवभूयंपिव करेमाणे २ सव्विद्धीए सव्वज्जुईए सव्वबलेणं जाव निग्घोसनाइएणं जेणेव सिंधू महाणई तेणेव उवागच्छइ त्ता चम्मरयणं परामुसइ, ते (त) एणं तं सिरिवच्छसरिसरूवं मुत्ततारद्धचंदचित्तं अयलमकंपं अभेज्जकवयं जंतं सलिलासु सागरेसु य उत्तरणं दिव्वं चम्मरयणं सणसत्तरसाइं सव्वधन्नाइं जत्थ रोहंति एगदिवसेण बाविआई, वासं णाऊण चक्कवट्टिणा परामुढे दिव्वे चम्मरयणे दुवालस जोअणाई तिरिअं पवित्थरइ तत्थ साहिआई, तए णं से दिव्वे चम्मरयणे सुसेणसे णावइणा परामुढे समाणे खिप्पामेव णावाभूए जाए आवि होत्था, तए णं से सुसेणे सेणावई सखंधावारबलवाहणे णावाभूयं चम्मरयणं दुरूहइत्ता सिंधु महाणई विमलजलतुंगवीचिं णावाभूएणं चम्मरयणेणं सबलवाहणे ससेणे समुत्तिण्णे, तओ महाणईमुत्तरित्तुं सिंधु अप्पडिहयसासणे य सेणावई कहिंचि गामागरणगरपव्वयाणि खेडकब्बडमडंबाणि पट्टणाणि सिंहलए बब्बरए य सव्वं च अंगलोअं वलायलोअं च परमरम्मं जवणदीवं च पवरमणिकणगरय णकोसागारसमिद्धं आरबके रोमके य अलसंडविसयवासी पिक्खुरे कालमुहे जोणए य उत्तरवेअद्धसंसिआओ य मेच्छजाईओ बहुप्पगाराओ दाहिणअवरेण जाव सिंधुसागरंतोत्ति सव्वपवरकच्छं च ओअवेऊण पडिणिअत्तो बहुसमरमणिज्जे य भूमिभागे तस्स कच्छस्स सुहणिसण्णे, ताहे ते जणवयाणं णगराणं पट्टणाण यजे य तहिं सामिआ पभूआ आगरपती य मंडलपती य पट्टणपती य सव्वे ते घेत्तूण पाहुडाइं आभरणाणि य रयणाणि य भूसणाणि य वत्याणि य महरिहाणि अण्णं च जं वरिटुं रायारिहं जंच इच्छिअव्वं एअं सेणावइस्स उवणेति मत्थयकयंजलिपुडा, पुणरवि काऊण अंजलिं मत्थयंमि पणया तुब्भे अम्हेऽत्थ सामिआ देवयंव सरणागया मो तुब्भे विसयवासिणोत्ति विजयं जंपमाणा सेणावइणा जहारिहं ठविअ पूइअ विसज्जिआ णिअत्ता सगाणि णगराणि पट्टणाणि अणुपविट्ठा, ताहे सेणावई सविणओ घेत्तूण पाहुडाई आभरणाणि भूसणाणि रयणाणि य पुणरवि तं सिंधुणामघेजं उत्तिण्णे अणहसासणबले, तहेव भरहस्स रण्णो णिवेएइ त्ता य अप्पिणित्ता य पाहुडाई सक्कारिअसम्माणिए सहरिसे विसज्जिए सगं पडमंडवमइगए, तते णं सुसेणे सेणावई ण्हाए कयबलिकम्मे कयकोउअमंगलपायच्छित्ते जिमिअभुत्तुत्तरागए समाणे सरसगोसीसचंदणुक्खित्तगायसरीरे उप्पिं पासायवरगए फुट्टमाणेहिं मुइंगमत्थएहिं बत्तीसइबद्धेहिं णाडएहिं वरतरूणीसंपउत्तेहिं उवणच्चिज्जमाणे उवगिज्जमाणे उवलालिज्जमाणे महयाहयणट्टगीअवाइअतंतीतलतालतुडिअघणमुइंगपडुप्पवाइअरवेणं इढे सद्दफरिसरसरूवगंधे पंचविहे माणुस्सए कामभोगे भुंजमाणे विहरइ ।५२तए णं से भरहे राया अण्णया कयाई सुसेणं सेणावइं सद्दावेइ त्ता एवं वयासी-गच्छ णं खिप्पामेव भो देवाणुप्पिआ ! तिमिस्सगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडे विहाडेहि त्ता मम एअमाणत्तिअं पच्चप्पिणाहि, तए णं से सुसेणे सेणावई भरहेणं रण्णा एवं वुत्ते समाणे हट्टतुट्ठचित्ते जाव करयलपरिग्गहिअं मत्थए अंजलिं कटुट जाव पडिसुणेइ त्ता भरहस्स रण्णो अंतियाओ पडिणिक्खमइ त्ता जेणेव सए आवासे जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ त्ता दब्भसंथारगं संथरइ जाव कयमालगस्स देवस्स अट्ठमभत्तं पगिण्हइ पोसहसालाए पोसहिए बंभयारी जाव अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि पोसहसालाओ पडिणिक्खमइत्ता जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइ त्ता बहाए कयबलिकम्मे कयकोउअमंगलपायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाइं मंगलाई वत्थाई पवरपरिहिए अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे धूवपुप्फगंधमल्लहत्थगए मज्जणघराओ पडिणिक्खमइत्ता जेणेव तिमिस्सगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडा तेणेव पहारेत्थ गमणाए, तए णं तस्स सुसेणस्स सेणावइस्स बहवे राईसरतलवरमाडंबिअजावसत्थवाहप्पभियओ अप्पेगइआ उप्पलहत्थगया जाव सुसेण सेणावई पिट्ठओ २ अणुगच्छंति, तएणं तस्स सुसेणस्स फ़
सेणावइस्स बहूईओ खुज्जाओ चिलाइआओ जाव इंगिअचितिअपत्थिअविआणिआओ णिउणकुसलाओ विणीआओ अप्पेगइआओ कलसहत्थगयाओ जाव mero5 555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १२०५5555555555555555555555OOR
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103955555555555555
(१८) जंबूदीवपन्नत्ति बक्खारो ३ २४]
$$$$$ $$$ $25.CR अणुगच्छंति, तए णं से सुसेणे सेणावई सव्विद्धीए जाव णिग्घोसणाइएणं जेणेव तिमिस्सगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडा तेणेव उवागच्छइ त्ता आलोए पणामं करेइ त्ता लोमहत्थगं परामुसइ त्ता तिमिस्सगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडे लोमहत्थेणं पमज्जइ त्ता दिव्वाए उदगधाराए अब्भुक्खेइ त्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं पंचंगुलितले चच्च (प्र० क) एय दलेइ त्ता अग्गेहिं वरेहिं गंधेहि य मल्लेहि य अच्चिणेइत्ता पुप्फारूहणं जाव वत्थारूहणं करेइत्ता आसत्तोसत्तविपुलवट्ट जाव करेइ ता अच्छेहि सण्हेहिं रययामएहिं अच्छरसातंडुलेहिं तिमिस्सगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडाणं पुरओ अट्ठमंगलए आलिहइ तं०-सोत्थियसिरिवच्छ जाव कयग्गहगहिअकरयलपब्भट्ठ० चंदप्पभवइरवेरूलिअविमलदंडं जाव धूवं दलयइत्ता वामं जाणुं अंचेइत्ता करयल जाव मत्थए अंजलिं कटु कवाडाणं पणामं करेइत्ता दंडरयणं परामुसइ, तए णं तं दंडरयणं पंचलइअंवइरसारमइअं विणासणं सव्वसत्तुसेण्णाणं खंधावारेणरवइस्स गइडादरिविसमपब्भारगिरिवरपवायाणं समीकरणं संतिकरं सुभकरं हितकरं रण्णो हिअइच्छिअमणोरहपूरगं दिव्वमप्पडिहयं दंडरयणं गहाय सत्तट्ठ पयाई पच्चोसक्कइ त्ता तिमिस्सगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडे दंडरयणेणं महया २ सद्देणं तिक्खुत्तो आउद्देइ, तए णं तिमिस्सगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडा सुसेणसेणावइणा दंडरयणेणं महया २ सद्देणं तिक्खुत्तो आउट्टिया समाणा महया २ सद्देणं कोंचारवं करेमाणा सरसरस्स सगाई २ ठाणाइ पच्चोसक्कित्था, तए णं से सुसेणे सेणावई तिमिस्सगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडे विहाडेइ त्ता जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छइ त्ता जाव भरहं रायं करयलपरिग्गहिअंजएणं विजएणं वद्धावेइ त्ता एवं वयासीविहाडिआ णं देवाणुप्पिआ ! तिमिस्सगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडा एअण्णं देवाणुप्पिआणं पिअंणिवेएमो पिअं भे भवउ, तए णं से भरहे राया सुसेणस्स सेणावइस्स अंतिए एअमटुं सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठचित्तमाणंदिए जाव हिअए सुसेणं सेणावई सक्कारेइ सम्माणेइ त्ता कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ त्ता एवं वयासीखिप्पामेव भो देवाणुप्पिआ ! आभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेह हयगयरहपवर तहेव जाव अंजणगिरिकूडसण्णिभं गयवरं णरवई दुरूढे ।५३। तए णं से भरहे राया मणिरयणं परामुसइ तोतं चउरंगुलप्पमाणमित्तं च अणग्धं तंसिअं छलसं अणावमजुई दिव्वं मणिरयणपतिसमं वेरूलिअं सव्वभूअकंतं जेण व मुद्धागएणं दुक्खं ण किंचिं जाति हवइ अरोगे सव्वकालं तेरिच्छिअदेवमाणसकया य उवसग्गा सव्वे ण करेंति तस्स दुक्खं संगामेऽवि असत्थवज्झो होइ णरो मणिवरं धरेतो ठिअजोव्वणकेसअवट्ठिअणहो हवइ य सव्वभयविप्पमुक्को, तं मणिरयणं गहाय से णरवई हत्थिरयणस्स दाहिणिल्लाए कुंभीए णिक्खिवइ, तए णं से भरहाहिवे णरिदे हारोत्थयसुकयरइअवच्छे जाव अमरवइसण्णिभाए इद्रीए पहिअकित्ती मणिरयणकउज्जोए चक्करयणदेसिअमरगे अणेगरायसहस्साणुआयमग्गे महयाउक्किट्ठसीहणायबोल कलकलरवेणं समुद्दरवभूअंपिव करेमाणे २ जेणेव तिमिस्सगुहाए दाहिणिल्ले दुवारे तेणेव उवागच्छइ ता तिमिस्सगुहं दाहिणिल्लेणं दुवारेणं अईइ ससिव्व मेहंधयारनिवहं. तए णं से भरहे राया छत्तलं दुवालसंसिअं अट्ठकण्णिअं अहिगरणिसंठिअं अट्ठसोवण्णिअं कागणिरयणं परामुसइ, तए णं तं चउरंगुलप्पमाणमित्तं अट्ठसुवण्णं च विसहरणं अउलं चउरंससंठाणसंठिअं समतलं माणुम्माणपमाणजोगा जतो (जा ता) लोगे चरंति सव्वजणपण्णवगा (प्र०जच्वंजणगा) णइ व चंदो णइ व तत्थ सूरे णइ व अग्गी णइ व तत्थ मणिणो तिमिरं णासेति अंधयारे जत्थ तयं दिव्वभावजुत्तं. दुवालसजोअणाइं तस्स लेसाउ विवड्ढति तिमिरणियरपडिसेहिआओ, रत्तिं च सव्वकालं खंधावारे करेइ आलोअं दिवसभूअं जस्स पभावेण चक्कवट्टी तिमिस्सगुहं अतीति सेण्णसहिए अभिजेत्तुं बितिअमद्धभरह. रायवरे कागणिं गहाय तिमिस्सगुहाए पुरच्छिमिल्लपच्चत्थिमिल्लेसु कडएसुं जोअणंतरिआई पंचधणुसयविक्खंभाई जोअणुज्जोअकराई चक्कणेमीसंठिआई चंदमंडलपडिणिकासाइं एगणपण्णं मंडलाइं आलिहमाणे २ अणुप्पविसइ, तए णं सा तिमिस्सगुहा भरहेणं रण्णा तेहिं जोयणंतरिएहिं जाव
जोअणुज्जोअकरेहिं एगूणपण्णाए मंडलेहिं आलिहिज्जमाणेहिं खिप्पामेव आलोगभूआ उज्जोअभूआ दिवस (प्र० दीवसय) भूआ जाया यावि होत्था ।५४। तीसे णं क तिमिस्सगुहाए बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं उम्मग्गणिमग्गजलाओ णाम दुवे महाणईओ पं०. जाओ णं तिमिस्सगुहाए पुरच्छिमिल्लाओ भित्तिकडगाओ पवुढाओ २ समाणीओ पच्चत्थिमेणं सिंधुमहाणई समप्पति, से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ उम्मग्गणिमग्गजलाओ महाणईओ ?, गो० ! जण्णं उम्मग्गजलाए महाणईए तणं वा
$$$$55555555श्री आगमगुणमंजूषा- १२०६45555555555555555555
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्स्खारो ३
[29]
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पत्तं वा कटुं वा सक्करा वा आसे वा हत्थी वा रहे वा जोहे वा मणुस्से वा पक्खिप्पर तण्णं उम्मग्गजला महाणई तिक्खुत्तो आहुणिअ २ एगंते थलंसि एडेइ. जण्णं णिमग्गजलाए महाणईए तणं वा जाव मणुस्से वा पक्खिप्पर तण्णं णिमग्गजला महाणई तिक्खुत्तो आहुणिअ २ अंतो जलंसि णिमज्जावेइ. से तेणद्वेणं गो० ! एवं वुच्चइ - उम्मग्गणिमग्गजलाओ, तए णं से भरहे राया चक्करयणदेसिअमग्गे अणेगराय० महया० उक्किट्ठसीहणाय जाव करेमाणे सिंधूए महाणईए पुरच्छिमिल्लेणं कूलेणं जेणेव उम्मग्गजला महाणई तेणेव उवागच्छइ त्ता वद्धइरयणं सद्दावेइ त्ता एवं वयासी - खिप्पामेव भो देवाणुप्पि ! उम्मग्गणिमग्गजलासु महाणईसु अणेगखंभसयसण्णिविट्ठे अयलमकंपे अभेज्जकवए सालंबणबाहाए सव्वरयणामए सुहसंकमे करेहि त्ता मम एअमाणत्तिअं खिप्पामेव पच्चप्पिणाहि, तए णं से वद्धरणे भरणं रण्णा एवं वृत्ते समाणे हद्वतुट्ठचित्तमाणंदिए जाव विणएणं पडिसुणेइ त्ता खिप्पामेव उम्मग्गणिमग्गजलासु महाणईसु अणेगखंभसयसण्णिविद्वे जाव सुहसंक करेइत्ता जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छइ ता जाव एअमाणत्तिअं पच्चप्पिणइ, तए णं से भरहे राया सखंधावारवले उम्मग्गणिमग्गजलाओ महाणईओ तेहिं अणेगखंभसयसण्णिविद्वेहिं जाव सुहसंकमेहिं उत्तरेइ, तए णं तीसे तिमिस्सगुहाए उत्तरिल्लस्स दुवारस्स कवाडा सयमेव महया २ कोंचारवं करेमाणा सरसरसरस्स सगाई ठाणाई पच्चोसक्कित्था (प्र० या) |५५ | तेणं कालेणं० उत्तरइढभरहे वासे बहवे आवाडा णामं चिलाया परिवसंति अड्ढा दित्ता वित्ता विच्छिण्णविउलभवणसयणासणजाणवाहणाइन्ना बहुधणबहुजायरूवरयया आओगपओगसंपत्ता विच्छड्डिअपउरभत्तपाणा बहुदासीदासगोमहिसगवेलगप्पभूआ बहुजणस्स अपरिभूआ सूरा वीरा विक्कंता विच्छिण्णविउलबलवाहणा बहूसु समरसंपराएस लद्धलक्खा यावि होत्था, तए णं तेसिमावाडचिलायाणं अण्णया कयाई विसयंमि बहूई उप्पाइअसयाइं पाउब्भवित्था, तं० - अकाले गज्जिअं अकाले विज्जुआ अकाले पायवा पुप्फंति अभिक्खणं २ आगासे देवयाओ णच्वंति, तए णं ते आवाडचिलाया विसरांसि बहूई उप्पाइअसयाई पाउब्भूयाइं पासंति त्ता अण्णमण्णं सद्दावेति त्ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिआ ! अम्हं विससि बहूई उप्पाइअसयाई पाउब्भूआई तं०-अकाले गज्जिअं अकाले विज्जुआ अकाले पायवा पुप्फंति अभिक्खणं २ आगासे देवयाओ णच्वंति, तं ण णज्जइ णं देवाणुप्पिआ ! अम्हं विसयस्स के मन्ने उवद्दवे भविस्सइत्तिकट्टु ओहयमणसंकप्पा चिंतासोगसागरं पविट्ठा करयलपल्हत्थमुहा अट्टज्झाणोवगया भूमिगयदिट्ठिआ झिआयंति, तए णं से भरहे राया चक्करयणदेसिअमग्गे जाव समुद्दरवभूअंपिव करेमाणे २ तिमिस्सगुहाओ उत्तरिल्लेणं दारेणं णीति ससिव्व मेहंधयारणिवहा. तए णं ते आवाडचिलाया भरहस्स रण्णो अग्गाणीअं एज्नमाणं पासंति ता आसुरूत्ता रूट्ठा चंडिक्किआ कुविआ मिसिमिसेमाणा अण्णमण्णं सद्दावेति त्ता एवं वयासी एस णं देवाणुप्पि ! केई अप्पत्थिअपत्थए दुरंतपंतलक्खणे हीणपुण्णचाउद्दसे हिरिसिरिपरिवज्जिए जे णं अमकहं विसयस्स उवरिं विरि (प्र० स्स वरवरि) एणं हव्वमागच्छइ तं तहाणं घत्तामो देवाणुप्पिआ ! जहा णं एस अम्हं विसयस्स उवरिं विरिएणं णो हव्वमागच्छइत्तिकट्टु अण्णमण्णस्स अंतिए एअमहं पडिसुर्णेति त्ता सण्णद्धबद्धवम्मियकवआ उप्पीलिअसरासणपट्टिआ पिणद्धगेविज्जा बद्धआविद्धविमलवरचिंधपट्टा गहिआउहप्पहरणा जेणेव भरहस्स रण्णो अग्गाणीअं तेणेव उवागच्छंति त्ता रण्णो अग्गाणीएण सद्धिं संपलग्गा यांवि होत्था, तए णं ते आवाडचिलाया भरहस्स रण्णो अग्गाणीअं हयमहितपवरवीरघाइअविवडिअचिंधद्धयपडागं किच्छप्पाणोवरायं दिसोदिसिं पडिसेहिंति । ५६ । तए णं से सेणावलस्स णेआ वेढो जाव भरहस्स रण्णो अग्गाणीअं आवाडचिलाएहिं हयमहियपवरवीर जाव दिसोदिसं पडिसेहिअं पासइ त्ता आसुरूत्ते रूट्ठे चंडिक्किए कुविए मिसिमिसेमाणे कमलामेलं आसरयणं दुरूहइ, तए णं तं असीइमंगुलमूसिअं णवणउइमंगुलपरिणाहं अट्ठसयमंगुलमाततं बत्तीसमंगलमूसिअसिरं चउरंगुलकन्नागं वीसइअंगुलबाहागं चउरंगुलजण्णूकं सोलसअंगुलजंघागं चउरंगुलमूसिअखुरं मुत्तोलीसंवत्तवलिअमज्झं ईसिंअंगुलपणयपठ्ठे संणयपठ्ठे संगयपठ्ठे सुजायपठ्ठे पसत्थपङ्कं विसिट्ठपट्टं एणीजाणुण्णयवित्थयथद्धपट्टं वित्तलयकसणिवायअंकेल्लणपहारपरिवज्जिअगं तवणिज्जथासगाहिलाणं वरकणगसुफुल्लथासगं विचित्तरयणरज्जुपासं-कंचणमणिकणगपयरगणाणाविहघंटिआजालमुत्तिआजालएहिं परिमंडियेणं पट्टेण सोभमाणेणं सोभमाणं कक्केयणइंदनीलमरगयमसा-रगल्लमुहमंडणरइअं आविद्धमाणिक्कसुत्तगविभूसियं कणगामयपउमसुकयतिलकं देवमइविकप्पिअं सुरवरिंदवाहणजोग्गावयं (प्र०
GK9
श्री आगमगुणमंजूषा - १२०७
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NUG 24 25 2 4 4 4 4 4 4 4 4 4 4 4 4
(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो ३
[२६]
जोग्गं च) सुरूवं दूइज्जमाणपंचचारुचामरामेलगं धरेतं अण (द, पण पां०) ब्भवाहं अभे (प्र० चे) लणयणं कोकासिअबहलपत्तलच्छं सयावरणनवकणगतविअतवणिज्जतालुजीहासयं सिरिआभिसेअघोणं पोक्खरपत्तमिव सलिलबिंदुजुअं अचंचलसरीरं चोक्खचरगपरिव्वायगोविव हिलीयमाणं खुरचलणपुव्वपुडेहिं धरणिअलं अभिहणमाणं २ दोवि य चलणे जमगसमगं मुहाओ विणिग्गमंतं च सिग्घयाए मुलाणतंतुउदगमवि णिस्साए पक्कमंत जाइकुलरूवपच्चयप-(२१३) सत्थबारसावत्तविसुद्धलक्खणं सुकुलप्पसूअं मेहाविं भद्दयं विणीअं अणुकतणुरू सुकुमाललोमनिद्धच्छाविं सुजायं
अमरमणपवणगरूलजइणं चवलसिग्घगामिं इसिव खं तिखमं सुसीसमिव पच्चक्खयाविणीयं उदगहुतवहपासाणपं सुकद्दमस
Q550D
सक्करसवालुइल्लतडकडगविसमपब्भारगिरिदरीसु लंघणपिल्लणणित्थारणासमत्थं अचंडपाडियं दंडयातिं अणंसुपातिं अकालतालुं च कालहेसिं जिअनिद्दं गवेसंग जिअपरिसहं जच्चजातीअं मल्लिहाणि सुगपत्तसुवण्णकोमलं मणाभिरामं कमलामेलं णामेणं आसरयणं सेणावई कमेणं समभिरूढे कुवलयदलसामलं च रयणिकरमंडलनिभं सत्तुजणविणासणं कणगरयणदंडं णवमालिअपुप्फसुरहिगंधि णाणामणिलयभत्तिचित्तं च पहोतमिसिमिसिंततिक्खधारं दिव्वं खग्गरयणं लोके अणोवमाणं तं च पुणो वंसरूक्खसगट्ठिदंतकालायसविपुललोहदंडकवरवइरभेदकं जाव सव्वत्थ अप्पडिहयं किं पुण देहेसु जंगमाणं ? - पण्णासंगुलदीहो सोलस से अंगुलाई विच्छिण्णो । अद्धंगुलसोणीक्को जेट्ठपमा णो असी भणिओ ||१८|| असिरयणं, णरवइस्स हत्थाओ तं गहिऊण जेणेव आवाडचिलाया तेणेव उवागच्छइ ता आवाडचिलाएहिं सद्धिं संपलग्गे आवि होत्था, तए णं से सुसेणे सेणावई ते आवाडचिलाए हयमहिअपवरवीरघाइअ जाव दिसोदिसिं पडिसेहेइ | ५७ | तए णं ते आवाड चिलाया सुसेणसेणावइणा हयमहिआ जाव पडिसेहिया समाणा भीआ तत्था वहिआ उव्विग्गा संजायभया अत्थामा अबला अवीरिआ अपुरिसक्कारपरक्कमा अधा (प्र० क) रणिज्जमितिकट्टु अणेगाई जोअणाई अवक्कमंति त्ता एगयओ मिलायंति त्ता जेणेव सिंधू महाणई तेणेव उवागच्छंति त्ता वालुआसंथारए संघरेति ता वालुआसंथारए दुरूहंति त्ता अट्ठममत्ताइं पगिण्हंति वालुआसंथारोवगया उत्ताणगा अवसणा अट्ठमभत्तिआ जे तेसिं कुलदेवया मेहमुहा णामं णागकुमारा देवा मणसि करेमाणा २ चिट्ठति, तए णं तेसिमावाडचिलायाणं अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि मेहमुहाणं णागकुमाराणं देवाण आसणाई चलंति, तए णं ते मेहमुहा नागकुमारा देवा आसणाई चलिआई पासंति त्ता ओहिं पउजंति त्ता आवाडचिलाए ओहिणा ओभोएति त्ता अण्णमण्णं सद्दावेति त्ता एवं वयासी एवं खलु देवाप्पि ! जंबुद्दीवे उत्तरद्धभरहे वासे आवाडचिलाया सिंधूए महाणईए वालुआसंथारोवगया उत्ताणगा अवसणा अट्ठमभत्तिआ अम्हे कुलदेवए मेहमुहे णागकुमारे देवे मणसीकरेमाणा २ चिट्ठति, तं सेअं खलु देवाणुप्पिआ ! अम्हं आवाडचिलायाणं अंतियं पाउब्भवित्तएत्तिकट्टु अण्णमण्णस्स अंतियं एअमट्ठे पडिसुणेति ता ताए उक्किट्ठाए तुरिआए जाव वीतिवयमाणा २ जेणेव जंबुद्दीवे उत्तरद्धभरहे वासे जेणेव सिंधू महाणई जेणेव आवाडचिलाया तेणेव उवागच्छंति त्ता अंतलिक्खपडिवण्णा संखिखिणिआई पंचवण्णाई वत्थाई पवरपरिहिआ ते आवाडचिलाए एवं वयासी हंभो आवाडचिलाया ! जण्णं तुब्भे देवाणुप्पिआ ! वालुआसंथारोवगया उत्ताणगा अवसणा अट्ठमभत्तिआ अम्हे कुलदेवए मेहमुहे णागकुमारे देवे मणसीकरेमाणा २ चिट्ठह तए णं अम्हे मेहमुहा नागकुमारा देवा तुब्भं कुलदेवया तुम्हं अंतियं पाउब्भूआ, तं वदह णं देवाणुप्पिआ ! किं करेमो किं आउट्टामो के वा भे समणसाइए ?, तए णं ते आवाडचिलया मेहमुहाणं णागकुमाराणं देवाणं अंतिए एअमट्ठे सोच्चाणिसम्म हट्ठतुट्ठचित्तमाणंदिया जाव हिअया उट्ठाए उट्ठेन्ति त्ता जेणेव मेहमुहा णागकुमारा देवा तेणेव उवागच्छंति त्ता करयलपरिग्गहियं जाव अंजलिं कट्टु मेहमुहे नागकुमारे देवे जएणं विजएणं वद्भावेति ता एवं वयासी एस णं देवाणुप्पिया ! केई अपत्थि अपत्थए दुरंतपंतलक्खणे जाव हिरिसिरिपरिवज्जिए जेणं अम्हं विसयस्स उवरिं (प्र० अवर) विरिएणं हव्वमागच्छइ, तं तहा णं घत्तेह देवाणुप्पिआ ! जहा णं एस अम्हं विसयस्स उवरिं (प्र० अवर) विरिएणं णो हव्वमागच्छइ, तए णं ते मेहमुहा ागकुमारा देवा ते आवाडचिलाए एवं वयासी एस णं भो देवाणुप्पिआ ! भरहे णामं राया चाउरंतचक्कवट्टी महिद्धीए महज्जुई (प्र० त्ती) ए जाव महासोक्खे (प्र० सत्ते), णो खलु एस सक्को केणई देवेण वा दाणवेण वा किण्णरेण वा किंपुरिसेण वा महोरगेण वा गंधव्वेण वा सत्यप्पओगेण वा अग्गिप्पओगेण वा विसपओगेण वा
* श्री आगमगुणमंजूषा १२०८
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मंतप्पओगेण वा उद्दवित्तए वा पडिसेहित्तए वा, तहाविअणं तुब्भं पिअट्ठयाए भरहस्सरण्णो उवसग्गं करेमोत्तिक? तेसिं आवाडचिलायाणं अंतिआओ अवक्कमन्ति त्तावेउव्विअसमुग्घाएणं समोहणंति त्ता मेहाणीअं विउव्वंतित्ता जेणेव भरहस्सरण्णो विजयक्खंधावारणिवेसे तेणेव उवागच्छंति त्ता उप्पिं विजयक्खंधावारणिवेसस्स खिप्पामेव पतणतणायंति ता खिप्पामेव पविज्जुयायन्ति त्ता खिप्पामेव जुगमुसलमुट्ठिप्पमाणमेत्ताहिं धाराहि ओघमेघं सत्तरत्तं वासं वासिउँ पब्बत्ता यावि होत्था ॥ 1५८। तए णं से भरहे राया उप्पिं विजयक्खंधावारस्स जुगमुसलमुट्ठिप्पमाणमेत्ताहिं धाराहिं ओघमेघं सत्तरत्तं वासं वासमाणं पासइत्ता चम्मरयणं परामुसइ, तए णं तं सिरिव (प्र० खिपि) च्छसरिसरूवं वेढो भाणिअव्वो जाव दुवालस जोअणाइं तिरिअं पवित्थरइ तत्थ साहिआई, तए णं से भरहे राया सखंधावारबले चम्मरयणं दुरूहइत्ता दिव्वं छत्तरयणं परामुसइ, तएतं णवणउइसहस्सकंचणसलागपरिमंडिअं महरिहं अउज्झं णिव्वणसुपसत्थविसिट्ठलट्ठकंचणसुपुट्ठदंडं मिउरायय (प्र० णतं) वट्टलट्ठअरविंदकण्णिअसमाणरूवं वत्थिपएसे य पंजरविराइअं विविहभत्तिचित्तं मणिमुत्तपवालतत्ततवणिज्जपंचवण्णिअधोअ (प्र० वेदि) रयणरूवरइयं रयणमरीईसमोप्पणाकप्पकारमणुरंजिएल्लियं रायलच्छिचिंधं अज्नुणसुवण्णपंडुरपच्चत्थुअपट्ठदेसभागं तहेव तवणिज्जपट्टधम्मतपरिगयं अहिअसस्सिरीअं सारयरयणिअरविमलपडिपुण्णचंदमंडलसमाणरूवंणरिंदवामप्पमाणपगइवित्थंडं कुमुदसंडधवलं रण्णो संचारिमं विमाणं सूरातववायवुट्ठिदोसाण खयकरं तवगुणेहिं लद्धं-अहयं बहुगुणदाणं उऊण विवरीअ सुहकयच्छायं । छत्तरयणं पहाणं सुदुल्लह अप्पपुण्णाणं ।।१९।। पमाणराईण तवगुणाण फलेगदेसभागं विमाणवासेवि
दुल्लहतरं वग्धारिअमल्लदामकलावं सारयधवलब्भरययणिगरप्पगासं दिव्वं छत्तरयणं. महीवइस्स धरणिअलपुण्णइंदो, तए णं से दिव्वे छत्तरयणे भरहेणं रण्णा फ परामुढे समाणे खिप्पामेव दुवालस जोअणाई पवित्थरइ साहिआइं तिरिअं ।५९। तए णं से भरहे राया छत्तरयणं खंधावारस्सुवरि ठवेइ त्ता मणिरयणं परामुसइ वेढो
जाव छत्तरयणस्स वत्थिभागंसि ठवेइ, तस्स य अणतीवरं चारूरूवं सिलणिहिअत्थमंतमेत्तसालिजवगोहूममुग्गमासतिल-कुलत्थसट्ठिगनिप्फावचणगकोद्दवकोत्थंभरिकंगुवरालगअणेगधाण्णा-वरणहारिअगं अल्लगमूलगहलिद्दलाउअतउसतुंबकालिंगक-विट्ठअंबअंबिलि-असव्वणिप्फायए सुकुसले गाहावइरयणेत्ति सव्वजणवीसुअगुणे, तए णं से गाहावइरयणे भरहस्स रण्णो तद्दिवसप्पइण्णणिप्फाइअपूइआणं सव्वधण्णाणं अणेगाइं कुंभसहस्साई उवट्ठवेति. तए णं से भरहे राया चम्मरयणसमारूढे छत्तरयणसमोच्छन्ने मणिरयणकज्जोए समुग्गयभूएणं सुहसुहेणं सत्तरत्तं परिवसइ ‘णवि से खुहा ण विलिअंणेव भयं णेव विज्जए दुक्खं । भरहाहिवस्स रण्णो खंधावारस्सवि तहेव ॥२०॥६०। तए णं तस्स भरहस्स रण्णो सत्तरत्तंसि परिणममाणंसि इमेआरूवे अब्भत्थिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था-केस णं भो ! अपत्थिअपत्थए दुरंतपंतलक्खणे जाव परिवज्जिए जे णं मम इमाए एआणुरूवाए जाव अभिसमण्णागयाए उप्पिं विजयखंधावारस्स जुगमुसल० जाव वासे वासइ, तएणं तस्स भरहस्स रण्णो इमेआरूवं अब्भत्थिअंचितियं पत्थिअंमणोगयं संकप्पं समुप्पण्णं जाणित्ता सोलस देवसहस्सा सण्णज्झिउं पवत्ता यावि होत्था, तएणं ते देवा सण्णद्धबद्धवम्मिअकवया जाव गहिआउहप्पहरणा जेणेव ते मेहमुहा णागकुमारा देवा तेणेव उवागच्छंति त्ता मेहमुहे णागकुमारे देवे एवं वयासी-हंभो ! मेहमुहा णागकुमारा ! देवा अप्पत्थियपत्थगा जाव परिवज्जिआ किण्णं तुब्भे ण याणह भरहं रायं चाउरंतचक्कवट्टि महिद्धिअंजाव उद्दवित्तए वा पडिसेहित्तए वा तहाविणं तुब्भे भरहस्स रण्णो विजयखंधावारस्स उप्पिं जुगमुसलमुट्टिप्पमाणमित्ताहिं धाराहिं ओघमेघं सत्तरत्तं वासं वासह, तं एवमवि गते इत्तो खिप्पामेव अवक्कमह अहव णं अज्ज पासह चित्तं जीवलोगं, तए णं ते मेहमुहा णागकुमारा देवा तेहिं देवेहिं एवं वुत्ता समाणा भीआ तत्था वहिआ उब्विग्गा संजायभया मेघानीकं पडिसाहरंति त्ता जेणेव आवाडचिलाया तेणेव उवागच्छंति त्ता आवाडचिलाए एवं वयासी-एसणं देवाणुप्पिआ ! भरहे राया
महिद्धीए जाव णो खलु एस सक्को केणावि देवेण वा जाव अग्गिप्पओगेण वा जाव पडिसेहित्तए वा तहावि पुण अम्हेहिं देवाणुप्पिआ ! तुब्भं पिअट्ठयाए भरहस्स रण्णो + उवसग्गे कए, तं गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिआ! ण्हाया कयबलिकम्मा कयकोउअमंगलपायच्छित्ता उल्लपडसाडगा ओचूलगणिअत्था अग्गाई वराई रयणाइं
गहाय पंजलिउडा पायवडिआ भरहं रायाणं सरणं उवेह, पणिवइअवच्छला खलु उत्तमपुरिसा, णत्थि भे भरहस्स रण्णो अंतिआओ भयमितिकटु, एवं वदित्ता mero555555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १२०९ 555555555555555555$$$$OOK
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो ३
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२८]
历历万历历历万年历五步步步500
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जामेव दिसिं पाउब्भूआ तामेव दिसिं पडिगया, तए णं ते आवाडचिलाया मेहमुहेहिं णागकुमारेहिं देवेहिं एवं वुत्ता समाणा उट्ठाए उट्टेति त्ता बहाया कयबलिकम्मा १ कयकोउअमंगलपायच्छित्ता उल्लपडसाडगा ओचूलगणिअत्था अग्गाई वराइं रयणाइं गहाय जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छंति ता करयलपरिग्गहिअं जाव मत्थए अंजलिं कटु भरहं रायं जएणं विजएणं वद्धाविति त्ता अग्गाई वराइं रयणाइं उवणेति त्ता एवं वयासी-'वसुहर गुणहर जयहर हिरिसिरिधीकित्तिधारक णरिंद ! लक्खणसहस्सधारक रायमिदं णे चिरं धारे ।।२१।। हयवइ गयवइ णरवइ णवणिहिवइ भरहवासपढमवई । बत्तीसजणवयसहस्सराय सामी चिरं जीव ।।२२।।
पढमणरीसर ईसर हिअईसर महिलिआसहस्साणं ।देवसयंसाहसीसर चोइसरणीसर जसंसी ॥२३|| सागरगिरिमेरागं उत्तरपाईणमभिजिअं तुमए । ता अम्हे ॐ देवाणुप्पिअस्स विसए परिवसामो॥२४|| अहोणं देवाणुप्पियाणं इड्ढी जुई जसे बले वीरिए पुरिसक्कारपरक्कमे दिव्वा देवजुई दिव्वे देवाणुभावेलद्धे पत्ते अभिसमण्णगए,
तं दिट्ठा णं देवाणुप्पियाणं इद्धी एवं चेव जाव अभिसमण्णागए, तं खामेसु णं देवाणुप्पिया ! खमंतु णं देवाणुप्पिया ! खंतमरूहंतु णं देवाणुप्पिया ! णाइ भुज्जो २ एवंकरणयाएत्तिकटु पंजलिउडा पायवडिआ भरहं रायं सरणं उविति, तए णं से भरहे राया तेसिं आवाडचिलायाणं अग्गाइं वराई रयणाई पडिच्छति त्ता ते आवाडचिलाए एवं वयासी-गच्छह णं भो तुब्भे ममं बाहुच्छायापरिग्गहिया णिब्भया णिरूव्विग्गा सुहं सुहेणं परिवसह. णत्थि भे कत्तोवि भयमस्थित्तिकटु सक्कारेइ सम्माणेइत्ता पडिविसज्जइ, तए णं से भरहे राया सुसेणं सेणावई सद्दावेइ त्ता एवं वयासी-गच्छाह णं भो देवाणुप्पिआ ! दोच्चंपि सिंधुमहाणईए पच्चत्थिमं णिक्खुडं ससिंधुसागरगिरिमेरागं समविसमणिक्खुडाणि य ओअवेहित्ता अग्गाइं वराई रयणाई पडिच्छाहित्ता मम एअमाणत्तिअंखिप्पामेव पच्चप्पिणाहि जहा दाहिणिल्लस्स ओयवणं तहा सव्वं भाणिअव्वं जाव पच्चणुभवमाणा विहरंति।६१शतएणं दिव्वे चक्करयणे अण्णया कयाई आउहघरसालाओ पडिणिक्खमइत्ता अंतलिक्खपडिवण्णे जाव उत्तरपुरच्छिमं दिसिं चुल्लहिमवंतपव्वयाभिमुहे पयाते आवि होत्था, तए णं से भरहे राया तं दिव्वं चक्करयणं जाव चुल्लहिमवंतवासहरपव्वयस्स अदूरसामंते दुवालसजोअणायामं जाव चुल्लहिमवंतगिरिकुमारस्स देवस्स अट्ठमभत्तं पगिण्हइ तहेव जहा मागहतित्थस्स जाव समुद्दरवभूअंपिव करेमाणे २ उत्तरदिसाभिमुहे जेणेव चुल्लहिमवंतवासहरपव्वए तेणेव उवागच्छइ त्ता चुल्लहिमवंतवासहरपव्वयं तिक्खुत्तो रहसिरेणं फुसइ त्ता तुरए णिगिण्हइ त्ता तहेव जाव आयतकण्णायतं च काऊण उसुमुदारं इमाणि वयणाणि तत्थ भणिअं से णरवई जाव सव्वे मे ते विसयवासित्तिकटु उद्धं वेहासं उसुं णिसिरइ परिगरणिगरिअमज्झे जाव तए णं से
सरे भरहेणं रण्णा उड्ढं वेहासं णिसढे समाणे खिप्पामेव बावत्तरिंजोअणाई गंता चुल्लहिमवंतगिरिकुमारस्स देवस्स मेराए णिवतति, तएणं से चुल्लहिमवंतगिरिकुमारे 卐 देवे मेराए सरं णिवइअंपासइ त्ता आसुरूत्ते रूढे जाव पीइदाणं सव्वोसहिं च मालं गोसीसचंदणं कडगाणि जाव दहोदगं च गेण्हइ त्ता ताए उक्किट्ठाए जाव उत्तरेणं
चुल्लहिमवंतगिरिमेराए अहण्णं देवाणुप्पिआणं विसयवासी जाव अहण्णं देवाणुप्पिआणं उत्तरिल्ले अंतवाले जाव पडिविसज्जेइ ।६२। तए णं से भरहे राया तुरए णिगिण्हइ त्ता रहं परावत्तेइ त्ता जेणेव उसहकूडे तेणेव उवागच्छइ त्ता उसहकूडं पव्वयं तिक्खुत्तो रहसिरेणं फुसइ त्ता तुरए निगिण्हइ त्ता रहं ठवेइ त्ता छत्तलं दुवालसंसिअं अट्ठकण्णिअं अहिगरणिसंठिअं सोवण्णिअंकागणिरयणं परामुसइत्ता उसभकूडस्स पव्वयस्स पुरथिमिल्लंसि कड़गंसि णामगं आउडेइ-'ओसप्पिणी
इमीसे तइआइ समाइ पच्छिमे भाए। अहमंसि चक्कवट्टी भरहो इअ नामधिज्जेणं ॥२५|| अहमंसि पढमराया अहयं भरहाहिवो णरवरिंदो । णत्थि महं पडिसत्तू जिअं 5 मए भारहं वासं ॥२६।। इतिकटु णामयं आउडेइ त्ता रहं परावत्तेइ त्ता जेणेव विजयखंधावारणिवेसे तेणेव उवागच्छइत्ता जाव चुल्लहितवंतगिरिकुमारस्स देवस्स
अट्ठाहिआए महामहिमाए णिव्वत्ताए समाणीए आउहघरसालाओ पडिणिक्खमइ त्ता जाव दाहिणिं दिसिं वेअद्धपव्वयामिमुहे पयाते आवि होत्था ।६३। तए णं से भरहे राया तं दिव्वं चक्करयणं जाव वेअद्धस्स पव्वयस्स उत्तरिल्ले णितंबे तेणेव उवागच्छइ त्ता वेअद्धस्स पव्वयस्स उत्तरिल्ले णितंबे दुवालसजोयणायामं जाव
पोसहसालं अणुपविसइ जाव णमिविणमीणं विज्जाहरराईणं अट्ठमभत्तं पगिण्हइ त्ता पोसहसालाए जाव णमिविणमिविज्जाहररांयाणो मणसीकरेमाणे २ चिट्ठइ, तए 2 णं तस्स भरहस्स रण्णो अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि णमिविणमिविज्जाहररायाणो दिव्वाए मईए चोइअमई अण्णमण्णस्स अंतिअंपाउन्भवंति त्ता एवं वयासीmoo
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो
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र उप्पण्णे खलु भो देवाणुप्पिआ! जंबुद्दीवे दीवे भरहे वासे भरहे राया चाउरंतचक्कवट्टी तंजीअमेअंतीअपच्चुप्पण्णमणागयाणं विज्जाहरराईणं चक्कवट्टीणं उवत्थाणिअं 卐 करेत्तए, तं गच्छामोणं देवाणुप्पिआ! अम्हेवि भरहस्स रणो उवत्थाणिअं करेमो इतिकटु विणमी णाऊणं चक्कवट्टि दिव्वाए मईए चोइअमई माणुम्माणप्पमाणजुत्तं
तेयंसिं रूवलक्खणजुत्तं ठिअजुव्वणकेसं ठिअणहं सव्वरोगणासणिं बलकरि इच्छिअसीउण्हफासजुत्तं-'तिसु तणुअं तिसु तंब तिवलीगं तिउण्णयं तिगंभीरं । तिसु कालं तिसु सेअं तिआयतं तिसु य विच्छिण्णं ||२७|| समसरीरं भरहे वासंमि सव्वमहिलप्पहाणं सुंदरथपाजघणवदणकरचलणणयणसिरसिजदसणजणहिअयरमणमणहरि सिंगारागार जाव जुत्तोवयारकुसलं अमरवहूणं सुरूवं रूवेणं अणुहरंती सुभई जोव्वणे वट्टमाणिं इत्थीरयणं णमी य रयणाणि य कडगाणि य तुडिआणि य गेण्हइ त्ता ताए उक्किट्ठाए तुरिआए जाव उद्धृआए विज्जाहरगईए जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छंति त्ता अंतलिक्खपडिवण्णा सखिखिणीयाइं जाव विजएणं वद्धावेति त्ता एवं वयासी-अभिजिए णं देवाणुप्पिया ! जाव अम्हे देवाणुप्पियाणं आणत्तिकिंकरा इतिकट्ठ तं पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया ! अम्हं इमं जाव विणमी इत्थीरयणं णमी रयणाई समप्पति, तए णं से भरहे राया जाव पडिविसज्जेइ त्ता पोसहसालाओ पडिणिक्खमइ त्ता मज्जणघरं अणुपविसइत्ता भोअणमंडवे जाव नमिविनमीणं विज्जाहरराईणं अट्ठाहिअमहामहिमा, तए णं से दिव्वे चक्करयणे आउहघरसालाओ पडिणिक्खमइ जाव उत्तरपुरस्थिमं दिसिं गंगादेवीभवणाभिमुंहे पयाए यावि होत्था, सच्चेव सव्वा सिंधुवत्तव्वया जाव नवरं कुंभट्ठसहस्सं रयणचित्तं णाणामणिकणगरयणभत्तिचित्ताणि य दुवे कणगसीहासणाई सेसं तं चेव जाव महिमा ।६४ा तएणं से दिव्वे चक्करयणे गंगाए देवीए अट्ठाहियाए महा जाव आउहघरसालाओ पडिणिक्खमइत्ता जाव गंगाए महाणईए पच्चत्थिमिल्लेणं कूलेणं दाहिणदिसिं खंडप्पवायगुहाभिमुहे पयाए आवि होत्था, तते णं से भरहे राया जाव जेणेव खंडप्पवायगुहा तेणेव उवागच्छइ त्ता सव्वा कयमालकवत्तव्वया णेअव्वा, णवरि णट्टमालगे देवे, पीतिदाणं से आलंकारिअभंडं कडगाणि य सेसं सव्वं तहेव जाव अट्ठाहिआ महामहिमा, तए णं से भरहे राया णट्टमालगस्स देवस्स अट्ठाहिआए म० णिव्वत्ताए समाणीए सुसेणं सेणावई सद्दावेइ त्ता जाव सिंधुगमो णेअव्वो जाव गंगाए महाणईए पुरथिमिल्लं णिक्खुडं सगंगासागरगिरिमेरागं समविसमणिक्खुडाणि य ओअवेइ त्ता अग्गाणि वराणि रयणाणि पडिच्छइ त्ता जेणेव गंगा महाणई तेणेव उवागच्छइ त्ता दोच्चंपि सक्खंधावारबले गंगामहाणइं विमलजलतुंगवीइंणावाभूएणं चम्मरयणेणं उत्तरइत्ता जेणेव भरहस्सरण्णो विजयखंधावारणिवेसे जेणेव बाहिरिआ उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइत्ता आभिसेक्काओ हत्थिरयणाओ पच्चोरूहइ त्ता अग्गाइं वराइं रयणाई गहाय जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छइ त्ता करयलपरिग्गहिअंजाव अंजलिं कटु भरहं रायं जएणं विजएणं
वद्धावेइत्ता अग्गाइं वराइं रयणाई उवणेइ, तए णं से भरहे राया सुसेणस्स सेणावइस्स अग्गाइं वराइं रयणाइं पडिच्छइत्ता सुसेणं सेणावई सक्कारेइं सम्माणेइत्ताई म पडिविसज्जेइ, तए णं से सुसेणे सेणावई भरहस्स रण्णो सेसंपि तहेव जाव विहरइ, तए णं से भरहे राया अण्णया कयाई सुसेणं सेणावइरयणं सद्दावेइ त्ता एवं
वयासी-गच्छ णं भो देवाणुप्पिआ ! खंडगप्पवायगुहाए उत्तरिल्लस्स दुवारस्स कवाडे विहाडेहि त्ता जहा तिमिस्सगुहाए तहा भाणिअव्वं जाव पिअं भे भवउ सेसं
तहेव जाव भरहो तिमिस्सगुहाए उत्तरिल्लेणं दुवारेणं अईइ ससिव्व मेहंधयारनिवह, तहेव पविसंतो मंडलाई आलिहइ, तीसे णं खंडगप्पवायगुहाए बहुमज्झदेसभाए 9 जाव उम्मग्गणिमग्गजलाओ णामं दुवे महाणईओ तहेवणवरं पच्चत्थिमिल्लाओ कडगाओ पवूढाओ समाणीओ पुरत्थिमेणं गंगं महाणइं समप्पेति, सेसं तहेव णवरिं
पच्चत्थिमिल्लेणं कूलेणं गंगाए संकमवत्तव्वया तहेव, तएणं खंडगप्पवायगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडा सयमेव महया २ कोंचारवं करेमाणा २ सरसरसरस्स सगाइं ठाणाई पच्चोसक्कित्था, तए णं से भरहे राया चक्करयणदेसियमग्गे जाव खंडगप्पवायगुहाओ दक्खिणिल्लेणं दारेणं णीणेइ ससिव्व मेहंधयारनिवहाओ।६५
तए णं से भरहे राया गंगाए महाणईए पच्चत्थिमिल्ले कूले दुवालसजोअणायाम णवजोअणविच्छिण्णं जाव विजयक्खंधावारणिवेसं करेइ, अवसिटुं तं चेव जाव ॐ निहिरयणाणं अट्ठमभत्तं पगिण्हइ, तए णं से भरहे राया पोसहसालाए जाव णिहिरयणे मणसीकरेमाणे २ चिट्ठइ, तस्स य अपरिमिअरत्तरयणा धुअमक्खयमव्वया
सदेवा लोकोपचयंकरा उवगया णव णिहिओ लोगविस्सुअजसा, तं०- नेसप्पे पंडुअए पिंगलए सव्वरयण महपउमे । काले अ महाकाले माणवगे महानिही संखे GALLELECucu NEELE15545454555 श्री आगमगुणमंजूषा १२११55555555555555555555555556
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||२८|| णेसप्पंमि णिवेसा गामागरणगरपट्टणाणं च । दोणमुहमडंबाणं खंधावारावणगिहाणं ।।२९|| गणिअस्स य उप्पत्ती माणुम्माणस्स जं पमाणं च । धण्णस्स य बीआण य उप्पत्ती पंडुए भणिआ॥३०॥ सव्वा आभरणविही पुरिसाणं जा य होइ महिलाणं । आसाण य हत्थीण य पिंगलगणिहिमि सा भणिआ ।।३१।। रयणाई सव्वरयणे चउदसवि वराइं चक्कवट्टिस्स । उप्पज्जते पंचिदियाइं एगिदिआइं च ॥३२॥ वत्थाण य उप्पत्ती णिप्फत्ती चेव सव्वभत्तीणं । रंगाण य धोव्वाण य सव्वा एसा महापउमे ॥३३|| काले कालण्णाणं भव्वपुराणं च तिसुवि वंसेसु । सिप्पसयं कम्माणि य तिण्णि पयाए हिअकराणि॥३४॥ लोहस्स य उप्पत्ती होइ महाकालि आगराणं च । रूप्पस्स सुवण्णस्स य मणिमुत्तसिलप्पवालाणं ||३५|| जोहाण य उप्पत्ती आवरणाणं च पहरणाणं च । सव्वा य जुद्धणीई माणवगे दंडणीई य ।।३६।। णट्टविही णाडगविही कव्वस्स य चउविहस्स उप्पत्ती। संखे महाणिहिंमी तुडिअंगाणं च सव्वेसिं॥३७|| चक्कट्ठपइट्ठाणा अठुस्सेहा य णव य विक्खंभा । बारस दीहा मंजूससंठिआ जण्हवीइ मुहे ।।३८|| वेरूलिअमणिकवाडा कणगमया विविहरयणपडिपुण्णा। ससिसूरचक्कलक्खण अणुसमवयणोववत्तीया।।३९|| पलिओवमट्ठिईआ णिहिसरिणामा य तत्थ खलु देवा । जेसि ते आवासा अक्किज्जा आहिवच्चाय ।।४०|| एए णव णिहिरयणा पभूयधणरयणसंचयसमिद्धा । जे वसमुवगच्छंती भरहाहिवचक्कवट्टीणं ॥४१॥ तए णं से भरहे राया अट्ठमभत्तंसि परिणयंसि पोसहसालाओ पडिणिक्खमइ, एवं मज्जणघरपवेसो जाव सेणिपसेणिसद्दावणया जाव णिहिरयणाणं अट्ठाहिअं महामहिमं करेंति, तए णं से भरहे राया णिहिरयणाणं अट्ठाहिआए महामहिमाए णिव्वत्ताए समाणीए सुसेणं सेणावइरयणं सद्दावेइ त्ता एवं वयासी-गच्छ णं भो देवाणुप्पिया ! गंगामहाणईए पुरथिमिल्लं णिक्खुडं दुच्चंपि सगंगासागरगिरिमेरागं समविसमणिक्खुडाणि य ओअवेहि त्ता एअमाणत्तिअं पच्चप्पिणाहि, तए णं से सुसेणे तं चेव पुव्ववणिअंभाणियव्वं जाव ओअवित्ता पच्चप्पिणइ पडिविसज्जेइ जाव भोगभोगाइ भुंजमाणे विहरइ, तए णं से दिव्वे चक्करयणे अन्नया कयाई आउहघरा पडिणिक्खमइ त्ता अंतलिक्खपडिवण्णे जक्खसहस्ससंपरिखुडे दिव्वतुडिअ जाव आपूरेते चेव विजयक्खंधावारणिवेसं मज्झंमज्झेणं णिग्गच्छइत्ता दाहिणपच्चत्थिमं दिसिं विणीअं रायहाणिं अभिमुहे पयाए यावि होत्था, तएणं से भरहे राया जाव कोडुबिअपुरिसे सद्दावेइ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! आभिसेक्कं जाव पच्चप्पिणंति।६६। तएणं से भरहे राया अज्जिअरज्जो णिज्जिअसत्तू उप्पण्णसमत्थरयणे चक्करयणप्पहाणे णवणिहिवई समिद्धकोसे बत्तीसरायवरसहस्साणुआयमग्गे सट्ठीए वरिससहस्सेहिं केवलकप्पं भरहं वासं ओयवेइत्ता कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिआ! आभिसेक्कं हत्थिरयणं हयगयरह तहेव जाव अंजणगिरिकूडसण्णिभं गयवई णरवई दूरूढे, तए णं तस्स भरहस्स रण्णो आभिसेक्कं हत्थिरयणं दूरूढस्स समाणस्स इमे अट्ठमंगलगा पुरओ अहाणुपुव्वीए संपत्थिआ, तं०-सोत्थिअसिरिवच्छजावदप्पण तयणंतरं च णं पुण्णकलसभिंगार दिव्वा य छत्तपडागा जाव संपट्ठिआ, तयणंतरं च वेरूलिअभिसंतविमलदंडं जाव अहाणुपुवीए संपट्ठिअं, तयणंतरं च णं सत्त एगिदिअरयणा पुरओ० तं०-चक्करयणे छत्तरयणे चम्मरयणे दंडरयणे असिरयणे मणिरयणे कागणिरयणे, तयणंतरं च णं णव महाणिहिओ पुरओ० तं०-णेसप्पे पंडुयए जाव संखे, तयणंतरं च णं सोलस देवसहस्सा पुरओ०, तयणंतरं च णं बत्तीसं रायवरसहस्सा०, तयणंतरं च णं सेणावइरयणे०, एवं गाहावइरयणे वद्धइवयणे पुरोहिअरयणे०. तयणंतरं च णं इत्थिरयणे०, तयणंतरं च णं बत्तीसं उडुकल्लाणिआसहस्सा पुरओ०, तयणंतरं च णं बत्तीसंजणवयकल्लाणिआसहस्सा पुरओ०, तयणंतरं च णं बत्तीसं बत्तीसइबद्धा णाडगसहस्सा०. तयणंतरं च णं तिण्णि सट्ठा सूअसया पुरओ०, तयणंतरं च णं अट्ठारस सेणिप्पसेणीओ पुरओ०, तयणंतरं च णं चउरासीई आससयसहस्सा पुरओ०, तयणंतरं च णं चउरासीई हत्थिसवसहस्सा पुरओ०, तयणंतरं च णं चउरासीती रहसयसहस्सा पुरओ०, तयाणंतरं च णं छण्णउई मणुस्सकोडीओ पुरओ०, तयणंतरं च णं बहवे राईसरतलवर जाव सत्थवाहप्पभिईओ पुरओ०, तयणंतरं च णं बहवे असिग्गाहा लट्ठि० कुंत० चाव० चामर० पास० फलग० परसु० पोत्थय० वीण० कूव० हडप्फ० दीविअगाहा सरहिं २ रूवेहिं एवं वेसेहिं चिंधेहिं निओएहिं सएहिं २ नेवत्येहिं पुरओ अहाणुपुव्वीए संपत्थिआ, तयणंतरं च णं बहवे दंडिणो मुंडिणो सिहडिणो जडिणो पिच्छिणो हासकारगा खेड्ड० दव० चाडुकारगा कंदप्पिआ कुक्कुइआ मोहरिआ गायंता य दीवं (प्र० दायं) ता य वायंता य नच्चंता य हसंता या erro55555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १२१२ 955555555555555555555555EGIOR
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201003
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(एटा जब्दीवपत्ति वक्खारो ३
[३१]
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रमंता य कीलंता य सासेंता य सावेंता य जावेंता य रावेंता य सोभेता य (प्र० सोभावेता य) आलोअंता य जयजयसई पउंजमाणा पुरओ अहाणुपुव्वीए संपट्ठिआ, एवं उववाइअगमेणं जाव तस्स रण्णो पुरओ महआसा आसधरा उभओ पासिंणागा णागधरा पिट्ठओ रहा रहसंगेल्ली अहाणुपुव्वीए संपट्ठिआ, तए णं से भरहाहिवे णरिदे हारोत्थयसुकयरइअवच्छे जाव अमरवइसण्णिभाए इद्धीए पहिअकित्ती चक्करयणदेसिअमग्गे अणेगरायवरसहस्साणुआयमग्गे जाव समुद्दरवभूअंपिव करेमाणे २ सव्विद्धीए जाव णिग्घोसणाइयरवेणं गामागरणगरखेडकब्बडमडंब जाव जोअणंतरिआहिं वसहीहिं वसमाणे २ जेणेव विणीआ रायहाणी तेणेव उवागच्छइ त्ता विणीआए रायहाणीए अदूरसामंते दुवालसजोअणायामं जाव खंधावारणिवेसं करेइ त्ता वद्धइरयणं सद्दावेइ त्ता जाव पोसहसालं अणुपविसइ विणीआए रायहाणीए अट्ठमभत्तं पगिण्हइत्ता जाव अट्ठमभत्तं पडिजागरमाणे २ विहरइ, तएणं से भरहे राया अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि पोसहसालाओ पडिणिक्खमइत्ता कोडुंबिअपुरिसे सद्दावेइत्ता तहेव जाव अंजणगिरिकूडसण्णिभं गयवइं णरवई दूरूढे तंचेव सव्वं जहा हेट्ठा णवरिंणव महाणिहिओ चत्तारि सेणाओ ण पविसंति सेसो सो चेव गमो जाव णिग्घोसणाइएणं विणीआए रायहाणीए मज्झमज्झेणं जेणेव सए गिहे जेणेव भवणवरवडिंसगपडिदुवारे तेणेव पहारेत्थ गमणाए, तए णं तस्स भरहस्स रण्णो विणीअं रायहाणिं मज्झंमज्झेणं अणुपविसमाणस्स अप्पेगइआ देवा विणीअं रायहाणिं सब्भंतरबाहिरिअं आसिअसम्मज्जिओवलित्तं करेंति अप्पे० मंचाइमंचकलिअं करेंति एवं सेसेसुवि पएसु अप्पे० णाणाविहरागवसणुस्सियधयपडागमंडितभूमिअं अप्पे० लाउल्लोइअमहिअं अप्पे० जाव गंधवट्टिभूअं करेति, अप्पे० हिरण्णवासं वासिति सुवण्ण० रयण० वइर० आभरण० वासेति, तए णं तस्स भरहस्स रण्णो विणीअं रायंहाणिं मज्झंमज्झेणं अणुपविसमाणस्स जाव महापहेसु बहवे अत्थत्थिआ कामत्थिआ भोगत्थिआलाभत्थिआ इद्धिसिआ किब्बिसिआ कारोडिआ कारवाहि (प्र० भारि) आ संखिया चक्किया णंगलिआ मुहमंगलिआ पूसमाणया है वद्धमाणया लंखमंखमाइआ ताहिं ओरालाहिं इट्ठाहिं कंताहिं पिआहिं मणुन्नाहिं मणामाहिं सिवाहिं धण्णाहिं मंगल्लाहिं सस्सिरीआहिं हिअयगमणिज्जाहिं हिअयपल्हायणिज्जाहिं वग्गूहि अणवरयं अभिणंदंता य अभिथुणंता य एवं वयासी-जय जय णंदा ! जय जय भद्दा ! भद्दे ते अजिअं जिणाहिं जिअं पालयाहि जिअमज्झे वसाहि इंदोविव देवाणं चंदोविव ताराणं चमरोविव असुराणं धरणेविव नागाणं बहूई पुव्वसयसहस्साई बहुईओ पुव्वकोडीओ बहुईओ पुव्वकोडाकोडीओ विणीआए रायहाणीए चुल्लहिमवंतगिरिसागरमेरागस्स य केवलकप्पस्स भरहस्स वासस्स सगामागरणगरखेड-कब्बडमडंब-दोणमुंहपट्टणासमसण्णिवेसेसु सम्म पयापालणोवज्जिअलद्धजसे महया जाव आहेवच्चं पोरेवच्चं जाव विहराहित्तिकटु जयजयसई पउंजंति, तए णं से भरहे राया णयणमालासहस्सेहिं पिच्छिज्जमाणे २ वयणमालासहस्सेहिं अभिथुव्वमाणे २ हिअयमालासहस्सेहिं उण्णंदिज्जमाणे २ मणोरहमालासहस्सेहिं विच्छिप्पमाणे २ कंतिरूवसोहग्गगुणेहिं पत्थिज्जमाणे २ अंगुलिमालासहस्सेहिं दाइज्जमाणे २ दाहिणहत्थेणं बहूणं णरणारीसहस्साणं अंजलिमालासंहस्साई पडिच्छेमाणे २ भवणपतीसहस्साई समइच्छमाणे २ तंतीतलतालतुडिअगीअवाइअरवेणं मधुरेणं मणहरेणं मंजुमंजुणा घोसेणं अपडिबुज्झमाणे २ जेणेव सए गिहे जेणेव भवणवरवडिंसयपडिदुवारे तेणेव उवागच्छइ त्ता आभिसेक्कं हत्थिरयणं ठवेइ त्ता आभिसेक्काओ हत्थिरयणाओ पच्चोरूहइ त्ता सोलस देवसहस्से सक्कारेइ सम्माणेइत्ता बत्तीसं रायसहस्से सक्कारेइ सम्माणेइ त्ता सेणावइरयणं सक्कारेइ० एवं गाहावइरयणं वद्धइरयणं पुरोहियरणं त्ता तिण्णि सढे सूअसए अट्ठारस सेणिप्पसेणीओ अण्णेवि बहवे राईसरजावसत्थवाहप्पभिईओ सक्कारेइ सम्माणेइ त्ता पडिविसज्जेइ, इत्थीरयणेणं बत्तीसाए उडुकल्लाणिआसहस्सेहिं बत्तीसाए जणवयकल्लाणिआसहस्सेहिं बत्तीसाए बत्तीसइबद्धेहिं णाडयसहस्सेहिं सद्धिं संपरिवुडे भवणवरवडिंसगं अईइ जहा कुबेरोव्व देवराया केलाससिहरिसिंगभूअं, तए णं से भरहे राया मित्तणाइणिअगसयणसंबंधिपरिअणं पच्चुवेक्खइत्ता जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइ त्ता जाव मज्जणघराओ पडिणिक्खमइ त्ता जेणेव भोअणमंडवंसि सुहासणवरगए अट्ठमभत्तं पारेड् त्ता उप्पिं पासायवरगए फुट्टमाणेहिं मुइंगमत्थएहिं बत्तीसइबद्धेहिं णाडएहिं उवलालिज्जमाणे २ उवणच्चिज्जमाणे २ उवगिज्जमाणे २ महया जाव भुंजमाणे विहरइ।६७। तए णं तस्स भरहस्स रण्णो अण्णया कयाई रज्जधुरं चिंतेमाणस्स इमेआरूवे जाव समुप्पज्जित्था-अभिजिए णं मए णिअगबलवीरिअपुरिसक्कारपरक्कमेण oros55
श्री आगमगुणमंजूषा - १२१३॥55555555555555555555555562OK
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो ३
चुल्लहिमवंतगिरिसागरमेराए केवलकप्पे भरहे वासे तं सेअं खलु मे अप्पाणं महारायाभिसेएणं अभिसिंचावित्तएत्तिकट्टु एवं संपेहेति (२१४) त्ता कल्लं पाउप्पभायाए जाव जलंते जेणेव मज्जणघरे जाव पडिणिक्खमइ त्ता जेणेव बाहिरिआ उवट्ठाणसाला जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छइ त्ता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे निसी अति त्ता सोलस देवसहस्से बत्तीसं रायवरसहस्से सेणावइरयणं जाव पुरोहियरयणं तिणि सट्टे सूअसए अट्ठारस सेणिप्पसेणीओ अण्णे य बहवे राईसरतलवरजावसत्थवाहप्पभिअओ सद्दावेइ त्ता एवं वयासी- अभिजिए णं देवाणुप्पिया ! मए णिअगबलवीरिय जाव केवलकप्पे भरहे वासे तं तुब्भेणं देवाप्पिया ! ममं महया रायाभिसेअं विअरह, तए णं ते सोलस देवसहस्सा जावप्पभिइओ भरहेणं रण्णा एवं वृत्ता समाणा हट्टतुट्ठकरयल मत्थए अंजलिं कट्टु रस्सरण एअम सम्मं विणएणं पडिसुणेति, तए णं से भरहे राया जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ ता जाव अट्टमभत्तिए पडिजागरमाणे विहरइ, तए गं से भरहे राया अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि आभिओगिए देवे सद्दावेइ त्ता एवं वयासी - खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! विणीयाए रायहाणीए उत्तरपुरच्छिमे दिसिभाए एगं महं अभिसेयमण्डवं विउव्वेह त्ता मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह, तए णं ते आभिओगा देवा भरहेणं रण्णा एवं वुत्ता समाणा हट्टतुट्ठा जाव एवं सामित्ति आणाए विणणं वयणं पडिसुणेति त्ता विणीयाए रायहाणीए उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं अवक्कमंति त्ता वेउव्विअसमुग्धाएणं समोहणंति त्ता संखिज्जाई जोयणाई दंडं णिसिरंति, तें०-रयणाणं जाव रिट्ठाणं, अहाबायरे पुग्गले परिसाडंति त्ता अहासहुमे पुग्गले परिआदिअंति त्ता दुच्वंपि वेउव्वियसमुग्धायेणं समोहणंति ता बहुसमरमणिज्जं
भाव से जहाणामए आलिंगपुक्खरेइ वा० तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एवं अभिसेअमंडवं विउव्वंति अणेगखंभसयसण्णिविट्टं जाव गंधवट्टिभूयं पेच्छाघरमंडववण्णगो तस्स णं अभिसेअमंडवस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एवं अभिसेयपेढं विउव्वंति अच्छं सण्हं०. तस्स णं अभिसेयपेढस्स तिदिसिं तओ तिसोवाणपडिरूवए विउव्वंति, तेसिं णं तिसोवाणपडिरूवगाणं अयमेआरूवे वण्णावासे पं० जाव तोरणा, तस्स णं अभिसेअपेढस्स बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं०, तस्स णं बहु समरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगं सीहासणं विउव्वंति, तस्स सहासणस्स अयमेरूवे वण्णावासे पं० जाव दामवण्णगं समत्तं, तए णं ते देवा अभिसेअमंडवं विउव्वंति त्ता जेणेव भरहे राया जाव पच्चप्पिणंति, तए णं से भरहे या आभिओगाणं देवाणं अंतिए एअमट्टं सोच्चा णिसम्म हट्ठ जाव पोसहसालाओ पडिणिक्खमइ त्ता कोडुंबिअपुरिसे सद्दावेइ त्ता एवं वयासी - खिप्पामेव भो देवाप्पि ! आभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेह त्ता हयगय जाव सण्णाहेह त्ता एअमाणत्तिअं पच्चप्पिणह जाव पच्चप्पिणंति, तए णं से भरहे राया मज्जणघरं अणुविस जाव अंजणगिरिकूडसण्णिभं गयवइं णरवई दूरूढे, तए णं तस्स भरहस्स रण्णो आभिसेक्कं हत्थिरयणं दूरूढस्स समाणस्स इमे अट्ठट्ठमंगलगा जो चेव गम विणीअं पविसमाणस्स सो चेव णिक्खममाणस्सवि जाव अप्पडिबुज्झमाणे विणीयाए रायहाणीए मज्झंमज्झेणं णिग्गच्छइ त्ता जेणेव विणीआए रायहाणीए उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए अभिसे अमंडवे तेणेव उवागच्छइ त्ता अभिसेअमंडवदुवारे आभिसेक्कं हत्थिरयणं ठावेइ त्ता आभिसेक्काओ हत्थिरयणाओ पच्चोरूहइ ता इत्थीरयणेणं बत्तीसाए उडुकल्लाणिआसहस्सेहिं बत्तीसाए जणवयकल्लाणिआसस्सेहिं बत्तीसाए बत्तीसइबब्द्धेहिं णाडगसहस्सेहिं सद्धिं संपरिवुडे अभिसेअमंडवं
वित्ता जेणेव अभिसेअपेढे तेणेव उवागच्छइ त्ता अभिसेअपेढं अणुप्पदाहिणीकरेमाणे पुरत्थिमिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं दुरूहइ त्ता जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छइ त् ता जाव पुरत्थाभिमुहे सण्णिसण्णे, तए णं तस्स भरहस्स रण्णो बत्तीसं रायसहस्सा जेणेव अभिसेअमंडवे तेणेव उवागच्छंति त्ता अभिसेअमंडवं
O IN THIS IS IN HIS IS IN US $ $ $ $ $ $
[३२]
वसंत त्ता अभिसेअपेढं अणुपयाहिणीकरेमाणा उत्तरिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छंति त्ता करयल जाव अंजलिं कट्टु भरहं रायाणं जएणं विजएणं वद्भावेति त्ता भरहस्स रण्णो णच्चासण्णे णाइदूरे सुस्सूसमाणा जाव पज्जुवासंति, तए णं तस्स भरहस्स सेणावइरयणे जाव सत्थवाहप्पभिइओ तेऽवि तह चेव वरं दाहिणिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं जाव पज्जुवांसंति, तए णं से भरहे राया आभिओगे देवे सद्दावेइ त्ता एवं वयासी - खिप्पामेव भो पिया ! ममं महत्थं महग्घं महरिहं महारायाभिसेअं उवट्ठवेह. तए णं ते आभिओगिआ देवा भरहेणं रण्णा एवं वृत्ता समाणा हट्ठतुट्ठचित्ता जाव उत्तरपुरच्छिमं श्री आगमगुणमंजूषा - १२१४
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो ३
दिसीभागं अवक्कमंति त्ता वेउव्विअसमुग्घाएणं समोणंति, एवं जहा विजयस्स तहा इत्थंपि जाव पंडगवणे एगओ मिलायंति त्ता जेणेव दाहिणड्ढे भरहे वासे जेणेव विणी राहाणी तेणेव उवागच्छंति त्ता विणीअं रायहाणि अणुप्पयाहिणीकरेमाणा जेणेव अभिसेअमंडवे जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छंति त्ता तं महत्थं महग्घं महरिहं महारायाभिसेअं उवट्ठवेति, तए णं तं भरहं रायाणं बत्तीसं रायसहस्सा सोभणंसि तिहिकरणदिवसणक्खत्तर्मुहुत्तसि उत्तरपोट्ठवयाविजयंसि तेहिं साभाविएहि य उत्तरवेउव्विएहि य वरकमलपइट्ठाणेहिं सुरभिवरवारिपडिपुण्णेहिं जाव महया २ रायाभिसेएणं अभिसिंचति, अभिसेओ जहा विजयस्स, अभिसिंचित्ता पत्तेयं २ अंजलि कट्टु ताहिं इट्ठाहिं जहा पविसंतस्स भणिआ जाव विहराहित्तिकट्टु जयजयसद्दं पउंजंति. तए णं तं भरहं रायाणं सेणावइरयणे जाव पुरोहियरयणे तिणि य सट्टा सूअसया अट्ठारस सेणिप्पसेणीओ अण्णे य बहवे जाव सत्थवाहप्पभिइओ एवं चेव अभिसिंचति तेहिं वरकमलपइट्ठाणेहिं तहेव जाव अभिधुतिय सोलस देवसाहस्सी एवं चेव णवरं पम्हसुकुमालाए जाव मउडं पिणद्धेति, तयाणंतरं च णं दद्दरमलयसुगंधगंधिएहिं गंधेहिं गायाहिं अब्भुक्खेति दिव्वं च सुमणोदामं पिणद्धेति किं बहुणा ?. गंठिमवेढिम जाव विभूसियं करेंति, तए णं से भरहे राया महया २ रायाभिसेएणं अभिसिंचिए समाणे कोडुंबिअपुरिसे सद्दावेइ त्ता एवं वयासी - खिप्पामेव भो देवाणुप्पिआ ! हत्थिखंधवरगया विणीयाए रायहाणीए सिंधाडगतिगचउक्क चच्चरजावमहापहपहेसु महया २ सद्देणं उग्घोसेमाणा २ उस्सुक्कं उक्करं उक्किट्टं अदिज्जं अमिज्जं अभडप्पवेसं अदंडकुदंडिमं सपुरजणजाणवयं जाव दुवालससंवच्छरिअं पमोअं घोसेह त्ता ममेअमाणत्तिअं पच्चप्पिणहत्ति, तए णं ते कोडुंबिअपुरिसा भरहेणं रण्णा एवं वुत्ता समाणा हट्ठतुट्ठचित्तमाणंदिआ पीइमणा हरिसवसविसप्पमाणहियया विणएणं वयणं पडिसुणेति त्ता खिप्पामेव हत्थिखंधवरगया जाव घोसंति त्ता एअमाणत्तिअं पच्चप्पिणंति, तए णं से भरहे राया महया २ रायाभिसेएणं अभिसित्ते समाणे सीहासणाओ अब्भुट्ठेइ त्ता इत्थिरयणेणं जाव णाडगसहस्सेहिं संपरिवुडे अभिसेअपेढाओ पुरत्थिमिल्लेणं तिसोवाणपडिरूएणं पच्चोरूहइ त्ता अभिसेअमंडवाओ पडिणिक्खमइ त्ता जेणेव आभिसेक्के हत्थिरयणे तेणेव उवागच्छइ त्ता अंजणगिरिकूडसण्णिभं गयवइं नरवई दूरूढे, तए णं तस्स भरहम्स रण्णो बत्तीसं रायसहस्सा अभिसेअपेढाओ उत्तरिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवणं पच्चोरूहंति, तए णं तस्स भरहस्स रण्णो सेणावइरयणे जाव सत्थवाहप्पभिइओ अभिसेअपेढाआ दाहिणिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पच्चोरूहंति, तए णं तस्स भरहस्स रण्णो आभिसेक्कं हत्थिरयणं दूरूढम्स समाणम्स इमे अट्ठट्ठमंगलगा पुरओ जाव संपत्थिआ, जोऽविअ अइगच्छमाणस्स गमो पढमो जाव कुबेरावसाणो सो चेव इहंपि को सक्कारजढो णेअव्वो जाव कुबेरोव्व देवराया केलाससिहरिसिंगभूअं, तए णं से भरहे राया मज्जणघरं अणुपविसइ त्ता जाव भोअणमंडवंसि सुहासणवरगए अट्टमभत्तं पारेइ त्ता भोअणमंडवाओ पडिणिक्खमइ त्ता उप्पिं पासायवरगए फुट्टमाणेहि मुइंगमत्थएहिं जाव भुंजमाणे विहरड़, तए णं से भरहे राया दुवालससंवच्छरिअंसि पमोअंसि णिव्वत्तंसि समाणंसि जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइ त्ता जाव मज्जणघराओ पडिणिक्खमइ त्ता जेणेव वाहिरिआ उवट्ठाणसाला जाव सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे णिसीअइ त्ता सोलस देवसहस्से सक्कारेइ सम्माणेइ त्ता पडिविसज्जेइ त्ता बत्तीसं रायवरसहस्सा सेणावइरयणं जाव पुरोहियरयणं एवं तिण्णि सट्टे सूआरसए अट्ठारस सेणिप्पसेणीओ अण्णे य बहवे राईसरतलवरजावसत्थवाहप्पभिइओ सक्कारेइ सम्माणेइ त्ता पडिविसज्जेति त्ता उप्पिं पासायवरगए जाव विहरइ | ६८ | भरहस्स रण्णो चक्करयणे दंडरयणे असिरयणे छत्तरयणे एते णं चत्तारि एगिदियरयणा आउघरसालाए समुप्पण्णा चम्मरयणे मणिरयणे कागणिरयणे णव य महाणिहओ एए णं सिरिघरंसि समुप्पणा सेणावइरयणे गाहावइरयणे वद्धइरयणे पुरोहिअरयणे एए णं चत्तारि मणुअरयणा विणीआए रायहाणीए समुप्पण्णा आसरयणे हत्थिरयणे एए णं दुवे पंचिदिअरयणा वेतद्धगिरिपायमूले समुप्पण्णा सुभद्दा इत्थीरयणे उत्तरिल्लाए विज्जाहरसेढीए समुप्पण्णे । ६९ । तए णं से भरहे राया चउद्दसण्हं रयणाणं णवण्हं महाणिहीणं सोलसण्हं देवसहस्साणं बत्तीसाए रायसहस्साणं बत्तीसाए उडुकल्लाणिआसहस्साणं बत्तीसाए जणवयकल्लाणि आसहस्साणं बत्तीसाए बत्तीसइबद्धाणं णाडगसहस्साणं तिण्हं सट्टीणं सूयारसयाणं अट्ठारसण्हं सेणिप्पसेणीणं चउरासीईए आससयसहस्साणं चउरासीईए दंतिसयसहस्साणं चउरासीईए रहसयसहस्साणं छण्णउईए मणुस्सकोडीणं बावत्तरीए पुरवरसहस्साणं बत्तीसाए जणवयसहस्साणं छण्णउईए
5 श्री आगमगुणमंजूषा १२१५ SONO
新
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो ३,४ [३४]
गामकोडीणं णवणउईए दोणमुहसंहस्साणं अडयालीसाए पट्टणसहस्साणं चउव्वीसाए कब्बडसहस्साणं चउव्वीसाए मडंबसहस्साणं वीसाए आगरसहस्साणं सोलसण्हं खेडगसहस्साणं चउद्दसण्हं संवाहसहस्साणं छप्पण्णाए अंतरोदगाणं एगूणपण्णाए कुरज्जाणं विणीआए रायहाणीए चुल्लहिमवंत गिरिसागरमेरागस्स केवलकप्पस्स भरहस्स वासस्स अण्णेसिं च बहूणं राईसरतलवरजावसत्थवाहप्पभिईणं आहेवच्चं पोरेवच्चं भट्टित्तं सामित्तं महत्तरगत्तं आणाईसरसेणावच्चं कारेमाणे पालेमाणे ओहयणिहएसु कंटएस उद्धिअमलिएसु सव्वसत्तूसु णिज्जिएस भरहाहिवे णरिंदे वरचंदणचच्चियंगे वरहाररइअवच्छे वरमउडविसिट्ठए वरवत्थभूसणधरे सव्वोउअसुरहिकुसुम वरमल्लसोभिअसिरे वरणाडगनाडइज्जवरइत्थिगुम्म सद्धिं संपरिवुडे सव्वोसहिसव्वरयणसव्वसमिइसमग्गे संपुण्णमणोरहे हयामित्तमाणमहणे पुव्वकयतवप्पभावनिविट्टसंचिअफले भुंजइ माणुस्सए सुहे भरहे णामधेज्जे । ७० । तए णं से भरहे राया अण्णया कयाई जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइ ता जाव ससिव्व पिअदंसणे णरवई मज्जणघराओ पडिणिक्खमइ त्ता जेणेव आदंसघरे जेणेव सींहासणे तेणेव उवागच्छइ त्ता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे णिसीअइ त्ता आदंसघरंसि अत्ताणं देहमाणे २ चिट्ठइ. तए णं तस्स भरहस्स रण्णो सुभेणं परिणामेणं पसत्थेहिं अज्झवसाणेहिं लेसाहिं विसुज्झमाणीहिं २ ईहापोहमग्गणगवेसणं करेमाणस्स तयावर णिज्जाणं कम्माणं खएणं कम्मरयविकिरणकरं अपुव्वकरणं पविट्ठस्स अणंते अणुत्तरे निव्वाघाए निरावरणे कसिणे पडिपुण्णे केवलवरनाणदंसणे समुप्पण्णे, तए णं से भरहे केवली सयमेवाभरणालंकारं ओमुअइ त्ता सयमेव पंचमुट्ठिअं लोअं करेइ त्ता आयंसघराओ पडिणिक्खमइ त्ता अंतेउरमज्झंमज्झेणं णिग्गच्छइ त्ता दसहिं रायवरसहस्सेहिं सद्धिं संपरिवुडे विणीअं रायहाणि मज्झमज्झेणं णिग्गच्छइ त्ता मज्झदेसे सुहंसुहेणं विहरइ त्ता जेणेव अट्ठावए पव्वते तेणेव उवागच्छइ त्ता अट्ठावयं पव्वयं सणिअं २ दुरूहइ त्ता मेघघणसण्णिकासं देवसण्णिवायं पुढवीसिलावट्टयं पडिलेहेइ त्ता संलेहणाझूसणाझूसिए भत्तपाणपडिआइक्खिए पाओवगए कालं अणवकंखमाणे विहरइ, तए णं से भरहे केवली सत्तत्तरिं पुव्वसयसहस्साइं कुमारवासमज्झे वसित्ता एगं वाससहस्सं मंडलिअरायमज्झे वसित्ता छ पुव्वसयसहस्साइं वाससहस्सूणगाई महारायमज्झे वसित्ता तेसीइं पुव्वसयसहस्साई अगारवासमज्झे वसित्ता एवं पुव्वसयसहस्सं देसूणगं केवलिपरिआयं उत् तमेव बहुपुण्णं सामन्नपरिआयं पाउणित्ता चउरासीइं पुव्वसय सहस्साई सव्वाउअं पाउणित्ता मासिएणं भत्तेणं अपाणएणं सवणेणं णक्खत्तेणं जोगमुवागएणं खीणे वेअणिज्जे आउए णामे गोए कालगए वीइक्कंते समुज्जाए छिण्णजाइजरामरणबन्धणे सिद्धे बुद्धे मुत्ते परिणिव्वुडे अंतगडे सव्वदुक्खप्पहीणे ।७१| भरहे य इत्थ देवे महिड्ढीए महज्जुइए जाव पलिओवमट्ठिइए परिवसइ, से एएणद्वेणं गो० ! एवं वुच्चइ-भरहे वासे २, अदुत्तरं च णं गो० ! भरहस्स वासस्स सासए णामधिज्जे पं० जं ण कयाई ण आसी ण कयाई णत्थि ण कयाई ण भविस्सइ भुविं च भवइ अ भविस्सइ अ धुवे णिअए सासए अक्खए अव्वए अवट्ठिए णिच्चे भरहे वासे ॥७२॥ ★★★ कहिं णं भंते ! जंबुद्दीवे चुल्लहिमवंते णामं वासहरपव्वए पं० ?, गो० ! हेमवयस्स वासस्स दाहिणेणं भरहस्स वासस्स उत्तरेणं पुरत्थिमलवणसमुद्दस्स पच्चत्थिमेणं पच्चत्थिमलवणसमुहस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे चुल्लहिमवंते णामं वासहरपव्वए पं० पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे दुहा लवणसमुद्दं पुट्ठे पुरत्थिमिल्लाए कोडीए पुरत्थिमिल्लं लवणसमुदं पुट्ठे पच्चत्थिमिल्लाए कोडीए पच्चत्थिमिल्लं लवणसमुद्दे पुट्ठे, एगं जोअणसयं उद्धंउच्चत्तेणं पणवीसं जोअणाई उव्वेहेणं एवं जोअणसहस्सं बावण्णं च जोअणाई दुवालस य एगूणवीसइभाए जोअणस्स विक्खंभेणं, तस्स बाहा पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं पंच जोअणसहस्साइं तिण्णि अ पण्णासे जोअणसए पण्णरस य एगूणवीसइभाए जोअणस्स अद्धभागं च आयामेणं, तस्स जीवा उत्तरेणं पाईणपडीणायया जाव पच्चत्थिमिल्लाए कोडीए पच्चत्थिमिल्लं लवणसमुद्दं पुट्ठा चउव्वीसं जोअणसहस्साइं णव य बत्तीसे जोअणसए अद्धभागं च किंचिविसेसूणा
या पं० तीसे धणुपट्टे दाहिणेणं पणवीसं जोअणसहस्साइं दोण्णि य तीसे जोअणसए चत्तारि य एगूणवीसइभाए जोअणस्स परिक्खेवेणं पं० रूअगसंठाणसंठिए सव्वकणगामए अच्छे जाव पडिरूवे उभओ पासिं दोहिं पउमवरवेइआहिं दोहि य वणसंडेहिं परिक्खित्ते दुण्हवि पमाणं वण्णगो, चुल्लहिमवन्तस्स वासहरपव्वयस्स उवरिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० से जहाणामए आलिंगपुक्खरेइ वा जाव बहवे वाणमंतरा देवा य देवीओ य आसयंति जाव विहरंति । ७३ । तस्स णं
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(१८) जंबूदविपन्नात वक्खारी ४
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ॐ ॐ ॐ ६ ६ ६ ६
बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए इत्थ णं इक्के महं पउमद्दहे णामं दहे पं० पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे इक्कं जोअणसहस्सं आयामेणं पंच जोंयणसयाइं विक्खंभेणं दस जोअणाई उव्वेहेणं अच्छे सण्हे रययामयकूले जाव पासाईए जाव पडिरूवे, स णं एगाए पउमवरवेइआए एगेण य वणसंडेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते वेइयावणसंडवण्णओ भाणियव्वो, तस्स णं पउमद्दहस्स चउदिसिं चत्तारि तिसोवाणपडिरूवगा पं० वण्णावासो भाणियव्वोत्ति, तेसिं णं तिसोवाणपडिरूवगाणं पुरओ पत्तेयं तोरणा पं०, ते णं तोरणा णाणामणिमया०, तस्स गं पउमद्दहस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे पउमे पं० जोयणं आयामविक्खंभेणं अद्धजोयण बाहल्लेणं दस जोयणाई उव्वेहेणं दो कोसे ऊसिए जलंताओ साइरेगाई दसजोयणाई सव्वग्गेण पं०. से णं एगाए जगईए सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते जम्बुद्दीवजगइप्पमाणा गवक्खकडएवि तह चेव पमाणेणंति, तस्स णं पउमस्स अयमेयारूवे वण्णावासे पं० तं० वइरामया मूला रिट्ठामए कंदे वेरूलियामए णाले वेरूलिआमया बाहिरपत्ता जम्बूणयामया अब्भितरपत्ता कणगमया बाहिरपत्ता तवणिज्जमया केसरा णाणामणिमया पोक्खरत्थिभाया कणगामई कण्णिगा अद्धजोयणं आयामविक्खंभेणं कोसं बाहल्लेणं सव्वकणगामई अच्छा०, तीसे णं कण्णिआए उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० से जहाणामए आलिंग०, तस्स र्ण बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे भवणे पं० कोसं आयामेणं अद्धकोसं विक्खंभेणं देसूणगं कोसं उद्धउच्चत्तेणं अणेगखंभसयसणिविट्टे पासाईए०, तस्स णं भवणस्स तिदिसिं तओ दारा पं०, ते णं दारा पञ्च धणुसयाई उद्धंउच्चत्तेणं अद्वाइज्जाई धणुसयाई विक्खंभेणं तावतियं चेव पवेसेणं सेआ वरकणगधूभिआगा जाव वणमालाओ णेयव्वाओ, तस्स णं भवणस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० से जहाणामए आलिंग०, तस्स णं बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महई एगा मणिपेढिआ पं०, साणं मणिपेढिआ पंच धणुसयाई आयामविक्खंभेणं अद्वाइज्जाई धणुसयाइं बाहल्लेणं सव्वमणिमई अच्छा०, तीसे णं मणिपेढियाए उप्पिं एत्थ णं महं एगे सयणिज्जे पं० सयणिज्जवण्णओ भाणियव्वो, से णं परमे अण्णेणं अट्ठसएणं पउमाणं तदद्धुच्चत्तप्पमाणमित्त सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते, ते णं पउमा अद्धजोयणं आयामविक्खंभेणं कोसं बाहल्लेणं दस जोयणाइं उव्वहेणं कोसं ऊसिया जलंताओ साइरेगाई दस जोयणाई उच्चत्तेणं, तेसिं णं पउमाणं अयमेआरूवे वण्णावासे पं० तं० - वइरामया मूला जाव कणगामई कण्णिआ, सा णं कण्णिआ कोसं आयामेणं अद्धकोसं बाहल्लेणं सव्वकणगामई अच्छा०, तीसे णं उप्पिं बहुसमरमणिज्जे जाव मणीहिं उवसोभिए, तस्स णं पउमस्स अवरूत्तरेणं उत्तरेणं उत्तरपुरत्थिमेणं एत्थ णं सिरीए देवीए चउन्हं सामाणिअसाहस्सीणं चत्तारि पउमसाहस्सीओ पं०, तस्स णं पउमस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं सिरीए देवीए चउण्हं महत्तरिआणं चत्तारि पउमा पं०, तस्स णं पउमस्स दाहिणपुरत्थिमेणं सिरीए देवीए अब्भिंतरियाए परिसाए अट्ठण्हं देवसाहस्सीणं अट्ठ पउमसाहस्सीओ पं०, दाहिणेणं मज्झिमपरिसाए दसण्हं देवसाहस्सीणं दस पउमसाहस्सीओ पं०, दाहिणपच्चत्थिमेणं बाहिरियाए परिसाए बारसण्हं देवसाहस्सीणं बारस पउमसाहस्सीओ पं०, पच्चत्थिमेणं सत्तण्हं अणियाहिवईणं सत्त पउमा पं०, तस्स णं पउमस्स चउदिसिं सव्वओ समंता इत्थ णं सिरीए देवीए सोलसण्हं आयरक्खदेवसाहस्सीणं सोलस पउमसाहस्सीओ पं०, से णं तीहिं पउमपरिक्खेवेहिं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते तं०- अब्भिंतरकेणं मज्झिमएणं बाहिरएणं, अब्भिंतरए पउमपरिक्खेवे बत्तीसं पउमसयसाहस्सीओ पं० मज्झिमए पउमपरिक्खेवे चत्तालीस पउमसयसाहस्सीआ पं० बाहिरए पउमपरिक्खेवे अडयालीसं पउमसयसाहस्सीओ पं०, एवामेव सपुव्वावरेणं तीहिं पउमपरिक्खेवे हिं एगा पउमकोडी वीसं च पउमसयसाहस्सीओ भवंतीति अक्खायं, से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-पउमद्दहे २ ?, गो० ! पउमद्दहे णं तत्थ २ देसे २ तहिं २ बहवे उप्पलाई जाव सयसहस्सपत्ताइं पउमद्दहप्पभाई पउमद्दहवण्णाई पउमद्दहवण्णाभाई सिरी य इत्थ देवी महिदीआ जाव पलिओवमट्ठिइआ परिवसर, से एएणणं जाव अदुत्तरं च णं गो० ! पउमद्दहस्स सासए णामधेज्जे पं० ण कयाई णासी न० |७४ | तस्स णं पउमद्दहस्स पुरत्थिमिल्लेणं तोरणेणं गंगा महाईपवूढा माण पुरत्याभिमुहर पञ्च जोअणसयाइं पव्वएणं गंता गंगावत्तणकूडे आवत्ता समाणी पञ्च तेवीसे जोअणसए तिण्णि य एगूणवीसइभाए जोअणस्स दाहिणाभिमुही पव्वएणं गंता महया घडमुहपवत्तएणं मुत्तावलिहारसंठिएणं साइरेगजोअणसइएणं पवाएणं पवडइ, गंगा महाणई जओ पवडइ इत्थ णं महं एगा जिब्भिया पं०, साणं श्री आगमगुणमंजूषा १२१७०
ॐ
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो ४ _ [३६]
历历万年历55520 जिब्भिआ अद्धजोअणं आयामेणं छ सकोसाइं जोअणाइं विक्खंभेणं अद्धकोसं बाहल्लेणं मगरमुहविउट्ठसंठाणसंठिआ सव्ववइरामई अच्छा०, गंगा महाणई जत्थ पवडइ एत्थ णं महं एगे गंगप्पवायकुंडे णामं कुंडे पं० सढिं जोअणाई आयामविक्खंभेणं णउअं जोअणसयं किंचिविसेसाहिअंपरिक्खेवेणं दस जोअणाई उव्वेहेणं अच्छे० रययामयकूले समतीरे वइररामयपासाणे वइरतले सुवण्णसुब्भरययमणिमयवालुआए वेरूलिअमणिफालिअपडलपच्चोअडे सुहोआरे सुहोत्तारे णाणामणितित्थसुबद्धे वट्टे अणुपुव्वसुजायवप्पगंभीरसीअलजले संछण्णपत्तभिसमुणाले बहुउप्पलकुमुअणलिणसुभगसोगंधिअपोंडरीअमहापोंडरीअसयपत्तसहस्सपत्तसयसहस्सपत्तपप्फुल्लकेसरोवचिए छप्पयमहुयरपरिभुज्जमाणकमले अच्छविमलपत्थसलिले पुण्णे पडिहत्थभमन्तमच्छकच्छभअणेगसउणगणमिहुणपविअरियसन्नइअमहुरसरणाइए पासाईए०, सेणं एगाए पउमवरवेझ्याए एगेण य वणसण्डेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते वेइआवणसंडगाणं पउमाणं च वण्णओ भाणिअव्वो, तस्स णं गंगप्पवायकुंडस्स तिदिसिं तओ तिसोवाणपडिरूवगा पं० तं०-पुरत्थिमेणं दाहिणेणं पच्चत्थिमेणं, तेसिं णं तिसोवाणपडिरूवाणं अयमेयारूवे वण्णावासे पं० २०-वइरामया णेम्मा रिट्ठामया पइट्टाणा वेरूलिआमया खंभा सुवण्णरूप्पमया फलया लोहिक्खमईओ सूईओ वइरामया संधी णाणामणिमया आलंबणा आलंबणबाहाओत्ति, तेसिंणं तिसोवाणपडिरूवगाणं पुरओ पत्तेअंर तोरणा पं०, तेणं तोरणा णाणामणिमया णाणामणिमएसु खंभेसु उवणिविठ्ठसंनिविट्ठा विविहमु (सु) तंतरोवइआ विविहतारारूवोवचिआ ईहामिअउसहतुरगणरमगरविहगवालगकिण्णररूरूसरभचमरकुंजरवणलयपउमलयभत्तिचित्ता खंभुग्गयवरवइरवेइआपरिगयाभिरामा विज्जाहरजमलजुअलजंतजुत्ताविव अच्चिसहस्समालणीआ रूवगसहस्सकलिआ भिसमाणा भिब्भिसमाणा चक्खुल्लोअणलेसा सुहफासा सस्सिरीअरूवा घंटावलिचलिअमहुरमणहरसरा पासादीआ०, तेसिंणं तोरणाणं उवरिं बहवे अट्ठमंगलगा पं० तं०-सोत्थिए सिरिवच्छे जाव पडिरूवा, तेसिंणं तोरणाणं उवरिं बहवे किण्हचामरज्झया जाव सुकिल्लचामरज्झया अच्छा सण्हा रूप्पपट्टा वइ रामयदण्डा जलयामलगंधिया सुरम्मा पासाईया, तेसिंणं तोरणाणं उप्पिं बहवे छत्ताइच्छत्ता पडागाइपडागा घंटाजुअला चामरजुअला उप्पलहत्थगा पउमहत्थगा जाव सयसहस्सपत्तहत्थगा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, तस्सणं गंगाप्पवायकुंडस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे गंगादीवे णामं दीवे पं० अट्ठ जोअणाई आयामविक्खंभेणं साइरेगाई पणवीसंजोअणाई परिक्खेवेणं दो कोसे ऊसिए जलंताओ सव्ववइरामए अच्छे सण्हे०, सेणं एगाए पउमवरवेइआए एगेण य वणसंडेणं सव्वओ समन्ता संपरिक्खित्ते वण्णओ भाणिअव्वो, गंगादीवस्सणं उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं०, तस्स णं बहुमज्झदेसभाए एत्थणं महं गंगाए देवीए एगे भवणे पं० कोसं आयामेणं अद्धकोसं विक्खंभेणं देसूणगं च कोसं उद्धंउच्चत्तेणं अणेगखंभसयसण्णिविढे जाव बहुमज्झदेसभाए मणिपेढियाए सयणिज्जे, से केणटेणं जाव सासए णामधेज्जे पं०, तस्स णं गंगप्पवायकुंडस्स दक्खिणिल्लेणं तोरणेणं गंगा महाणई पवूढा समाणी उत्तरद्धभरहवासं एज्जमाणी २ सत्तहिं सलिलासहस्सेहिं आउरेमाणी २ अहे खण्डप्पवायगुहाए वेअद्धपव्वयं दालइत्ता दाहिणद्धभरहवासं एज्जमाणी २ दाहिणद्ध भरहवासस्स बहुमज्झदेसभागे गंता पुरत्याभिमुही आवत्ता समाणी चोद्दसहिं सलिलासहस्सेहिं समग्गा अहे जगई दालइत्ता पुरत्थिमेणं लवणसमुदं समप्पेइ, गंगा णं महाणई (२१५) पवहे छ सकोसाइं जोअणाई विक्खंभेणं अद्धकोसं उव्वेहेणं तयणंतरं च मायाए २ परिवद्धमाणी २ मुहे बासढि जोअणाई अद्धजोअणं च विक्खंभेणं सकोसं जोअणं उव्वेहेणं उभओ पासिंदोहिं पउमवरवेइआहिंदोहिं वणसंडेहिं संपरिक्खित्ता वेइआवणसंडवण्णओ भाणिअव्वो, एवं सिंधूएविणेअव्वं जाव तस्सणं पउमद्दहस्स पच्चत्थिमिल्लेणं तोरणेणं सिंधुआवत्तणकुंडे दाहिणाभिमुही सिंधुप्पवायकुंड सिंधुद्दीवो अट्ठो सो चेव अहे तिमिसगुहाए वेअद्धपव्वयं दालइत्ता पच्चत्थिमाभिमुही आवत्ता समाणी चोद्दसलिला अहे जगई पच्चत्थिमेणं लवणसमुदं जाव समप्पेइ सेसं तं चेवत्ति, तस्स णं पउमद्दहस्स उत्तरिल्लेणं तोरणेणं रोहिअंसा महाणई पवूढा समाणी दोण्णि छावत्तरे जोअणसए छच्च एगूणवीसइभाए जोअणस्स उत्तराभिमुही पव्वएणं गंता महया घडमुहपवत्तिएणं मुत्तावलिहारसंठिएणं साइरेगजोअणसइएणं पवाएणं
पवडइ, रोहिअंसा णामं महाणई जओ पवडइ एत्थ णं महं एगा जिब्भिआ पं०, साणं जिभिआ जोअणं आयामेणं अद्धतेरसजोअणाइं विक्खंभेणं कोसं (बाहल्ले) reOEEEEEEEE
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(१८) जंबूदीक्पन्नत्ति वक्खारो ४
(३७)
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उव्वेहेणं मगरमुहविउट्ठसंठाणसंठि सव्ववइरामई अच्छा०,रोहिअंसा महाणई जहिं पवडइ एत्थणं महं एगे रोहिअंसापवायकुण्डे णाम कुण्डे पं० सवीसं जोअणसयं ७ आयामविक्खंभेणं तिण्णि असीए जोअणसए किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं दसजोअणाइं उव्वेहेणं अच्छे० कुंडवण्णओ जाव तोरणा, तस्सणं रोहिअंसापवायकुंडस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे रोहिअंसे णामंदीवे पं० सोलस जोअणाई आयामविक्खंभेणं साइरेगाई पण्णासं जोयणाइं परिक्खेवेणं दो कोसे ऊसिए जलंताओं सव्वरयणामए अच्छे सण्हे सेसं तं चेव जाव भवणं अट्ठो य भाणिअव्वो, तस्स णं रोहिअंसप्पवायकुंडस्स उत्तरिल्लेणं तोरणेणं रोहिअंसा महाणई पवूढा समाणी हेमवयं वासं एज्जमाणी २ चउद्दसहिं सलिलासहस्सेहिं आपूरेमाणी २ सद्दावइवट्टवेअड्ढं अद्धजोअणेणं असंपत्ता समाणी पच्चत्थिमाभिमुही आवत्ता समाणी हेमवयं
दुहा विभयमाणी २ अट्ठावीसाए सलिलासहस्सेहिं समग्गा अहे जगई दालइत्ता पच्चत्थिमेणं लवणसमुह समप्पेइ, रोहिअंसा णं पवहे अद्धतेरसजोयणाई विक्खंभेणं म कोसं उव्वेहेणं तयणंतरं च णं मायाए २ परिवद्धमाणी २ मुहमूले पणवीसं जोअणसयं विक्खंभेणं अद्धाइज्जाई जोयणाई उब्वेहेणं उभओ पासिं दोहिं पउमवरवेइआहिं
दोहिंय वणसंडेहिं संपरिक्खित्ता |७५/ चुल्लहिमवन्ते णं भन्ते ! वासहरपव्वए कइ कूडा पं०?, गो० ! इक्कारस कूडा पं० तं०-सिद्धायणकूडे चुल्लहिमवन्त० भरह० इलादेवी० गंगादेवी० सिरि० रोहिअंस० सिन्धु० सुरादेवी० हेमवय० वेसमणकूडे, कहिं णं भन्ते ! चुल्लहिमवन्ते वासहरपब्वए सिद्धाययणकूडे णामं कूडे पं०?, गो० ! पुरच्छिमलवणसमुद्दस्स पच्चत्थिमेणं चुल्लहिवन्तकुडस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं सिद्धाययणकूडे णामं कूडे पं० पंच जोअणसयाई उद्धंउच्चत्तेणं मूले पंच जोअणसयाई विक्खंभेणं मज्झे तिण्णि य पण्णत्तरे जोअणसए विक्खंभेणं उप्पिं अद्धाइज्जे जोअणसए विक्खंभेणं मूले एगं जोअणसहस्संपंचय एगासीए जोअणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं मज्झे एगं जोअणसहस्सं एगं च छलसीअं जोअणसयं किंचिविसेसूर्ण परिक्खेवेणं उप्पिं सत्तइक्काणउए जोयणसए किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं मूले विच्छिण्णे मज्झे संखित्ते उप्पिं तणुए गोपुच्छसंठाणसंठिए सव्वरयणामए अच्छे०, सेणं एगाए पउमवरवेझ्याए एगेण य वणसंडेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते, सिद्धाययणकूडस्सणं उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे जाव तस्सणं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे सिद्धाययणे पं० पण्णासं जोयणाइं आयामेणं पणवीसं जोयणाइं विक्खंभेणं छत्तीसंजोयणाई उद्धंउच्चत्तेणं जाव जिणपडिमावण्णओ भाणियव्वो, कहिणं भन्ते ! चुल्लहिमवन्ते वासहरपव्वए चुल्लहिमवन्तकूडे नामं कूडे पं० ?, गो० ! भरहकूडस्स पुरत्थिमेणं सिद्धाययणकूडस्स पच्चत्थिमेणं एत्थ णं चुल्लहिमवन्ते वासहरपव्वए चुल्लहिमवन्तकूडे णामं कूडे पं०, एवं जो चेव सिद्धाययणकूडस्स उच्चत्तविक्खंभपरिक्खेवो जाव बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे पासायवडेसए पं० बासढि जोयणाई अद्धजोयणं च विक्खंभेणं इक्कतीसं जोयणाई कोसं च उच्चत्तेणं अब्भुग्णयमूसिअपहसिएविव विविहमणिरयणभत्तिचित्ते वाउद्ध अविजयवेजयंतीपडागच्छत्ताइच्छत्तकलिए तुंगे गगणतलमभिलंघमाणसिहरे जालंतररयणपंजरूम्मीलितेव्व मणिरयणभिआए विअसिअसयवत्तपुंडरीअतिलयरयणद्धचंदचित्ते णाणामणिमयदामालंकिए अंतो बहिं च सवइरतवणिज्जरूइलवालुगापत्थडे सुहफासे सस्सिरीअरूवे पासाईएजाव पडिरूवे, तस्सणं पासायवडेंसगस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागेजाव सीहासणं सपरिवार, सेकेणटेणंभन्ते! एवं वुच्चइ-चुल्लहिमवन्तकूडे २?,गो० ! चुल्लहिमवन्ते णामं देवे महिद्धीए जाव परिवसइ, कहिणं भन्ते! चुल्लहिमवन्ते णामं देवे महिद्धीए जाव परिवसइ, कहिणं भन्ते! चुल्लहिमवन्तगिरिकुमारस्स देवस्स चुल्लहिमवन्ता णामं रायहाणी पं०१, गो०! चुल्लहिमवन्तकूडस्स दक्खिणेणं तिरियमसंखेजे दीवसमुद्दे वीइवइत्ता अण्णं जम्बुद्दीवं दक्खिणेणं बारस जोयणसहस्साई ओगाहित्ता
इत्थ णं चुल्लहिमवन्तस्स कूडस्स देवस्स चुल्लहिमवन्ता णामं रायहाणी पं० बारस जोयणसहस्साइं आयामविक्खंभेणं एवं विजयरायहाणी सरिसा भाणियव्वा, है एवं अवसेसाणवि कूडाणं वत्तव्वया णेयव्वा, आयामविक्खंपरिक्खेवपासायदेवयाओ सीहासणं परिवारो अट्ठो य देवाण य देवीण य रायहाणीओ णेयव्वाओ, चउसु ॥ देवा चुल्लहिमवन्तभरहहेमवयवेसमणकूडेसु सेसेसु देवयाओ, से केणटेणं भन्ते ! एवं वुच्चइ-चुल्लहिमवन्ते वासहरपव्वए २ ?, गो० ! महाहिमवन्तवासहरपव्वयं
पणिहाय आयामुच्चत्तुव्वेहविक्खंभपरिक्खेवं पडुच्च ईसिंखुड्डतराए चेव ईसिंहस्सतराए चेव, चुल्लहिमवन्ते य इत्थ देवे महिदीए जाव पलिओवमट्ठिइए परिवसइ, KONOS555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १२१९ 4555555555555555555555555 4G.
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो ४
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2 से एएणतुणं गो० ! एवं वुच्चइ-चुल्लहिमवन्ते वासहरपव्वए २, अदुत्तरं च णं गो० ! चुल्लहिमवन्तस्स सासए णामधेज्जे पं० जंण कयाई णासी०।७६। कहिणं भंते
! जंबुद्दीवे दीवे हेमवए णामं वासे पं०?, गो० ! महाहिमवन्तस्स वासहरपव्वयस्स दक्खिणेणं चुल्लहिमवन्तस्स वासहरपव्वयस्स उत्तरेणं पुरत्थिमलवणसमुदस्स म पच्चत्थिमेणं पच्चत्थिमलवणसमुद्दस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे दीवे हेमवए णामं वासे पं० पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे पलिअंकसंठाणसंठिए दुहा
‘लवणसमुदं पुढे पुरथिमिल्लाए कोडीए पुरथिमिल्लं लवणसमुदं पुढे पच्चत्थिमिल्लाए कोडीए पच्छिमिल्लं लवणसमुदं पुढे दोण्णि जोअणसहस्साइं एगं च पंचुत्तरं म जोअणसयं पंच य एगूणवीसइभाए जोअणस्स विक्खंभेणं, तस्स बाहा पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं छज्जोअणसहस्साइं सत्तय पणवण्णे जोअणसए तिण्णि य एगूणवीसइभाए ॐ जोअणस्स आयामेणं, तस्स जीवा उत्तरेणं पाईणपडीणायया दुहओ लवणसमुदं पुट्ठा जाव पुट्ठा सत्ततीसं जोअणसहस्साई छच्च चउवतरे जोअणसए सोलस य
एगूणवीसइभाए जोअणस्स किंचिविसेसूणे आयामेणं, तस्स धणुं दाहिणेणं अकृतीसं जोअणसहस्साइं सत्त चत्ताले जोअणसए दस य एगूणवीसइभाए जोअणस्स परिक्खेवेणं, हेमवयस्स णं भन्ते! वासस्स केरिसए आयारभावपडोआरे पं०?, गो०! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं०, एवं तइअसमाणुभावो णेअव्वो।७७। कहिणं भन्ते! हेमवए वासे सद्दावई णामं वट्टवेअद्धपव्वएपं०?, गो० ! रोहिआए महाणईए पच्चच्छिमेणं रोहिअंसाए महाणईए पुरत्थिमेणं हेमवयवासस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थणं सद्दावई णामं वट्टवेअद्धपव्वए पं० एगं जोअणसहस्सं उद्धंउच्चत्तेणं अद्धाइज्जाइं जोअणसयाइं उव्वेहेणं सव्वत्थ समे पल्लंगसंठाणसंठिए एगंजोअणसहस्सं आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोअणसहस्साइं एगं च बावट्ठ जोयणसयं किंचिविसेसाहिअं परिक्खेवेणं सव्वरयणामए अच्छे०, से णं एगाए पउमवरवेइआए एगेण य वणसंडेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते वेइआवणसंडवण्णओ भाणिअव्वो, सद्दावइस्स णं वट्टवेअद्धपव्वयस्स उवरि बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं०, तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे पासायवडेंसए पं० बावहिँ जोअणाई अद्धजोयणं च उद्धंउच्चत्तेणं इक्कतीसं जोयणाई कोसं च आयामविक्खंभेणं जाव सीहासणं सपरिवार, सेकेणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-सद्दावई वट्टवेयद्धपव्वए २?, गो० ! सद्दावइवट्टवेयद्धपव्वए णं खुड्डाखुड्डिआसु वावीसु जाव बिलपंतिआसु बहवे उप्पलाइं पउमाइं सद्दावइप्पभाई सद्दावइवण्णाई सद्दावतिवण्णाभाइं सद्दावई य इत्थ देवे महिद्धीए जाव महाणुभावे पलिओवमठिइए परिवसइ, सेणं तत्थ चउण्हं सामाणिअसाहस्सीणं जाव रायहाणीवि नेयव्वा मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं अण्णंमि जंबुद्दीवे दीवे।७८। से केणढेणं भंते ! एवं वुच्चइहेमवए वासे २?, गो० ! चुल्लहिमवन्तमहाहिमवन्तेहिं वासहरपव्वएहिं दुहओ समवगूढे णिच्चं हेमं दलइ णिच्चं हेमं मुंचति णिच्चं हेमं पगासइ हेमवए य इत्थ देवे जाव पलिओवमट्ठिइए परिवसइ से तेणद्वेणं गो०! एवं वुच्चइ हेमवए वासे २१७९। कहिणं भंते ! जंबुद्दीवे महाहिमवन्ते णामं वासहरपव्वए पं०?, गो०! हरिवासस्स दाहिणेणं हेमवयस्स वासस्स उत्तरेणं पुरत्थिमलवणसमुद्दस्स पच्चत्थिमेणं पच्चत्थिमलवणसमुद्दस्स पुरत्थिमेणं एत्थ जंबुद्दीवे महाहिमवंते णामं वासहरपव्वए पं० पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे पलियंकसंठाणसंठिए दुहा लवणसमुदं पुढे पुरथिमिल्लाए कोडीए जाव पुढे पच्चत्थिमिल्लाए कोडीए पच्चत्थिमिल्लं लवणसमुदं पुढे दो जोअणसयाई उद्धंउच्चत्तेणं पण्णासं जोअणाई उव्वेहेणं चत्तारि जोअणसहस्साइ दोण्णि य दसुत्तरे जोअणसए दस य एगूणवीसइभाए जोअणस्स विक्खंभेणं, तस्स बाहा पुरथिमपच्चत्थिमेणं णव जोअणसहस्साइं दोण्णि य छावत्तरे जोअणसए णव य एगूणवीसइभाए जोअणस्स अद्धभागं च आयामेणं, तस्स ॐ जीवा उत्तरेणं पाईणपडीणायया दुहा लवणसमुदं पुट्ठा पुरथिमिल्लाए कोडीए पुरथिमिल्लं लवणसमुदं पुट्ठा पच्चत्थिमिल्लाए जाव पुट्ठा तेवण्णं जोअणसहस्साई
नव यं एगतीसे जोअणसए छच्च एगूणवीसइभाए जोअणस्स किंचिविसेसाहिए आयामेणं, तस्स धणुं दाहिणेणं सत्तावण्णं जोअणसहस्साइं दोण्णि य तेणउए
जोअणसए दस य एगूणवीसइभाए जोयणस्स परिक्खेवेणं, रूअगसंठाणसंठिए सव्वरयणामए अच्छे उभओ पासिं दोहिं पउमवरवेइआहिं दोहि य वणसंडेहिं में संपरिक्खित्ते, महाहिमवन्तस्सणं वाससहरपव्वयस्स उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० जावणाणाविहपञ्चवण्णेहिं मणीहिंय तणेहि य उवसोभिए जाव आसयंतिम २ सयंति०८० महाहिमवंतस्स णं बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं एगे महापउमद्दहे णामं दहे पं० दो जोअणसहस्साई आयामेणं एगं जोअणसहस्सं विक्खंभेणं दस हा MOS 99999999454595555 श्री आगमगुणमंजूषा - १२२०59999999999999999NESHOOT
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步步事项
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साबूदावपति कासारी
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जोअणाइं उव्वेहेणं अच्छे रययामयकूले एवं आयामविक्खंभविहूणा जा चेव पउमद्दहस्स वत्तव्वया सा चेव णेअव्वा, पउमप्पमाणं दो जोअणाइं अट्ठो जाव ई महापउमद्दहवण्णाभाई हिरी य इत्थ देवी जाव पलिओवमट्ठिया परिवसइ, से एएणतुणं गो० ! एवं वुच्चइ०, अदुत्तरं च णं गो० ! महापउमद्दहस्स सासए णामधिज्जे
पं० जंण कयाई णासी०, तस्स णं महापउमद्दहस्स दक्खिणिल्लेणं तोरणेणं रोहिआ महाणई पवूढा समाणी सोलस पंचुत्तरे जोअणसए पंच य एगूणवीसइभाए
जोअणस्स दाहिणाभिमुही पव्वएणं गंता मया घडमुंहपवित्तिएणं मुत्तावलिहारसंठिएणं साइरेगदोजोअणसइएणं पवाएणं पवडइ, रोहिआ णं महाणई जओ पवडइ म एत्थ णं महं एगा जिब्भिया पं०, साणं जिब्भिआ जोअणं आयामेणं अद्धतेरसजोअणाइं विक्खंभेणं कोसं बाहल्लेणं मगरमुहविउट्ठसंठिआ सव्ववइरामई अच्छा०,
रोहिआ णं महाणई जहिं पवडइएत्थ णं महं एगे रोहिअप्पवायकुंडे णामं कुंडे पं० सवीसंजोअणसयं आयामविक्खंभेणं पं० तिण्णि असीए जोयणसए किंचिविसेसूणे
परिक्खेवेणं दस जोयणाइं उव्वेहेणं अच्छे सण्हे सो चेव वण्णओ वइरतले वट्टे समतीरे जाव तोरणा, तस्स णं रोहिअप्पवायकुण्डस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं # एगे रोहिअदीवे णामं दीवे पं० सोलस जोयणाई आयामविक्खंभेणं साइरेगाइं पण्णासंजोयणाइं परिक्खेवेणं दो कोसं ऊसिए जलंताओ सव्ववइरामए अच्छे०, से
णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वणसंडेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते, रोहिअदीवस्स णं उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं०, तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महंएगे भवणे पं०. कोसं आयामेणं सेसं तं चेव, पमाणं च अट्ठो य भाणियव्वो, तस्सणं रोहिअप्पवायकुण्डस्स दक्खिणिल्लेणं तोरणेणं रोहिया महाणई पवूढा समाणी हेमवयं वासं एज्जेमाणी २ सद्दावइवट्टवेअद्धपव्वयं अद्धजोयणेणं असंपत्ता पुरत्थाभिमुहा आवत्ता समाणी हेमवयं वासं दुहा विभयमाणी २ अट्ठावीसाए सलिलासहस्सेहिं समग्गा अहे जगई दालइत्ता पुरत्थिमेणं लवणसमुदं समप्पेइ. रोहिआ णं जहा रोहिअंसा तहा पवाहे य मुहे य भाणियव्वा जाव संपरिक्खित्ता, तस्स णं महापउमद्दहस्स उत्तरिल्लेणं तोरणेणं हरिकंता महाणई पवूढा समाणी सोलस पंचुत्तरे जोयणसए पंच य एगूणवीसइभाए जोयणस्स उत्तराभिमुहा पव्वएणं गंता मया घडमुहपवत्तिएणं मुत्तावलिहारसंठिएणं साइरेगदुजोयणसइएणं पवाएणं पवडइ. हरिकंता महाणई जओ पवडइ एत्थ णं महं एगा जिभिआ पं० दो जोयणाई आयामेणं पणवीसंजोयणाई विक्खंभेणं अद्धं जोयणं बाहल्लेणं मगरमुहविउट्ठसंठाणसंठिया सव्वरयणामई अच्छा०, हरिकता णं महाणई जहिं पवडइ एत्थ णं महं एगे हरिकंतप्पवायकुंडे णामं कुंडे पं० दोण्णि य चत्ताले जोयणसए आयामविक्खंभेणं सत्तअउणढे जोयणसए परिक्खेवेणं अच्छे० एवं कुण्डवत्तव्वया सव्वा नेयव्वा जाव तोरणा, तस्स णं हरिकंतप्पवायकुण्डस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे हरिकंतदीवे णामं दीवे पं० बत्तीसं जोयणाई आयामविक्खंभेणं एगुत्तरं जोयणसयं परिक्खेवेणं दो कोसे ऊसिए जलंताओ सव्वरयणामए अच्छे०, से णं एगाए पउमवरवेइआए एगेण य वणसंडेणं जाव संपरिकिखत्ते वण्णओ भाणियव्वो, पमाणं च सयणिज्जं च अट्ठो य भाणियव्वो, तस्स णं हरिकंतप्पवायकुण्डस्स उत्तरिल्लेणं तोरणेणं जाव पवूढा समाणी हरिवस्सं वासं एज्जेमाणी२ विअडाव (वा) इंवट्टवेअद्धं जोयणेणं असंपत्ता पच्चत्थिमाभिमुहा आवत्ता समाणी हरिवासं दुहा विभयमाणा छप्पण्णाए सलिलासहस्सेहिं . समग्गा अहे जगई दालइत्ता पच्चत्थिमेणं लवणसमुदं समप्पेइ, हरिकंता णं महाणई पवहे पणवीसं जोयणाई विक्खंभेणं अद्धजोयणं उव्वेहेणं तयणंतरं च णं मायाए २ परिवद्धमाणी मुहमूले अद्धाइज्जाई जोयणसयाई विक्खम्भेणं पञ्च जोयणाइं उव्वेहेणं उभओ पासिं दोहिं पउमवरवेइआहिं दोहि य वणसंडेहिं संपरिक्खित्ता ८१। महाहिमवंते णं भंते ! वासहरपव्वए कइ कूडा पं० १, गो० ! अट्ठ कूडा पं० २०-सिद्धाययणकूडे महाहिमवन्त० हेमवय० रोहिअ० हिरि० हरिकंत० हरिवास० वेरूलिअ०, एवं चुल्लहिमवंतकूडाणं जा चेव वत्तव्वया सच्चेव णेअव्वा, से केणतुणं भन्ते ! एवं वुच्चइ-महाहिमवंते वासहरपव्वए २१, गो० ! महाहिमवंते णं
वासहरपव्वए चुल्लहिमवंतवासहरपव्वयं पणिहाय आयामुच्चत्तुव्वेहविक्खम्भपरिक्खेवेणं महंततराए चेव दीहतराए चेव, महाहिमवंते अ इत्थ देवे महिद्धीए जाव म पलिओवमट्ठिइए परिवसइ।८२। कहिणं भन्ते ! जम्बुद्दीवे दीवे हरिवासे णामं वासेपं०?, गो० ! णिसहस्स वासहरपव्वयस्स दक्खिणेणं महाहिमवंतवासहरपव्वयस्स
उत्तरेणं पुरत्थिमलवणसमुद्दस्स पच्चत्थिमेणं पच्चत्थिमलवणसमुदस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं जम्बुद्दीवे हरिवासे णामं वासे पं० एवं जाव पच्चस्थिमिल्लाए कोडीए reO
5 55555555555 श्री आगमगणमंजूषा - १२२१॥ 5555555555555555555555OOR
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो ४ [४०]
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पच्चत्थिमिल्लं लवणसमुद्दं पुट्ठे अट्ठ जोअणसहस्साईं चत्तारि अ एगवीसे जोअणसए एगं च एगूणवीसइभागं जोअणस्स विक्खम्भेणं, तस्स बाहा पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं तेरस जोअणसहस्साइं तिण्णि अ एगसट्टे जोअणसए छच्च एगूणवीसइभाए जोअणस्स अद्धभागं च आयामेणं, तस्स जीवा उत्तरेणें पाईणपडीणायया दुहा लवणसमुद्द पुट्ठा पुरथिमिल्लाए कोडीए पुरत्थिमिल्लं जाव लवणसमुद्दं पुट्ठा तेवत्तरिं जोअणसहस्साइं णव य एगुत्तरे जोअणसए सत्तरस य एगूणवीसइभाए जोअणस्स अद्धभागं च आयामेणं, तस्स धणुं दाहिणेणं चउरासीई जोअणसहस्साइं सोलस जोअणाइं चत्तारि एगूणवीसइभाए जोअणस्स परिक्खेवेणं, हरिवासस्स णं भंते ! वासस्स केरिसए आगारभावपडोआरे पं० ?, गो० ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० जाव मणीहिं तणेहि य उवसोभिए एवं मणीणं तणाण य वण्णो गन्धो फासो सद्द भाणिअव्वो, हरिवासे णं तत्थ २ देसे २ तहिं २ बहवे खुड्डाखुडिडआओ एवं जो सुसमाए अणुभावो सो चेव अपरिसेसो वत्तव्वोत्ति, कहिं णं भन्ते ! हरिवासे वासे विअडावई णामं वट्टवेअद्धपव्वए पं० १, गो० ! हरीए महाणईए पच्चत्थिमेणं हरिकंताए महाणईए पुरत्थिमेणं हरिवासस्स वासस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं विअडावइ णामं वट्टवेअद्धपव्वए पं०, एवं जो चेव सद्दावइस्स विक्खंभुच्चत्तुव्वेहपरिक्खेवसंठाणवण्णावासो य सो चेव विअडावइस्सवि भाणिअव्वो णवरं अरुणो देवो पउमाई जाव विअडावइवण्णाभाइं० अरूणे य इत्थ देवे महद्धिए दाहिणेणं रायहाणी णेअव्वा, से केणट्टेणं भन्ते ! एवं वुच्चइ - हरिवासे २ १, गो० ! हरिवासे णं वासे मणुआ अरूणा अरुणोभासा सेआ संखदलसण्णिकासा हरिवासे य इत्थ देवे महिद्धीए जाव पलिओवमट्ठिइए परिवसइ, से तेणट्टेणं गो० ! एवं वुच्चइ० । ८३ । कहिं णं भन्ते ! जम्बुद्दीवे सिहे णामं वासहरपव्वए पं० १, गो० ! महाविदेहस्स वासस्स दक्खिणेणं हरिवासस्स उत्तरेणं पुरत्थिमलवणसमुद्दस्स पच्चत्थिमेणं पच्चत्थिमलवणसमुद्दस्स पुरच्छिमेणं एत्थ णं जम्बुद्दीवे दीवे णिसहे णामं वासहरपव्वए पं० पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे दुहा लवणसमुद्दं पुट्ठे पुरत्थिमिल्लाए जाव पुट्ठे पच्चत्थिमिल्लाए जाव पुट्ठे चत्तारि जोयणसयाइं उद्धंउच्चत्तेणं चत्तारि गाउअसयाइं उव्वेहेणं सोलस जोअणसहस्साइं अट्ठ य बायाले जोअणसए दोण्णि य एगूणवीसइभाए जोअणस्स विक्खम्भेणं, तस्स बाहा पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं वीसं जोअणसहस्साइं एगं च पण्णवं जोअणसयं दुण्णि य एगूणवीसइभाए जो अणस्स अद्धभागं च आयामेणं, तस्स जीवा उत्तरेणं जाव चउणवइं जोअणसहस्साइं एगं च छप्पण्णं जोअणसयं दुण्णि य एगूणवीसइभाए जोअणस्स आयामेणं, तस्सं धणुं दाहिणेणं एगं जोअणसयसहस्सं चउवीसं च जोअणसहस्साइं तिण्णि य छायाले जोअणसए णव य एगूणवीसइभाए जोअणस्स परिक्खेवेणं रूअगसंठाणसंठिए सव्वतवणिज्जमए अच्छे०, उभओ पासिं दोहिं पउमवरवेइआहिं दोहि य वणसंडेहिं जाव संपरिक्खित्ते, णिसहस्स णं वासहरपव्वयस्स उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० जाव आसयंति सयंति०, तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे तिगिछिद्दहे णामं दहे पं० पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे चत्तारि जोअणसहस्साइं आयामेणं दो जोअणसहस्साइं विक्खम्भेणं दस जोअणाई उव्वेहेणं अच्छे सण्हे० रययामयकूले, तस्स णं तिर्गिछिद्दहस्स चउद्दिसिं चत्तारिं तिसोवाणपडिरूवगा पं० एवं जाव आयामविक्खम्भविहूणा जा चेव महापउमद्दहस्स वत्तव्वया सा चेव तिर्गिछिद्दहस्सवि वत्तव्वया, पउमद्दहप्पमाणं अट्ठो जाव तिगिछिवण्णाई, धिई य इत्थ देवी पलिओवमट्टिइआ परिवसइ, से तेणट्टेणं गो० ! एवं वुच्चइ-तिगिछिद्दहे २ |८४ | तस्स णं तिगिछिद्दहस्स दक्खिणिल्लेणं तोरणेणं हरी महाणई पवूढा समाणी सत्त जोयणसहस्साइं चत्तारि य एक्कवीसे जोयणसए एगं च एगूणवीसइभागं जोयणस्स दाहिणाभिमुहा पव्वएण गंता महया घडमुहपवित्तिएणं जाव साइरेगचउजोअणसइएणं पवाएणं पवडइ, एवं जा चेव हरिकन्ताए वत्तव्वया सा चेव हरिएवि णेअव्वा, जिब्भिआए कुंडस्स दीवस्स भवणस्स तं चेव पमाणं, अट्ठोऽवि भाणिअव्वो जाव अहे जगई दालइत्ता छप्पण्णाए सलिलासहस्सेहिं समग्गा पुरत्थिमं लवणसमुद्दं समप्पेइ तं चेव पवहे य मुहमूले य पमाणं उव्वेहो य जो हरिकन्ताए जाव वणसंडसंपरिक्खित्ता, तस्स णं तिगिछिद्दहस्स उत्तरिल्लेणं तोरणेणं सीओओ महाणई पवूढा समाणी सत्त जोयणसहस्साइ चत्तारि य एगवीसे जोयणसए एगं च एगूणवीसइभागं जोयणस्स उत्तराभिमुही पव्वएणं गंता महया घडमुहपवित्तिएणं जाव साइरेगचउजोअणसइएणं पवाएणं पवडइ, सीओआ णं महाणई जओ पवडइ एत्थ णं महं एगा जिब्मिआ पं० चत्तारि जोयणाई आयामेणं पण्णासं जोअणाइं विक्खम्भेणं जोअणं बाहल्लेणं
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(१८) जंबूदीवपत्रत्ति वक्खारो ४
[४१]
मगरमुहविउट्ठसंठाणसंठिआ सव्ववइरामई अच्छा०, सीओआ णं महाणई जहिं पवडइ एत्थ णं महं एगे सीओयप्पवायकुण्डे णामं कुण्डे पं० चत्तारि असीए जोयणसए आयामविक्खंभेणं पण्णरसअट्ठारे जोयणसए किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं अच्छे०, एवं कुंडवत्तव्वया णेअव्वा जाव तोरणा, तस्स णं सीओअप्पवायकुण्डस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे सीओअदीवे णामं दीवे पं० चउसट्ठि जोयणाई आयामविक्खंभेणं दोण्णि बिउत्तरे जोयणसए परिक्खेवेणं दो कोसे ऊसिए जलंताओ सव्ववइरामए अच्छे सेसं तमेव, वेड्यावणसंडभूमिभागभवणसयणिज्जअट्ठा भाणियव्वा, तस्स णं सीओ अप्पवायकुण्डस्स उत्तरिल्लेणं तोरणेणं सीओआ महाणई पवूढा समाणी देवकुरूं एज्जेमाणी २ चित्तविचित्तकूडे पव्वए निसढदेवकुरूसूरसुलसविज्जुप्पभदहे य दुहा विभयमाणी २ चउरासीए सलिलास हस्से हिं आपूरेमाणी २ भद्दसालवणं एज्जेमाणी २ मंदरं पव्वयं दोहिं जोयणेहिं असपंत्ता पच्चत्थिमाभिमुही आवत्ता समाणी अहे विज्जुप्पभं वक्खारपव्वयं दारइत्ता मन्दरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमेणं अवरविदेहं वासं दुहा विभयमाणी २ एगमेगाओ चक्कवट्टिविजयाओ अट्ठावीसाए २ सलिलासहस्सेहिं आपूरेमाणी २ पञ्चहिं सलिलासयसहस्से हिं दु (अट्ठ प्र०) तीसाए य सलिलासहस्सेहिं समग्गा अहे जयंतस्स दारगस्स जगई दालइत्ता पच्चत्थिमेणं लवणसमुद्दं समप्पेति, सीओआ णं महाणई पवहे पण्णासं जोयणाइं विक्खंम्भेणं जोयणं उव्वेहेणं, तयाणंतरं च णं मायाए २ परिवद्धमाणी २ मुहमूले पञ्च जोयणसयाई विक्खम्भेणं दस जोयणाई उव्वेहेणं उभओ पासिं दोहिं पउमवरवेइआहिं दोहि य वणसंडेहिं संपरिकिखत्ता, णिसढे णं भंते! वासहरपव्वए कति कूडा पं० ?, गो० ! नव कूडा पं० तं० - सिद्धाययणकूडे णिसढ० हरिवास० पुव्वविदेह० हरि० धिई० सीओआ० अवरविदेह० रूअगकूडे जो चेव चुल्लहिमवंतकूडाणं उच्चत्तविक्खंभपरिक्खेवो पुव्वं वण्णिओ रायहाणी य सच्चे णेयव्वा, से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ-णिसहे वासहरपव्वए २१, गो० ! णिसहे णं वासहरपव्वए बहवे कूडा णिसहसंठाणसंठिया उसभसंठाणसंठिया, णिसहे य इत्थ देवे महिदीए जाव पलिओवमठिइए परिवसइ, से तेणट्टेणं गो० ! एवं (२१६) वुच्चइ - णिसहे वासहरपव्वए २ । ८५ । कहिं णं भंते! जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे णामं वा पं० १, गो० ! णीलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दक्खिणेणं णिसहस्स वासहरपव्वयस्स उत्तरेणं पुरत्थिमलवणसमुद्दस्स पच्चत्थिमेणं पच्चत्थिमलवणसमुद्दस्स पुरत्थिमेणं एत्थ जंबुद्दीवे महाविदेहे णामं वासे पं० पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे पलिअंकसंठाणसंठिए दुहा लवणसमुद्दं पुट्ठे पुरत्थिमजावपुट्ठे पुरत्थिम जाव पुट्ठे पच्चत्थिमिल्लाए कोडीए पच्चत्थिमिल्लं जाव पुट्ठे तित्तीसं जोअणसहस्साई छच्च चुलसीए जोअणसए चत्तारि य एगूणवीसइभाए जोअणस्स विक्खंभेणं, तस्स बाहा पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं तेत्तीस जोअणसहस्साइं सत्त य सत्तसट्टे जोअणसए सत्त य एगूणवीसइभाए जोअणस्स आयामेणं, तस्स जीवा बहुमज्झदेसभा पाईणपडीणायया दुहा लवणसमुद्दं पुट्ठा पुरत्थिमिल्लाए कोडीए पुरत्थिमिल्लं जाव पुट्ठा एवं पच्चत्थिमिल्लाए जाव पुट्ठा एवं जोयणसयसहस्सं आयामेणं, तस्स धणुं उभओ पासिं उत्तरदाहिणेणं एवं जोयणसयसहस्सं अट्ठावण्णं च जोअणसहस्साइं एगं च तेरसुत्तरं जोअणसयं सोलस य एगूणवीसइभागे जोयणस्स किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं, महाविदेहे णं वासे चउव्विहे चउप्पडोआरे पं० तं०-पुव्वविदेहे अवरविदेहे देवकुरा उत्तराकुरा, महाविदेहस्स णं वासस्स भंते ! केरिसए आगारभावपडोआरे पं० ?, गो० ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० जाव कित्तिमेहिं चेव अकित्तिमेहिं चेव, महाविदेहे णं भंते! वासे मणुआणं केरिसए आयारभावपडोआरे पं० १, गो० ! छविहे संघयणे छव्विहे संठाणे पञ्चधणुसयाई उद्धंउच्चत्तेणं जह० अंतोमुहुत्तं० उक्को० पुव्वकोडीआउअं पालेति त्ता अप्पेगइआ णिरयगामी जाव अप्पेगइआ सिज्झति जाव अंतं करेति, से केणट्टेणं भंते! एवं वुच्चइ-महाविदेहे वासे २१, गो० ! महाविदेहे णं वासे भरहेरवयहेमवयहेरण्णवयहरिवासरम्मगवासेहिंतो आयामविक्खंभसंठाणपरिणाहेणं विच्छिण्णतराए चेव महंततराए चेव सुप्पमाणतराए चेव महाविदेहा य इत्थ मणूसा परिवसंति, महाविदेहे य इत्थ देवे महिद्धीए
लिओ परिवसइ, से तेणद्वेणं गो० ! एवं वुच्चइ-महाविदेहे वासे २, अदुत्तरं च णं गो० ! महाविदेहस्स वासस्स सासते णामधेज्जे पं० जं ण कयाई सी० १८६ | कहिं णं भंते! महाविदेहे वासे गन्धमायणे णामं वक्खारपव्वए पं० ?, गो० ! णीलवन्तस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणेणं मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरपच्चत्थिमेणं गंधिलावइस्स विजयस्स पुरच्छिमेणं उत्तरकुराए पच्चत्थिमेणं एत्थ णं महाविदेहे वासे गन्धमायणे णामं वक्खारपव्वए पं० उत्तरदाहिणाए 05 श्री आगमगुणमंजूषा - १२२३
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो ४
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पाइणपडीणविच्छिण्णे तीसं जोयणसहस्साइं दुण्णि य णउत्तरे जोयणसए छच्च य एगूणवीसइभाए जोयणस्स आयामेणं णीलवंतवासहरपव्वयंतेणं चत्तारि जोयणसयाई उद्धंउच्चत्तेणं चत्तारि गाउअसयाइं उव्वेहेणं पञ्च जोअणसयाइं विक्खम्भेणं तयणंतरं च णं मायाए २ उस्सेहुव्वेहपरिवद्धीए परिवद्धमाणे २ विक्खंभपरिहाणी परिहायमाणे २ मंदरपव्वयंतेणं पञ्च जोयणसयाई उद्धंउच्चत्तेणं पञ्च गाउअसयाइं उव्वेहेणं अंगुलस्स असंखिज्जइभागं विक्खंभेणं पं० गयदंतसंठाणसंठिए सव्वरयणामए अच्छे० उभओ पासिं दोहिं पउमवरवेइआहिं दोहिं य वणसंडेहिं सव्वओ समंता संपरिकिखत्ते, गंधमायणस्स णं वक्खारपव्वयस्स उप्पिं बहुसमरमणिजे भूमिभागे जाव आसयंति०, गंधमायणे णं वक्खारपव्वए कति कूडा पं० १, गो० ! सत्त कूडा पं० तं०-सिद्धाययणकूडे गंधमायण० गंधिलावई० उत्तरकुरू० फलिह० लोहियक्ख० आणंदकूडे, कहिं णं भंते! गंधमायणे वक्खारपव्वए सिद्धाययणकूडे णामं कूडे पं० ?, गो० ! मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरपच्चत्थिमेणं गंधमायणकूडस्स दाहिणपुरत्थिमेणं एत्थ णं गंधमायणे वक्खारपव्वए सिद्धाययणकूडे णामं कूडे पं० जं चेव चुल्लहिमवंते सिद्धाययणकूडस्स पमाणं तं चेव एएसिं सव्वेसिं भाणियव्वं, एवं चेव विदिसाहिं तिण्णि कूडा भाणियव्वा, चउत्थे ततियस्स उत्तरपच्चत्थिमेणं पञ्चमस्स दाहिणेणं, सेसा उ उत्तरदाहिणेणं, फलिहलोहिअक्खेसु भोगंकरभोगवईओ देवयाओ सेसेसु सरिसरामया देवा, छसुवि पासायवडेंसगा, रायहाणीओ विदिसासु, से केणद्वेणं भंते! एवं वुच्चइ-गंधमायणे वक्खारपव्वए २१, गो० ! गंधमायणस्स वक्खारपव्वयस्स गंधे से जहाणामए कोट्ठपुडाण वा जाव पीसिज्जमाणाण वा उक्किरिज्जमाणाण वा जाव ओराला मणुण्णा जाव अभिणिस्सवंति, भवे एयारूवे ?, णो इण समट्ठे. गंधमायणस्स णं इत्तो इट्ठतराए चेव जाव गंधे पं०. से एएणट्टेणं गो० ! एवं वुच्चइ-गंधमायणे वक्खारपव्वए २, गंधमायणे य इत्थ देवे महिद्धी परिवसइ, अदुत्तरं च णं सासए णामधिज्जे । ८७ । कहिं णं भंते ! महाविदेहे वासे उत्तरकुरा णामं कुरा पं०. गो० ! मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं णीलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दक्खिणं गंधमायणस्स वक्खारपव्वयस्स पुरत्थिमेणं मालवंतस्स वक्खारपव्वयस्स पच्चत्थिमेणं एत्थ णं उत्तरकुरा णामं कुरा पं० पाईणपडीणायया उदीणदाहिणविच्छिण्णा अर्द्धचंदसंठाणसंठिआ इक्कारस जोयणसहस्साइं अट्ठ य बायाले जोयणसए दोण्णि य एगूणवीसइभाए जोयणस्स विक्खंभेणं, तीस जीवा उत्तरेणं पाईणपडीणायया दुहा वक्खारपव्वयं पुट्ठा, तं० पुरत्थिमिल्लाए कोडीए पुरत्थिमिल्लं वक्खारपव्वयं पुट्ठा एवं पच्चत्थिमिल्लाए जाव पच्चत्थिमिल्लं वक्खारपव्वयं पुट्ठा, तेवण्णं जोयणसहस्साइं आयामेणं, तीसे णं धणुं दाहिणेणं सट्ठि जोयणसहस्साइं चत्तारि य अट्ठारे जोयणसए दुवालस य एगूणवीसभाए जोयणस्स परिक्खेवेणं, उत्तरकुराए णं भंते! कुराए केरिसए आयारभावपडोआरे पं० ?, गो० ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं०, एवं पुव्ववण्णिआ जच्चेव सुसमसुसमावत्तव्वया सच्चेव णेअव्वा जाव पउमगंधा मिअगंधा अममा सहा तेतली सणिचारी । ८८। कहिं णं भंते ! उत्तरकुराए जमगा णामं दुवे पव्वया पं० ?, गो० ! णीलवंतस्सं वासहरपव्वयस्स दक्खिणिल्लाओ चरिमन्ताओ अट्ठ जोअणसए चोत्तीसे चत्तारि य सत्तभाए जोअणस्स अबाहाए सीआए महाणईए उभओ कूले एत्थ णं जमगा णामं दुवे पव्वया पं० जोअणसहस्सं उड्ढउच्चत्तेणं अड्ढाइज्जाई जोअणसयाई उव्वेहेणं मूले एगं जोअणसहस्सं आयामविक्खम्भेणं झे अद्धट्ठमाणि जोअणसयाई आयामविक्खम्भेणं उवरिं पंच जोअणसयाइं आयामविक्खम्भेणं मूले तिण्णि जोअणसहस्साइं एगं च बावट्टं जोअणसयं किंचिविसेसाहिअं परिक्खेवेणं मज्झे दो जोअणसहस्साइं तिण्णि य बावत्तरे जोअणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं उवरिं एवं जोअणसहस्सं पंच य एक्कासीए जोअणसहस्सं पंच य एक्कासीए जोअणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं मूले विच्छिण्णा मज्झे संखित्ता उप्पिं तणुआ जमगसंठाणसंठिआ सव्वकणगामया अच्छा सण्हा० पत्तेअं २ पउमवरवेइआपरिक्खित्ता पत्तेअं २ वणसंडपरिक्खित्ता, ताओ णं पउमवरवेइआओ दो गाऊयाइं उद्धंउच्चत्तेणं पञ्च धणुसयाइं विक्खम्भेणं वेइआवणसण्डवण्णओ भाणिअव्वो, तेसिं णं जमगपव्वयाणं उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० जाव तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं दुवे पासायवडेंसगा पं० तेणं पासायवडेंसगा बावट्ठि जोअणाई अद्धजोअणं च उद्धंउच्चत्तेणं इक्कतीसं जोअणाइं कोसं च आयामविक्खंभेणं पासायवण्णओ भाणिअव्वो, सीहासणा " सपरिवारा जाव एत्थ णं जमगाणं देवाणं सोलसण्हं आयरक्खदेवसाहस्सीणं सोलस भद्दासणसाहस्सीओ पं०, से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ-जमगा पव्वया २ १, YO श्री आगमगुणमंजूषा १२२४
1 9 1 5 25 25 9555555555
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एका जमूदीवपन्नत्ति वक्खारो
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गो० ! जमगपव्वएसु णं तत्थ २ देसे २ तहिं २ बहवे खुड्डाखुड्डियासु वावीसु जाव बिलपंतियासु बहवे उप्पलाइ जाव जमगवण्णाभाई जमगा य इत्थ दुवे देवा महिद्धीया०, ते णं तत्थं चउण्हं सामाणिअसाहस्सीणं जाव भुञ्चमाणा विहरंति, से तेणढेणं गो० ! एवं वुच्चइ-जमगपव्वया २, अदुत्तरं च णं सासए णामधिज्जे जाव जमगपव्वया २, कहिणं भंते ! जमगाणं देवाणं जमिगाओ रायहाणीओ पं०१, गो० ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं अण्णंमिजंबुद्दीवे बारसजोअणसहस्साई ओगाहित्ता एत्थ णं जमगाणं देवाणं जमिगाओ रायहाणीओ पं० बारस जोअणसहस्साई आयामविक्खंभेणं सत्तत्तीसं जोअणसहस्साइं णव य अडयाले जोअणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं पत्तेयं २ पायारपरिक्खित्ता, ते णं पागारा सत्तत्तीसं जोअणाइं अद्धजोअणं च उद्धंउच्चत्तेणं मूले अद्धत्तेरस जोअणाई विक्खंभेणं मज्झे छ सकोसाइं जोअणाइं विक्खंभेणं उवरि तिण्णि सअद्धकोसाइं जोअणाई विक्खंभेणं मूले विच्छिण्णा मज्झे संखित्ता उप्पिं तणुआ बाहिं वट्टा अंतो चउरंसा सव्वरयणामया अच्छा०, ते णं पागारा णाणामणिपञ्चवण्णेहिं कविसीसएहिं उवसोहिया, तं०-किण्हेहिं जाव सुकिल्लेहि, ते णं कविसीसगा अद्धकोसं आयामेणं देसूणं अद्धकोसं उद्धंउच्चत्तेणं पञ्च धणुसयाई बाहल्लेणं सव्वमणिमया अच्छा०, जमिगाणं रायहाणीणं एगमेगाए बाहाए पणवीसं २ दारसयं पं०, ते णं दारा बावट्ठि जोअणाई अद्धजोअणं च उद्धंउच्चत्तेणं इक्कत्तीसं जोअणाई कोसंच विक्खंभेणं तावइअंचेव पवेसेणं सेआ वरकणगथूभिआगा एवं रायप्पेसणइज्जविमाणवत्तव्वयाए दारवण्णओ जाव अट्ठट्ठमंगलगा, जमियाणं रायहाणीणं चउद्दिसिं पञ्च २ जोयणसए अबाहाए चत्तारि वणसण्डा पं० तं०-असोगवणे सत्तवण्ण चंपग चुअवणे, तेणं वणसंडा साइरेगाइं बारसजोयणसहस्साइं आयामेणं पञ्च जोयणसयाई विक्खभेणं पत्तेयं २ पागारपरिक्खित्ता किण्हा० वणसण्डवण्णओ भूमीओपासायवडेंसगा भाणियव्वा, जमिगाणं रायहाणीणं अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे वण्णगो, तेसिंणं बहुसमरमणिज्जाणं भूमिभागाणं बहुमज्झदेसभाए एत्थणं दुवे उवयारियालयणा पं० बारस जोयणसयाई आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोयणसहस्साइं सत्त य पञ्चाणउए जोयणसए परिक्खेवेणं अद्धकोसं च बाहल्लेणं सव्वजंबूणयांमया अच्छा० पत्तेयं २ पउमवरवेझ्यापरिक्खित्ता पत्तेयं २ वणसंडवण्णओ भाणियव्वो, तिसोवाणपडिरूवगा तोरणा चउद्दिसिंभूमिभागा य भाणियव्वा, तस्सणं बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं एगे पासायवडेसए पं० बावट्ठि जोयणाई अद्धजोयणं च उद्धंउच्चत्तेणं इक्कतीसं च जोयणाई कोसं आयामविक्खंभेणं वण्णओ उल्लोआ भूमिभागा सीहासणा सपरिवारा, एवं पासायपंतीओ एक्कतीसं जोयणाई कोसं च उद्धंउच्चत्तेणं साइरेगाइं अद्धसोलसजोयणाई आयामविक्खंभेणं, बिइअपासायपंती तेणं पासायवडेंसया साइरेगाइं अद्धसोलसजोयणाई उद्धंउच्चत्तेणं साइरेगाइं अट्ठमाइं जोयणाई आयामविक्खंभेणं, तइअपासायपंती ते णं पासायवडेंसया साइरेगाइं अट्ठमाइं जोयणाइं उद्धंउच्चत्तेणं साइरेगाइं अधुट्ठजोयणाई आयामविक्खंभेणं, वण्णओ सीहासणा सपरिवारा, तेसिं णं मूलपासायवडिसयाणं उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए एत्थ णं जमगाणं देवगाणं सहाओ सुहम्माओ पं० अद्धतेरस जोयणाई आयामेणं छस्सकोसाइं जोयणाई विक्खंभेणं णव जोयणाई उद्धं उच्चत्तेणं अणेगखम्भसयसण्णिविट्ठा सभावण्णओ, तासिंणं सभाणं सुहम्माणं तिदिसिंतओ दारा पं०, ते णं दारा दो जोयणाई उद्धंउच्चत्तेणं जोयणं विक्खंभेणं तावइयं चेव पवेसेणं, सेआ वण्णओ जाव वणमाला, तेसिंणं दाराणं पुरओ पत्तेयं २ तओ मुहमंडवा पं०, ते णं मुहमंडवा अद्धत्तेरसजोअणाई आयामेणं छस्सकोसाइं जोअणाई विक्खंभेणं साइरेगाइं दो जोअणाई उद्धंउच्चत्तेणं जाव दारा भूमिभागा य, पेच्छाघरमंडवाणं तं चेव पमाणं भूमिभागो मणिपेढिआओ, ताओ णं मणिपेढिआओ जोअणं आयामविक्खम्भेणं अद्धजोअणं बाहल्लेणं सव्वमणिमइओ सीहासणा भाणिअव्वा, तेसिं णं पेच्छाघरमंडवाणं पुरओ मणिपेढिआओ पं०, ताओ णं मणिपेढिआओ दो जोअणाई आयामविक्खम्भेणं जोअणं बाहल्लेणं सव्वमणिमइओ, तासिंणं उप्पिं पत्तेअं २ तओ थूभा, ते णं थूभा दो जोअणाई उद्धंउच्चत्तेणं दो जोअणाई आयामविक्खम्भेणं सेआ संखतल जाव अट्ठट्ठमंगलया, तेसिं णं थूभाणं चउद्दिसिं चत्तारि मणिपेढिआओ पं०, ताओ णं मणिपेढिआओ जोयणंभ आयामविक्खंभेणं अद्धजोयणं बाहल्लेणं, जिणपडिमाओ वत्तव्वाओ, चेइअरूक्खाणं मणिपेढिआओ दो जोयणाई आयामविक्खम्भेणं जोयणं बाहल्लेणं
NO.3555555555555555555555555555555555555555555555Soot
(OinEducation international 2010-03
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www.jainelibrary.oo) 5 5555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १२२५555555555555555555555555555OOR
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो ४
चेइअरूक्खवण्णओ, तेसिं णं चेइअरूक्खाणं पुरओ तओ मणिपेढिआओ पं०, ताओ णं मणिपेढियाओ जोयणं आयामविक्खंभेणं अद्धजोयणं बाहल्लेणं, तासिं उप्पिं पत्तेअं महिदज्झया पं०, ते णं अद्धट्टमाई जोयणाई उद्धंउच्चत्तेणं अद्धकोसं उव्वेहेणं अद्धकोसं बाहल्लेणं वइरामय० वट्ट० वण्णओ वेइआवणसंडतिसोवाणतोरणा य भाणियव्वा, तासिं णं सभाणं सुहम्माणं छच्च मणोगुलिआसाहस्सीओ पं० तं०-पुरत्थिमेणं दो साहस्सीओ पच्चत्थिमेणं दो साहस्सीओ दक्खिणेणं एगा साहस्सी उत्तरेणं एगा जाव दामा चिट्ठति, एवं गोमाणसियाओ, णवरं धूवघडियाओत्ति, तासिं णं सुहम्माणं सभाणं अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं०, मणिपेढिया दो जोयणाई आयामविक्खंभेणं जोयण बाहल्लेणं, तासिं णं मणिपेढियाणं उप्पिं माणवए चेइयखंभे महिंदज्झयप्पमाणे उवरिं छक्कोसे ओगाहित्ता हेट्ठा छक्कोसे वज्जित्ता जिणसकहाओ वण्णओ माणवगस्स पुव्वेणं सीहासणा सपरिवारा पच्चत्थिमेणं सयणिज्जवण्णओ, सयणिज्जाणं उत्तरपुरत्थिमे दिसिभाए खुड्डगमहिंदज्झया मणिपेढिआविहूणा महिंदज्झयप्पमाणा, तेसिं अवरेणं चोप्फाला पइरणकोसा, तत्थ णं बहवे फलिहरयणपामुक्खा जाव चिह्नंति, सुहम्माणं उप्पिं अट्ठट्ठमंगलगा, तासिंणं उत्तरपुरत्थिमेणं सिद्धाययणा एस चेव जिणघराणवि गमो, णवरं इमं णाणत्तं एतेसिं णं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयं २ मणिपेढियाओ दो जोयणाई आयामविक्खंभेणं जोयणं बाहल्लेणं, तासिं उप्पिं पत्तेयं २ देवच्छंदया पं० दो जोयणाई आयामविक्खंभेणं साइरेगाइं दो जोयणाई उद्धंउच्चत्तेणं सव्वरयणामया, जिणपडिमा वण्णओ जाव धूवकडुच्छुगा, एवं अवसेसाणवि सभाणं जाव उववायसभाए सयणिज्जं ( हरओ पा० ) अभिसेअसभाए बहु आभिसेक्के भंडे हरओ य, अलंकारिअसभाए बहु अलंकारिअभंडे चिट्ठइ, ववसायसभासु पुत्थयरयणा, गंदा पुक्खरिणीओ, बलिपेढा सव्वरयणामया दो जोयणाई आयामविकखंभेणं जोयणं बाहल्लेणं जाव'उववाओ संकप्पो अभिसेअ विहूसणा य ववसाओ । अच्चणिअ सुधम्मगमो जहा य परियारणा इद्धी ||४२ || जावइयंमि पमाणमि हुंति जमगाओ णीलवंताओ । तावइअमन्तरं खलु जमगदहाणं दहाणं च ||४३||८९ | कहिं णं भन्ते ! उत्तरकुराए णीलवन्तद्दहे णामं दहे पं० १, गो० ! जमगाणं दक्खिणिल्लाओ चरिमन्ताओ अट्ठसए चोत्तीसे चत्तारि अ सत्तभाए जोअणस्स अबाहाए सीआए महाणईए बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं णीलवन्तद्दहे णामं दहे पं० दाहिणउत्तरायए पाईणपडीणविच्छिण्णे जव म तव वण्णओ णाअव्वो, णाणत्तं दोहिं पउमवरवेइआहिं दोहि य वणसंडेहिं संपरिक्खित्ते, णीलवन्ते णामं णागकुमारे देवे सेसं तं चेव णेअव्वं, णीलवन्तद्दहस्स पुव्वावरे पासे दस २ जोअणाई अबाहाए एत्थ णं वीसं कंचणगपव्वया पं० एगं जोयणसयं उद्धंउच्चत्तेणं- 'मूलंमि जोयणसयं पण्णत्तरि जोयणाई मज्झमि । उवरितले कंचणगा पण्णासं जोयणा हुँति ॥ ४४ ॥ मूलंमि तिण्णि सोले सत्तत्तीसाइं दुण्णि मज्झमि । अट्ठावण्णं च सयं उवरितले परिरओ होइ ||४५ || पढमित्थ नीलवतो बितिओ उत्तरकुरू मुणेअव्वो । चंदद्दहोत्थ तइओ एरावण मालवन्तो य ॥ ४६ ॥ एवं वण्णओ अट्ठो पमाणं पलिओवमट्ठिइआ देवा | १०| कहिं णं भंते ! उत्तरकुराए कुराए जम्बूपेढे णामं पेढे पं० १, गो० ! णीलवन्तस्स वासहरपव्वयस्स दक्खिणेणं मन्दरस्स उत्तरेणं मालवन्तस्स वक्खारपव्वयस्स पच्चत्थिमेणं सीआए महाणईए पुरत्थिमिल्ले कूले एत्थ णं उत्तरारकुराए कुराए जम्बूपेढे णामं पेढे पं० पंच जोअणसयाई आयामविक्खंभेणं पण्णरस एक्कासीयाई जोअणसयाई किंचिविसेसाहिआईं परिक्खेवेणं बहुमज्झदेसभाए बारस जोअणाइं बाहल्लेणं तयणंतरं च णं मायाए २ पदेसपरिहाणीए परिहीयमाणे २ सव्वेसु णं चरिमपेरंतेसु दो द्रो गाऊआइं बाहल्लेणं सव्वजम्बूणयामए अच्छे०, से णं एगाए पउमवरवेइआए एगेण य वणसंडेण सव्वओ समन्ता संपरिक्खित्ते दुण्हंपि वण्णओ. तस जम्बूपेढस्स चउद्दिसिं चत्तारि तिसोवाणपडिरूवगा पं० वण्णओ जाव तोरणाइं, तस्स णं जम्बूपेढस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं मणिपेढिआ पं० अट्ठजोअणाई आयामविक्खंभेणं चत्तारिं जोअणाइं बाहल्लेणं, तीसे णं मणिपेढिआए उप्पिं एत्थ जम्बू सुदंसणा पं० अट्ठ जोयणाई उद्धंउच्चत्तेणं अद्धजोयणं उव्वेहेणं, तीसे गं खंधो दो जोयणाइं उद्वंउच्चत्तेणं अद्धजोअणं बाहल्लेणं, तीसे णं साला छ जोअणाइं उद्धंउच्चत्तेणं बहुमज्झदेसभाए अट्ठ जोअणाई आयामविक्खंभेणं साइरेगाइं अट्ठ जोयणाई सव्वग्गेणं, तीसे णं अयमेआरूवे वण्णावासे पं० वइरामया मूला रययसुपइट्ठिअविडिमा जाव अहिअ (प्र० हियय) मणणिव्वुइकरी पासाईआ दरिसणिज्जा०,
15 [45] [45] [4] [45] [45 श्री आयमगणसंजना १२२६ 1454545454515 SESSI
原
Education International 2010_03 SECCLE US GUE LE UG LE L5] [45] [45] [45] [45] [15] [4]
[४४ ]
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(१८) जंबूदीवपत्ति वक्खारो
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जंबूए णं सुदंसणाए चउद्दिसिंचत्तारि साला पं०, तेसिंणं सालाणं बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं सिद्धाययणे पं० कोसं आयामेणं अद्धंकोसं विक्खम्भेणं देसूणगं कोसं उद्धंउच्चत्तेणं अणेगखम्भसयसण्णिविट्ठे जाव दारा पञ्चधणुसयाई उद्धंउच्चत्तेणं जाव वणमालाओ मणिपेढिआ पञ्चधणुसयाई आयामविक्खम्भेणं अद्धाइज्जाई धणुसयाई बाहल्लेणं, तीसे णं मणिपेढिआए उप्पिं देवच्छन्दए पंचधणुसयाई आयामविक्खंभेणं साइरेगाइं पंचधणुसयाई उद्धंउच्चत्तेणं, जिणपडिमा वण्णओ सव्वो णेअव्वो, तत्थ णं जे से पुरथिमिल्ले साले एत्थ णं भवणे पं०, कोसं आयामेणं एवामेव णवरमित्थ सयणिज्ज सेसेसु पासायवडेंसया सीहासणा य सपरिवारा, जम्बू णं बारसहिं पउमवरवेइताहिं सव्वओ समन्ता संपरिक्खित्ता, वेइआण वण्णओ, जम्बू णं अण्णेणं अट्ठसएणं जम्बूणं तदद्धच्चत्ताणं सव्वओ समन्ता संपरिक्खित्ता, तासिं णं वण्णओ, ताओ णं जम्बू छहिं पउमवरवेइआहिं संपरिक्खित्ता, जम्बूए णं सुदंसणाए उत्तरपुरत्थिमेणं उत्तरेणं उत्तरपच्चत्थिमेणं एत्थ णं अणाढिअस्स देवस्स चउण्हं सामाणिअसाहस्सीणं चत्तारि जम्बूसाहस्सीओ पं०, तीसे णं पुरत्थिमेणं चउण्हं अग्गमहिसीणं चत्तारि जम्बूओ पं०, 'दक्खिणपुरत्थिमे दक्खिणेण तह अवरदक्खिणेणं च । अट्ठ दस बारसेव य भवन्ति जम्बूसहस्साइं ॥४७|| अणिआहिवाण पच्चत्थिमेणं सत्तेव होति जम्बूओ। सोलस साहस्सीओ चउद्दिसिं आयरक्खाणं ॥४८॥ जम्बू णं तीहिं सइएहिं वणसंडेहिं सव्वओ समन्ता संपरिक्खित्ता, जम्बूए णं पुरत्थिमेणं पण्णासं जोअणाई पढमं वणसंडं ओगाहित्ता एत्थ णं भवणे पं० कोसं आयामेणं सो चेव वण्णओ सयणिज्जं च, एवं सेसासुवि दिसासु भवणा, जम्बूए णं उत्तरपुरस्थिमेणं पढमं वणसण्डं पण्णासं जोअणाई ओगाहित्ता एत्थ णं चत्तारि पुक्खरिणिओ पं० तं०-पउमा पउमप्पभा कुमुदा कुमुदप्पभा, ताओ णं कोसं आयामेणं अद्धकोसं विक्खम्भेणं पञ्च धणुसयाइं उव्वेहेणं वण्णओ, तासिंणं मज्झे पासायवडेंसगा कोसं आयामेणं अद्धकोसं विक्खम्भेणं देसूर्ण कोसं उद्धंउच्चत्तेणं वण्णओ, सीहासणा सपरिवारा, एवं सेसासु विदिसासु, पउमा पउमप्पभा चेव, कुमुदा कुमुदप्पहा । उप्पलगुम्मा णलिणा, उप्पला उप्पलुज्जला ॥४९॥ भिंगा भिंगप्पभा चेव, अंजणा कज्जलप्पभा । सिरिकंता सिरिमहिआ, सिरिचंदा चेव सिरिनिलया ॥५०|| जम्बूए णं पुरथिमिल्लस्स भवणस्स उत्तरेणं उत्तरपुरच्छिमिल्लस्स पासायवडेंसगस्स दकिखणेणं एत्थ णं कूडे पं० अट्ठ जोयणाई उद्धंउच्चत्तेणं दो जोयणाई उव्वेहेणं मूले अट्ठ जोयणाई आयामविक्खम्भेणं बहुमज्झदेसभाए छ जोयणाई आयामविक्खम्भेणं उवरिं चत्तारि जोयणाई आयामविक्खम्भेणं- 'पणवीसंऽट्ठारस बारसेव मूले य मज्झि उवरिं च । सविसेसाइं परिरओ कूडस्स इमस्स बोद्धव्वो॥५१।। मूले विच्छिण्णे मज्झे संखित्ते उवरि तणुए सव्वकणगमए अच्छे० वेइआवणसंडवण्णओ, एवं सेसावि कूडा, जम्बूए णं सुदंसणाए दुवालस णामधेज्जा पं० २०-'सुदंसणा अमोहा य, सुप्पबुद्धा जसोहरा। विदेहजम्बू सोमणसा, णिइया णिच्चमंडिआ॥५२।। सुभद्दा य विसाला य, सुजया सुमणाऽविअ सुदंसणाए जम्बूए, णामधेज्जा दुवालस ॥५३॥ जम्बूए णं अट्ठमंगलगा०, से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ-जम्बू सुदंसणार?, गो० ! जम्बूए णं सुदंसणाए अणाढिए णामं देवे जम्बुद्दीवाहिवई परिवसइ महिद्धीए०, सेणं तत्थ चउण्डं सामाणिअसाहस्सीणं जाव आयरक्खदेवसाहस्सीणं०, जम्बुद्दीवस्स णं दीवस्स जम्बूए सुदंसणाए अणाढिआए रायहाणीए अण्णेसिंच बहूणं देवाण य जाव विहरइ, से तेणटेणं गो० ! एवं वुच्चइ०, अदुरूत्तरं च णं गो० ! जम्बू सुदंसणा जाव भुविं च धुवा णिअआ सासया अक्खया जाव अवट्ठिआ, कहिं णं भंते ! अणाढिअस्स देवस्स अणाढिआ णामं रायहाणी पं०?, गो० ! जम्बुद्दीवे मन्दरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं जं चेव पुव्ववण्णिअं जमिगापमाणं तं चेव णेअव्वं जाव उववाओ अभिसेओय निरवसेसो।९११ सेकेणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ-उत्तरकुरा कुरा?, गो० ! उत्तरकुराए उत्तरकुरूणामं देवे परिवसइ महिद्धीए जाव पलिओवमट्ठिइए, से तेणद्वेणं गो० ! एवं वुच्चइ-उत्तरकुरा २, अदुत्तरं च णं जाव सासए०, कहिं णं भंते ! महाविदेहे वासे मालवंते णामं वक्खारपव्वए पं०?, गो० ! मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरपुरत्थिमेणं णी (प्र० ने) लवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणेणं उत्तरकुराए पुरत्थिमेणं वच्छस्स चक्कवट्टिविजयस्स पच्चत्थिमेणं एत्थणं महाविदेहे वासे मालवंते णामं वक्खारपव्वए पं० उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिण्णे जं चेव गंधमायणस्स पमाणं विक्खंभो यणवरमिमं णाणत्तं सव्ववेरूलिआमए अवसिटुं तं चेव जाव
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Educationinternational 2010_03
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श्री धामणमजषा. १२२७
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(१८ा जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो ४
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गो० ! नव कूडा पं० तं०-सिद्धाययणकूडे० 'सिद्धे य मालवंते उत्तरकुरू कच्छ सागरे रयए। सीओय पुण्णभद्दे हरिस्सहे चेव बोद्धव्वे ।।५४॥ कहिणं भंते ! मालवंते । वक्खारपव्वए सिद्धाययणकूडे णामं कूडे पं०?, गो० ! मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरपुरस्थिमेणं मालवंतस्स कूडस्स दाहिणपच्चत्थिमेणं एत्थ णं सिद्धाययणकूडे णामं कूडे पं० पंच जोयणसयाई उद्धंउच्चत्तेणं अवसिटुं तं चेव जाव रायहाणी, एवं मालवंतस्स कूडस्स उत्तरकुरूकूडस्स कच्छकूडस्स, एए चत्तारि कूडा दिसाहिं पमाणेहिं य णेयव्वा, कूडसरिसणामया देवा, कहिं णं भंते ! मालवंते सागरकूडे नामं कूडे पं०?, गो० ! कच्छकूडस्स उत्तरपुरस्थिमेणं रययकूडस्स दक्खिणेणं एत्थ णं सागरकूडे णामं कूडे पं० पंच जोयणसयाई उद्धंउच्चत्तेणं अवसिटुं तं चेव सुभोगा देवी रायहाणी उत्तरपुरत्थिमेणं रययकूडे भोगमालिणी देवी रायहाणी उत्तरपुरस्थिमेणं, अवसिट्ठा कूडा उत्तरदाहिणेणं णेयव्वा एक्केणं पमाणेणं ।९२। कहिं णं भन्ते ! मालवंते हरिस्सहकूडे णामं कूडे पं०?, गो० ! पुण्णभहस्स उत्तरेणं णी (प्र० ने)
लवंतस्स दकिखणेणं एत्थणं हरिस्सहकूडे णामं कूडे पं० एगं जोअणसहस्सं उद्धंउच्चत्तेणं जमगपमाणेणं णेयव्वं रायहाणी उत्तरेणं असंखेज्जे दीवे अण्णंमि जम्बुद्दीवे ॐ दीवे उत्तरेणं बारस जोअणसहस्साइं ओगाहित्ता एत्थ णं हरिस्सहस्स (२१७) देवस्स हरिस्सहा णामं रायहाणी पं० चउरासीई जोयणसहस्साइं आयामविक्खंभेणं
बे जोयणसयसहस्साइं पण्णढिं सहस्साइ छच्च छत्तीसे जोयणसए परिक्खेवेणं सेसं जहा चमरचञ्चाए रायहाणीए तहा पमाणं भाणियव्वं, महिद्धीए महज्जुईए०, से केणेढेणं भंते ! एवं वुच्चइ-मालवन्ते वक्खारपव्वए २१, गो० ! मालवन्ते णं वक्खारपव्वए तत्थ २ देसे २ तहिं २ बहवे सरिआगुम्मा णोमालिआगुम्मा जाव मगदन्तिआगुम्मा तेणं गुम्मा दसद्धवण्णं कुसुमं कुसुमेति जेणं तं मालवन्तस्स वक्खारपव्वयस्स बहुसमरमणिज्ज भूमिभागं वायविधुअग्णसाला मुक्कपुप्फपुंजोवयार कलिअं करेन्ति, मालवंते य इत्थ देवे महिद्धीए जाव पलिओवमट्ठिइए परिवसइ,से तेणट्टेणं गो० ! एवं वुच्चइ०, अदुत्तरं च णं जाव णिच्चे ।९३। कहिणं भंते !जंबुद्दीवे महाविदेहे वासे कच्छे णामं विजए पं०?, गो० ! सीआए महाणईए उत्तरेणं णीलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दक्खिणेणं चित्तकूडस्स वक्खारपव्वयस्स पच्चत्थिमेणं मालवंतस्स वक्खारपव्वयस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं जंबूद्दीवे महाविदेहे वासे कच्छे णामं विजए पं० उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिण्णे पलिअंकसंठाणसंठिए गंगासिंधूहि महाणईहिं वेयरेणं य पव्वएणं छब्भागपविभत्ते सोलस जोयणसहस्साइं पंच य बाणउए जोयणसए दोण्णि य एगूणवीसइभाए जोयणस्स आयामेणं दो जोयणसहस्साइं दोण्णि य तेरसुत्तरे जोयणसए किंचिविसेसूणे विक्खंभेणं, कच्छस्स णं विजयस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं वेअद्धे णाम पव्वए पं०, जेणं कच्छं विजयं दुहा विभयमाणे २ चिट्ठइ, तं०-दाहिणद्धकच्छं च उत्तरद्धकच्छं च, कहिं णं भंते ! जंबुद्दीवे महाविदेहे वासे दाहिणद्धकच्छे णामं विजए पं० ?, गो० ! वेयद्धस्स पव्वयस्स दाहिणेणं सीआए महाणईए उत्तरेणं चित्तकूडस्स वक्खारपव्वयस्स पच्चत्थिमेणं मालवंतस्स वक्खारपव्वयस्स पुरत्थिमेणं एत्य णं जंबुद्दीवे महाविदेहे वासे दाहिणद्धकच्छे णामं विजए पं० उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिण्णे अट्ठ जोयणसहस्साइं दोणि य एगसत्तरे जोयणसए एक्कं च एगूणवीसइभागं जोयणस्स आयामेणं दो जोयणसहस्साई दोण्णि य तेरसुत्तरे जोयणसए किंचिविसेसूणे विक्खंभेणं पलिअंकसंठाणसंठिए, दाहिणद्धकच्छस्स णं भंते ! विजयस्स
केरिसए आयारभावपडोआरे पं०?, गो० ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० जाव अकित्तिमेहिं चेव, दाहिणद्धकच्छे णं भंते ! विजए मणुआणं केरिसए आयारभावपडोयारे म पं०?, गो० तेसिंणं मणुआणं छविहे संघयणे जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेंति, कहिणं भंते ! जंबुद्दीवे महाविदेहे वासे कच्छे विजए वेंयद्धे णामं पव्वए पं०?,
गो० ! दाहिणद्धकच्छविजयस्स उत्तरेणं उत्तरद्धकच्छस्स दाहिणेणं चित्तकूडस्स पच्चत्थिमेणं मालवंतस्स वक्खारपव्वयस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं कच्छे विजए वेअद्धे णामं पव्वए पं० पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे दुहा वक्खारपव्वयं पुढे-पुरथिमिल्लाए कोडीए जाव दोहिवि पुढे भरहवेअद्धसरिसए णवरं दो बाहाओ जीवा धणुपटुं च ण कायव्वं विजयविक्खंभसरिसे आयामेणं, विक्खंभो उच्चत्तं उव्वेहो तहच्चेव, विज्जाहरआभिओगसेढीओ तहेव, णवरं पणपण्णे २ विज्जाहरणगरावासा पं०, आभिओगसेढीए उत्तरिल्लाओ सेढीओ सीयाए ईसाणस्स सेसाओ सक्कस्स, कूडा-'सिद्धे कच्छे खंडग माणी वेअद्ध पुण्ण
तिमिसगुहा । कच्छे वेसमणे वा वेअद्धे होति कूडाइं ॥५५|| कहिं णं भंते ! जंबुद्दीवे महाविदेहे वासे उत्तरद्धकच्छे णामं विजए पं०?, गो० ! वेंयद्धस्स पव्वयस्स mero###555555555555555555555श्री आगमगुणमंजूषा - १२२८4545555555555544444444446
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उत्तरेण णीलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणेणं मालवंतस्स वक्खारपव्वयस्स पुरत्थिमेणं चित्तकूडस्स वक्खारपव्वयस्स पच्चत्थिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे जाव सिज्झंति, तहेव णेयव्वं, कहिं णं भंते ! जंबुद्दीवे उत्तरद्धकच्छे विजए सिंधुकुंडे णामं कुंडे पं० ?, गो० ! मालवंतस्स वक्खारपव्वयस्स पुरत्थिमेणं उसभकूडस्स पच्चत्थिमेणं णीलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणिल्ले णितंबे एत्थ णं जंबुद्दीवे उत्तरढकच्छविजए सिंधुकुंडे णामं कुंडे पं० सट्ठि जोयणाणि आयामविक्खंभेणं जाव भवणं अट्ठो रायहाणी य णेयव्वा, भरहसिंधुकुंडसरिसं सव्वं णेयव्वं जाव तस्स णं सिंधुकुण्डस्स दाहिणिल्लेणं तोरणेणं सिंधुमहाणई पवूढा समाणी उत्तरद्धकच्छविजयं एज्जेमाणी २ सत्तहिं सलिलासहस्सेहिं आपूरेमाणी २ अहे तिमिसगुहाए वे अद्धपव्वयं दालयित्ता दाहिणकच्छविजयं एज्जेमाणी २ चोद्दसहिं सलिलासहस्सेहिं समग्गा दाहिणे सीयं महाणई समप्पेइ, सिंधुमहाणई पवहे य मूले य भरहसिंधुसरिसा पमाणेणं जाव दोहिं वणसंडेहिं संपरिक्खित्ता, कहिं णं भंते ! उत्तरद्धकच्छविजए उसभकूडे णामं पव्वए पं० ?, गो० ! सिंधुकुंडस्स पुरत्थिमेणं गंगाकुण्डस्स पच्चत्थिमेणं णीलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणिल्ले णितंबे एत्थ णं उत्तरद्धकच्छविजए उसहकूडे णामं पव्वए पं० अट्ठ जोयणाई उद्धंउच्चत्तेणं तं चेव पमाणं जाव रायहाणी से णवरं उत्तरेणं भाणियव्वा, कहिं णं भंते ! उत्तरद्धकच्छे विजए गंगाकुण्डे णामं कुण्डे पं० ?, गो० ! चित्तकूडस्स वक्खारपव्वयस्स पच्चत्थिमेणं उसहकूडस्स पव्वयस्स पुरत्थिमेणं णीलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणिल्ले णितंबे एत्थ णं उत्तरद्धकच्छे गंगाकुण्डे णामं कुण्डे पं० सट्ठि जोयणाई आयामविक्खंभेणं तहेव जहा सिंधू जाव वणसंडेण य संपरिक्खित्ते, से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ-कच्छे विजए २१, गो० ! कच्छे विजए वेयद्धस्स पव्वयस्स दाहिणेणं सीयाए महाणईए उत्तरेणं गंगाए महाणईए पच्चत्थिमेणं सिंधूए महाणईए पुरत्थिमेणं दाहिणद्धकच्छविजयस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं खेमाणामं रायहाणी पं० विणीआरायहाणीसरिसा भाणियव्वा, तत्थ णं खेमाए रायहाणीए कच्छे णामं राया समुपज्जइ, महया हिमवंत जाव सव्वं भरहोअवणं भाणियव्वं निक्खमणवज्जं सेसं सव्वं भाणियव्वं जाव भुंजए माणुस्सए सुहे, कच्छणामधेज्जे य कच्छे इत्थ देवे महद्धीए जाव पलिओवमट्ठिइए परिवसइ, से एएणद्वेणं गो० ! एवं वुच्चइ-कच्छे विजए २, जाव णिच्चे ।९४। कहिं णं भंते! जम्बुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे चित्तकूडे णामं वक्खारपव्वए पं० १, गो० ! सीयाए महाणईए उत्तरेणं णीलवन्तस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणेणं कच्छविजयस्स पुरत्थिमेणं सुकच्छविजयस्स पच्चत्थिमेणं एत्थ णं जम्बुद्दीवे महाविदेहे वासे चित्तकूडे णामं वक्खारपव्वए पं० उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिण्णे सोलसजोयणसहस्साइं पञ्च य बाणउ जो दुणिय एगूणवीसइभाए जोयणस्स आयामेणं पञ्च जोयणसयाइं विक्खम्भेणं नीलवन्तवासहरपव्वय॑तेणं चत्तारि जोयणसयाइं उद्धंउच्चत्तेणं चत्तारि गाऊअसयाइं उव्वेहेणं तयणंतरं च णं मायाए २ उस्सेहोव्वेहपरिवुद्धीए परिवद्धमाणे २ सीआमहाणईअंतेणं पञ्च जोअणसयाई उद्धंउच्चत्तेणं पञ्च गाऊअसयाई उव्वेहेणं अस्सखन्धसंठाणसंठिए सव्वरयणामए अच्छे सण्हे जाव पडिरूवे उभओ पासिं दोहिं पउमवरवेइ आहिं दोहिं य वणसंडेहिं संपरिक्खित्ते, वण्णओ दुहवि, चित्तकूडस्स वक्खारपव्वयस्स उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० जाव आसयन्ति०, चित्तकूडे णं भन्ते ! वक्खारपव्वए कति कूडा पं० ?, गो० ! चत्तारि कूडा पं० तं०-सिद्धाययणकूडे चित्तकूडे कच्छकूडे सुकच्छकूडे समा उत्तरदाहिणेणं परूप्परं, पढमं सीआए उत्तरेणं चउत्थए नीलवन्तस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणेणं, अट्ठो चित्तकूडे णामं देवे महिद्धीए जाव रायहाणी से । ९५। कहिं णं भंते ! जम्बुद्दीवे महाविदेहे वासे सुकच्छे णामं विजए पं० १, गो० ! सीआए महाणईए उत्तरे णीलवन्तस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणेणं गाहावईए महाणईए पच्चत्थिमेणं चित्तकूडस्स वक्खारपव्वयस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं जम्बुद्दीवे महाविदेहे वासे सुकच्छे णामं विजए पं० उत्तरदाहिणायए जहेव कच्छे विजए तहेव सुकच्छे विजए, णवरं खेमपुरा रायहाणी सुकच्छे राया समुप्पज्जइ तहेव सव्वं, कहिं णं भंते ! जंबुद्दीवे महाविदेहे वासे गाहावइकुंडे नामं कुंडे पं० ?, गो० ! सुकच्छविजयस्स पुरत्थिमेणं महाकच्छस्स विजयस्स पच्चत्थिमेणं णीलवन्तस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणिल्ले णितम्बे एत्थ णं जंबुद्दीवे महाविदेहे वासे गाहावइकुंडे णामं कुण्डे पं०, जहेव रोहिअंसाकुण्डे तहेव जाव गाहावइदीवे भवणे, तस्स णं गाहावइस्स कुण्डस्स दाहिणिल्ले तोरणं गाहावई महाणई पवूढा समाणी सुकच्छमहाकच्छविजए दुहा विभयमाणी २ अट्ठावीसाए सलिलासहस्सेहिं समग्गा दाहिणेणं सीअं महाणई
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समप्पेइ, गाहावई णं महाणई पवहे य मुहे य सव्वत्थ समा पणवीसं जोअणसयं विक्खम्भेणं अद्धाइज्जाइं जोयणाइं उव्वेहेणं उभओ पासिंदोहि य० वणसण्डेहिं जाव दुण्हवि वण्णओ, कहिणं भंते ! महाकच्छे णामं विजये पं०?, गो० ! णीलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणेणं सीआए महाणईए उत्तरेणं पम्हकूडस्स वक्खारपव्वयस्स पच्चत्थिमेणं गाहावईए महाणईए पुरत्थिमेणं एत्थ णं महाविदेहे वासे महाकच्छे णामं विजए पं०, सेसं जहा कच्छविजयस्स जाव महाकच्छे इत्थ देवे महिद्धीए०, अट्ठो भाणियव्वो, कहिं णं भंते ! महाविदेहे वासे पम्हकूडे णामं वक्खारपव्वए पं० ?, गो० ! णीलवंतस्स दक्खिणेणं सीआए महाणईए उत्तरेणं महाकच्छस्स पुरत्थिमेणं कच्छावइविजयस्स पच्चच्छिमेणं एत्थणं महाविदेहे वासे पम्हकूडे णामं वक्खारपव्वए पं० उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिण्णे सेसं जहा चित्तकूडस्स जाव आसयन्ति०, पम्हकूडे चत्तारि कूडा पं० तं०-सिद्धाययणकूडे पम्हकूडे महाकच्छकूडे कच्छगावइकूडे एवं जाव अट्ठो, पम्हकूडे इत्थ देवे महद्धिए पलिओवमठिइए परिवसइ, से तेणतुणं गो० ! एवं वुच्चइ०, कहिं णं भंते ! महाविदेहे वासे कच्छगावती णामं विजए पं०?, गो० ! णीलवन्तस्स दाहिणेणं सीआए महाणईए उत्तरेणं दहावतीए महाणईए पच्चत्थिमेणं पम्हकूडस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं महाविदेहे वासे कच्छगावती णामं विजए पं० उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिण्णे सेसं जहा कच्छस्स विजयस्स जाव कच्छगावई य इत्थ देवे०, कहिं णं भंते ! महाविदेहे वासे दहावई कुण्डे णामं कुण्डे पं०?, गो० ! आवत्तस्स विजयस्स पच्चत्थिमेणं कच्छगावईए विजयस्स पुरत्थिमेणं णीलवन्तस्स दाहिणिल्ले णितंबे एत्थ णं महाविदेहे वासे दहावईकुण्डे णामं कुण्डे पं० सेसं जहा गाहावईकुण्डस्स जाव अट्ठो, तस्स णं दहावईकुण्डस्स दाहिणणं तोरणेणं दहावई महाणई पवूढा समाणी कच्छावइआवत्ते विजए दुहा विभयमाणी २ दाहिणेणं सीअं महाणइं समप्पेइ सेसं जहा गाहावईए, कहिं णं भंते ! महाविदेहे वासे आवत्ते णामं विजए पं०?, गो० ! णीलवन्तस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणेणं सीआए महाणईए उत्तरेणं णलिणकूडस्स वक्खारपव्वयस्स पच्चत्थिमेणं दहावतीए महाणईए पुरत्थिमेणं एत्थ णं महाविदेहे वासे आवत्ते णामं विजए पं०, सेसं जहा कच्छविजयस्स, कहिणं भंते ! महाविदेहे वासे णलिणकूडे णामं वक्खारपव्वए पं०?, गो० ! णीलवन्तस्स दाहिणेणं सीआए उत्तरेणं मंगलावइस्स विजयस्स पच्चत्थिमेणं आवत्तविजयस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं महाविदेहे वासे णलिणकूडे णामं वक्खारपव्वए पं० उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिण्णे सेसं जहा चित्तकूडस्स जाव आसयंति०, णलिणकूडे णं भंते ! कति कूडा पं० ?, गो० ! चत्तारि कूडा पं० तं०-सिद्धाययणकूडे णलिण० आवत्त० मंगलावतिकूडे, एए कूडा पञ्चसइआ रायहाणीओ उत्तरेणं, कहिं णं भंते ! महाविदेहे वासे ॥ मंगलावती (त्ते) णामं विजए पं०?, गो० ! णीलवन्तस्स दक्खिणेणं सीआए उत्तरेणं णलिणकूडस्स पुरत्थिमेणं पंकावईए पच्चत्थिमेणं एत्थ णं मंगलावइ (प्र० ते) णामं विजए पं० जहा कच्छविजए तहा एसो भाणियव्वो जाव मंगलावई (प्र०त्ते) य इत्थ देवे परिवसइ, से एएणद्वेणं०, कहिंणं भंते ! महाविदेहे वासे पंकावई कुंडे णामं कुंडे पं० १, गो० ! मंगलावइस्स विजयस्स पुरत्थिमेणं पुक्खलावतिविजयस्स पच्चत्थिमेणं णीलवन्तस्स दाहिणे णितंबे एत्थणं पंकावई तं चेव गाहावइकुण्डमाणं जाव मंगलावइपुक्खलावत्तविजये दुहा विभयमाणी २ अवसेसं तं चेव जं चेव गाहावईए, कहिं णं भंते ! महाविदेहे वासे पुक्खले णामं विजए पं० ?, गो० ! णीलवन्तस्स दाहिणेणं सीआए उत्तरेणं पंकावईए पुरत्थिमेणं एक्कसेलस्स वक्खारपव्वयस्स पच्चत्थिमेणं एत्थ णं पुक्खले णामं विजए पं० जहा कच्छविजए तहा भाणिअव्वं जाव पुक्खले य इत्थ देवे महिडिढए पलिओवमट्ठिइए परिवसइ, से एएणतुणं०, कहिं णं भंते ! महाविदेहे वासे एगसेले णामं वक्खारपव्वए पं०?, गो० ! पुक्खलचक्कवट्टिविजयस्स पुरत्थिमेणं पोक्खलावइचक्कवट्टिविजयस्सपच्चत्थिमेणंणीलवन्तस्स दक्खिणेणं सीआए उत्तरेणं एत्थणं एगसेले णामं वक्खारपव्वए
पं० चित्तकूडगमेणं णेअव्वो जाव देवा आसयन्ति०, चत्तारि कूडा, तं०-सिद्धाययणकूडे एगसेलकूडे पुक्खलकूडे पुक्खलावईकूडे, कूडाणं तं चेव पञ्चसइंअं ॐ परिमाणं जाव एगसेले य देवे महिद्धीए०, कहिणं भंते ! महाविदेहे वासे पुक्खलावई णामं चक्कवट्टिविजए पं०१, गो० ! णीलवन्तस्स दक्खिणेणं सीआए उत्तरेणं म उत्तरिल्लस्स सीयमुहंवणसस्स पच्चत्थिमेणं एगसेलस्स वक्खारपव्वयस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं महाविदेहे वासे पुक्खलावई णामं विजए पं० उत्तरदाहिणायए एवं
१ जहा कच्छविजयस्स जाव पुक्खलावई य इत्थ देवे परिवसइ, एएणतुणं०, कहिणं भंते! महाविदेहे वासे सीआए महाणईए उत्तरिल्ले सीआमुहवणे णामं वणे पं०१, mov E श्री आगमगुणमंजूषा- १२३० ####
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(एटा जंबूदीवपति वक्खारो?
[१९]
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गो०! णीलवन्तस्स दक्खिणेणं सीआए उत्तरेणं पुरथिमलवणसमुद्दस्स पच्चत्थिमेणं पुक्खलावइचक्कवट्टिविजयस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं सीआमुंहवणे णामं वणे पं० उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिण्णे सोलसजोअणसहस्साई पञ्च य बाणउए जोअणसए दोण्णि य एगूणवीसइभाए जोअणस्स आयामेणं सीआमहाणइंतेणं दो जोअणसहस्साई नव य बावीसे जोअणसए विक्खम्भेणं तयणंतरं च णं मायाए २ परिहायमाणे २ णीलवन्तवासहरपव्वयंतेणं एगं एगूणवीसइभागं जोअणस्स विक्खंभेणं, से णं एगाए पउमवरवेइआए एगेण य वणसण्डेणं संपरिक्खत्ते वण्णओ सीआमुहवणस्स जाव देवा आसयंन्ति०, एवं उत्तरिल्लं पासं समत्तं, विजया भणिआ, रायहाणीओ इमाओ- 'खेमा खेमपुरा चेव, रिट्ठा रिठ्ठपुरा तहा । खग्गी मंजूसा अविअ, ओसही पुंडरीगिणी ॥५६।। सोलस विज्जाहरसेढीओ तावइआओ अभिओगसेढीओ, सव्वाओ इमाओ ईसाणस्स, सव्वेसु विजएसु कच्छवत्तव्वया जाव अट्ठो रायाणो सरिसणामगा विजएसु सोलसण्हं वक्खारपव्वयाणं चित्तकूडवत्तव्वया जाव कूडा चत्तारि २ बारसण्हं णईणं गाहावइवत्तव्वया जाव उभओ पासिं दोहिं पउमवरवेइआहिं वणसण्डेहि य० वण्णओ।९६। कहिं णं भंते ! जंबुदीवे महाविदेहे वासे सीआए महाणईए दाहिणिल्ले सीयामुहवणे णामं वणे पं० ?, एवं जह चेव उत्तरिल्लं सीआमुंहवणं तह चेव दाहिणिल्लंपि भाणिअव्वं णवरं णिसहस्स वासहरपव्वयस्स उत्तरेणं सीआए महाणईए दाहिणेणं पुरत्थिमलवणसमुदस्स पच्चत्थिमेणं वच्छस्स विजयस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं जंबुदीवे महाविदेहे वासे सीआए महाणईए दाहिणिल्ले सीआमुहवणे णामं वणे पं० उत्तरदाहिणायएए तहेव सव्वंणवरं णिसहवासहरपव्वयंतेणं एगमेगूणवीसइभागं जोअणस्स विक्खंभेणं किण्हे किण्होभासे जाव महया गन्धद्धा (ध) णिं मुअंतं जाव आसयन्ति० उभओ पासिं दोहिं पउमवरवेइआहिं० वण्णओ, कहिं णं भंते ! जंबुदीवे महाविदेहे वासे वच्छे णाम विजए पं० ?, गो० ! णिसहस्स वासहरपव्वयस्स उत्तरेणं सीयाए महाणईए दाहिणेणं दाहिणिल्लस्स सीयामुहवणस्स पच्चत्थिमेणं तिउडस्स वक्खारपव्वयस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे महाविदेहे वासे वच्छे णामं विजए पं० तं चेव पमाणं सुसीमा रायहाणी तिउडे वक्खारपव्वए, सुवच्छे विजए कुण्डला रायहाणी तत्तजला णई, महावच्छे विजए अपराजिया रायहाणी वेसमणकूडे वक्खारपव्वए, वच्छावई विजए पभंकरा रायहाणी मत्तजला णई, रम्मे विजए अंकावई रायहाणी अंजणे वक्खारपव्वए, रम्मगे विजए पम्हावई रायहाणी उम्मत्तजला महाणई, रमणिज्जे विजए सुभा रायहाणी मायंजणे वक्खारपव्वए, मंगलावई विजए रयणसंचया रायहाणीति, एवं जह चेव सीयाए महाणईए उत्तरं पासं तह चेव दक्खिणिल्लं भाणियव्वं दाहिणिल्लसीआमुंहवणाइ, इमे वक्खारकूडा तं०-तिउडे वेसमणकूडे अंजणे मातंजणे, विजया 'वच्छे सुवच्छे महावच्छे चउत्थे वच्छगावई। रम्मे य रम्मए चेव, रमणिज्जे मंगलावई॥५७|| रायहाणीओ- 'सुसीमा कुण्डला चेव, अवराइय पहंकरा । अंकावई पम्हावई, सुभा रयणसंचया ॥५८।। वच्छस्स विजयस्स णिसहे दाहिणेणं सीया उत्तरेणं दाहिणिल्लसीदामुहवणे पुरत्थिमेणं तिउडे पच्चत्थिमेण सुसीमा रायहाणी पमाणं तं चेव, वच्छाणंतरं तिउडे तओ सुवच्छे विजए एएणं कमेणं तत्तजला णई महावच्छे विजए वेसमणकूडे वक्खारपव्वए वच्छावई विजए मत्तजला णई रम्मे विजए अंजणे वक्खारपव्वए रम्मए विजए उम्मत्तजला णई रमणिज्ने विजए मायंजणे वक्खारपव्वए मंगलावई विजए।९७। कहिं णं भंते ! जंबुद्दीवे महाविदेहे वासे सोमणसे णामं वक्खारपव्वए पं० ?, गो० ! णिसहस्स वासहरपव्वयस्स उत्तरेणं मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणपुरत्थिमेणं
मंगलावईविजयस्स पच्चत्थिमेणं देवकुराए पुरत्थिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे महाविदेहे वासे सोमणसे णामं वक्खारपव्वए पं० उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिण्णे है जंहा मालवंते वक्खारपव्वए तहा णवरं सव्वरययामए अच्छे जाव पडिरूवे णिसहवासहरपव्वयंतेणं चत्तारि जोयणसहस्साइं उद्धंउच्चत्तेणं चत्तारि गाऊयसयाई
उव्वेहेणं सेसं तहेव सव्वं णवरं अट्ठो से, गो० । सोमणसे णं वक्खारपव्वए बहवे देवा य देवीओ य सोमा सुमणा सुमणसिया, सोमणसे य इत्थ देवे महिद्धीए जाव परिवसइ, से एएणद्वेणं गो० ! जाव णिच्चे, सोमणसे वक्खारपव्वए कइ कूडा पं० ?, गो० ! सत्त कूडा पं० तं०-'सिद्धे सोमणसेऽविअ बोद्धव्वे मंगलावईकूडे । देवकुरू विमल कंचण वसिट्ठकूडे य बोद्धव्वे ॥५९|| एवं सव्वे पञ्चसइआ कूडा, एएसिं पुच्छाए दिसिविदिसाए भाणियव्वं जहा गंधमायणस्स, विमलकञ्चणकूडेसु फु
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5 श्री आगमगुणमजूषा - १२३१॥5555555555555555
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो ४
[५० ]
वरिं देवयाओ सुवच्छा वच्छमित्ता य अवसिट्ठेसु कूडेसु सरिसणामया देवा, रायहाणीओ दक्खिणेणं, कहिं णं भंते! महाविदेहे वासे देवकुराणामं कुरा पं० ?, गो० ! मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं णिसंहस्स उत्तरेणं विज्जुप्पंहस्स वक्खारपव्वयस्स पुरत्थिमेणं सोमणसवक्खारपव्वयस्स पच्चत्थिमेणं एत्थ णं महाविदेहे वासे देवकुराणामं कुरा पं० पाईणपडीणायया उदीणदाहिणविच्छिण्णा इक्कारस जोयणसहस्साइं अट्ठ य बायाले जोयणसए दुण्णि य एगूणवीसइभाए जोयणस्स विक्खंभेणं जहा उत्तरकुराए वत्तव्वया जाव अणुसज्जमाणा मियगंधा पम्हगंधा अममा सहा तेतली सणिचारी । ९८। कहिं णं भंते ! देवकुराए चित्तविचित्तकूडा णामं दुवे पव्वया पं० १, गो० ! णिसहस्स वासहरपव्वयस्स उत्तरिल्लाओ चरिमंताओ अट्ठचोत्तीसे जोयणसए चत्तारि य सत्तभाए जोयणस्स अबाहाए सीओआए महाणईए पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं उभओकूले एत्थ णं चित्तविचित्तकूडा णामं दुवे पव्वया पं० एवं जच्चेव जमगपव्वयाणं सच्चेव, एएसिं रायहाणीओ दक्खिणेणं । ९९| कहिं णं भंते ! देवकुराए णिसढद्दहे णामं दहे पं० १, गो० ! तेसिं चित्तविचित्तकूडाणं पव्वयाणं उत्तरिल्लाओ चरिमंताओ अट्ठचोतीसे जोयणसए चत्तारि य सत्तभाए जोयणस्स अबाहाए सीओआए महाणईए बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं णिसहद्दहे णामं दहे पं०, एवं जच्चेव नीलवंतउत्तरकुरूचन्देरावयमालवंताणं वत्तव्वया सच्चेव णिसहदेवकुरूसूरसुलसविज्जुप्पभाणं णेअव्वां, रायहाणीओ दक्खिणेणं । १०० । कहिं णं भंते! देवकुराए २ कूडसामलिपेढे णामं पेढे पं० १, गो० ! मन्दरस्स पव्वयस्स दाहिणपच्चत्थिमेणं णिसहस्स वासहरपव्वयस्स उत्तरेणं विज्जुप्पभस्सं वक्खारपव्वयस्स पुरत्थिमेणं सीओआए महाणईए पच्चत्थिमेणं देवकुरूपच्चत्थिमद्धस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं देवकुराए कूडसामली पेढे णामं पेढे पं०, एवं जच्चेव जंबूए सुदंसणाए वत्तव्वया सच्चेव सामलीएवि भाणिअव्वा णामविहूणा गरूवेणुदेवे रायहाणी दक्खिणेणं अवसिद्धं तं चेव जाव देवकुरू य इत्थ देवे पलिओवमट्टिइए परिवसइ, से तेणद्वेणं गो० ! एवं वुच्चइ - देवकुरा २, अदुत्तरं च णं देवकुराए० । १०१ । कहिं णं भंते ! जंबुद्दीवे महाविदेहे वासे विज्जुप्पभे णामं वक्खारपव्वए पं० ?, गो० ! णिसहस्स वासहरपव्वयस्स उत्तरेणं मन्दरस्स दाहिणपच्चत्थिमेणं देवकुराए पच्चत्थिमेणं पम्हस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे महाविदेहे वासे विज्जुप्पभे वक्खारपव्वए पं० उत्तरदाहिणायए एवं जहा मालवन्ते णवरि सव्वतवणिज्जमए अच्छे जाव देवा आसयन्ति०, विज्जुप्पभे णं भंते ! वक्खारपव्वए कइ कूडा पं० ?, गो० ! नव कूडा पं० तं०- सिद्धाययणकूडे विज्जुप्पभ० देवकुरू० पम्ह० कणग० सोवत्थिअ० सीओओ० सयञ्चल० हरिकूडे, 'सिद्धे य विज्जुणामे देवकुरू पम्ह कणग सोवत्थी। सीओओ य सयञ्चल हरिकूडे चेव बोद्धव्वे ||६०|| एए हरिकूडवज्जा पंचसइआ णेअव्वा, एएसिं कूडाणं पुच्छाए दिसिविदिसाओ णेअव्वाओ, जहा मालवन्तस्स हरिस्संहकूडे तह चेव हरिकूडे, रायहाणी जह चेव दाहिणेणं चमरचंचा रायहाणी तह णेअव्वा, कणगसोवत्थिअकूडेसु वारिसेणबलाहयाओ दो देवयाओ अवसिट्ठेसु कूडेसु कूडसरिसणामया देवा, रायहाणीओ दाहिणेणं, से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ-विज्जुप्पभे वक्खारपव्वए २१, गो० ! विज्जुप्पभे णं वक्खारपव्वए विज्जुमिव सव्वओ समन्ता ओभासेइ उज्जोवेइ पभासइ विज्जुप्प य इत्थ देवे पलिओवमट्ठिइए जाव परिवसइ, से एएणद्वेणं गो० ! एवं वच्चइ - विज्जुप्पभे २, अदुत्तरं च णं जाव णिच्चे । १०२ । एवं पम्हे विजए अस्सपुरा रायहाणी अंकावई वक्खारपव्वए, सुपम्हे विजए सीहपुरा रायहाणी खीरोदा महाणई, महापम्हे विजए महापुरा रायहाणी पम्हावई वक्खारपव्वए पम्हगावई विजए विजयपुरा रायहाणी सीअसोआ महाणई, संखे विजए अवराइआ रायहाणी आसीविसे वक्खारपव्वए, कुमुदे विजए अरजा रायहाणी अंतोवाहिणी महाणई, णलि विज असोगा रायहाणी सुहावए वक्खारपव्वए, णलिणावई विजए वीयसोगा रायहाणी दाहिणिल्ले सीओआमुहवणसंडे, उत्तरिल्लेवि एमेव भाणिअव्वे जहा सीआए, वप्पे विजए विजया रायहाणी चन्दे वक्खारपव्वए, सुवप्पे विजए जयन्ती रायहाणी उम्मिमालिणी णई, महावप्पे विजए जयन्ती रायहाणी सूरे वक्खारपव्वए, वप्पावई विजए अपराइआ रायंहाणी फेणमालिणी णई, वग्गू विजए चक्कपुरा रायहाणी णागे वक्खारपव्वए, सुवग्गू विजए खग्गपुरा रायंहाणी गंभीरमालिणी अंतरणई, गंधिले विजए अवज्झा रायहाणी देवे वक्खारपव्वए, गंधिलावई विजए अओज्झा रायहाणी, एवं मन्दरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमिल्लं पासं भाणिअव्वं तत्थ ताव सीओआए महाणईए दक्खिणिल्ले कूले इमे विजया, तं०- 'पम्हे सुपम्हे महापम्हे, चउत्थे पम्हगावई । संखे कुमुए णलिणे, अट्ठमे णलिणावई ||६१ ॥ इमाओ रायहाणीओ, तं०
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(१८) जंबूदीयपत्रत्ति वक्खारो ४
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'आसपुरा सीहंपुरा महापुरा चेव हवइ विजयपुरा । अवराइआ य अवरा असोय तह (२१८) वीअसोगा य ॥ ६२॥ इमे वक्खारा, तं० - अंके पम्हे आसीविसे सुहावहे, एवं इत्थ परिवाडीए दो दो विजया कूडसरिसणामया भाणियव्वा दिसा विदिसाओ य भाणियव्वाओ सीओयामुहवणं च भाणियव्वं, सीओयाए दाहिणिल्लं उत्तरिल्लं च, सीओयाए उत्तरिल्ले पासे इमे विजया, तं० वप्पे सुवप्पे महावप्पे, चउत्थे वप्पयावई । वग्गू य सुवग्गू य, गंधिले गंधिलावई ॥ ६३ ॥ रायहाणीओ इमाओ तं०'विजया वेजयंती य, जयंती अपराजिया । चक्कपुरा खग्गपुरा हवइ अवज्झा अउज्झा य ॥ ६४ ॥ इमे वक्खारा तं० - चंद० सूर० नाग० देवपव्वए, इमाओ ईओ
या महाण दाहिणिल्ले कूले खीरोया सीहसोया अंतरवाहिणीओ गईओ, उम्मिमालिणी फेणमालिणी गंभीरमालिणी उत्तरिल्लविजयाणंतराउत्ति, इत्थ परिवाडीए दो दो कूडा विजयसरिसणामया भाणिअव्वा, इमे दो दो कूडा अवद्विआ तं०-सिद्धाययणकूडे पव्वयसरिसणामकूडे । १०३ । कहिं णं भंते ! जंबुद्दीवे महाविदेहे वासे मंदरे णामं पव्वए पं० १, गो० ! उत्तरकुराए दक्खिणेणं देवकुराए उत्तरेणं पुव्वविदेहस्स पच्चत्थिमेणं अवरविदेहस्स वासस्स पुरत्थिमेणं जंबुद्दीवस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं जंबुद्दीवे मंदरे णामं पव्वए पं० णवणउतिजोअणसहस्साइं उद्धंउच्चत्तेणं एगं जोअणसहस्सं उव्वेहेणं मूले दसजोयणसहस्साइं णवई च जयाई दस य एगारसभाए जोयणस्स विक्खंभेणं धरणियले दस जोयणसहस्साइं विक्खंम्भेणं तयणंतरं चणं मायाए २ परिहायमाणे २ उवरितले एगं जोयणसहस्सं विक्खम्भेणं मूले एक्कत्तीस जोयणसहस्साइं णव य दसुत्तरे जोयणसए तिण्णि य एगारसभाए जोयणस्स परिक्खेवेणं धरणियले एक्कत्तीस जोयणसहस्साइं छच्च तेवीसं जोयणसए परिक्खेवेणं उवरितले तिण्णि जोयणसहस्साइं एगं च बावट्टं जोयणसयं किंचिविसेसाहियं परिक्खेवेणं मूले विच्छिण्णे मज्झे संखित्ते उवरिं तणुए गोपुच्छसंठाणसंठिए सव्वरयणामए अच्छे सण्हे०, से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वणसंडेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते वण्णओ, मंदरे णं भंते! पव्वए कइ वणा पं० १, गो० ! चत्तारि वणा पं० तं० भद्दसाल० णंदण० सोमणस० पंडगवणे, कहिं णं भंते! मंदरे पव्वए भद्दसालवणे णामं वणे पं० ?, गो० धरणियले एत्थ णं मंदरे पव्वए भद्दसालवणे णामं वणे पं० पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे सोमणसविज्जुप्पंहगंधमायणमालवंतेहिं वक्खारपव्वएहिं सीआसीओयाहि य महाणईहिं अट्ठभागपविभत्ते मंदरस्स पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं बावीसं जोयणसहस्साइं आयामेणं उत्तरेणं दाहिणेणं च अद्वाइज्जाइं जोअणसयाई विक्खंम्भेणं, सेणं एग परमवरवेश्याए एगेण य वणसंडेणं सव्वओ समन्ता संपरिक्खित्ते दुण्हवि वण्णओ भाणिअव्वो किण्हे किण्होभासे जाव देवा आसयन्ति०, मन्दरस्स णं पव्वयस्स पुरत्थिमेणं भद्दसालवणं पण्णासं जोअणाई ओगाहित्ता एत्थ णं महं एगे सिद्धाययणे पं० पण्णासं जोयणाई आयामेणं पणवीसं जोअणाई विक्खम्भेणं छत्तीसं जोअणाई उद्धंउच्चत्तेणं अणेगखम्भसयसण्णिविट्ठे वण्णओ, तस्स णं सिद्धाययणस्स तिदिसिं तओ दारा पं०, ते णं दारा अट्ठ जोयणाइं उद्धंउच्चत्तेणं चत्तारि जोयणाइं विक्खंभेणं तावइयं चेव पवेसेणं सेआ वरकणगधूभिआगा जाव वणमालाओ भूमिभागो य भाणियव्वा, तस्स णं बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महंगा मणिपेढिया पं० अजोयणाई आयामविक्खंभेणं चत्तारि जोयणाईं बाहल्लेणं सव्वरयणामई अच्छा०, तीसे णं मणिपेढिआए उवरिं देवच्छन्दए अट्ठजोयणाई आयमविक्खंभेणं साइरेगाइं अट्ठजोयणाइं उद्धंउच्चत्तेणं जाव जिणपडिमा वण्णओ देवच्छन्दगस्स जाव धूवकडुच्छुआणं, मंदरस्स णं पव्वयस्स दाहिणेणं भद्दसालवणं पण्णासं एवं चउदिसिपि मंदरस्स भद्दसालवणे चत्तारि सिद्धाययणा भाणियव्वा, मंदरस्स णं पव्वयस्स उत्तरपुरत्थिमेणं भद्दसालवणं पण्णासं जोयणाई ओगाहित्ता एत्थ णं चत्तारि णंदापुक्खरिणीओ पं० तं० पउमा पउमप्पभा चेव, कुमुद्दा कुमुदप्पभा, ताओ णं पुक्खरिणीओ पण्णासं जोयणाई आयामेणं पणवीसं जोयणाई विक्खम्भेणं दसजोअणाई उव्वेहेणं वण्णओ वेइआवणसंडाणं भाणिअव्वो, चउद्दिसिं तोरणा जाव तासिं णं पुक्खरिणीणं बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे ईसाणस्स देविंदस्स देवरण्णो पासायवडिंसए पं० पञ्चजोयणसयाई उद्धंउच्चत्तेणं अद्वाइज्जाइं जोअणसयाइं आयामविक्खम्भेणं अब्भुग्गयमूसिय एवं सपरिवारो पासायवडिंसओ भाणियव्वो, मंदरस्स दाहिणपुरत्थिमेणं पुक्खरिणीओ उप्पलगुम्मा णलिणा उप्पला उप्पलुज्जला तं चैव पमाणं मज्झे पासायवडिंसओ सक्कस्स सपरिवारो तेणं
MOTOR श्री आगमगुणमंजूषा - १२३३
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति बक्खारो ४
[५]
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चेव पमाणेणं, दाहिणपच्चत्थिमेणवि पुक्खरिणीओ 'भिंगा भिगनिभा चेव, अंजणा अंजण (प्र० कज्जल) प्पभा, पासायवडिंसओ सक्कस्स सीहासणं सपरिवार, ई उत्तरपुरस्थिमेणं पुक्खरिणीओ-'सिरिकता सिरिचंदा, सिरिमहिआ चेव सिरिणिलया, पासायवडिंसओ ईसाणस्स सीहासणं सपरिवारं, मंदरे णं भंते ! पव्वए
भद्दसालवणे कइ दिसाहत्थिकूडा पं०?, गो० ! अट्ठ दिसाहत्थिकूडा पं० २०-'पउमुत्तरे णीलवंते, सुहत्थी अंजणागिरी । कुमुदे य पलासे य, वडिंसे रोअणागिरी ॥६५॥ कहिं णं भंते ! मंदरे पव्वए भद्दसालवणे पउमुत्तरे णाम दिसाहत्थिकूडे पं०?, गो० ! मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरपुरच्छिमेणं पुरथिमिल्लाए सीआए उत्तरेणं एत्थ णं पउमुत्तरे णाम दिसाहत्थिकूडे पं० पञ्चजोयणसयाई उद्धंउच्चत्तेणं पञ्चगाउअसयाई उव्वेहेणं एवं विक्खम्भपरिक्खेवो भाणियव्वो चुल्लहिमवन्तसरिसो,
पासायाण य तं चेव पउमुत्तरो देवो रायंहाणी उत्तरपुरत्थिमेणं, एवं णीलवंतदिसाहत्थिकूडे मंदरस्स दाहिणपुरत्थिमेणं पुरथिमिल्लाए सीआए दक्खिणेणं एयस्सवि + नीलवंतो देवो रायहाणी दाहिणपुरत्थिमेणं, एवं सुहत्थिदिसाहत्थिकूडे मंदरस्स दाहिणपुरच्छिमेणं दक्खिणिल्लाए सीओआए पुरत्थिमेणं एयस्सवि सुहत्थी देवो
रायहाणी दाहिणपुरस्थिमेणं, एवं चेव अंजणागिरिदिसाहत्थिकूडे मंदरस्स दाहिणपच्चत्थिमेणं दक्खिणिल्लाए सीओआए पच्चत्थिमेणं एअस्सवि अंजणागिरी देवो रायहाणी दाहिणपच्चत्थिमेणं, एवं कुमुदेवि दिसाहत्थिकूडे मंदरस्स दाहिणपच्चत्थिमेणं पच्चत्थिमिल्लाए सीओआए दक्खिणेणं एअस्सवि कुमुदो देवो रायहाणी दाहिणपच्चत्थिमेणं, एवं पलासेवि कूडे मंदरस्स उत्तरपच्चत्तिमेणं पच्चत्थिमिल्लाए सीओआए उत्तरेणं एअस्सवि पलासो देवो रायहाणी पच्चत्थिमेणं, एवं वडेंसेवि दिसाहत्थिकूडे मन्दरस्स उत्तरपच्चत्थिमेणं सीआए महाणईए पच्चत्थिमेणं एअस्सवि वडंसो देवा रायहाणी उत्तरपच्चत्थिमेणं, एवं रोअणागिरी दिसाहत्थि० मंदरस्स उत्तरपुरस्थिमेणं उत्तरिल्लाए सीआए पुरत्थिमेणं एयस्सवि रोअणागिरी देवो रायहाणी उत्तरपुरत्थिमेणं ।१०४। कहिं णं भंते ! मन्दरे पव्वए णंदणवणे णामं वणे पं०?, गो० ! भद्दसालवणस्स बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ पंचजोअणसयाई उद्धं उप्पइत्ता एत्थ णं मन्दरे पव्वए णन्दणवणे णाम वणे पंचजोअणसयाइं चक्कवालविक्खम्भेणं वट्टे वलयाकारसंठाणसंठिए जेणं मन्दरं पव्वयं सव्वओ समन्ता संपरिक्खिवित्ताणं चिट्ठइणव जोअणसहस्साई णव य चउप्पण्णे जोअणसए छच्चेगारसभाए जोअणस्स वाहिं गिरिविक्खम्भो एगत्तीसं जोअणसहस्साइं चत्तारि य अउणासीए जोअणसए किंचिविसेसाहिए बाहिं गिरिपरिरएणं अट्ठ जोअणसहस्साई णव य चउप्पण्णे जोअणसए छच्चेगारसभाए जोअणस्स अंतो गिरिविक्खम्भो अट्ठावीसं जोअणसहस्साइं तिण्णि य सोलसुत्तरे जोअणसए अट्ठ य इक्कारसभाए जोअणंस्स अंतो गिरिपरिरएणं, से णं एगाए पउमवरवेइआए एगेण य वणसंडेणं सव्वओ समन्ता संपरिक्खित्ते वण्णओ जाव देवा आसयन्ति०, मंदरस्स णं पव्वयस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं महं एगे सिद्धाययणे पं०, एवं चउद्दिसिं चत्तारि सिद्धाययणा, विदिसासु पुक्खरिणीओ, तं चेव पमाणं सिद्धाययणाणं पुक्खरिणीणं च, पासायवडिंसगा तह चेव सक्केसासाणं तेणं चेव पमाणेणं, गंदणवणे णं भंते ! कइ कूडा पं०?, गो० ! णव कूडा पं० तं०-णन्दणवणकूडे मन्दर० णिसह० हिमवय० रयय० रूअग० सागरचित्त० वइर० बलकूडे, कहिणं भंते ! णन्दणवणे णंदणकूडे णामं कूडे पं०?, गो० ! मन्दरस्स पव्वयस्स पुरथिमिल्लस्स सिद्धाययणस्स उत्तरेणं उत्तरपुरथिमिल्लस्स पासायवडेंसयस्स दक्खिणेणं एत्थ णं णन्दणवणे णंदणकूडे णामं कूडे पं० पञ्चसइआ कूडा पुव्ववण्णिया भाणियव्वा, देवी मेहंकरा रायहाणी विदिसाए, एआहिं चेव पुव्वाभिलावेणं णेयव्वा, इमे कूडा इमाहिं दिसाहि-पुरथिमिल्लस्स भवणस्स दाहिणणं दाहिणपुरथिमिल्लस्स पासायवडेंसगस्स उत्तरेणं मन्दरे कूडे मेहावई रायहाणी पुव्वेणं, दक्खिणिल्लस्स भवणस्स पुरत्थिमेणं दाहिणपुरथिमिल्लस्स पासायवडेंसगस्स पच्चत्थिमेणं 'णिसहे कूडे सुमेहा देवी रायहाणी दक्खिणेणं, दक्खिणिल्लस्स भवणस्स पच्चत्थिमेणं दक्खिणपच्चत्थिमिल्लस्स पासायवडेंसगस्स पुरत्थिमेणं हेमवए कूडे हेम'
(प्र० मेह) मालिणी देवी रायहाणी दक्खिणेणं, पच्चत्थिमिल्लस्स भवणस्स दक्खिणेणं दाहिणपच्चत्थिमिल्लस्स पासायवडेंसगस्स उत्तरेणं रयए कूडे सुवच्छा देवी # रायहाणी पच्चत्थिमेणं, पच्चत्थिमिल्लस्स भवणस्स उत्तरेणं उत्तरपच्चत्थिमिल्लस्स पासायवडेंसगस्स दक्खिणेणं रूअगे कूडे वच्छमित्ता देवी रायहाणी पच्चत्थिमेणं, र उत्तरिल्लस्स भवणस्स पच्चत्थिमेणं उत्तरपच्चत्थिमिल्लस्स पासायवडेंसगस्स पुरत्थिमेणं सागरचित्ते कूडे वइरसेणा देवी रायहाणी उत्तरेणं, उत्तरिल्लस्स भवणस्स YoOEERESEAREER श्री आगमगुणमंजूषा - १२३४
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(१८) जंबूदीवपत्रत्ति वक्खारो ४
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पुरत्थिमेणं उत्तरपुरत्थिमिल्लस्स पासायवडेंसगस्स पच्चत्थिमेणं वइरकूडे बलाहया देवी रायहाणी उत्तरेणं, कहिं णं भंते ! णन्दणवणे बलकूडे णामं कूडे पं० ?, गो० ! मन्दरस्स पव्वयस्स उत्तरपुरत्थिमेणं एत्थ णं णन्दणवणे बलकूडे णामं कूडे पं०, एवं जं चेव हरिस्सकूडस्स पमाणं रायहाणी य तं चेव बलकूडस्सवि, णवरं लो देवो रायहाणी उत्तरपुरत्थिमेणं । १०५। कहिं णं भंते ! मन्दरए पव्वए सोमणसवणे णामं वणे पं० १, गो० ! णन्दणवणस्स बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ अद्धतेवट्ठि जोअणसहस्साइं उद्धं उप्पइत्ता एत्थ णं मन्दरे पव्वए सोमणसवणे णामं वणे पं० पंचजोयणसयाई चक्कवालविक्खम्भेणं वट्टे वलयाकारसंठाणसंठिए जे णं मन्दरं पव्वयं सव्वओ समन्ता संपरिक्खित्ताणम चिट्ठा, चत्तारि जोयणसहस्साइं दुण्णि य बावत्तरे जोयणसए अट्ठ य इक्कारसभाए जोयणस्स वाहिं गिरिविक्खम्भेणं तेरस जोयणसहस्साइं पंच य एक्कारे जोयणसए छच्च इक्कारसभाए जोअणस्स बाहिं गिरिपरिरएणं तिण्णि जोअणसहस्साइं दुण्णि य बावत्तरे जोअणसए अट्ठय इक्कारसभाए जोयणस्स अंतो गिरिविक्खम्भेणं दस जोअणसहस्साइं तिण्णि य अउणापण्णे जोअणसए तिण्णि य इक्कारसभाए जोअणस्स अंतो गिरिपरिरएणं, से णं एगाए पउमवरवेइआए एगेण य वणसंडेण सव्वओ समन्ता संपरिक्खित्ते वण्णओ किण्हे किण्होभासे जाव आसयन्ति०, एवं कूडवज्जा सच्चेव णन्दणवणवत्तव्वया भाणियव्वा, तं चेव ओगाहिऊण जाव पासायवडेंसगा सक्कीसाणाणं । १०६ । कहिं णं भंते ! मन्दरपव्वए पंडगवणे णामं वणे पं० ?, गो० ! सोमणसवणस्स बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ छत्तीसं जोअणसहस्साइं उद्धं उप्पइत्ता एत्थ णं मन्दरे पव्वए सिहरतले पंडगवणे णामं वणे पं० चत्तारि चउणउए जोंयणसए चक्कवालविक्खम्भेणं वट्टे वलयाकारसंठाणसंठिए, जे णं मंदरचूलिअं सव्वओ समन्ता संपरिक्खि ताणं चिट्ठइ तिण्णि जोयणसहस्साइं एगं च बावट्टं जोयणसयं किंचिविसेसाहिअं परिक्खेवेणं, से णं एगाए पउमवरवेइआए एगेण य वणसंडेणं जाव किण्हे० देवा आसयन्ति०, पंडगवणस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं मंदरचूलिआ णामं चूलिआ पं० चत्तालीसं जोयणाई उद्धंउच्चत्तेणं मूले बारस जोयणाइं विक्खंम्भेणं मज्झे अट्ठ जोयणाइं विक्खम्भेणं उप्पि चत्तारि जोयणाई विक्खम्भेणं मूले साइरेगाइं सत्तत्तीसं जोयणाइं परिक्खेवेणं मज्झे साइरेगावं पणवीसं जोयणाइं परिक्खेवेणं उप्पिं साइरेगाइं बारस जोयणाइं परिक्खेवेणं मूले विच्छिण्णा मज्झे संखित्ता उप्पिं तणुआ गोपुच्छसंठाणसंठिआ सव्ववेरूलिआमई अच्छा०, साणं एगाए पउमवरवेइआए जाव संपरिक्खित्ता, उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे जाव सिद्धाययणं कोसं आयामेणं अद्धकोसं विक्खम्भेणं देसूणगं कोसं उद्धंउच्चत्तेणं अणेगखंभसय जाव धूवकडुच्छुगा, मन्दरचूलिआए णं पुरतिमणें पंडगवणं पण्णासं जाई गाहित्ता एत्थ णं महं एगे भवणे पं०, एवं जच्चेव सोमणसे पुव्ववण्णिओ गमो भवणाणं पुक्खरिणीणं पासायवडेंसगाण य सो चेव णेअव्वो जाव सक्कीसाणवडेंसगा तेणं चेव परिमाणेणं । १०७ । पण्डगवणे णं भंते ! वणे कइ अभिसेअसिलाओ पं० १, गो० ! चत्तारि अभिसेअसिलाओ पं० तं० पंडुसिला पण्डुकंबलसिला रत्तसिला रत्तकम्बलसिला, कहिं णं भंते! पण्डगवणे पण्डुसिला णामं सिला पं० ?, गो० ! मन्दरचूलिआए पुरत्थिमेणं पंडगवणपुरत्थिमपेरंते एत्थणं पंडगवणे पंडुसिला णामं सिला पं० उत्तरदाहिणायया पाईणपडीणविच्छिण्णा अर्द्धचन्दसंठाणसंठिआ पंचजोयणसयाई आयामेणं अद्वाइज्जाइं जोयणसयाइं विक्खंभेणं चत्तारि जोयणाई बाहल्लेणं सव्वकणगामई अच्छा० वेइआवणसंडेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ता वण्णओ, तीसे णं पण्डुसिलाए चउद्दिसिं चत्तारि तिसोवाणपडिरूवगा पं० जाव तोरणा वण्णओ, तीसे णं पण्डुसिलाए उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० जाव देवा आसयंति०, तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए उत्तरदाहिणेणं एत्थ णं दुवे अभिसेयसीहासणा पं० पञ्चधणुसयाई आयामविक्खंभेणं अद्वाइज्जाई धणुसयाइं बाहल्लेणं सीहासणवण्णओ भाणिव्वो विजयदुसवज्जोत्ति, तत्थ णं जे से उत्तरिले सीहासणे तत्थ णं बहूहिं भवणवइवाणमंतरजोइसियवेमाणिएहिं देवेहिं देवीहिं य कच्छाइआ तित्थयरा अभिसिच्वंति, तत्थ णं जे से दाहिणिल्ले सिंहासणे तत्थ णं बहूहिं भवणजाववेमाणिएहिं देवेहिं देवीहिं य वच्छाईया तित्थयरा अभिसिंच्चति, कहिं णं भंते! पंडवणे पंडुकबलसिला णामं सिला पं० १, गो० ! मंदरचूलिआए दक्खिणेणं पंडगवणदाहिणपेरंते एत्थ णं पंडगवणे पंडुकंबलासिला णामं सिला पं० पाईणपडीणायया एवं तं चेव पमाणं वत्तव्वया य भाणियव्वा जाव तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे सींहासणे पं० तं चैव सीहासणप्पमाणं, श्री आगमगुणमंजूषा १२३५
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तत्थ णं बहूहिं भवणवइ जाव भारहगा तित्थयरा अहिसिच्वंति, कहिं णं भंते !पंडगवणे रत्तसिला णामं सिला पं० ?, गो० ! मंदरचूलिआए पच्चत्थिमेणं पंडगवणपच्चत्थिमपेरंते एत्थ णं पंडगवणे रत्तसिला णामं सिला पं० उत्तरदाहिणायया पाईणपडीणविच्छिण्णा जाव तं चेव पमाणं सव्वतवणिज्जमई अच्छा०, उत्तरदाहिणेणं एत्थ णं दुवे सीहासणा पं०, तत्थ णं जे से दाहिणिल्ले सींहासणे तत्थ णं बहूहिं भवण० पम्हाइआ तित्थयरा अहिसिच्वंति, तत्थ णं जे से उत्तरिल्ले सीहासणे तत्थ णं बहूहिं भवण जाव वप्पाइआ तित्थयरा अहिसिच्वंति, कहिं णं भंते ! पंडगवणे रत्तकंबलसिला णामं सिला पं० ?, गो० ! मंदरचूलिआए उत्तरेणं पंडगवणउत्तरचरिमंते एत्थ णं पंडगवणे रत्तकंबलसिला णामं सिला पं९ पाईणपडीणायया उदीणदाहिणविच्छिण्णा सव्वतवणिज्जमई अच्छा जाव मज्झदेसभाए सीहासणे, तत्थ णं बहूहिं भवणवइ जाव देवेहिं देवीहिं य एरावयका तित्थयरा अहिसिच्वंति।१०८। मन्दरस्स णं भंते ! पव्वयस्स कइ कण्डा पं०?, गो० ! तओ कंडा पं० २०-हिट्ठिल्ले मज्झिल्ले उवरिल्ले कण्डे, मन्दरस्स णं भंते ! पव्वयस्स हिट्ठिल्ले कण्डे कतिविहे पं०?, गो०! चउव्विहे पं० तं०-पुढवी उवले वइरे सक्करा, मज्झिमिल्लेणं भंते ! कण्डे कतिविहे पं०?, गो० चउब्विहे पं० तं०-अंके फलिहेजायरूवे रयए, उवरिल्ले कण्डे कतिविहे पं०?, गो० ! एगागारे पं० सव्वजंबूणयामए, मन्दरस्सणंभंते ! पव्वयस्स हेट्ठिल्ले कण्डे केवइयं बाहल्लेणं पं०?, गो० ! एगंजोयणसहस्सं बाहल्लेणं पं०, मज्झिमिल्ले कण्डे पुच्छा, गो० ! तेवढि जोयणसहस्साइं बाहल्लेणं पं०, उवरिल्ले पुच्छा, गो० ! छत्तीसं जोयणसहस्साइं बाहल्लेणं पं०, एवामेव सपुव्वावरेणं मन्दरे पव्वए एगं जोयणसयसहस्सं सव्वग्गेणं पं०।१०९। मन्दरस्सणं भंते ! पव्वयस्स कति णामधेज्जा पं०?, गो०! सोलसणामधेज्जा पं० २०-'मन्दर मेरू मणोरम सुदंसण सयंपभे अगिरिराया। रयणोच्चये सिलोच्चय मज्झे लोगस्स णाभी य ॥६६।। अच्छे अ सूरिआवत्ते, सूरिआवरणेतिअ । उत्तमे अ दिसादी अ, वडेंसेति अ सोलसे ॥६७।। से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-मन्दरे . पव्वए २१, गो० ! मन्दरे पव्वए मन्दरे णामं देवे परिवसइ महिद्धीए जाव पलिओवमट्टिइए, से तेणटेणं गो० ! एवं वुच्चइ-मन्दरे पव्वए २, अदुत्तरं तं चेव।११०। कहिं णं भंते ! जंबुद्दीवे णीलवंते णामं वासहरपव्वये पं०?, गो० ! महाविदेहस्स वासस्स उत्तरेणं रम्मगवासस्स दक्खिणेणं पुरथिमिल्ललवणसमुद्दस्स पच्चत्थिमेणं पच्चत्थिमलवणसमुदस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवेणीलवंते णामं वासंहरपव्वए पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे णिसहवत्तव्वया णीलवंतस्स भाणियव्वा णवरं जीवा दाहिणेणं धणुं उत्तरेणं, एत्थ णं केसरिद्दहो, दाहिणेणं सीया महाणई पवूढा समाणी उत्तरकुरूं एज्जेमाणी २ जमगपव्वएणीलवंतउत्तरकुरूचंदेरावतमालवंतद्दहे य दुहा विभयमाणी २ चउरासीए सलिलासहस्सेहिं आपूरेमाणी २ भद्दसालवणं एज्जेमाणी २ मंदरं पव्वंयं दोहिं जोयणेहिं असंपत्ता पुरत्थाभिमुही आवत्ता समाणी अहे मालवन्तवक्खारपव्वयं दालयित्ता मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमेणं पुव्वविदेहवासं दुहा विभयमाणी २ एगमेगाओ चक्कवट्टिविजयाओ अट्ठावीसाए २ सलिलासहस्सेहिं आपूरेमाणी २ पञ्चहिं सलिलासयसहस्सेहिं देवत्तीसाए य सलिलासहस्सेहिं समग्गा अहे विजयस्स दारस्सजगई दालइत्ता पुरत्थिमेणं लवणसमुद्दे समप्पेइ, अवसिटुं तं चेव, एवं णारीकंतावि उत्तराभिमुही णेयव्वा, णवरमिमं णाणत्तं-गंधावइवट्टवेयद्धपव्वयं जोयणेणं असंपत्ता पच्चत्थाभिमुही आवत्ता समाणी अवसिटुं तं चेव पवहे य मुहे य जहा हरिकतासलिला, णीलवंते णं भंते ! वासहरपव्वए कइ कूडा पं०१, गो० ! नव कूडा पं० तं०-सिद्धाययणकूडे० 'सिद्धे णीले पुव्वविदेहे सीया य कित्ति णारी य। अवरविदेहे रम्मगकूडे उवदसणे चेव ॥६८॥ सव्वेऽवेते कूडा पञ्चसइआ रायहाणीउ उत्तरेणं, से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-णीलवंते वासहरपव्वए २१,गो० ! णीले णीलोभासे णीलवंते य इत्थ देवे महिद्धीए जाव परिवसइ सव्ववेरूलिआमए णीलवंते जाव णिच्चे ।११०। कहिणं भंते !जंबुद्दीवे रम्मए णामं वासे पं०?, गो० ! णीलवन्तस्स उत्तरेणं रूप्पिस्स दक्खिणेणं पुरत्थिमलवणसमुदस्स पच्चत्थिमेणं पच्चत्थिमलवणसमुद्दस्स पुरत्थिमेणं एवं जह चेव हरिवासं तह चेव रम्मयं वासं भाणिअव्वं णवरं दक्खिणेणं जीवा उत्तरेणं धणुं अवसेसं तं चेव, कहिं णं भंते ! रम्मए वासे गन्धावई णामं वट्टवेअद्धपव्वए पं० ?, गो० ! णरकन्ताए पच्चत्थिमेंणणारीकन्ताए पुरत्थिमेणं रम्मगवासस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थणं गन्धावई णामं वट्टवेअद्धे पव्वए पं०, जंचेव विअडावइस्सतंचेव गंधावइस्सवि
वत्तव्वं, अट्ठो बहवे उप्पलाइं जाव गंधावइप्पभाई पउमे य इत्थ देवे महिद्धीए जाव पलिओवमठिइए परिवसइ रायहाणी उत्तरेणं, सेकेणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-रम्मए ROY99999999965555555श्री आगमगुणमंजूषा- १२३६55555555555555555$$ONOR
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(१८) जंबूदीवपन्नति वक्रवारो ४,
५
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वासे २१, गो० ! रम्मगवासे णं रम्मे रम्मए रमणिज्जे रई (मए) य इत्थ देवे जाव परिवसइ से तेणटेणं०, कहिं णं भंते ! जंबुद्दीवे रूप्पी णामं वासहरपव्वए पं०?, गो० ! रम्मगवासस्स उत्तरेणं हेरण्णवयवासस्स दक्खिणेणं पुरत्थिमलवणसमुद्दस्स पच्चत्थिमेणं पच्चत्थिमलवणसमुद्दस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे रूप्पी णामं वासहरपव्वएपं० पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे एवं जा देव महाहिमवंतवत्तव्वया सा चेव रूप्पिस्सविणवरं दाहिणेणं जीवा उत्तरेणं धणुं अवसेसं तं चेव, महापुंडरीए दहे णरकंता णदी दक्खिणेणं णेयव्वा जहा रोहिआ पुरत्थिमेणं गच्छइ, रूप्पकूला उत्तरेणं णेअव्वा जहा हरिकंता पच्चत्थिमेणं गच्छइ अवसेसं तं चेव, रूप्पिमि णं भंते ! वासहरपव्वए कइ कूडा पं०?, गो० ! अट्ठ कूडा पं० २०-'सिद्धे रूप्पी रम्मग णरकंता बुद्धि रूप्पकूला य । हेरण्णवय (प्र० ये) मणिकंचण अट्ठ य (प्र० णे य) रूप्पिमि कूडाई ॥६९।। सव्वेवि एए पंचसइआ रायहाणीओ उत्तरेणं, से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-रूप्पी वासहरपव्वए २?, गो० ! रूप्पी णामं वासहरपव्वए रूप्पी रूप्पपटे रूप्पोभासे सव्वरूप्पामए रूप्पी य इत्थ देवे पलिओवमठिइए परिवसइ, से एएणद्वेणं गो० ! एवं वुच्चइ०, कहिं णं भंते ! जंबुद्दीवे हेरण्णवए णामं वासे पं०?, गो० ! रूप्पिस्स उत्तरेणं सिहरिस्स दक्खिणेणं पुरत्थिमलवणसमुद्दस्स पच्चत्थिमेणं पच्चत्थिमलवणसमुदस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे हिरण्णवए वासे पं० एवं जह चेव हेमवयं तह चेव हेरण्णवयंपि भाणियव्वं णवरं जीवा दाहिणेणं उत्तरेणं धणुं अवसिटुं तं चेव, कहिणं भंते ! हेरण्णवए वासे मालवन्तपरिआए णामं वट्टवेअद्धपव्वए पं०?, गो० ! सुवण्णकूलाए पच्चत्थिमेणं रूप्पकूलाए पुरत्थिमेणं मालसन्तपरिआए णामं वट्ठवेअड्ढे पं० जह चेव सद्दावई तहचेव मालवंतपरिआएवि, अट्ठो उप्पलाइं पउमाइं मालवन्तप्पभाइं मालवन्तवण्णाइं मालवन्तवण्णाभाई पभासे य इत्थ देवे महिद्धीए पलिओवमट्टिइए परिवसइ से एएणद्वेणं० रायहाणी उत्तरेणं, से केणेद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-हेरण्णवए वासे २?, गो० ! हेरण्णवएणं वासे रूप्पीसिहरीहिं वासहरपव्वएहिं दुहओ समवगूढे णिच्चं हिरण्णं दलइ णिच्चं हिरण्णं मुंचइ णिच्चं हिरण्णं पगासइ हेरण्णवए य इत्थ देवे परिवसइ से एएणद्वेणं०, कहिं णं भंते ! जंबुद्दीवे सिहरी णामं वासहरपव्वए पं०?, गो० ! हेरण्णवयस्स उत्तरेणं एरावयस्स दाहिणेणं पुरत्थिमलवणसमुदस्स पच्चत्थिमेणं पच्चत्थिमलवणसमुदस्स पुरत्थिमेणं एवं जह चेव चुल्लहिमवंतो तह चेव सिहरीवि णवरं जीवा दाहिणेणं धणुं उत्तरेणं अवसिट्ठ तं चेव, पुंडरीए दहे सुवण्णकूला महाणई दाहिणेणं णेअव्वा जहा रोहिअंसा पुरत्थिमेणं गच्छइ, एवं जह चेव गंगासिन्धूओ तह चेव रत्तारत्तनईओ णेअव्वाओ पुरत्थिमेणं रत्ता पच्चत्थिमेणं रत्तवई अवसिट्ठ तंचेव अपरिसेसं नेयव्वं, सिहरिम्मिणं भंते ! वासहरपव्वए कइ कूडा पं०?, गो० ! इक्कारस कूडा पं० पं०-सिद्धाययण सिहरि० हेरण्णवय सुवण्णकूला० सुरादेवी० रत्ता० लच्छी० रत्तवई० इलादेवी० एरवय० तिगिच्छिकूडे, एए सव्वेवि कूडा पंचसइआरायहाणीओउत्तरेणं, सेकेणटेणं भंते ! एवमुच्चइ-सिहरी वासहरपव्वए २?, गो० ! सिहरिमिवासहरपव्वए बहवे कूडा सिहरिसंठाणसंठिआ सव्वरयणामया सिहरि अ इत्थ देवे जाव परिवसइ से तेणढेणं०, कहिं णं भंते ! जम्बुद्दीवे एरावए णामं वासे पं० ?, गो० ! सिहरिस्स उत्तरेणं उत्तरलवणसमुद्दस्स दक्खिणेणं पुरथिमलवणसमुद्दस्स पच्चत्थिमेणं पच्चत्थिमलवणसमुदस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे एरावए णामं वासे पं० खाणुबहुले कंटकबहुले एवं जच्चेव भरहस्स वत्तव्वया सच्चेव सव्वा निरवसेसा णेअव्वा सओअवणा सणिक्खमणा सपरिनिव्वाणाणवरं एरावओ चक्कवट्टी एरावओ देवो (२१९) से तेणटेणं० एरावए वासे२११२*** वासहरवासवण्णो॥जयाणं एक्कमेक्के चक्कवट्टिविजए भगवन्तो तित्थयरा समुप्पज्जन्ति तेणं कालेणं! अहेलोगवत्थव्वाओ अट्ट दिसाकुमारीया महत्तरिआओ सएहिं २ कूडेहिं सएहिं २ भवणेहिं सएहिं २ पासायवडेंसएहिं पत्तेअं२ चउहिं सामाणिअसाहस्सीहिं चउहि महत्तरिआहिं सपरिवाराहिं सत्तहिं अणिएहिं सत्तहिं अणिआहिवईहिं सोलसहिं आयरक्खदेवसाहस्सीहि अण्णेहि य बहूहिं (प्र० भवणवइ) वाणमंतरेहिं देवेहिं देवीहिं य सद्धिं संपरिवुडाओ महयाहयणगीयवाइय जाव भोगभोगाइं भुंजमाणीओ विहरंति, तं०- 'भोगंकरा भोगवई, सुभोगा भोगमालिनी । तोयधारा विचित्ता य, पुप्फमाला अणिदिया फ
॥७०|| तए णं तासिं अहेलोगवत्थव्वाणं अनुभहं दिसाकुमारीणं मयहरियाणं पत्तेयं २ आसणाइं चलंति, तए णं ताओ अहेलोगवत्थव्वाओ अट्ठ दिसाकुमारीओ २ महत्तरियाओ पत्तेयं २ आसणाई चलिआई पासंति त्ता ओहिं पउंजति त्ता भगवं तित्थयंर ओहिणा आभोएंति त्ता अण्णमण्णं सद्दाविति त्ता एवं वयासी-उप्पण्णे खलु Gin Education Marwanayamiraramanarayanा -१२30EEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEuruchar
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो ५
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भो! जंबुद्दीवे भयवं तित्थयरे तं जीयमेयं तीअपच्चुप्पण्णमणागयाणं अहेलोगवत्थव्वाणं अट्ठण्हं दिसाकुमारीमहत्तरियाणं भगवओ तित्थगरस्स जम्मणमहिमं करेत्तए तं गच्छामो णं अम्हेवि भगवओ जम्मणमहिमं करेमोत्तिकटु एवं वयंति त्ता पत्तेयं २ आभिओगिए देवे सद्दावेति त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! अणेगखम्भसयसण्णिविढे लीलट्ठिअ० एवं विमाणवण्णओ भाणियव्वो जाव जोअणविच्छिण्णे दिव्वे जाणविमाणे विउव्वित्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह, तए णं आभिओगा देवा अणेगखंभसयं जाव पच्चप्पिणंति, तएणं ताओ अहेलोगवत्थव्वाओ अट्ठ दिसाकुमारीमहत्तरियाओ हट्ठतुट्ठ० पत्तेयं २ चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं चउहि य महत्तरियाहिं जाव अण्णेहिं बहूहिं देवेहिं देवीहिं य सद्धिं संपरिवुडाओ तं तं दिव्वं जाणविमाणं दुरूहंति त्ता सव्विड्ढीए घणमुइंगपणव० पवाइअरवेणं ताए उक्किट्ठाए जावदेवगईएजेणेव भगवओ तित्थगरस्स जम्मणगरे जेणेव जम्मभवणे तेणेव उवागच्छन्ति त्ता भगवओ तित्थयरस्स जम्मभवणं तेहिं दिव्वेहिं जाणविमाणेहिं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेतित्ता उत्तरपुरत्थिमे दिसिभाए ईसिंचउरंगुलमसंपत्तं धरणिअले ते दिव्वे जाणविमाणे ठविति त्ता पत्तेयं २ चउहिंसामाणियसहस्सेहि जाव सद्धिं संपरिवुडाओ दिव्वेहितो जाणविमाणेहितो पच्चोरूहति त्ता सव्विद्धीए जाव णाइएणं जेणेव भगवं तित्थयरे तित्थयरमाया य तेणेव उवागच्छन्ति त्ता भगवं तित्थयरं तित्थयरमायरं च तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेंति त्ता पत्तेयं २ करयलपरिग्गहियं० सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु एवं वयासी-णमोत्थु ते रयणकुच्छिधारिए ! जगप्पईवदाईए सव्वजगमंगलस्स चक्खुणो य मुत्तस्स सव्वजगजीववच्छलस्स हिअकारगमग्गदेसिय-पागिद्धिविभुपभुस्स जिणस्सणाणिस्स नायगस्स बुहस्स बोहगस्स सकललोगनाहस्स सव्वजगमंगलस्स निम्ममस्स पवरकुलसमुब्भवस्स जाईयखत्तियस्स जं सि लोगुत्तमस्स जणणी धण्णा सि तं पुण्णा सि कयत्था सि अम्हे णं देवाणुप्पिए! अहेलोगवत्थव्वाओ अट्ठ दिसाकुमारीमहत्तरियाओ भगवओ तित्थगरस्स जम्मणमहिमं करिस्सामो तण्णं तुब्भाहिं ण भाइयव्वं इतिकटु उत्तरपुरस्थिमय दिसीभागं अवक्कमंति त्ता वेउव्विअसमुग्घाएणं समोहणंति त्ता संखिज्जाई जोयणाई दंडं निसरंति, तं०-रयणाणं जाव संवट्टगवाए विउव्वंति त्ता तेणं सिवेणं मउएणं मारूएणं अणुद्धएणं भूमितलविमलकरणेणं मणहरेणं सव्वोउअसुरहिकुसुमगन्धाणूवासिएणं पिडिमणिहारिमेणं गन्धुद्धएणं तिरिअं पवाइएणं भगवओ तित्थयरस्स जम्मणभवणस्स सव्वओ समन्ता जोअणपरिमंडलं से जहाणामए कम्मारदारए सिया जाव तहेव जं तत्थ तणं वा पत्तं वा कटुं वा कयवरं वा असुइमचोक्खं पूइयं दुब्मिगंध तं सव्वं आहुणिअ २ एगते एडेति ताजेणेव भगवं तित्थयरे तित्थयरमाया य तेणेव उवागच्छंति त्ता भगवओ तित्थयरस्स तित्थयरमायाए य अदूरसामंते आगायमाणीओ परिगायमाणीओ चिट्ठति।११३॥ तेणं कालेणं० उद्धलोगवत्थव्वाओ अट्ठ दिसाकुमारीमहत्तरियाओ सएहिं २ कूडेहिं सएहिं २ भवणेहिं सएहिं २ पासायवडेसएहिं पत्तेयं २ चउहिं सामाणिअसाहस्सीहिं एवं तं चेव पुव्ववण्णिअं जाव विहरंति, तं०-मेहंकरा मेहवई, सुमेहा मेहमालिनी । सुवच्छा वच्छमित्ता य, वारिसेणा बलाहगा ॥७१॥ तए णं तासिं उद्धलोगवत्थव्वाणं अट्ठण्हं दिसाकुमारीमहत्तरियाणं पत्तेयं २ आसणाइं चलंति एवं तं चेव पुव्ववण्णिय भाणियव्वं जाव अम्हे णं देवाणुप्पिए। उद्धलोगवत्थव्वाओ अट्ठ दिसाकुमारीमहत्तरियाओ जेणं भगवओ तित्थगरस्स जम्मणमहिमं करिस्सामो तेणं तुब्भाहिं ण भाइअव्वंतिकटु उत्तरपूरत्थिमं दिसीभागं अवक्कमंति त्ता जाव अब्भवद्दलए विउव्वंति त्ता जाव तं निहयरयं णट्ठरयं भट्ठरयं पसंतरयं उवसंतरयं
करेति त्ता खिप्पामेव पच्चुवसमंति एवं पुप्फवद्दलंसि पुप्फवासं वासंतित्ता जाव कालागुरूपवर जाव सुरवराभिगमणजोग्गं करेंति त्ताजेणेव भयवं तित्थयरे तित्थयरमाया प य तेणेव उवागच्छंति त्ता जाव आगायमाणीओ परिगायमाणीओ चिट्ठति ।११४। तेणं कालेणं० पुरत्थिमरूअगवत्थव्वाओ अट्ठ दिसाकुमारीमहत्तरिआओ सएहिं २ 4. कूडेहिं तहेव जाव विहरति, त०-णदुत्तरायणन्दा, आणन्दा णंदिवद्धणा। विजया य वेजयंती, जयंती अपराजिआ ।।७२।। सेसं तं चेव जाव तुम्हेहिंण भाइयव्वंतिकट्ठ 9 भगवओ तित्थयरस्स तित्थयामायाए य पुरत्थिमेणं आयंसहत्थगयाओ आगायमाणीओ परिगायमाणीओ चिट्ठति, तेणं कालेणं० दाहिणरूअगवत्थव्वाओ अट्ठ + दिसाकुमारीमहत्तरिआओ तहेव जाव विहरंति तं०-समाहारा सुप्पइण्णा, सुप्पबुद्धा जसोहरा । लच्छिमई सेसवई, चित्तगुत्ता वसुंधरा ॥७३॥ तहेव जाव तं न २ भाइयव्वंतिकटु भगवओ तित्थयरस्स तित्थयरमाऊए य दाहिणेणं भिंगारहत्थगयाओ आगायमाणीओ परिगायमाणीओ चिट्ठति, तेणं कालेणं० Moros33999999999999999999श्री आगमगुणमंजूषा - १२३८99999945095555555555993GNOR
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(एटा जीवपाति बक्सारो५ (१०)
Xxxxxxxxxxxxxxxxever पच्चत्थिमरूअगवत्थव्वाओ अट्ठ दिसाकुमारीमहत्तरिआओ सएहिं जाव विहरंति, तं०-'इलादेवी सुरादेवी, पुहवी पउमावई। एगणासा णवमिआ, भद्दा सीआ य अट्ठमा ।।७४॥ तहेव जाव तुब्भेहिंण भाइयव्वंतिकटु जाव भगवओ तित्थयरस्स तित्थयरमाऊएयपच्चत्थिमेणं तालिअंटहत्थगयाओ आगायमाणीओपरिगायमाणीओ चिटुंति, तेणं कालेणं० उत्तरिल्लरूअगवत्थव्वाओ जाव विहरंति तं०-'अलंबुसा मिस्सकेसी, पुंडरीया य वारूणी । हासा सव्वप्पभा चेव, सिरि हिरि चेव उत्तरओ) ||७५|| तहेव जाव वंदित्ता भगवओ तित्थयरस्स तित्थयरमाऊए य उत्तरेणं चामरहत्थगयाओ आगायमाणीओ परिगायमाणीओ चिट्ठति, तेणं कालेणं० विदिसरूअगवत्थव्वाओ चत्तारि दिसाकुमारीमंहत्तरिआओ जाव विहरंति, तं०-'चित्ता य चित्तकणगा, सतेरा य सोदामिणी, तहेव जाव ण भाइयव्वंतिकटु भगवओ तित्थयरस्स तित्थयरमाऊए य चउसु विदिसासु दीविआहत्थगयाओ आगायमाणीओ परिगायमाणीओ चिट्ठति, तेणं कालेणं० मज्झिमरूअगवत्थव्वाओ चत्तारि दिसाकुमारीमहत्तरिआओ सएहिं २ कूडेहिं तहेव जाव विहरंति, तं०-रूआ रूयंसा सुरूया रूअगावई तहेव जाव तुब्भेहिं ण भाइयव्वंतिकटु भगवओ तित्थयरस्स चउरंगुलवजं णाभिणालं कप्पंति त्ता वियरगं खणंति त्ता वियरगे णांभिं णिहणंति त्ता रंयणाण य वइराण य पूरेति त्ता हरिआलियाए पेढं बंधंति त्ता तिदिसिं तओ कयलीहरए विउव्वंति, तए णं तेसिं कयलीहरंगाणं बहुमज्झदेसभाए तओ चाउस्सालए विउव्वंति, तए णं तेसिं चाउस्सालगाणं बहुमज्झदेसभाए तओ सीहासणे विउव्वंति, तेसिं णं सीहासणाणं अयमेयारूवे वण्णावासे पं० सव्वो वण्णगो भाणियव्वो, तए णं ताओ रूअगमज्झवत्थव्वाओ चत्तारि दिसाकुमारीमहंत्तराओ जेणेव भयवं तित्थयरे तित्थयरमाया य तेणेव उवागच्छंति त्ता भगवं तित्थयरं करयलसंपुडेणं गिण्हंति तित्थयरमायरं च बाहाहिं गिण्हति त्ता जेणेव दाहिणिल्ले कयलीहरए जेणेव चाउसालए जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छंति त्ता भगवं तित्थयरं तित्थयरमायरं च सीहासणे णिसीयावेति त्ता सयपागसहस्सपागेहिं तिल्लेहिं अब्भंगेति त्ता सुरभिणा गंधवट्टगएणं उव्वट्टेति त्ता भगवं तित्थयरं करयलपुडेहिं तित्थयरमायरं च बाहासु गिण्हंति त्ता जेणेव पुरथिमिल्ले कयलीहरए जेणेव चउसालए जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छंति त्ता भगवं तित्थयरं तित्थयरमायरं च सीहासणे णिसीआवेति त्ता तिहिं उदएहिं मज्जावेति, तं०-गंधोदएणं पुप्फोदएणं सुद्धोदएणं, मज्जावित्ता सव्वालंकारविभूसियं करेंति त्ता भगवं तित्थयरं करयलपुडेहिं तित्थयरमायरं च बाहाहिं गिण्हंति त्ता जेणेव उत्तरिल्ले कयलीहरए जेणेव चउसालए जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छंति त्ता भगवं तित्थयरं तित्थयरमायरं च सीहासणे णिसीआविति त्ता आभिओगे देवे सद्दाविति त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! चुल्लहिमवन्ताओ वासहरपव्वयाओ गोसीसचंदणकट्ठाई साहरह, तए णं ते आभिओगा देवा ताहिं रूअगमज्झवत्थव्वाहिं चउहिं दिसाकुमारीमहत्तरियाहिं एवं वुत्ता समाणा हट्टतुट्ठा जाव विणएणं वयणं पडिच्छन्ति त्ता खिप्पामेव चुल्लहिमवन्ताओ वासहरपव्वयाओ सरसाइं गोसीसचंदणकट्ठाइं साहरंति, तए णं ताओ मज्झिमरूअगवत्थव्वाओ चत्तारि दिसाकुमारीमहत्तरियाओ सरगं करेति त्ता अरणिं घडेति त्ता सरएणं अरणिं महिति त्ता अग्गिं पाडेति त्ता अग्गिं संधुक्खंति त्ता गोसीसचंदणकट्ठे परिक्खिवंति त्ता अग्गिं उज्जालंति त्ता समिहाकट्ठाई पक्खिविति त्ता अग्गिहोमं करेति त्ता भूतिकम्मं करेंति त्ता रक्खापोट्टलियं बंधंति त्ता णाणामणिरयणभत्तिचित्ते दुवे पाहाणवट्टरो गहाय भगवओ तित्थयरस्स कण्णमूलंमि टिट्टियावितिभवउ भयवं ! पव्वयाउए २, तए णं ताओ रूअगमज्झवत्थव्वाओ चत्तारि दिसाकुमारीमहत्तरियाओ भयवं तित्थयरं करयलपुडेहिं तित्थयरमायरं च बाहाहिं गिण्हति त्ता जेणेव भगवओ तित्थयरस्स जम्मणभवणे तेणेव उवागच्छंति त्ता तित्थयरमायरं सयणिज्जसि णिसीयाविति त्ता भयवं तित्थयरं माउए पासे ठवेति त्ता आगायमाणीओ परिगायमाणीओ चिट्ठति ।११५। तेणं कालेणं० सक्के णामं देविदे देवराया वज्जपाणी पुरंदरे सयक्कऊ सहस्सक्खे मघवं पागसासणे दाहिणद्धलोकाहिवई
बत्तीसविमाणावाससयसहस्साहिंवई एरावणवाहणे सुरिंदे अरयंबरवत्थधरे आलइयमालमउडे नवहेमचारूचित्तचंचलकुण्डलविलिहिज्जमाणंगंडे (प्र० गल्ले) 4 भासुरवरबोंदी पलंबवणमाले महिद्धीए मंहज्जुईए महाबले महायसे महाणुभागे महासोक्खे सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिसए विमाणे सभाए सुहम्माए सक्कंसि सीहासणंसि
सेणं तत्थ बत्तीसाए विमाणावाससयसाहस्सीणं चउरासीए सामाणियसाहस्सीणं तायत्तीसाए तायत्तीसगाणं चउण्हं लोगपालाणं अट्ठण्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं Xero $$ $45555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १२३९ ॥55555555555555555555GEORK
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो
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तिण्हं परिसाणं सत्तण्हं अणियाणं सत्तण्हं अणियाहिवईणं चउण्हं चउरासीणं आयरक्खदेवसाहस्सीणं अन्नेसिं च बहूणं सोहम्मकप्पवासीणं वेमाणियाणं देवाणं य। देवीण य (प्र० अण्णे पढंति-अण्णेसिं बहूणं देवाण य देवीण य अभियोगिउववण्णगाणं) आहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं महयरगत्तं आणाईसरसेणावच्चं कारेमाणे पालेमाणे महयाहयणगीयवाइयतंतीतलताल-तुडियघणमुइंगपडुपडंहपवाइअरवेणं दिव्वाइं भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ, तएणं तस्स सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो आसणं चलइ, तए णं से सक्के जाव आसणं चलियं पासइ त्ता ओहिं पउंजइ त्ता भगवं तित्थयरं ओहिणा आभोएइ त्ता हट्ठतुट्टचित्ते आणंदिए नंदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए धाराहयकयंब (प्र० नीपसुरभि) कुसुमचंचुमालइअऊसवियरोमकू वे वियसियवरकमलनयणवयणे पचलियवरकडगतुडिअकेऊरमउडे कुण्डलहारविरायंतरइयवच्छे पालंबपलंबमाणघोलंतभूसणधरे ससंभमं तुरियं चवंल सुरिदे सीहासणाओ अब्भुढेइत्ता पायपीढाओ पच्चोरूहइत्ता वेरूलियवरिठ्ठरिट्ठअंजणनिउणोविअ-मिसिमिसिंतमणिरयणमंडियाओ पाउयाओ ओमुअइत्ता एगसाडियं उत्तरासंगं करेइत्ता अंजलिमउलियग्गहत्थे तित्थयराभिमुहे सत्तट्ठ पयाइं अणुगच्छइत्ता वामं जाणु अंचेइ त्ता दाहिणं जाणुं धरणीयलंसि सा (प्र० नि) हटु तिक्खुत्तो मुद्धाणं धरणियलंसि निवेसे (प्र० वाडे) इत्ता ईसिं पच्चुण्णमइत्ता कडगतुडियर्थभियाओ भुआओ साहरइत्ता करयलपरिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु एवं वयासी-णमोत्थु णं अरहताणं भगवंताणं, आइगराणं तित्थयराणं सयंसंबुद्धाणं, पुरिसुत्तमाणं पुरिससीहाणं पुरिसवरपुण्डरीयाणं पुरिसवरगंधहत्थीणं, लोगुत्तमाणं लोगणाहाणं लोगहियाणं लोगपईवाणं लोगपज्जोयगराणं, अभयदयाणं चक्खुदयाणं मग्गदयाणं सरणदयाणं जीवदयाणं बोहिदयाणं, धम्मदयाणं धम्मदेसयाणं धम्मनायगाणं धम्मसारहीणं धम्मवरचाउरन्तचक्कवट्टीणं, दीवो ताणं सरणं गई पइट्ठा, अप्पडिहयवरनाणदंसणधराणं वियदृच्छउमाणं, जिणाणं जावयाणं तिण्णाणं तारयाण बुद्धाणं बोहयाणं मुत्ताणं मोयगाणं, सव्वन्नृणं सव्वदरिसीणं सिवमयलमरूयमणन्तमक्खयमव्वाबाहमपुणरावित्ति (प्र० त्तयं) सिद्धिगइणामधेयं ठाणं संपत्ताणं णमो जिणाणं जियभयाणं, णमोऽत्थु णं भगवओ तित्थगरस्स आइगरस्स जाव संपाविउकामस्स, वंदामि णं भगवंतं तत्थगयं इहगए, पासउ मे भयवं ! तत्थगए इहगयंतिकटु वन्दइ णमंसइ त्ता सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहे सण्णिसण्णे, तए णं तस्स सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो अयमेआरूवे जाव संकप्पे समुप्पज्जित्था-उप्पण्णे खलु भो जंबुद्दीवे भगवं तित्थयरे तंजीयमेयं तीअपच्चुप्पण्णमणागयाणं सक्काणं देविंदाणं देवराईणं तित्थयराणं जमणमहिमं करेत्तए, तं गच्छामिणं अहंपि भगवओ तित्थगरस्स जम्मणमहिम करेमित्तिकटु एवं संपेहेइत्ता हरिणेगमेसिं पायत्ताणीयाहिवइं देवं सद्दावेति त्ता एवं वयासी-खिप्पामेवभो देवाणुप्पिआ! सभाए सुहम्माए मेघोघरसिअंगंभीरमहरयंरसदं 'जोयणपरिमण्डलं सुघोसं सूसरं घंटं तिक्खुत्तो उल्लालेमाणे २ महया सद्देणं उग्घोसेमाणे २ एवं वयाहि-आणवेइ णं भो सक्के देविद देवराया गच्छइ णं भो सक्के० जंबुद्दीवं भगवओ तित्थयरस्स जम्मणमहिमं करित्तए, तं तुब्भेऽविय णं देवाणुप्पिआ ! सव्विद्धीए सव्वजुईए सव्वबलेणं सव्वसमुदएणं सव्वायरेणं सव्वविभूईए सव्वविभूसाए सव्वसंभमेणं सव्वनाडएहिं सव्वोरोहेहिं सव्वपुप्फवत्थगन्धमल्लालंकारविभूसाए सव्वदिव्वतुडिअसद्दसण्णिणाएणं महया इद्धीए जाव रवेणं णिअयंपरिआलसंपरिवुडा सयाई २ जाणविमाणवाहणाई दुरूढा समाणा अकालपरिहीणं चेव सक्कस्स अंतिय पाउब्भवह, तएणं से हरिणेगमेसी देवे पायत्ताणीयाहिवई सक्केणं जाव एवं वुत्ते समाणे हट्ठतुट्ठ जाव एवं देवोत्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ त्ता सक्कस्स अंतियाओ पडिणिक्खमइ त्ता जेणेव सभाए सुहम्माए मेघोघरसियगम्भीरमहुरयरसद्दा जोयणपरिमंडला सुघोसा घण्टा तेणेव उवागच्छइ त्ता तं मेघोघरसियगम्भीरमहुरसदं जोयणपरिमंडलं सुघोसं घण्टं तिक्खुत्तो उल्लालेइ, तए णं तेसि मेघोघरसियगम्भीरमंहुरसद्दाए जोयणपरिमंडलाए सुघोसाए घण्टाए तिक्खुत्तो उल्लालियाए समाणीए सोहम्मे कप्पे अण्णेहिं एगणेहिं बत्तीसाए विमाणावाससयसहस्सेहिं अण्णाई एगूणाई बत्तीसं घंटासयसहस्साइं जमगसमगं कणकणारावं काउं पयत्ताई याविहुत्था, तए णं सोहम्मे कप्पे पासायविमाणनिक्खुडावडिअसद्दसमुट्ठिअघंटापडेंसुआसयसहस्ससंकुले जाए यावि होत्था,तए णं तीसे सोहम्मकप्पवासीणं बहूणं वेमाणियाणं देवाण य देवीण य
एगन्तरइपसत्थणिच्चपमत्तविसयसुहमुच्छि आणं सूसरघंटारसियविउलबोलपूरिअचवलपडिबोहणे कए समाणे घोसणकोऊहलदिण्णकण्णworos333333385585404539955 श्री आगमगुणमंजूषा - १२४०955555555555555555555555555OK
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एगग्गचित्तउवउत्तमाणसाणं से पायत्ताणीआहिवई देवे तंसि घण्टारवंसि निसंतपडिणिसंतंसि समाणंसि तत्थ २ तहिं २ देसे २ महयार सद्देणं उग्घोसेमाणे २ एवं वयासी-हन्त ! सुणंतु भवंतो बहवे सोहम्मकप्पवासी वेमाणिया देवा देवीओ य सोहम्मकप्पवइणो इणमो वयणं हिअसुंहत्थं आणावइणं भो सक्के तं चेव जाव अंतियं पाउब्भवह, तएणं ते देवा देवीओ य एयम8 सोच्चा हट्टतुट्ठ जाव हियया अप्पेगइआ वंदणवत्तियं एवं पूअणवत्तियं सक्कारवत्तियं सम्माणवत्तियं दंसणवत्तियं कोऊहलवत्तियं सक्कवयणं अणुवत्तमाणा अण्णमण्णं अणुवत्तमाणा जिणभत्तिरागेणं अप्पेगइया तं जीयमेयं एवमादित्तिकटु जाव पाउब्भवंति, तए णं से सक्के देविंद देवराया ते विमाणिए देवे देवीओ य अकालपरिहीणं चेव अंतियं पाउब्भवमाणे पासइ त्ता हट्ठ० पालयं णामं आभिओगियं देवं सद्दावेइ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणु प्पिया ! अणेगखंभसयसण्णिविट्ठ लीलट्ठियसालभंजिआक लियं ईहामिअउसभतुरगणरमगरविहगवालगकिण्णर- रूरू सरभचमरकुंजखणलयपउमलयभत्तिचित्तं खंभुग्गयवइयवेइआभिरामं विज्जाहरजमलजुअलजंतजुत्तंपिव अच्चीसहस्समालिणीयं रूव-गसहस्सकलियं भिसमाणं भिब्भिसमाणं चक्खुल्लोअणलेसं सुहफासं सस्सिरीयरूवं घंटावलिअचलियमहुरमणहरसरं सुहं कन्तं दरिसणिज्ज णिउणोविअमिसिमिसितमणिरयणघंटिआजालपरिक्खित्तं जोयणसयसहस्सविच्छिण्ण पञ्चजोयणसयमुव्विद्धं सिग्धं तुरियं जइणणिव्वाहिं दिव्वं जाणविमाणं विउव्वाहिं त्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणाहिं ।११६। तए णं से पालयदेवे सक्केणं देविदेणं देवरण्णा एवं वुत्ते समाणे हट्ठतुट्ठ जाव वेउव्विअसमुग्घाएणं समोहणइ त्ता तहेव करेइ, तस्स णं दिव्वस्स जाणविमाणस्स तिदिसिं तओ तिसोवाणपडिरूवगा वण्णओ, तेसिं णं तिसोवाणपडिरूवाणं पुरओ पत्तेअं २ तोरणा वण्णओ जाव पडिरूवा, तस्स णं जाणविमाणस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे से जहानामए आलिंगपुक्खरेइ वा जाव दीविअचम्मेई वा अणेगसंकु कीलक सहस्सवितते आवड पच्चावड सेढिप (प्र० डि) सेढि सुत्थिअसोवत्थिअवद्धमाणपूसमाणवमच्छंडगमगरंडगजारमार (प्र० णा अच्छदाममोरा अंडालारामंडा) फुल्लावलीपउमपत्तसागरतरंगवसंतलयपउमलयभत्तिचित्तेहिं सच्छाएहिं सप्पभेहिं समरीइएहिंसउज्जोएहिणाणाविहपञ्चवण्णेहिं मणीहिं उवसोभिए, तेसिंणं मणीणं वण्णे गन्धे फासे अ भाणिअव्वे जहा रायप्पसेणइज्जे, तस्स णं भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए पिच्छाघरमण्डवे अणेगखम्भसयसण्णिविढे वण्णओ जाव पडिरूवे, तस्स उल्लोए पउमलयभत्तिचित्ते जाव सव्वतवणिज्जमए जाव पडिरूवे, तस्सणं मण्डवस्स बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभागंसि महं एगा मणिपेढिआ. अट्ठ जोअणाई आयामविक्खम्भेणं चत्तारि जोअणाई बाहल्लेणं सव्वमणिमयी वण्णओ, तीए उवरिं महं एगे सीहासणे वण्णओ, तस्सुवरि महं एगे विजयदूसे सव्वरयणामए वण्णओ, तस्स मज्झदेसभाए एगे वइरामए अंकुसे, एत्थणं महं एगे कुम्भिक्के मुत्तादामे, सेणं अन्नेहिं तदधुच्चत्तप्पमाणमित्तेहिं चउहिं अद्धकुम्भिक्केहिं 5 मुत्तादामेहिं सव्वओ समन्ता संपरिक्खित्ते, ते णं दामा तवणिज्जलंबूसगा सुवण्णपयरगमण्डिआ णाणामणिरयणविविह-हारद्धहारउवसोभिअसमुदया ईसिं अण्णमण्णमसंपत्ता पुव्वाइएहिं वाएहिं मन्दं एइज्जमाणा २ जाव निव्वुइकरेणं सद्देणं ते पएसे आपूरेमाणा २ जाव अईव उवसोभेमाणा २ चिटुंति, तस्सणं सीहासणस्स अवरूत्तरेणं उत्तरेणं उत्तरपुरस्थिमेणं एत्थ णं सक्कस्स चउरासीए सामाणिअसाहस्सीणं चउरासीई भद्दासणसाहस्सीओ पुरत्थिमेणं अट्ठण्हं अग्गमहिसीणं एवं दाहिणपुरत्थिमेणं अभितरपरिसाए दुवालसण्हं देवसाहस्सीणं दाहिणेणं मज्झिमपरिसाए चउद्दसण्हं देवसाहस्सीणं दाहिणपच्चत्थिमेणं बाहिरपरिसाए सोलसण्हं
देवसाहस्सीणं पच्चत्थिमेणं सत्तण्हं अणिआहिवईणं, तए णं तस्स सीहासणस्स चउद्दिसिं चउण्हं चउरासीणं आयरक्खदेवसाहस्सीणं एवमाई विभासिअव्वं ए सूरिआभगमेणं जाव पच्चप्पिणन्ति ।११७। तए णं से सक्के जाव हट्ठहिअए दिव्वं जिणेदाभिगमणजुग्गं सव्वालंकारविभूसिअं उत्तरवेउव्विंअं रूवं विउव्वइ त्ता अट्ठहिं म अग्गमहिसीहिं सपरिवाराहिणट्टाणीएणं गन्धव्वाणीएण य सद्धिं तं विमाणं अणुप्पयाहिणीकरेमाणे पुब्विल्लेणं तिसोवाणेणं दुरूहइ त्ता जाव सीहासणंसि पुरत्थाभिमुहे म सण्णिसण्णे, एवं चेव सामाणिआवि उत्तरेणं तिसोवाणेणं दुरूहित्ता पत्तेअं २ पुव्वण्णत्थेसु भद्दासणेसु णिसीअंति, अवसेसा देवा देवीओ अ दाहिणिल्लेणं दुरूहित्ता 2 तहेव जाव णिसीअंति, तए णं तस्स सक्कस्स तंसि विमाणंसि दुरूढस्स इमे अट्ठट्ठमंगलगा पुरओ अहाणुपुव्वीए संपट्ठिआ, तयणंतरं पुण्णकलसभिंगारं दिव्वा य
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छत्तपडागा सचामरा य दंसणरइअआलोअदरिसणिज्जा वाउछुअविजयवेजयन्ती अ समूसिया गगणतलमणुलिहंती पुरओ०, तयणन्तरं छत्तभिंगारं०, तयणंतरं ८ वइरामयवट्टलट्ठसंठिअसुसिलिट्ठपरिघट्ठमट्ठसुपइट्ठिए विसिटे अणेगवरपञ्चवण्णकुडभीसंहस्सपरिमण्डिआभिरामे वाउडुअविजयवेजयन्तीपडागाछत्ताइच्छत्तकलिए तुंगे गयणतलमणुलिहंतसिहरे जोअणसहस्समूसिए मंहइमहालए महिंदज्झए पुरओ०, तयणन्तरं च णं सरूवनेवत्थपरिअच्छिअवेसा सव्वालंकारविभूसिआ पञ्च अणिआ पञ्च अणिआहिवइणा०, तयणन्तरं च णं बहवे आभिओगिआ देवा य देवीओ असएहिं सएहिं रूवेहिं जाव णिओगेहिं सक्कं देविंद देवरायं पुरओ अमग्गओ अ पासओ य अहा०, तयणन्तरं च णं बहवे सोहम्मकप्पवासी देवा य देवीओ अ सव्विद्धीए जाव दुरूढा समाणा मग्गओ अजाव संपरिट्ठिआ, तए णं से सक्के० तेणं पञ्चाणिअपरिक्खित्तेणं जाव महिंदज्झएणं पुरओ पकडिढज्जमाणेणं चउरासीए सामाणिअ जाव परिवुडे सव्विद्धीए जाव रवेणं सोहम्मस्स क़प्पस्स मज्झमज्झेणं तंभ दिव्वं देवद्धिं जाव उवदंसेमाणे २ जेणेव सोहम्मस्स कप्पस्स उत्तरिल्ले निजाणमग्गे तेणेव उवागच्छइ जोअणसयसाहस्सिएहिं विग्गहेहिं ओवयमाणे २ ताए उक्किट्ठाए जाव देवगईए वीईवयमाणे २ तिरियमसंखिज्जाणं दीवसमुद्दाणं मझमज्झेणं जेणेव णंदीसरवरे दीवे जेणेव दाहिणपुरथिमिल्ले रइकरगपव्वए तेणेव उवागच्छइ त्ता एवं जा चेव सूरियाभस्स वत्तव्वया णवरं सक्काहिगारो वत्तओ जाव तं दिव्वं देविंद्ध जाव दिव्वं जाणविमाणं पडिसांहरमाणे जाव जेणेव भगवओ तित्थयरस्स जम्मणनगरे जेणेव भगवओ तित्थयरस्स जम्मणभवणे तेणेव उवागच्छति त्ता भगवओ तित्थयरस्स जम्मणभवणं तेणं दिव्वेणं जाणविमाणेणं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ त्ता भगवओ तित्थयरस्स जम्मणभवणस्स उत्तरपुरत्थिमे दिसाभागे चतुरंगुलमसंपत्तं धरणितले तं दिव्वं जाणविमाणं ठवेइ त्ता अट्ठहिं अग्गमहिसीहिं दोहिं अणीएहिं गंधव्वाणीएण य णट्टाणीएण य सद्धिं ताओ दिव्वाओ जाणविमाणाओ पुरथिमिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पच्चोरूहइ, तए णं सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो चउरासीई सामाणियसाहस्सीओ ताओ दिव्वाओ जाणविमाणाओ उत्तरिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पच्चोरूहंति, अवसेसा देवा य देवीओ य ताओ दिव्वाओ जाणविमाणाओ दाहिणिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पच्चोरुहंति, तए णं से सक्के देविदे देवराया चउरासीए सामाणियसाहस्सीहिं जाव सद्धिं (२२०) संपरिबुडे सव्विद्धीए जाव दुंदुभिणिग्योसणाइयरवेणं जेणेव भगवं तित्थयरे तित्थयरमाया य तेणेव उवागच्छइत्ता आलोए चेव पणामं करेइत्ता भगवं तित्थयरं तित्थयरमायरं च तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइत्ता करयल जाव एवं वयासी-णमोऽत्थु ते रयणकुच्छिधारए एवं जहा दिसाकुमारीओ जाव धण्णा सि पुण्णा सि तं कयत्था सि, अहण्णं देवाणुप्पिए ! सक्के णाम देविदे देवराया भगवओ तित्थयरस्स जम्मणमहिम करिस्सामि तं णं तुब्भाहिं ण भाइयव्वंतिकट्ठ
ओसोवणिं दलयइ त्ता तित्थयरपडिरूवयं विउव्वइ त्ता तित्थयरमाउयाए पासे ठवइत्ता पञ्च सक्के विउव्वइत्ता एगे सक्के भगवं तित्थयरं करयलपुडेणं गिण्हइ एगे सक्के पिट्ठओ आयवत्तं धरेइ दुवे सक्का उभओ पासिं चामरूक्खेवं करेंति एगे सक्के पुरओ वज्जपाणी पकड्ढइ, तए णं से सक्के देविंद देवराया अण्णरेहिं बहूहिं भवणवइवाणमंतरजोइसवेमाणिएहिं देवेहिं देवीहिं य सद्धिं संपरिवुडे सव्विद्धीए जाव णाइएणं ताए उक्किट्ठाए जाव वीईव (उप्प) यमाणे जेणेव मंदरे पव्वए जेणेव पंडगवणे जेणेव अभिसेअसिला जेणेव अभिसेअसीहासणे तेणेव उवागच्छइ ता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे सण्णिसण्णे ।११८॥ तेणं कालेणं० ईसाणे देविदे देवराया सूलपाणी वसभवाहणे सुरिन्दे उत्तरद्धलोगाहिवई अट्ठावीसविमाणावाससयसहस्साहिवई अरयंबरवत्थधरे एवं जहा सक्के इमं णाणत्तं-महाघोसा घण्टा लहुपरक्कमो पायत्तांणियाहिवई पुप्फओ विमाणकारी दक्खिणे निजाणमग्गे उत्तरपुरथिमिल्लो रइकरपव्वओ मंदरे समोसरिओ जाव पज्जुवासइ, एवं अवसिट्ठावि इंदा भाणियव्वा जाव अच्चुओ, इमं णाणत्तं- 'चउरासीइमसीई बावत्तरि सत्तरी य सट्ठी य । पण्णा चत्तालीसा तीसा वीसा दस सहस्सा ॥७६|| एए सामाणियाणं, 'बत्तीसऽट्ठावीसा बारस अट्ठ चउरो य सयसहस्सा । पण्णा चत्तालीसा छच्च सहस्सा सहस्सारे ॥७७|| आणयपाणयकप्पे चत्तारि सयाऽऽरणच्चुए तिण्णि । एए विमाणाणं, इमे जाणविमाणकारी देवा, तं०- पालय पुप्फय सोमणसे सिरिवच्छे य णंदिआवत्ते । कामगम पीइगम मणोरमे विमल सव्वओभद्दे ।।७८|| सोहम्मगाणं
सणंकुमारगाणं बंभलोयगाणं महासुक्कयाणं पाणयगाणं इंदाणं सुघोसा घण्टा हरिणेगमेसी पायत्ताणीआहिवई उत्तरिल्ला णिज्जाणभूमी दाहिणपुरथिमिल्ले Proof 5 555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १२४२5555555555555555555$$$OOK
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रइकरगपव्वए, ईसाणगाणं माहिंदलंतगसहस्सारअच्चुअगाण यइंदाणं महाघोसा घण्टा लहुपरक्कमो पायत्ताणीआहिवई दक्खिणिल्ले णिज्जाणमग्गे उत्तरपुरथिमिल्ले रइकरगपव्वए, परिसाणं जहा जीवाभिगमे, आयरक्खा सामाणियचउग्गुणा सव्वेसिं, जाणविमाणा सव्वेसिंजोयणसयसहस्सविच्छिण्णा उच्चत्तेणं सविमाणप्पमाणा, महिंदज्झया सव्वेसिंजोयणसाहस्सिया, सक्कवज्जा मंदरे समोअरंति जाव पज्जुवासंति ।११९। तेणं कालेणं० चमरे असुरिन्दे असुरराया चमरचञ्चाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए चमरंसि सीहासणंसि चउसठ्ठीए सामाणिअसाहस्सीहिं तायत्तीसाए तायत्तीसेहिं चउहि लोगपालेहिं पञ्चहिं अग्गमहिसीहिं सपरिवाराहिं तीहिं परिसाहिं सत्तहिं अणिएहिं सत्तहिं अणियाहिवईहिं चउहिं चउसट्ठीहिं आयरक्खसाहस्सीहि अण्णेहिं अजहा सक्के णवरं इमंणाणत्तं दुमो पायत्ताणीआहिवई ओघस्सरा घंटा विमाणं पण्णासं जोअणसहस्साइं महिन्दज्झओ पञ्चजोअणसयाइं विमाणकारी आभिओगिओ देवो अवसिटुं तंचेव जाव मन्दरे समोसरइ पज्जुवासइ, तेणं कालेणं० बली असुरिन्दे एवमेव णवरं सट्ठी सामाणिअसाहस्सीओ चउग्गुणा आयरक्खा महादुमो पायत्ताणीआहिवई महाओहस्सरा घण्टा सेसं तंचेव, परिसाओ जहा जीवाभिगमे, तेणं कालेणं० धरणे तहेव, णाणत्तं छ सामाणिअसाहस्सीओ छ अग्गमहिसीओ चउग्गुणा आयरक्खा मेघस्सरा घण्टा भद्दसेणो पायत्ताणीयाहिवई विमाणं पणवीसं जोअणसहस्साई महिंदज्झओ अद्धाइज्जाइं जोअणसयाई एवमसुरिन्दवज्जिआणं भवणवासिइंदाणं, णवरं असुराणं ओघस्सरा घण्टा णागाणं मेघस्सरा सुवण्णाणं हंसस्सरा विज्जूणं कोंचस्सरा अग्गीणं मंजुस्सरा दिसाणं मंजुघोसा उदहीणं सुस्सरा दीवाणं महुंरस्सरा वाऊणं णंदिस्सरा थणिआणं णंदिघासा, चउसट्ठी सट्ठी खलु छच्च सहस्सा उ असुरवज्जाणं ।सामाणिआउएएचउग्गुणा आयरक्खा उ॥७९|| दाहिणिल्लं पायत्ताणीआहिवई भद्दसेणो उत्तरिल्लाणं दक्खो, वाणमन्तरजोइसिआ णेअव्वा एवं चेव, णवरं चत्तारि सामाणिअसाहस्सीओ चत्तारि अग्गमहिसीओ सोलस आयरक्खसंहस्सा विमाणा सहस्सं महिन्दज्झया पणुवीसं जोअणसयं घण्टा दाहिणाणं मंजुस्सरा उत्तराणं मंजुघोसा पायत्ताणीआहिवई विमाणकारी य आभिओगा देवा जोइसिआणं सुस्सरा सुस्सरणिग्घोसाओ घण्टाओ मन्दरे समोसरणं जाव पज्जुवासंति ।१२०। तए णं से अच्चुए देविदे देवराया महं देवाहिवे आभिओगे देवे सद्दावेइ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! महत्थं महग्धं महारिहं विउलं तित्थयराभिसेयं उवट्ठवेह, तए णं ते आभिओगा देवा हट्ठतुट्ठ जाव पडिसुणित्ता उत्तरपुरस्थिमं दिसीभागं अवक्कमंति त्ता वेउब्वियसमुग्घाएणं जाव समोहणित्ता अट्ठसहस्सं सोवण्णिअकलसाणं एवं रूप्पमयाणं मणिमयाणं सुवण्णरूप्पमयाणं सुवण्णमणिमयाणं रूप्पमणिमयाणं सुवण्णरूप्पमणिमयाणं अट्ठसहस्संभोमिज्जाणं अट्ठसहस्संचंदणकलसाणं एवं भिंगाराणं आयंसाणं थालाणं पाईणं सुपइट्ठगाणं चित्ताणं रयणकरंडगाणं वायकरगाणं पुप्फचंगेरीणं, एवं जहा सूरियाभस्स, सव्वचंगेरीओ सव्वपडलगाइं० विसेसियतराई भाणियव्वाइं, सीहासणच्छत्तचामरतेल्लसमुग्गजावसरिसवसमुग्गा तालिअंटा जाव अट्ठसहस्सं कडुच्छुगाणं विउव्वंति त्ता साहाविए विउव्विए य कलसे जाव कडुच्छुए य गिण्हित्ता जेणेव खीरोदए समुद्दे तेणेव आगम्म खीरोदगं गिण्हति त्ता जाई तत्थ उप्पलाई पउमाइं जाव सहस्सपत्ताई ताई गिण्हंति, एवं पुक्खरोदाओ जाव भरहेवयाणं मागहाईण तित्थाणं उदगं मट्टिअंच गिण्हंति त्ता एवं गंगाईणं महाणईणं जाव चुल्लहिमवंताओ सव्वतुयरे सव्वपुप्फे सव्वगंधे सव्वमंल्ले जाव सव्वोसहीओ सिद्धत्थए य गिण्हंति त्ता पउमद्दहाओ दहोअगं उप्पलादीणि य एवं सव्वकुलपव्वएसुवट्टवेअद्धेसु सव्वमहद्दहेसु सव्ववासेसु सव्वचक्कवट्टिविजयएसु वक्खारपव्वएसु अंतरणईसु विभासिज्जा जाव उत्तरकुरूसुजाव सुदंसणभद्दसालवणे सव्वतुयरे जाव सिद्धत्थए य गिण्हंति, एवं णंदणवणाओ सव्वतुयरे जाव सिद्धत्थए य सरसं च गोसीसचंदणं दिव्वं च सुमणोदामं गेण्हंति, एवं सोमणसपंडगवणाओ य सव्वतुयरे जाव सुमणसदामं दद्दरमलयसुगंधे य गिण्हंति त्ता एगओ मिलायंति त्ता जेणेव सामी तेणेव उवागच्छंति त्ता महत्थं जाव तित्थयराभिसेयं उवट्ठवेति ।१२१। तए णं से अच्चुए देविन्दे दसहिं सामाणियसाहस्सीहिं जाव आयरक्खदेवसाहस्सीहिं सद्धिं संपरिवुडे तेहिं साभाविएहिं विउविएहिं य वरकमलपइट्ठाणेहिं सुरभिवरवारिपडिपुण्णेहिं चन्दणकयचच्चाएहिं आविद्धकंठेगुणेहिं पउमुप्पलपिहाणोहिं करयलसुकुमारपरिग्गहिएहिं अट्ठसहस्सेणं सोवणियाणं कलसाणं जाव
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अट्ठसहस्सेणं भोमेज्जाणं जाव सव्वोदएहिं सव्वमट्ठियाहिं सव्वतुअरेहिं जाव सव्वोसहिसिद्धत्थएहिं सव्विड्ढीए जाव रवेणं महया रतित्थयराभिसेएणं अभिसिंचंति, तए णं सामिस्स महया २ अभिसेयंसि वट्टमाणंसि इंदाइया देवा छत्तचामरकलसधूवकडुच्छुअपुप्फगन्धजावहत्थगयाहठ्ठतुट्ठ जाव वज्जसूलपाणी पुरओ चिट्ठति पंजलिउडा, एवं विजयाणुसारेण जाव अप्पेगइया देवा आसिअसंमज्जिओवलितं करेन्ति जाव गन्धवट्टिभूयं, अप्पेग० हिरण्णवासं वासिंति एवं सुवण्णरयणवइरआभरणपत्तपुप्फफलबीअमल्लगन्धवण्णजाव चुण्णवासं वासंति, अप्पे० हिरण्णविहिं भाइंति एवं जाव चूण्णविधि भाइंति, अप्पे० चउव्विहं वजं वाएंति तं०- ततं विततं घणं झुसिरं, अप्पे० चउव्विहं गेयं गायंति, तं०- उक्खित्तं पायत्तं मन्दाइयं रोइआवसाणं, अप्पे० चउव्विहं णट्ट णच्चंति, तं०- अचियं दुयं आरभडं भसोलं, अप्पे० चउव्विहं अभिणयं अभिणेति, तं०- दिलृतियं पाडिस्सुइ(इंति)यं सामन्तोववाइयं लोगमज्झावसाणियं, अप्पे० बत्तीसइविहं दिव्वं णट्टविहिं उवदंसेन्ति, अप्पे० उप्पयनिवयं निवयउप्पयं संकुचिअपसारियं जाव भन्तसंभन्तणामं दिव्वं नट्टविहिं उवदंसंति, अप्पे० तंडवेति अप्पे० लासन्ति अप्पे० पीणेन्ति एवं बुक्कारेति अप्फोडेति वगंति सीहणायं णदंति अप्पे० सव्वाइं करेन्ति अप्पे० हयहेसियं एवं हत्थिगुलुगुलाइयं रहघणघणाइयं अप्पे० तिण्णिवि, अप्पे० उच्छोलंति अप्पे० पच्छोलंति अप्पे० तिवई छिंदंति पायदद्दरयं करेन्ति भूमिचवेडे दलयन्ति अप्पे० महया सद्देणं राति एवं संजोगा विभासियव्वा, अप्पे० हक्कारेन्ति एवं पुकारेति बुक्कारेति ओवरेन्ति उप्पयंति परिप्पवंति अलंति तवंति पयवंति गज्जति विज्जुआयंति वासिसंति अप्पे० देवुक्कलियं करेन्ति एवं देवकहकहगं करेंति अप्पे० देवदुहुदुहुगं करेंति अप्पे० विकिअभूयाइरूवाइं विउव्वित्ता पणच्वंति एवमाइं विभासेज्जा जहा विजयस्स जाव सव्वओ समन्ता आहावेति परिधावेति ।१२२। तए णं से अच्चुइंदे सपरिवारे सामि तेणं महया २ अभिसेएणं अभिसिंचइ त्ता करयलपरिग्गहिअंजाव मत्थए अंजलिं कट्ट जएणं विजएणं वद्धावेइ त्ता ताहिं इठ्ठाहिं जाव जयजयस पउंजति जाव पम्हलसुकुमालाए सुरभीए गन्धकासाईए गायाई लूहेइ त्ता एवं जाव कप्परुक्खगंपिव अलंकियविभूसिअं करेइ त्ता जाव णट्टविहिं उवदंसेइ त्ता अच्छेहि सण्हेहिं रययामएहिं अच्छरसातण्डुलेहिं भगवओ सामिस्स पुरओ अट्ठमंगलगे आलिहइ, तं०- दप्पण भद्दासण वद्धमाण वरकलस मच्छ सिरिवच्छा । सोत्थिअ णन्दावत्ता लिहिआ अट्ठट्ठमंगलगा ।।८०।। लिहिऊण करेइ उवयार, किं ते ? पाडलमल्लिअचंपगासोगपुन्नाअचूयमंजरिणवमालिअपउलतिलयकणवीरकुंदकुज्जगकोरंटपत्त- समणगवरसुरभिगन्धगंधियस्स कयग्गहहियकरयलपब्भट्ठविप्पमुक्कस्स दसवण्णरस कुसुमणियरस्स तत्थ चित्तं जण्णुस्सेहप्पमाणमित्तं ओहिनिकरं करेत्ता चंदप्पभरणवरवइरवेरुलियविमलदंडं कं चणमणिरयणभत्तिचित्तं कालागुरुपवरकुंदुरुक्कतुरुक्कधूवगंधुत्तमाणुविद्धं च धूमवदि विणिम्मुअंतं वेरुलियमयं कडुच्छुयं पग्गहितु पयएणं धूवं दाऊण जिणवरिंदस्स सत्तट्ठ पयाइं ओसरित्ता दसंगुलियं अंजलिं करिय मत्थयंमि पयओ अट्ठसयविसुद्धगन्थजुत्तेहि महावित्तेहिं अपुणरुत्तेहिं अत्थजुत्तेहिं संथुणइत्ता वामं जाणुंअंचेइत्ता जाव करयलपरिग्गहियं० मत्थए अंजलि कट्ट एवं वयासी- णमोऽत्थु ते सिद्धबुद्धणीरयसमणसामाहिसमत्त-समजोगिसल्लगत्तणतणब्भ-यणीरागदोसणिम्ममणिस्संगणीसल्लमाणमूरणगुणरयणसीलसागरमणंतमप्पमेय भवियधम्मवरचाउरंतचक्कवट्टी णमोऽत्थुतेअरहओत्तिकट्ट एवं वंदइणमंसइत्ताणच्चासण्णे णाइदूरे सुस्सूममाणे जाव पज्जुवासइ, एवं जहा अच्चुयस्स तहा जावईसाणस्सविभाणियव्वं, एवं भवणवइवाणमन्तरजोइसियाय सूरपज्जवसाणा सएणं परिवारेणं पत्तेयं २ अभिसिंचंति, तएणं से ईसाणे देविदे देवराया पञ्च ईसाणे विउव्वइत्ता एगे ईसाणे भगवं तित्थयरं करयलसंपुडेणं गिण्हइत्ता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे सण्णिसण्णे एगे ईसाणे पिट्ठओ आयवत्तं धरेइं दुवे ईसाणा उभओ पासिं चामरुक्खेवं करेति एगे ईसाणे पुरओ सूलपाणी चिट्ठइ, तए णं से सक्के देविद देवराया आभिओगे देवे सद्दावेइ त्ता एवोवि तह चेव अभिसेआणत्तिं देइ तेऽवि तह चेव उवणेति, तए णं से सक्के देविद देवराया भगवओ तित्थयरस्स चउद्दिसिं चत्तारि धवलवसभे विउव्वेइ सेए संखदलविमलनिम्मलदधिघणगोखीरफेणरयणिगरप्पगासे पासाईए दरसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे, तए णं तेसिं चउण्हं धवलवसभाणं अट्ठहिं सिंगेहितो अट्ठ
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(राजबूदीवपन्नत्ति वक्खारी ५,६
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तोयधाराओ णिग्गच्छंति, तए णं ताओ अट्ठ तोयधाराओ उद्धं वेहासं उप्पयंति एगयओ मिलायंति त्ता भगवओ तित्थयरस्स मुद्धाणंसि निवयंति, तए णं से सक्के देविदे देवराया चउरासीईए सामायसाहस्सीहिं एयस्सवि तहेव अभिसेओ भाणियव्वो जाव णमोऽत्थु ते अरहओत्तिकट्ट वंदइ णमंसइ जाव पज्जुवासइ ।१२३। तएणं ॥ ससे सक्के देविद देवराया पंच सक्के विउव्वइत्ता एगे सक्के भयवं तित्थयरं करयलपुडेणं गिण्हइ एगे सक्के पिट्ठओ आयवत्तं धरेइ दुवे सक्का उभओ पासिंचामरुक्खेवं करेति एगे सक्के वज्जपाणी पुरओ पगड्डइ, तए णं से सक्के चउरासीईण सामाणियसाहस्सीहिं जाव अण्णेहि य भवणवइवाणमंतरजोइसवेमाणिएहिं देवेहिं देवीहि य सद्धिं संपरिवुडे सव्विद्धीए जाव णाइअरवेणं ताए उक्किट्ठाए जेणेव भगवओ तित्थयरस्स जम्मणणयरे जेणेव जम्मणभवणे जेणेव तित्थयरमाया तेणेव उवागच्छइत्ता भगवं तित्थयरं माऊए पासे ठवेइ त्ता तित्थयरपडिरूवगं पडिसाहरइत्ता ओसोवणिं पडिसाहरइ त्ता एगं महं खोमजुअलं कुंडलजुअलं च भगवओ तित्थयरस्स उस्सीसगमूले ठवेइ त्ता एणं महं सिरिदामगंडं तवणिज्जलंबूसगं सुवण्णपयरगमंडियं णाणामणिरयणविविहहारद्धहारउवसोहिअसमुदयं भगवओ तित्थयरस्स उल्लोयंसि निक्खवइ, तण्णं भगवं तित्थयरे अणिमिसाए दिट्ठी देहमाणे २ सुहंसुहेणं अंभिरममाणे चिट्ठइ, तएणं से सक्के देविदे देवराया वेसमणं देवं सद्दावेइत्ता एवं वदासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! बत्तीसं हिरण्णकोडीओ बत्तीसं सुवण्णकोडीओ बत्तीसंणंदाइं बत्तीसं भद्दाइं सुभगे सुभगसोभग्गरूवजुव्वणलावण्णेय भगवओ तित्थयरस्स जम्मणभवणंसि साहराहि त्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणाहि, तए णं से वेसमणे देवे सक्केणं जाव विणएणं वयणं पडिसुणेइत्ता जम्भए देवे सद्दावेइ त्ता एवं वदासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! बत्तीसं हिरण्णकोडीओ जाव भगवओ तित्थयरस्स जम्मभवणंसि साहरहत्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह, तए णं ते जंभगा देवा वेसमणेणं देवेणं एवं वुत्ता समाणा हट्टतुट्ठ जाव खिप्पामेव बत्तीसं हिरण्णकोडीओ जाव भगवओ तित्थगरस्स जम्मणभवणंसि साहरंति त्ता जेणेव वेसमणे देवे जाव पच्चप्पिणंति, तए णं से वेसमणे देवे जेणेव सक्के देविदै देवराया जाव पच्चप्पिणइ, तए णं से सक्के देविदै देवराया अभिओगे देवे सद्दावेइ त्ता एवं वयासी- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिआ ! भगवओ तित्थयरस्स जम्मणणयरंसि सिंघाडगजावमहापहपहेसु महया २ सद्देणं उग्घोसेमाणा २ एवं वदह-हंदि सुणंतु भवंतो बहवे भवणवइवाणमंतरजोइसवेमाणिया देवा य देवीओ अजेणं देवाणुप्पिआ ! तित्थयरमाऊए वा असभं मणं पधारेइ तस्स णं अज्जगमं जरिआइव सय(त्त)धा मुद्धाणं फुट्टउत्तिकट्ट घोसणं घोसेह त्ता एअमाणत्तिअं पच्चप्पिह, तए णं ते आभिओगा देवा जाव एवं देवोत्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणंति त्ता सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो अंतिआओ पडिणिक्खमंति त्ता खिप्पामेव भगवओ तित्थगरस्स जम्मणणगरंसि सिंघाडग जाव एवं वयासी-हंदि सुणंतु भवंतो बहवे भवणवइ जाव जेणं देवाणुप्पिआ ! तित्थयरस्स जाव फुट्टिहित्तिकट्ट घोसणगं घोसंति त्ता एअमाणत्तिअं पच्चप्पिणंति, तएणं ते बहवे भवणवइवाणमंतरजोइसवेमाणिआ देवा भगवओ तित्थगरस्स जम्मणमहिमं करेति त्ता जेणेव णंदीसरवरदीवे तेणेव उवागच्छंति त्ता अट्ठाहियाओ महामहिमाओ करेंति त्ता जामेव दिसिं पाउन्भूआ तामेव दिसिं पडिगया।१२४ जंबुद्दीवस्स णं भंते ! दीवस्स पदेसा लवणसमुदं पुट्ठा ?, हंता पुट्ठा ते णं भंते ! किं जंबुद्दीवे लवणसमुद्दे ?, गो० जंबुद्दीवे णं दीवे ते णो खलु लवणसमुद्दे, एवं लवणसमुहस्सवि पएसा जंबुद्दीवं पुट्ठा भाणिअव्वा, जंबुद्दीवे णं भंते ! जीवा उद्दाइत्ता २ लवणसमुद्दे पच्चायंति?, गो० ! अत्थेगइआ पच्चायंति अत्थेगइआ नो पच्चायंति, एवं लवणस्सवि जंबुद्दीवे णेअव्वमिति ।१२५। 'खंडा जोअण वासा पव्वय कूडा य तित्थ सेढीओ। विजय इह सलिलाओ पिंडए होइ संगहणी ।।८१।। जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे भरहरप्पमाणमेत्तेहिं खंडेहिं केवइ खंडगणिएणं पं० ?, गो० ! णउअं खंडसयं खंडगणिएणं पं०, जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे केवइअं जोयणगणिएणं पं०?, गो० ! 'सत्तेव य कोडिसया णउआ छप्पण्ण सयसहस्साइं । चउणवई च सहस्सा सयं दिवद्धं च गणिअपयं ।।८२।। जंबुद्दीवेणं भंते ! दीवे कति वासा पं०१, गो० ! सत्त वासा पं० तं० भरहे एरवए हेमवए हिरण्णवए हरिवासे रम्मवासे महाविदेहे जंबुद्दीवे केवइआ वासहरा पं० केवइआ मंदरा पव्वया पं० केवइआ चित्तकूडा केवइआ विचित्तकूडा केवइआ जमगपव्वया केवइआ कंचणपव्वया केवइआ वक्खारा केवइआ दीहवेअद्धा वट्टवेअद्धा पं०?,
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voxx555555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा - १२४५55555555555555555555555555IOR
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो ६.७
[६४]
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गो०! जंबुद्दीवे छ वासहरपव्वया एगे मंदरे पव्वए एगे चित्तकूडे एगे विचित्तकूडे दो जमगपव्वया दो कंचणगपव्वयसया वीसं वक्खारपव्वया चोत्तीसं दीहवेयद्धा चत्तारि वयटवेयद्धा, एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे दुण्णि अउणत्तरा पव्वसया भवंतीतिमक्खायं, जंबुद्दीवे केवइया वासहरकूडा केवइया वक्खारकूडा केवइया वेयद्धकूडा केवइया मंदरकूडा पं० ?, गो० ! छप्पण्णं वासहरकूडा छण्णउई वक्खारकूडा तिण्णि छलुत्तरा वेयद्धकूडसया नव मंदरकूडा पं०, एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे चत्तारि सत्तट्ठा कूडसया भवंतीतिमक्खायं, जंबुद्दीवे भरहे वासे कति तित्था पं०?, गो०! तओ तित्था पं० सं०- मागहे वरदामे पभासे, जंबुद्दीवे एरवए वासे कति तित्था पं०?, गो०! तओ तित्था पं० २० मागहे वरदामे पभासे, जंबुद्दीवे महाविदेहे वासे एगमेगे चक्कवट्टिविजए कति तित्था पं०?, गो०! तओ तित्था पं० तं०- मागहे वरदामे पभासे, एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे एगे विउत्तरे तित्थसए भवंतीतिमक्खायं, जंबुद्दीवे केवइयाओ विज्जाहरसेढीओ केवइयाओ अभिओगसेढीओ पं०१, गो० ! जंबुद्दीवे अट्ठसठ्ठी विज्जाहरसेढीओ पं०, एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे छत्तीसे सेढिसए भवतीतिमक्खायं, जंबुद्दीवे केवइया चक्कवट्टिविजया केवइयाओ रायहाणीओ केवइयाओ तिमिसगुहाओ केवइयाओ खंडप्पवायगुहाओ केवइया कयमालया देवा केवइया णट्टमालया देवा केवइया उसभकूडा पं०?, गो० ! जंबुद्दीवे चोत्तीसं चक्कवट्टिविजया चोत्तीसं रायहाणीओ चोत्तीसं तिमिसगुहाओ चोत्तीसं खंडप्पवायगुहाओ चोत्तीसं कयमालया देवा चोत्तीसं णट्टमालया देवा चोत्तीसं उसभकूडा पव्वया पं०, जंबुद्दीवेणं भंते ! दीवे केवइया महद्दहा पं०?, गो० ! सोलस महद्दहा पं०, जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे केवझ्याओ महाणईओ वासहरप्पवहाओ केवइयाओ महाणईओ कुंडप्पवहाओ पं०?, गो० ! जंबुद्दीवे चोइस महाणईओ वासहरपवहाओ छावत्तरिं महाणईओ कुंडप्पवहाओ, एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे णउती महाणईओ भवंतीतिमक्खायं जंबुद्दीवे भरहेरवएसु कइ महाणईओ पं०?, गो० ! चत्तारि महानईओ पं० तं०- गंगा सिंधू रत्ता रत्तावई, तत्थ णं एगमेगा महाणई चउद्दसहिं २ सलिलासहस्सेहिं समग्गा पुरथिमपच्चत्थिमेणं लवणसमुदं समप्पेइ, एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे भरहएवएसुवासेसुछप्पण्णं सलिलासहस्सा भवंतीतिमक्खायं, जंबुद्दीवे णं भंते ! हेमवयहेरण्णवएसु वासेसु कति महाणईओ पं०?, गो० ! चत्तारि महाणईओ पं० तं०- रोहिता रोहिअंसा सुवण्णकूला रुप्पकूला, तत्थ णं एगमेगा महाणई अट्ठावीसाए २ सलिलासहस्सेहिं समग्गा पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं लवणसमुदं समप्पेइ, एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे हेमवयहेरण्णवएसु वासेसु बारसुत्तरे सलिलासयसहस्से भवंतीतिमक्खायं, जंबुद्दीवे हरिवासरम्मगवासेसु कइ महाणईओ पं० ?, गो० ! चत्तारि महाणईओ पं० तं०- हरी हरिकंता नरकंता णारीकंता, तत्थ णं एगमेगा महाणई छप्पण्णाए २ सलिलासहस्सेहिं समग्गा पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं लवणसमुदं समप्पेइ, एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे हरिवासरम्मगवासेसु दो चउवीसा सलिलासयसहस्सा भवंतीतिमक्खायं, जंबुद्दीवे महाविदेहे वासे कइ महाणईओ?, गो०! दो महाणईओ पं० तं०- सीआय सीओआ य, तत्थ णं एगमेगा महाणई पंचहिं २ सलिलासयसहस्सेहिं बत्तीसाए य सलिलासयस्सेहिं समग्गा पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं लवणसमुदं समप्पेइ, एवामेव सपुव्वावरेणं महाविदेहे वासे दस सलिलासयसहस्सा चउसद्धिं च सलिलासहस्सा भवन्तीतिमक्खायं, जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दक्खिणेणं केवइया सलिलासयसहस्सा पुरत्थिमपच्चत्थिमाभिमुहा लवणसमुदं समप्पेति ?, गो० ! एगे छण्णउए सलिलासयसहस्से पुरथिमपच्चत्थिमाभिमुहे लवणसमुई समप्पति, जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं केवइया सलिलासयसहस्सा पुरत्थिमपच्चत्थिमाभिमुहा लवणसमुई समप्पेति ?, गो० ! एगे छण्णउए सलिलासयसहस्से पुरत्थिमपच्चत्थिभिमुहे जाव समप्पेइ, जंबुद्दीवे केवइया सलिलासयसहस्सा पुरत्थिमाभिमुहा लवणसमुदं समप्पेति , गो० ! सत्त सलिलासयसहस्सौट्ठावीसं च सहस्सा जाव समप्पति, जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे केवइआ सलिलासयसहस्सा पच्चत्थिमाभिमुहा लवण ?, गो० ! सत्त सलिलासयसहस्सा अट्ठावीसं च सहस्सा जाव समप्पेंति, एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे चोद्दस सलिलासयसहस्सा छप्पण्णं च सहस्सा भवंतीतिमक्खायं।१२६।
जंबुद्दीवे ण भंते ! कइ चंदा पभासिसु पभासंति पभासिस्संति कइ सूरिया तवइंसु तवेति तविस्संति केवइया णक्खत्ता जोगं जोइंसु जोयंति जोइस्संति
GinEducation international 2010-03 MOTOS999999996555555555559 श्री आगमगुणमंजूषा - १२४६॥5595993555555555555559594MMEROGY
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(१८) जंबूदीवपत्रत्ति वक्खारो ७
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केवइया महग्गहा चारं चरिंसु चरंति चरिस्संति केवइयाओ तारागणकोडाकोडीओ सोभं सोभिसु सोभंति सोभिस्संति ?, गो० ! दो चंदा पभासिसुं० दो सूरिया तवइंसु० छप्पण्णं णक्खत्ता जोगं जोइंसु० छावत्तरं महग्गह वयं चारं चरिंसु 'एगं च सयसहस्सं तेत्तीसं खलु भवे सहस्साइं । णव य सया पण्णासा तारागणकोडिकोडी ||८३||१२७|| कइ णं भंते! सूरमंडला पं० ?, गो० ! एगे चउरासीए मंडलसए पं०, जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे केवइयं ओगाहित्ता केवइया सूरमंडला पं० १, गो० !
असी जोसयं ओगाहित्ता एत्थ णं पण्णट्ठी सूरमंडला पं०, लवणे णं भंते! समुद्दे केवइयं ओगाहित्ता केवइया सूरमंडला पं० १, गो ! लवणे समुद्दे तिणि ती जोयणसए ओगाहित्ता एत्थ णं एगूणवीसे सूरमंडलसए पं०, एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे लवणे य समुद्दे एगे चुलसीए सूरमंडलसए भवंतीतिमक्खायं । १२८ । सव्वब्भंतराओ णं भंते ! सूरमंडला केवइयं अबाहाए सव्वबाहिरए सूरमंडले पं० । १२९ । गो० पंचदसुत्तरे जोअणसह अंबाहाए सव्व बाहिरए सूरमंडले पण्णत्ते । सूरमंडलस्सणं भंते! सूरमंडलस्स य केवइयं अबाहाए अंतरे पं० ?, गो० ! दो जोयणाई अबाहाए अंतरे पं० । १३० | सूरमंडले णं भंते! केवइयं आयामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं केवइयं बाहाल्लेणं पं० ? गो० अडयालीसं एगसडिभाए जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं चउवीसं जोयणस्स एगसट्ठीभाए बाहल्लेणं पं० | १३१ | जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे मंदरस्स पव्वयस्स केवइअं अबाहाए सव्वमंतरे सूरमंडले पं० ?, गो० ! चोआलीसं जोयणसहस्साइं अट्ठ य वीसे जोयणसए अबाहाए सव्वब्भंतरे सूरमंडले पं०, जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स केवइयं अबाहाए अन्मंतराणंतरे सूरमंडले पं ?, गो० ! चोआलीसं जोयणसहस्साई अट्ठ य बावीसे जोयणसए अडयालीसं च एगसट्टिभागे जोयणस्स अबाहाए अब्भंतराणंतरे सूरमंडले पं०, जंबूद्दीवे णं भंते! दीवे मंदरस्स पव्वयस्स केवइयाए अबाहाए अब्भतरतच्चे सूरमंडले पं० १, गो० ! चोआलीसं जोयणसहस्साइं अट्ठ य पणवीसे जोयणसए पणतीसं च एगसट्टिभागे जोयणस्स अबाहाए अब्भंतरतच्चे सूरमंडले पं०, एवं खलु एतेणं उवाएणं णिक्खममाणे सूरिए तयणंतराओ मंडलाओ तयणंतरं मंडलं संकममाणे २ दो दो जोयणाई अडयालीसं च एगट्टिभाए जोयस मंडले अबाहावुद्धिं अभिवर्द्धमाणे २ सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स केवइयं अबाहाए सव्वबाहिरे सूरमंडले पं० १, गो० ! पणयालीसं जोयणसहस्साइं तिण्णि य तीसे जोयणसए अबाहाए सव्वबाहिरे सूरमंडले पं०, जंबुद्दीवे मंदरस्स केवइआए' अबाहाए बाहिराणंतरे सूरमंडले पं० १, गो० ! पणयालीसं जोयणसहस्साइं तिण्णि य सत्तावीसे जोयणसए तेरस य एगट्टिभाए जोयणस्स अबाहाए बाहिराणंतरे सूरमंडले पं०, जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे मंदरस्स पव्वयस्स केवइयाए अबाहाए बाहिरतच्चे सूरमंडले पं० १, गो० ! पयणालीसं जोयणसहस्सं तिण्णि य चउवीसे जोयणसए छव्वीसं च एगसट्टिभा जोयणस्स अबाहाए बाहिरतच्चे सूरमंडले पं०, एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे सूरिए तयाणंतराओ मंडलाओ तयाणंतरं मंडलं संकममाणे २ दो दो जोया अडयालीसं च एगसट्ठिभाए जोयणस्स एगमेगे मंडले अबाहावुद्धिं णिवुद्धेमाणे २ सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ । १३२ । जंबुद्दीवे सव्वब्भतरे णं भंते ! सूरमंडले केवइयं आयामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पं० ?, गो० ! णवणउई जोयणसहस्साइं छच्च चत्ताले जोयणसए आयाम विक्खंभेणं तिण्णि य जोयणसयसहस्साइं पणरसय जोयण सहस्साइं एगूणणउडं च जोयणाइं किंचिविसेसाहियाइं परिक्खेवेणं, अब्भंतराणंतरे णं भंते ! सूरमंडले केवइयं आयामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पं० ?, गो० ! णवणउई जोयणसहस्साइं छच्च पणयाले जोयणसए पणतीसं च एगसट्टिभाए जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोयणसयस्साई पारस य जोयणसहस्साइं एवं च सत्तुत्तरं जोयणसयं परिक्खेवेणं पं०, अब्भंतरतच्चे णं भंते! सूरमंडले केवइयं आयामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पं० १. गो० ! णवणउई जोयणसहस्साइं छच्च एकावण्णे जोयणसए णव य एगट्टिभाए जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तिण्णि य जोयणसयसहस्साइं पण्णरस य जोयणसहस्साइं एगं च पणवीस जोयणसयं परिक्खेवेणं, एवं खलु एतेणं उवाएणं णिक्खममाणे सूरिए तयाणंतराओ मंडलाओ तयाणंतरं मंडलं उवसंकममाणे २ पंच २ जोयणाई पणतीसं च एगसट्टिभाए जोयणस्स एगमेगे मंडले विकतखंभवुद्धि अभिवद्धेमाणे २ अट्ठारस २ जोयणाई परिरयवुद्धिं अभिवद्धमाणे २ सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, सव्वबाहिरए णं भंते! सूरमंडले केवइयं आयामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पं० ?, गो० ! एगं जोयणसयसहस्सं छच्च सट्टे जोयणसए आयामविक्खंभेणं OK श्री आगमगुणमंजूषा - १२४७
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तिण्णि य जोयणसयस्साइं अट्ठारस य सहस्साई तिण्णि य पण्णरसुत्तरे जोयणसए परिक्खेवेणं, बाहिराणंतरे णं भंते ! सूरमंडले केवइयं आयामविक्खंभेणं केवइयं ५ परिक्खेवेणं पं० १, गो० ! एगं जोयणसयसहस्सं छच्चं चउपण्णे जोयणसए छव्वीसं एगसट्ठिभागे जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तिण्णि य जोयणसयस्साई अट्ठारसय सहस्साइं दोण्णि य सत्ताणउए जोयणसए परिक्खेवेणं, बाहिरतच्चे णं भंते ! सूरमंडले आयामविक्खंभेणं केवइयं परिइयं परिक्खेवेणं पं०?, गो०! एगं जोयणसयसहस्सं छच्च अडयाले जोयणसए बावण्णं च एगसट्ठिभाए जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तिणि जोयणसयसहस्साइं अट्ठारस य सहस्साइं दोण्णि य अउणासीए जोयणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं, एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे सूरिए तयणंतराओ मंडलाओ तयणंतरं मंडलं संकममाणे २ पंचपंच २ जोयणणाइंपणतीसंच एगसट्ठिभाए जोयणस्स एगमेगे मंडले विक्खंभवुद्धिं णिव्वुद्धेमाणे अट्ठारस र जोयणाइं परिरयवुद्धिं णिव्वुड्डेमाणे सव्वब्भंसरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ।१३३। जयाणं भंते ! सूरिए सव्वन्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चार चरइ तया णं एगमेगेणं मुहत्तेणं केवइयं खेत्तं गच्छइ ?, गो० ! पंच २ जोयणसहस्साइं दोण्णि य एगावण्णे जोयणसए एगूणतीसं च सट्ठिभाए जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, तया णं इहगयस्स मणूसस्स सीयालीसाए जोयणसहस्सेहिं दोहि य तेवठेहिं जोयणसएहिं एगवीसाए य जोयणस्स सट्ठिभाएहिं सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छइ, से णिक्खममाणे सूरिए नवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अब्भंतराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, जया णं भंते ! सूरिए अभंतराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेत्तं गच्छइ ?, गो० ! पंच २ जोयणसहस्साइंदोण्णि य एगावण्णे जोयणसए सीआलीसं च सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, तया णं इहगयस्स मणूसस्स सीआलीसाए जोयणसहस्सेहिं एगूणासीए जोयणसएणं सत्तावण्णेणं च सट्ठिभाएहिं जोयणस्स सट्ठिभागं च एगसट्ठिधा छेत्ता एगूणवीसाए चुण्णिआभागेहिं सूरिए चक्खुफासं हव्वमागच्छइ, से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि अभंतरतच्वं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, जया णं भंते ! सूरिए अभंतरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेत्तं गच्छइ ?, गो० ! पंच २ जोयणसहस्साइं दोण्णि य बावण्णे जोयणसए पंच य अब्भंतरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, जया णं भंते ! सूरिए अब्भंतरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेत्तं गच्छइ ?, गो० ! पंच २ जोयणसहस्साई दोण्णि य बावण्णे जोयणसए पंच य सट्ठिभाए जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, तया णं इहगयस्स मणूसस्स सीआलीसए जोयणसहस्सेहिं छण्णउईए जोयणेहिं तेत्तीसाए सद्विभागं च एगसद्विधा छेत्ता दोहिं चुण्णिआभागेहिं सूरिए चक्खुफासं हव्वमागच्छति, एवं खलु एतेणं उवाएणं णिक्खममाणे सूरिए तयाणंतराओ मंडलाओ तयाणंतरं मंडलं संकममाणे २ अट्ठारसरसठ्ठीभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले मुहत्तगई अभिवड्डेमाणे २ चुलसीई २ सीआई जोयणाई पुरिसच्छायं णिवुद्धेमाणे २ सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, जदा णं भंते ! सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेत्तं गच्छइ ?, गो० ! पंच जोयणसहस्साइं तिण्णि य पंचुत्तरे जोयणसए पण्णरस य सट्ठिभाए जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, तया णं इहगयस्स मणूसस्स एगतीसाए जोयणसहस्सेहिं अट्ठहि य एगत्तीसेहिं जोयणसएहिं तीसाए य सट्ठिभाएहिं जोयणस्स सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छइ, एस णं पढमे छम्मासे एस णं पढमस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे, से सूरिए दोच्चं छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, जया णं भंते ! सूरिए
बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तयाणं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइअं खेत्तं गच्छइ?,गो०! पंच जोयणसहस्साइं तिण्णि य चउरूत्तरे जोयणसए सत्तावण्णं म च सट्ठिभाए जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, तया णं इहगयस्स मणूसस्स एगत्तीसाए जोयणसहस्सेहिं णवहि य सोलसुत्तरेहिं जोयणसएहिं इगूणालीसाए य म सट्ठिभाएहिं जोयणस्स सट्ठिभागं च एगसद्विधा छेत्ता सट्ठीए चुण्णिआभागेहिं सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छइ, से पविसमाणे सूरिए दोच्वंसि अहोरत्तंसि बाहिरतच्चं म मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, जया णं भंते ! सूरिए बाहिरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइअं खेत्तं गच्छइ ?, गो० ! पंच
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MeroS434959555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १२४८5555555555555555555$$$$$OOK
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(१८) जंबूदीक्पन्नत्ति वक्खारो ७
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जोयणसहस्साइं तिण्णि य चउत्तरे जोयणसए इगुणालीसं च सहिभाए जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तॆणं गच्छइ, तया णं इहगयस्स मणुयस्स एगाहिएहिं बत्तीसाए: जो अणसहस्सेहिं एगूणपण्णाए य सट्टिभाएहिं जोयणस्स सट्ठिभागं च एगसट्ठिधा छेत्ता तेवीसाए चुण्णि आभाएहिं सूरिए चक्खुप्फास हव्वमागच्छइ, एवं खलु, एएणं उवाणं पविसमाणे सूरिए तयाणंतराओ मंडलाओ तयाणंतरं मंडलं संकममाणे २ अट्ठारस २ सहिभाए जोयणस्स एगमेगे मंडले मुहुनगई निवड्ढेमाणे २ सातिरेगाई पंचासीति २ जोयणाई पुरिसच्छायं अभिवद्धेमाणे २ सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, एस णं दोच्चे छम्मासे एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे एस णं आइच्चे संवच्छरे एस णं आइच्चस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे । १३४ । जया णं भंते! सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं केमहालए दिवस केमहालिया राई भवइ ?, गो० ! तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ जहण्णिआ दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, से णिक्खममाणे सूरिए संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अब्भंतराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, जया णं भंते! सूरिए अब्भंतराणंतर मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया महाल दिवसे महालिया राई भवइ ?, गो० ! तया णं अट्ठारसमुंहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राई भवइ दोहिय एगट्टिभागमुहुत्ते हिं अहिआ, से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि जाव चारं चरति तदा णं केमहालिया राई भवइ ?, गो० ! तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ चउहिं
भागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुंहुत्ता राई भवइ चउहिं एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिआ, एवं खलु एएणं उवाएणं निक्खममाणे सूरिए तयाणंतराओ मंडलाओ तयानंतरं मंडलं संकममाणे २ दो दो एगट्टिभागमुहुत्ते एगमेगे मंडले दिवसखित्तस्स निव्वुद्धेमाणे २ रयणिखित्तस्स अभिवद्धेमाणे २ सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चर, जया णं सूरिए सव्वब्भंतराओ मंडलाओ सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सव्वमंतरमंडले पणिहाय एगेणं तेसीएणं राइदिअसणं तिण्णि छाव एसट्ठिभागमुहुत्तस दिवसखेत्तस्स निव्वुद्धेत्ता रयणिखेत्तस्स अभिवृद्धेत्ता चारं चरइ, जया णं भंते! सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया
महालय दिवसे महालिया राई भवइ ?, गो० ! तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, एस णं पढ छम्मासे एस णं पढमस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे, से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, जया णं भंते ! सूरिए बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं केमहालए दिवसे भवइ केमहालिया राई भवइ ?, गो० ! अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ दोहिं एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगसट्टिभागमुहुत्तेहिं अहिए, से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि बाहिरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, जया णं भंते ! सूरिए बाहिरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं केमहालए दिवसे भवइ केमहालिया राई भवइ ?, गो० ! तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ चउहिं एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ चउहिं एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए, एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे सूरिए तयाणंतराओ मंडलाओ तयाणंतरं मंडलं संकममाणे २ दो दो एगसट्टिभागमुहुत्ते एगमेगे मंडले रयणिखेत्तस्स निवुद्धेमाणे २ दिवसखेत्तस्स अभिवुद्धेमाणे २ सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, जया णं सूरिए सव्वबाहिराओ मंडलाओ सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सव्वबाहिरं मंडलं पणिहाय एगेणं तेसीएण राइंदिअसएणं तिण्णि छावट्ठे एगसट्टिभागमुहुत्तसए रयणिखेत्तस्स णिवुद्धेत्ता दिवसखेत्तस्स अभिवद्धेत्ता चारं चरइ, एस णं दोच्चे छम्मासे एस णं दुच्चस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे एस णं आइच्चे संवच्छरे एस णं आइच्चस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे । १३५ । जया णं भंते ! सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं किंसंठिआ तावखित्तसंठिई पं० १, गो० ! उद्धीमुहकलंबुआपुप्फसंठाणसंठिआ तावखेत्तसंठिई पं० अंतो संकुआ बाहिं वित्थडा अंतो वट्टा बाहिं पिहुला अंतो अंकमुहसंठिआ बाहिं सगडुब्दीमुंहसंठिआ उभओ (प्र० अवहो) पासे णं तीसे दो बाहाओ अवट्ठिआओ हवंति पणयालीसं २ जोयणसहस्साइं आयामेणं, दुवे य तीसे बाहाओ अणवट्टिआओ हवंति, तं० सव्वब्भंतरिया चेव बाहा सव्वबाहिरिया चेव बाहा, तीसे णं सव्वब्भंतरिया बाहा मंदरपव्वयंतेणं णवजोयणसहस्साइं
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चत्तारि छलसीए जोयणसए णव य दसभाए जोयणस्स परिक्खेवेणं, एस णं भंते ! परिक्खेवविसेसे कओ आहिएत्ति वएज्जा ?, गो० ! जे णं मंदरस्स परिक्खेवे तं परिक्खेवं तिहिं गुणेत्ता दसहिं छेत्ता दसहिं भागे हीरमाणे एस परिक्खेवविसेसे आहिएत्ति वदेज्जा, तीसे णं सव्वबाहिरिआ बाहा लवणसमुदंतेणं चउणवई जोयणसहस्साइं अट्ठ य सटे जोयणसए चत्तारि य दसभाए जोयणस्स परिक्खेवेणं, से णं भंते ! परिक्खेवविसेसे कओ आहिरएत्ति वएज्जा ?, गो० ! जे णं जंबुद्दीवस्स परिक्खेवे तं परिक्खेवं तिहिं गुणेत्ता दसहिं छेत्ता दसहिं भागे हीरमाणे एस णं परिक्खेवविसेसे आहिएत्ति वएज्जा, तया णं भंते ! तावखित्ते केवइअं आयामेणं पं०१, गो० ! अट्ठहत्तरिजोयणसहस्साइं तिण्णि य तेत्तीसे जोयणसए जोयणस्स तिभागं च आयामेणं पं०, 'मेरूस्स मज्झयारे जाव य लवणस्स रूंदछब्भागो । तावायामो एसो सगडुद्धीसंठिओ नियमा ||८४॥ तया णं भंते ! किंसंठिया अंधकारसंठिई पं०?, गो० ! उद्धीमुहकलंबुआपुप्फसंठाणसंठिआ अंधकारसंठिई पं० अंतो संकुआ बाहिं वित्थडा तं चेव जाव तीसे णं सव्वब्भंतरिआ बाहा मंदरपव्वयंतेणं छज्जोयणसहस्साई तिण्णि य चउवीसे जोयणसए छच्च दसभाए जोयणस्स परिक्खेवेणं, से णं भंते ! परिक्खेवविसेसे कओ आहिं?, गो०! जे णं मंदरस्स पव्वयस्स परिक्खेवे तं परिक्खेवं दोहिं गुणेत्ता दसहिं छेत्ता दसहिं भागे हीरमाणे एस णं परिक्खेवविसेसे आहि०, तीसे णं सव्वबाहिरिया बाहा लवणसमुदंतेणं तेसट्ठी होयणसहस्साई दोण्णि य पणयाले जोयणसए छच्च दसभाए जोयणस्स परिक्खेवेणं, सेणं भंते ! परिक्खेवविसेसे कओ आहि०?, गो० ! जे णं जंबुद्दीवस्स परिक्खेवे तं परिक्खेवं दोहिं गुणेत्ता जाव तं चेव, तया णं भंते ! अंधयारे केवइए आयामेणं पं०?, गो०! अट्ठहत्तरि जोयणसंहस्साई तिणि य तेत्तीसं जोयणसए जोयणतिभागं च आयामेणं पं०, जया णं भंते ! सूरिए सव्वबाहिरमंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं किसंठिया तावक्खित्तसंठिई पं०?, गो०! उद्धीमुहकलंबुयापुप्फसंठाणसंठिया पं०, तं चेव सव्वं णेयव्वं णवरं णाणत्तं जे अंधयारसंठिईए पुव्ववण्णियं पमाणं तं तावखित्तसंठिईए णेयव्वं जं तावखित्तसंठिईए पुव्ववण्णियं पमाणं तं अंधयारसंठिईए णेयव्वं ।१३६। जंबुद्दीवे सूरिआ उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति मज्झंतिअमुहुत्तंसि मूले य दूरे य दीसंति अत्थमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति ?, हंता गो० ! तं चेव जाव दीसंति, जंबुद्दीवे सूरिआ उग्गमणमुहुत्तंसि य मज्झंतिअमुहुत्तंसि य अत्थमणमुहुत्तंसि य सव्वत्थ समा उच्चत्तेणं ?, हंता तं चेव जाव उच्चत्तेणं, जइणं भंते ! जंबुद्दीवे सूरिआ उग्गमणमुहुत्तंसि य मज्झं० अत्थ० सव्वत्थ समा उच्चत्तेणं कम्हा णं भंते ! जंबुद्दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति०, गो० ! लेसापडिघाएणं उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति लेसाहितावेणं मज्झंतिअमुहुत्तंसि मूले य दूरे य दीसंति लेसापडिघाएणं अत्थमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले यदीसंति, एवं खलु गो० ! तं चेव जाव दीसंति ।१३७। जंबुद्दीवे सूरिआ किं तीअं खेत्तं गच्छंति पडुप्पण्णं खेत्तं गच्छन्ति अणागयं खेत्तं गच्छन्ति ?, गो० ! णो तीअं खेत्तं गच्छन्ति पडुप्पण्णं खेत्तं गच्छन्ति णो अणागयं खेत्तं गच्छन्ति, तं भंते ! किं पुटुं गच्छंति जाव नियमा छद्दिसिं, एवं ओभासेति, तं भंते ! किं पुढे ओभासेति ?, एवं आहारपयाई णेयव्वाइं 'पुट्ठो (प्र० 8) गाढमणंतरमणुमहआदिविसयाणुपुव्वी य, जाव णियमा छद्दिसिं, एवं उज्जोवेति तवेति पभासेति ।१३८। जंबुदीवे सूरियाणं किं तीते खित्ते किरिया कजइ पडुप्पण्णे० अणागए०?, गो० ! णो तीए खित्ते किरिया कज्जइ पडुप्पण्णे कज्जइ णो अणागए०, सा भंते ! किं पुट्ठा कज्जइ अपुट्ठा०?,' गो० ! पुट्ठा० णो अपुट्ठा कज्जइ जाव णियमा छद्दिसिं ।१३९। जंबुद्दीवे सूरिया केवइयं खेत्तं उद्धं तवयंति अहे तिरियं च , गो० ! एगं जोयणसयं उद्धं तवयंति अट्ठारसजोयणसयाई अहे तवंयति सीयालीसं जोयणसहस्साइं दोण्णि य तेवढे जोयणसए एगवीसं च सट्ठिभाए जोयणस्स तिरियं तवंयति ।१४०। अंतो णं भंते ! माणुसुत्तरस्स पव्वयस्स जे चंदिमसूरियगहगणणक्खत्ततारारूवा ते णं भंते ! देवा किं उद्धोववण्णगा कप्पोववण्णगा विमाणोववण्णगा चारोववण्णगा चारट्टिईया म गइरइया गइसमावण्णगा?, गो० ! अंतो णं माणुसुत्तरस्स पव्वयस्स जे चंदिमसूरियजावतारारूवा ते णं देवा उद्धोववण्णगा णो कप्पोववण्णगा विमाणोववण्णगा चारोववण्णगा णो चारट्टिइआ गइरइया गइसमावण्णगा, उद्धीमुहकलंबुयापुप्फसंठाणसंठिएहिं जोयणसाहस्सिएहिं तावखेत्तेहिं, साहस्सियाहिं सयसाहस्सियाहिं
वेउव्वियाहिं बाहिराहिं परिसाहिं महयाहयणट्टगीयवाइयतंतीतलतालतुडियघणमुइंगपडुप्पवाइयरवेणं दिव्वाइं भोगभोगाई भुंजमाणा महया Moro
9 999999999999999) श्री आगमगुणमजूषा - १२५०95954555555555555555$$OOR
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2 उक्किट्ठिसीहणायबोलकलकलरवेणं अच्छं पव्वयरायं पयाहिणावत्तमण्डलचारं मेरूं अणुपरियद॒ति ।१४१। तेसिंणं भंते ! देवाणं आहे इंदे चुए भवइ से कहमियाणि
पकरेति ?, गो० ! ताहे चत्तारिपंच सामाणिआ देवा तं ठाणं उवसंपज्जित्ताणं विहरंति जाव तत्थ अण्णे इंदे उववण्णे भवइ, इंदट्ठाणे णं भंते ! केवइअं कालं उववाएणं विरहिए पं०?, गो० ! जह० एगं समयं उक्को० छम्मासे उववाएणं विरहिए पं०, बाहिया णं भंते ! माणुसुत्तरस्स पव्वयस्स जे चंदिमजावतारारूवा तं चेव णेअव्वं ॥ णाणत्तं विमाणोववण्णगाणो चारोववण्णगा चारठिईआ णो गइरइआ णो गइसमावण्णगा, पक्किट्ठगसंठाणसंठिएहिं जोअणसयसाहस्सिएहिं तावखित्तेहिं, साहस्सिआहिं सयसाहस्सिआहिं वेउव्विआहिं बाहिराहिं परिसाहिं महयाहयण जाव भुंजमाणा सुहलेसा मन्दलेसा मन्दातवलेसा चित्तंतरलेसा अण्णोण्णसमोगाढाहिं लेसाह कूडाविव ठाणठिआ सव्वओ समन्ता ते पएसे ओभासंति उज्जोवेति तवेति पभासेन्ति, तेसिंणं भंते ! देवाणं जाहे इंदे चुए भवइ से कहमियाणिं पकरेन्ति जाव जह एक्कं समयं उक्को० छम्मासा।१४२। कइणं भंते ! चंदमण्डला पं०१, गो० ! पण्णरसं चंदमण्डला पं०, जंबुद्दीवे केवइयं ओगाहित्ता केवइया चंदमण्डला पं०?, गो० ! जंबुद्दीवे असीयं जोयणसयं ओगाहित्ता पंच चंदमण्डला पं०, लवणे णं भंते ! पुच्छा, गो० लवणे णं समुद्दे तिण्णि तीसे जोयणसए ओगाहित्ता एत्थ णं दस चंदमंडला पं०, एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे लवणे य समुद्दे पण्णरस चंदमंडला भवंतीतिमक्खायं ।१४३। सव्वन्भंतराओ णं भंते ! चंदमंडलाओ केवइयं अबाहाए सव्वबाहिरए चंदमंडले पं० ?, गो० ! पंचदसुत्तरे जोयणसए अबाहाए सव्वबाहिरए चंदमंडले पं०।१४४। चंदमंडलस्सणं भंते ! चंदमंडलस्स य केवइयं अबाहाए अंतरे पं०?, गो० ! पणतीसं २ जोयणाइं तीसं च एगसट्ठिभाए जोयणस्स एगसट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता चत्तारि चुणियाभाए चंदमंडलस्स २ य अबाहाए अंतरे पं० ।१४५/ चंदमंडले णं भंते ! केवइयं आयामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं केवइयं बाहल्लेणं पं०?, गो० ! छप्पण्णं एगसट्ठिभाए जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तं , तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं अट्ठावीसं च एगसट्ठिभाए जोयणस्स बाहल्लेणं ।१४६। जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स केवइयं अबाहाए सव्वब्भंतरं चन्दमंडलं पं० ?, गो०! चोयालीसं जोयणसहस्साइं अट्ठ य वीसे जोअणसए अबाहाए सव्वभंतरए चन्दमंडले पं०, जंबुद्दीवे मंदरस्स केवइयं अबाहाए अभंतराणंतरे चंदमंडले पं०?, गो० ! चोयालीसं जोयणसहस्साइं अट्ठ य छप्पण्णे जोअणसए पणवीस च एगसट्ठिभाए जोअणस्स एगट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता चत्तारि चुण्णिआभाए अबाहाए अब्भंतराणंतरं चन्दमंडलं पं०, जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स केवइयं अबाहाए अब्भंतरतच्चं मंडलं पं० ?, गो० ! चोआलीसं जोअणसहस्साइं अट्ठ य बाणउए जोअणसए एगावण्णं च एगसट्ठिभाए जोअणस्स एगट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता एणं चुण्णिआभागं अबाहाए अभंतरतच्चे चंदमंडले पं०, एवं खलु एएणं उवाएणं णिक्खममाणे चंदे तयाणन्तराओ मंडलाओ तयाणंतरं मंडलं संकममाणे २ छत्तीसं २ जोयणाइं पणवीसं च एगट्ठिभाए जोयणस्स एगट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता चत्तारि चुण्णिआभाए एगमेगे मंडले अबाहाए वद्धिं अभिवद्धेमाणे २ सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चार चरइ, जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स केवइयं अबाहाए सव्वबाहिरे चंदमंडले पं० ?, पणयालीसं जोअणसहस्साइं तिण्णि य तीसे जोअणसए अबाहाए सव्वबाहिरए चंदमंडले पं०, जम्बुद्दीवे मन्दरस्स पव्वयस्स केवइयं अबाहाए बाहिराणन्तरे चंदमंडले पं०?, गो० ! पणंयालीसं जोयणसहस्साई दोण्णि य तेणउए जोयणसए पणतीसं च एगट्ठिभाए जोयणस्स एगटिठभागं च सत्तहा छेत्ता तिण्णि चुण्णिआभाए अबाहाए बाहिराणन्तरे चंदमंडले पं०, जंबुद्दीवे दीवे मन्दरस्स पव्वयस्स केवइयाए अबाहाए बाहिरतच्चे चंदमंडले पं० ?, गो० ! पणयालीसं जोयणसहस्साई दोण्णि य सत्तावण्णे जोयणसए णव य एगट्ठिभागे जोयणस्स एगट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता छ चुण्णिआभाए अबाहाए बाहिरतच्चे चंदमंडले पं०, एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे चंदे तयाणन्तराओ मंडलाओ तयाणंतरं मंडलं संकममाणे २ छत्तीसं २ जोअणाई पणवीसं च एगसट्ठिभाए जोयणस्स एगविभागं च सत्तहा छेत्ता चत्तारि चुण्णिआभाए एगमेगे मंडले अबाहाए वुद्धिं णिव्वुद्धेमाणे २ सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ ।१४७। सव्वभंतरेणं भंते ! चंदमंडले केवइअं आयामविक्खम्भेणं केवइअंपरिक्खेवेणं पं०?, गो० ! णवणउई जोयणसहस्साइंछच्च चत्ताले जोयणसए आयामविक्खम्भेणं तिणि य जोयणसखसहस्साइं पण्णरस य जोयणसहस्साई अउणाणउतिं च जोयणाई किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं, अब्भन्तराणतरे सा चेव पुच्छा, गो.
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो
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Pणवणउई जोयणसहस्साइं सत्त य बारसुत्तरे जोयणसए एगावण्णं च एगट्ठिभागे० एगट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता एणं चुण्णिआभागं आयामविक्खम्भेणं तिण्णि य
जोयणसयसहस्साइं पन्नर सहस्साइं तिण्णि य एगूणवीसे जोयणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं, अब्भंतरतच्चे णं जाव पं०?, गो० ! णवणउई जोयणसहस्साइं सत्तय पञ्चासीए जोअणसए इगतालीसंच एगट्ठिभाए जोयणस्स एगट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता दोण्णि य चुण्णिआभाए आयामविक्खम्भेणं तिण्णि य जोयणसयसहस्साइं पण्णरस जोयणसहस्साइं पंच य इगुणापण्णे जोयणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं, एवं खलु एएणं उवाएणं णिक्खममाणे चंदे जाव संकममाणे २ बावत्तरि २ जोअणाइं एगावण्णं च एगट्ठिभाए जोअणस्स एगट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता एगं च चुण्णिआभागं एगमेगे मंडले विक्खंभवुद्धिं अभिवढेमाणे २ दो तीसाइं जोयणसयाई परिरयवुद्धिं अभिवद्धेमाणे २ सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, सव्वबाहिरए णं भंते ! चन्दमंडले केवइयं आयामविक्खम्भेणं केवइयं परिक्खेवेणं पं०?, गो० ! एगंजोयणसयसहस्सं छच्च सटे जोयणसए आयामविक्खम्भेणं तिण्णि जोयणसयसहस्साइं अट्ठारस सहस्साइं तिन्नि य पण्णरसुत्तरे जोअणसए परिक्खेवेणं, बाहिराणन्तरे णं पुच्छा, गो० ! एगं जोअणसयसहस्सं पञ्च सत्तासीए जोयणसए णव य एगट्ठिभाए जोयणस्स एगट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता छ चुण्णिआभाए आयामविक्खम्भेणं तिण्णि य जोयणसयसहस्साइं अट्ठारस य सहस्साइं पंचासीइं च जोयणाइं परिक्खेवेणं, बाहिरतच्चे णं भंते ! चन्दमंडले० पं० ?, गो० ! एगं जोअणसयसहस्सं पंच य चउदसुत्तरे जोयणसए एगूणवीसंच एगसट्ठिभाए जोअणस्स एगट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता पंच चुण्णिआभाए आयामविक्खम्भेणं तिण्णि य जोयणसयसहस्साई सत्तरस सहस्साई अट्ठ य पणपण्णं जोअणसए परिक्खेवेणं, एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे चंदे जाव संकममाणे २ बावत्तरि जो अणाई एगावण्णं च एगट्ठिभाए जोअणस्स एगट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता एगं चुण्णिआभागं एगमेगे मण्डले विक्खम्भवुद्धिं णिव्वुद्धेमाणे २ दो तीसाइं जोअणसयाइं परिरयवुद्धिं णिवुद्धेमाणे २ सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ।१४८। जयाणं भंते ! चन्दे सव्वब्भन्तरमंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइअं खेत्तं गच्छइ ?, गो० ! पंच जोयणसहस्साइं तेवत्तरिं च जोयणाइं सत्तत्तरिं च चोआलेभागसए गच्छइ मंडलं तेरसहिं सहस्सेहिं सत्तहि य पणवीसेहिं सएहिं छेत्ता, तया णं इहगयस्स मणुयस्स सीआलीसाए जोयणसहस्सेहिं दोहि य तेवढेहिं जोयणसएहिं एगवीसाए य सट्ठिभाएहिं जोयणस्स चन्दे चक्खुप्फासं हव्वमागच्छइ, जया णं भंते ! चन्दे अब्भन्तराणन्तरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ जाव केवइअं खेत्तं गच्छइ ?, गो० ! पंच जोयणसहस्साइं सत्तत्तरं च जोयणाई छत्तीसं च चोवत्तरे भागसए गच्छइ मंडलं तेरसहिं सहस्सेहिं जाव छेत्ता, जया णं भंते ! चन्दे अभंतरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइअं खेत्तं गच्छइ ?, गो० ! पंच जोयणसहस्साइं असीइंच जोयणाई तेरस य भागसहस्साई तिण्णि य एगूणवीसे भागसए गच्छइ मंडलं तेरसहिं जाव छेत्ता, एवं खलु एएणं उवाएणं णिक्खममाणे चन्दे तयाणन्तराओ जाव संकममाणे २ तिण्णि जोयणाई छण्णउइंच पंचावण्णे भागसए एगमेगे मंडले मुहत्तगई अभिवद्धेमाणे २ सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, जया णं भंते ! चंदे सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेत्तं गच्छइ ?, गो० ! पंच जोयणसहस्साई एगं च पणवीसं जोयणसयं अउणत्तरं च णउए भागसए गच्छइ मंडलं तेरसहिं भागसहस्सेहिं सत्तहि य जाव छेत्ता, तया णं इहगयस्स मणूसस्स एक्कतीसाए जोयणसहस्सेहिं अट्टहिं य एगत्तीसेहिं जोयणसएहिं चंदे चक्खुफासं हव्वमागच्छइ, जया णं भंते ! बाहिराणंतरं पुच्छा, गो० ! पंच जोयणसहस्साई एक्कवीसउत्तरं जोयणसयं एक्कारस य सढे भागसहस्से गच्छइ मंडलं तेरसहिं जाव छेत्ता, जया णं भंते ! बाहिरतच्चं पुच्छा, गो० ! पंच जोयणसहस्साइं एगं च अट्ठारसुत्तरं जोयणसयं चोद्दस य पंचुत्तरे भागसए गच्छइ मंडलं तेरसहिं सहस्सेहिं सत्तहिं पणवीसेहिं सएहिं छेत्ता, एवं खलु एएणं उवाएणं जाव संकममाणे २ तिण्णि २ जोयणाइं छण्णउतिं च पंचावण्णे भागसए एगमेगे मंडले मुहुत्तगई णिवुद्धेमाणे २ सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ ।१४९| कइ णं भंते ! णक्खत्तमंडला पं०?, गो० ! अट्ठणक्खत्तमंडला पं०, जंबुद्दीवे केवइयं ओगाहित्ता केवइया णक्खत्तमंडला पं० ?, गो० ! जंबुद्दीवे असीयं जोयणसयं ओगाहेत्ता
एत्थ णं दो णक्खत्तमंडला पं०, लवणे णं समुद्दे केवइयं ओगाहेत्ता केवइया णक्खत्तमंडला पं०?, गो०! लवणे णं समुद्दे तिण्णि तीसे जोयणसए ओगाहित्ता एत्थ reO $$$$$$$$$$$$$55555555 [ श्री आगमगुणमंजूषा - १२५२ | $$$$$$$$$ $$$$$$$$$$OOK
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारों ७
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णं छ णक्खत्तमंडला पं०, एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे लवणसमुद्दे य अट्ठ णक्खत्तमंडला भवंतीतिमक्खायं सव्वब्भंतराओ णं भंते! णक्खत्तमंडलाओ केवइयं
हा सव्वबाहिरए णक्खत्तमंडले पं० ?, गो० ! पंचदसुत्तरे जोयणसए अबाहाए सव्वबाहिरए णक्खत्तमंडले पं०, णक्खत्तमंडलस्स णं भंते! णक्खत्तमंडलस्स य एस णं केवइयं अबाहाए अंतरे पं० ?, गो० ! दो जोयणाई णक्खत्तमंडलस्स य णक्खत्तमंडलस्स य अबाहाए अंतरे पं०, णक्खत्तमंडले णं भंते! केवइयं आयामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं बाहल्लेणं पं० ?, गो० ! गाउयं आयामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं अद्धगाउयं बाहल्लेणं पं०, जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स केवइयं अबाहाए सव्वब्भंतरे णक्खत्तमंडले पं० १, गो० ! चोयालीसं जोयणसहस्साइं अट्ठ य वीसे जोयणसए अबाहाए सव्वब्भंतरे णक्खत्तमंडले पं०, जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स केवइयाए अबाहाए सव्वबाहिरए णक्खत्तमंडले पं० १, गो० ! पणयालीसं जोयणसहस्साइं तिण्णि य तीसे जोयणसए अबाहाए सव्वबाहिरए णक्खत्तमंडले पं०, सव्वब्भंतरं णक्खत्तमंडलं केवइयं आयामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पं० १, गो० ! णवणउइई जोयणसहस्साइं छच्च चत्ताले जोयणसए आयामविक्खंभेणं तिण्णि य जोयणसयसहस्साइं पण्णरस सहस्साइं एगूणवतिं च जोयणाइं किंचिविसेसाहिए परिक्वेवेणं पं०, सव्वबाहिरए णं भंते ! णक्खत्तमंडले केवइयं आयामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पं० १, गो० ! एगं जोयणसयसहस्सं छच्च सट्टे जोयणसए आयामविक्खंभेणं तिण्णि य जोयणसयसहस्साइं अट्ठारस य सहस्साइं तिण्णि य पण्णरसुत्तरे जोअणसए परिक्खेवेणं. जया णं भंते ! णक्खत्ते सव्वब्भंतरंमंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेत्तं गच्छइ ?. गो० ! पञ्च जोयणसहस्साइं दोण्णि य पण्णट्ठे जोअणसए अट्ठारस य भागसहस्से दोण्णि य तेवट्ठे भागसए गच्छइ मंडलं एक्कवीसाए भागसहस्सेहिं णवहि य सट्ठेहिं सएहिं छेत्ता, जया णं भंते! णक्खत्ते सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेत्तं गच्छइ ?, गो० ! पञ्च जोअणसहस्साइं तिण्णि य एगूणवीसे जोयणसए सोलस भागसहस्सेहिं तिण्णि य पण्णट्ठे भागसए गच्छइ मंडलं एगवीसाए भागसहस्से हिं वहि यसद्वेहिं छेत्ता, एते णं अट्ठ णक्खत्तमंडला कतिहिं चंदमंडलेहिं समोअरंति ?, गो० ! अट्ठहिं चंदमंडलेहिं समोअरंति तं०-पढमे चंदमंडले ततिए छट्ठे सत्तमे अट्ठमे दसमे इक्कारसमे पण्णरसमे चंदमंडले, एगमेगेणं भंते! मुहुत्तेणं चंदे केवइयाई भागसयाइं गच्छइ ?, गो० ! जं जं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तस्स २ मंडलपरिक्खेवस्स सत्तरस अट्ठट्ठे भागसए गच्छइ मंडलं सयसहस्सेणं अट्ठाणउईए य सएहिं छेत्ता, एगमेगेणं भंते ! मुहुत्तेणं सूरिए केवइआई भागसयाई गच्छइ ?, गो० ! जं जं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तस्स २ मंडलपरिक्खेवस्स अट्ठारसतीसे भागसए गच्छइ मंडलं सयसहस्सेणं अट्ठाणउतीए य सएहिं छेत्ता, एगणं भंते! मुहुत्तेणं णक्खत्तं केवइयाइं० गच्छइ ?, गो० ! जं जं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तस्स २ मंडलपरिक्खेवस्स अट्ठारस पणतीसे भागसए गच्छइ मंडलं सयसहस्सेणं अट्ठाणउईए य सएहिं छेत्ता । १५० । जंबुद्दीवे सूरिआ उदीणपाईणमुग्गच्छ पाईणदाहिणमागच्छंति पाईणदाहिणमुग्गच्छ दाहिणपडीणमागच्छंति दाहिणपडीणमुग्गच्छ पडीणउदीणमागच्छंति पडीणउदीणमुग्गच्छ उदीणपाईणमागच्छंति ?, हंता गो० ! जहा पंचमसए पढमे उद्देसे जाव वत्थि उस्सप्पिणी अवट्ठिए णं तत्थ काले पं० समणाउसो !, इच्चेसा जंबुद्दीवपण्णत्तीए सूरपण्णत्तीस वत्युं समासेणं समत्ता भवइ. जंबुद्दीवे चंदिमा उदीणपाईणमुग्गच्छ पाईणदाहिणमागच्छंति जहा सूरवत्तव्वया जहा पंचमसयस्स दसमे उद्देसे जाव अवट्ठिए णं तत्थ काले पं० समणाउसो !, इच्चेसा जंबुद्दीवपण्णत्तीए चंदपण्णत्ती वत्युं समासेणं समत्ता भवइ। १५१। कति णं भंते । संवच्छरा पं० १, गो० ! पंच संवच्छरा पं तं० णक्खत्त० जुग० पमाण० लक्खण० सणिच्छरसंवच्छरे, णक्खत्तसंवच्छरे णं भंते ! कइविहे पं० ?, गो० ! दुवालसविहे पं० तं०- सावणे जाव आसाढे, जं वा विहप्फई मंहग्गहे दुवालसहिं संवच्छरेहिं सव्वणक्खत्तमंडलं समाणेइ सेत्तं 'णक्खत्तसंवच्छरे, जुगसंवच्छरे णं भंते! कतिविहे पं० १, गो० ! पंचविहे पं० तं० - चंदे चंदे अभिवद्धिए चंदे अभिवद्धिए चेव, पढमस्स णं भंते ! चंदसंवच्छरस्स कइ पव्वा पं० ?, गो० ! चोव्वीसं पव्वा पं०, बितियस्स णं भंते! चंदसंवच्छरस्स कइ पव्वा पं० ?, गो० ! चउव्वीसं पव्वा पं०, एवं पुच्छा, ततियस्स अभिo,
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो ७
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गो० ! छव्वीसं पव्वा पं०, चउत्थस्स चंदसंवच्छरस्स चोव्वीसं पव्वा, पंचमस्स णं अहिवद्धियस्स छव्वीसं पव्वा पं०, एवामेव सपुव्वावरेणं पंचसंवच्छरिए जुए एगे चउव्वीसे पव्वसए पं०, सेत्तं जुगसंवच्छरे, पमाणसंवच्छरे णं भंते ! कतिविहे पं० ?, गो० ! पंचविहे पं० तं० णक्खत्ते चंदे उऊ आइच्चे अभिवद्धिए, सेत्तं पमाणसंवच्छरे, लक्खणसंवच्छरे णं भंते! कतिविहे पं० १, गो० ! पंचविहे पं० तं०- 'समयं नक्खत्ता जोगं जोएंति उऊ परिणमंति। णच्चण्ह णाइसीओ बहूदओ होइ णक्खत्ते || ८५|| ससि समग पुण्णमासिं जोएती विसमचारिणक्खथ्ता । कडुओ बहूदओ या तमाहू संवच्छरं चंदं ॥ ८६ ॥ विसमं पवालिणो परिणमंति अणुऊसु दिति पुप्फफलं । वासं न सम्म वासइ तमाहु संवच्छरं कम्मं ॥ ८७॥ पुढविदगाणं च रसं पुप्फफलाणं च देइ आइच्चो । अप्पेणवि वासेणं सम्मं दिप्फज्जए सस्सं ॥ ८८ ॥ आइच्चतेयतविया खणलवदिवसा उऊ परिणमंति। पूरेइ णिण्णयथले तमाहु अभिवद्भियं जाण ॥ ८९ ॥ से तं णक्खत्तसंवच्छरे, सणिसंवच्छरे णं भंते ! कतिविहे पं० ?, गो० ! अट्ठावीसइविहे पं० तं०- 'अभिई सवण धणिट्टा सयभिसया दो य होति भद्दवया । रेवइ अस्सिणि भरणी कत्तिय तह रोहिणी चेव ॥ ९० ॥ जाव उत्तराओ आसाढाओ जं वा सणिच्चरे महग्गहे तीसाए संवच्छरेहिं सव्वं णक्खत्तमंडलं समाणेइ, सेत्तं सणिच्चंरसंवच्छरे । १५२। एगमेगस्स णं भंते! संवच्छरस्स कइ मासा पं० ?, गो० ! दुवालस मासा पं०, तेसिं णं दुविहा णामधेज्जा पं० तं०-लोइआ लोउत्तरिआ य, तत्थ लोइआ णामा इमे, तं० - सावणे भद्दवए जाव आसाढे, लोउत्तरिआ णामा इमे, तं०- 'अभिनंदिए पट्टे य, विजए पीइवद्रणे । सेअंसे य सिवे चेव, सिसिरे य सहेमवं ॥ ९१ ॥ णवमे वसंतमासे, दसमे कुसुमसंभवे । एक्कारसे निदाहे य, वणविरोही य बारसे ॥९२॥ एगमेगस्स णं भंते! मासस्स कति पक्खा पं० १, गो० ! दो पक्खा पं० तं०- बहुलपक्खे य सुक्किल्लपक्खे य. एगमेगस्स णं भंते ! पक्खस्स कइ दिवसा पं० १, गो० ! पण्णरस दिवसा पं० तं० पडिवादिवसे जाव पण्णरसीदिवसे, एतेसिं णं भंते! पण्णरसण्हं दिवसाणं कइ णामधेना पं० १, गो० ! पण्णरस नामधेज्जा पं० तं०- 'पुव्वंगे सिद्धमणोरमे य तत्तो मणोरहे चेव । जसभद्दे य जसधरे छट्ठे सव्वकामसमिद्धे य ||१३|| इंद मुद्धाभिसित्ते य सोमणस धणंजय बोद्धवे । अत्थसिद्धे अभिजाए अच्चसणे सयंजए चेव ||१४|| अग्गिवेसे उवसमे दिवसाणं होति णामधेज्जाई, एतेसिं णं भंते! पण्णरसहं दिवसाणं कति तिही पं० ?, गो० ! पण्णरस तिही पं० तं० नंदे भद्दे जए तुच्छे पुण्णे पक्खस्स पंचमी पुणरवि णंदे भद्दे जए तुच्छे पुण्णे पक्खस्स दसमी पुणरवि णंदे भद्दे जर तुच्छे पुणे पक्खस्स पण्णरसी. एवं तिगुणा तिहीओ सव्वेसिय दिवसाणं, एगमेगस्स णं भंते! पक्खस्स कइ राईओ पं० १, गो० ! पण्णरस राईओ पं० तं०-पडिवाराई जाव पण्णरसीराई. एआसिं णं भंते ! पण्णरसण्हं राईणं कइ णामधेज्जा पं० ?, गो० ! पण्णरस नामधेज्जा पं० तं०- 'उत्तमा य सुणक्खत्ता, एलावच्चा जसोधरा । सोमणसा चेव तहा, सिरिसंभूआ य बोद्धवा || ९५|| विजया व वेजयन्ती जयंति अपराजिआ य इच्छा य । समाहारा चैव तहा तेआ य तहेव अईतेआ ||९६॥ देवाणंदा णिरई रयणीणं णामधिज्जाई, एयासिं णं भंते! पण्णरसण्हं राईणं कइ तिंही पं० १, गो० ! पण्णरस तिही पं० तं० उग्गवई भोगवई जसवई (२२२) सव्व (ट्ठ) सिद्धा सुहणामा पुणरवि उग्गवई भोगवई जसवई सव्वसिद्धा सुहणामा, पुणरवि उग्गवई भोगवई जसवई सव्वसिद्धा सुहणामा, एवं तिगुणा एते तिहीओ सव्वेसिं राईणं, एगमेगस्स णं भंते! अहोरत्तस्स कइ मुहुत्ता पं० १, गो० ! तीसं मुहुत्ता पं० तं०- 'रूद्दे तेए मित्ते वाउ सुबी (पी) ए तहेव अभिचंदे । माहिंद बलव बंभे बहुसच्चे चेव ईसाणे ||९७|| तट्ठे य भाविअप्पा वेसमणे वारूणे य आणंदे । विजए य वीससेणे पायावच्चे उसमे य ॥ ९८ ॥ गंधव्व अग्गिवेसे सयवसहे आयवे य अममे य । अणवं भोमे वसहे सव्वट्ठे रक्खसे चेव ॥ ९९|| १५३ | कइ णं भंते ! करणा पं० १, गो० ! एक्कारस करणा पं० तं०-बवं बालवं कोलवं थीविलोअणं गराइ वणि विट्टी उणी उप्पयं नागं कित्थुग्धं, एतेसिं णं भंते । एक्कारसण्हं करणाणं कति करणा चरा कति करणा थिरा पं० ?, गो० ! सत्त करणा चरा चत्तारि करणा थिरा पं० तं०-बवं बालवं कोलवं थीविलोअणं गरादि वणिज्जं विट्ठी एते णं सत्त करणा चरा, चत्तारि करणा थिरा पं० तं० सउणी चउप्पयं णागं किंत्थुग्धं, एते गं चत्तारि करणा थिरा पं०, एते णं भंते! चरा थिरा वा कया भवन्ति ?, गो० ! सुक्कपक्खस्स पडिवाए राओ बवे करणे भवइ, बितियाए दिवा बालवे करणे भवइ, राओ
MONOR श्री आगमगुणमंजूषा - १२५४०
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(१८) जेबूदीवपन्नत्ति वक्वारी ७ [७३)
%%%%%%%%%%%%%%20e图 कोलवं करणं भवइ, ततिआए दिवा थीविलोअणं करणं भवइ, राओ गराइ करणं भवइ, चउत्थीए दिवा वणिज राओ विट्ठी, पंचमीए दिवा बवं राओ बालवं, छट्ठीए दिवा कोलवं राओ थीविलोअणं, सत्तमीए दिवा गराइराओ वणिज्ज, अट्ठमीए दिवा विट्ठी राओ बवं, नवमीए दिवा बालवं राओ कोलवं, दसमीए दिवा थीविलोअणं राओ गराइ, एक्कारसीए दिवा वणिज्ज राओ विट्ठी, बारसीए दिवा बवं राओ बालवं, तेरसीए दिवा कोलवं राओ थीविलोअणं, चउद्दसीए दिवा गराति राओ वणिज्जं पुण्णिमाए दिवा विठ्ठी राओ बवं, बहुलपक्खस्स पडिवाए दिवा बालवं राओ कोलवं बितिआए दिवा थीविलोअणं राओ गरादि ततिआए दिवा वणिज्जं राओ विट्ठी चउत्थीए दिवा बवं राओ बालवं पंचमीए दिवा कोलवं राओ थीविलोअणं छट्ठीए दिवा गराइ राओ वणिज सत्तमीए दिवा विट्ठी राओ बवं अट्ठमीए दिवा बालवं राओ कोलवं णवमीए दिवा थीविलोअणं राओ गराइ दसमीए दिवा वणिज्जं राओ विट्ठी एक्कारसीए दिवा बवं राओ बालवं बारसीए दिवा कोलवं राओ थीविलोअणं तेरसीए दिवा गराइ राओ वणिज्जं चउद्दसीए दिवा विट्ठी राओ सउणी अमावासाए दिवा चउप्पयं राओ णागं सुक्कपक्खस्स पाडिवए दिवा कित्थुग्धं करणं भवइ ।१५४। किमाइआ णं भंते ! संवच्छरा किमाइआ अयणा किमाइआ उऊ किमाइआ मासा किमाइआ पक्खा किमाइआ अहोरत्ता किमाइआ मुहुत्ता किमाइआ करणा किमाइआ णक्खत्ता पं०?, गो०! चंदाइआ संवच्छरा दक्खिणाझ्या अयणा पाउसाइआ उऊ सावणाइआ मासा बहुलाइआ पक्खा दिवसाइआ अहोरत्ता रोद्दाइआ मुहुत्ता बवाझ्या करणा अभिजिआइआ णक्खत्ता पं० समणाउसो!, पंचसंवच्छरिए णं भंते ! जुगे केवइआ अयणा केवइया उऊ एवं मासा पक्खा अहोरत्ता केवइआ मुहुत्ता पं०?, गो० ! पंचसंवच्छरिए णं जुगे दस अयणा तीसं उऊ सट्ठी मासा एगे वीसुत्तरे पक्खसए अट्ठारसतीसा अहोरत्तसया चउप्पण्णं मुहुत्तसहस्सा णव सया पं०११५५/ जोगा देवय तारग्ग गोत्त संठाण चंदरविजोगा। कुल पुण्णिम अवमंसाय सण्णिवाए यणेता य॥१००|| कति णं भंते ! णक्खत्ता पं०?, गो० ! अट्ठावीसं णक्खत्ता पं० तं०-अभिई सवणो धणिठ्ठा सयभिसया पुव्वभद्दवया उत्तरभद्दवया रेवई अस्सिणी भरणी कत्तिआ रोहिणी मिअसिर अद्दा पुणव्वसू पूसो अस्सेसा मघा पुव्वफग्गुणी उत्तरफग्गुणी हत्थो चित्ता साई विसाहा अणुराहा जेट्टा मूलो पुव्वासाढा उत्तरासाढा ।१५६। एतेसिं णं भंते ! अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं कयरे णक्खत्ता जे णं सया चन्धस्स दाहिणेणं जोयं जोएंति कयरे णक्खत्ता जे णं सया चंदस्स उत्तरेणं० कयरे णक्खत्ता जे णं चंदस्स दाहिणेणवि उत्तरेणवि पमइंपि० कयरे णक्खत्ता जे णं चंदस्स दाहिणेणंपि पमइंपि० कयरे णक्खत्ता जे णं सया चन्दस्स पमइं० १, गो० ! एतेसिंणं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं तत्थ जेते णक्खत्ता चंदस्स दाहिणेणं जोयं जोएंति ते णं छ, तं०- 'संठाण अद्द पुस्सोऽसिलेस हत्थो तहेव मूलो य। बाहिरओ बाहिरमंडलस्स छप्पेते होति णक्खत्ता॥१०१।। तत्थ णं जेते णक्खत्ता जे णं सया चन्दस्स उत्तरेणं जोगं जोएंति ते णं बारस, तं०-अभिई सवणो धणिट्ठा सयभिसया पुव्वभद्दवया उत्तरभद्दवया रेवई अस्सिणी भरणी पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी साई, तत्थ णं जेते नक्खत्ता जे णं सया चन्दस्स दाहिणओवि उत्तरओवि पमइंपि० ते णं सत्त, तं०-कत्तिआ रोहिणी पुणव्वसू मघा चित्ता विसाहा अणुराहा, तत्थ णं जेते णक्खत्ता जे णं सया चन्दस्स दाहिणओवि पमइंपि० ताओ णं दुवे आसाढाओ सव्वबाहिरए मंडले जोगं जोअंसु वा०, तत्थ णं जेसे णक्खत्ते जेणं सया चंदस्स पमई० सा एगा जेट्ठा ।१५७। एतेसिंणं भंते ! अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिई णक्खत्ते किंदेवयाए पं०?, गो० ! बम्हदेवयाए
पं०, सवणे विण्हुदेवयाए धणिट्ठा वसुदेवयाए, एएणं कमेणं णेयव्वा अणुपरिवाडीय इमाओ देवयाओ-बम्हा विण्हु वसू वरूणे अंय अभिवद्धी पूसे आसे जमे अग्गी ॐ पयावई सोमे रूद्दे अदिती बहस्सई सप्पे पिऊ भगे अज्जम सविआ तट्ठा वाऊ इंदग्गी मित्तो इंदे निरई आऊ विस्से य, एवं णक्खत्ताणं एया परिवाडी णेयव्वा जाव
उत्तरासाढा किंदेवया पुं० ?, गो० ! विस्सदेवयाए पं०।१५८। एतेसिंणं भंते ! अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिईणक्खत्ते कतितारे पं०?, गो० ! तितारे पं०, एवं
णेयव्वा जस्स जइआओ ताराओ, इमं च तं तारग्गं-'तिग तिग पंचेग सयं दुग दुग बत्तीसगं तिग तिगं च । छप्पंचग तिग एक्कग पंचग (चउक्क) तिग छक्कगं चेव ॥ ॥१०२॥ सत्तग दुग दुग पंचग एक्केक्कग पंच चउ तिगं चेव । एक्कारसग चउक्कं चउक्कगं चेव तारग्गं ।।१०३।१५९। एतेसिंणं भंते ! अठ्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिई २ .णक्खत्ते किंगोत्ते पं०?, गो० ! मोग्गल्लायणगोत्ते, 'मोगल्लायण संखायणे य तह अग्गभाव कण्णिल्ले । तत्तो य जाउकण्णे धणंजए चेव बोद्धव्वे ॥१०४॥ RecFFFF355555555555555555 श्री आगभगुणमंजूषा - १२५५० 5555555555555555555555557OK
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो ७ पुस्सायणे य अस्सायणे य भगवेस अग्गिवेसे १० य । गोयम भारद्दाए लोहिच्चे चेव वासिट्ठे ॥ १०५ || ओमज्नायण मंडव्वायण पिंगायणे य गोवल्ले । कासव कोसिय २० दुब्भाय चामरच्छाय सुंगा य ॥ १०६ ॥ गोवल्लायण तेगिच्छायणे य कच्चायणे हवइ मूले । तत्तो य बज्झियायण वग्घावच्चे य गोत्ताहं ॥ १०७॥ एतेसिं णं भंते ! अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिईणक्खत्ते किंसंठिए पं० १, गो ० ! गोसीसवलिसंठिए पं०, 'गोसीसावलि काहार सउणि पुप्फोवयार वावी य। णावा आसक्खंधग भग छुरघरए १० य सगडुद्धी || १०८|| मिगसीसावलि रूहिरबिंदु तुल्ल वद्धमाणग पडागा । पागारे पलिअंके हत्थे २० मुहफुल्लए चेव || १०९ || खीलग दामणि एग़ावली य गयदंत विच्छु अयले य । गयविक्कमे य तत्तो सीहनिसाई य २८ संठाणा ॥११०|| १६० एतेसिं णं भंते ! अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिइणक्खत्ते कतिर्मुहुत्ते चन्देणं सद्धिं जोगं जोएइ ?, गो० ! णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभाए मुहुत्तस्स चन्देण सद्धिं जोगं जोएइ, एवं इमाहिं गाहाहिं अणुगन्तव्वं-‘अभिइस्स चंदजोगो सत्तट्ठिखंडिओ अहोरत्तो । ते हुंति णव मुहुत्ता सत्तावीसं कलाओ य ॥ १११ ॥ सयभिसया भरणीओ अद्दा अस्सेस साइ
य । एते छण्णक्खत्ता पण्णरसमुहुत्तसंजोगा ||११२ || तिण्णेव उत्तराई पुणव्वसू रोहिणी विसाहा य । एए छण्णक्खत्ता पणयालमुहुत्तसंजोगा ॥११३॥ अवसेसा णक्खत्ता पण्णरसवि हुंति तीसइमुहुत्ता। चंदंमि एस जोगो णक्खत्ताणं मुणेअव्व ॥ ११४ ॥ एतेसिं णं भंते ! अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिईणक्खत्ते कति अहोरत्ते सूरेण सद्धिं जोगं जोएइ ?, गो० ! चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोगं जोएइ, एवं इमाहिं गाहाहिं णेयव्वं 'अभिइ छच्च मुहुत्ते चत्तारि य केवले अहोरत्ते । सूरेणं समं गच्छइ एत्तो सेसाण वोच्छामि ||११५|| सयभिसया भरणीओ अद्दा अस्सेस साइ जेट्ठा य । वच्वंति मुहुत्ते इक्कवीसं छच्चेवऽहोरत्ते ||११६|| तिण्णे उत्तराइं पुणव्वसू रोहिणी विसाहा य । वच्वंति मुहुत्ते तिण्णि चेव वीसं अहोरत्ते ॥ ११७|| अवसेसा णक्खत्ता पण्णरसवि सूरसह्गया जंति । बारस चेव मुहुत्ते तेरस य समे अहोरत्ते ||११८॥१६१ | कति णं भंते ! कुला कति उवकुला कति कुलोवकुला पं० ?, गो० ! बारस कुला बारस उवकुला चत्तारि कुलोवकुला पं०, बारस कुला तं० धणिट्ठाकुलं उत्तरभद्दवया० अस्सिणी० कत्तिया० मिगसिर० पुस्सो० मघा० उत्तरफग्गुणी० चित्ता० विसाहा० मूलो उत्तरासाढाकुलं 'मासाणं परिणामा होति कुला उवकुला उ हेट्ठिमगा । होति पुण कुलोवकुला अभीइ सय अद्द अणुराहा ॥ ११९॥ बारस उवकुला तं०-सवणो उवकुलं पुव्वभद्दवया० रेवई० भरणी० रोहिणी० पुणव्वसू० अस्सेसा० पुव्वफग्गुणी० हत्थो० साई० जेट्ठा० पुव्वासाढाउवकुलं, चत्तारि कुलोवकुला, तं० - अभिईकुलोवकुलं संयभिसया० अद्दा० अणुराहाकुलोवकुलं, कति णं भंते! पुण्णिमाओ कति अमावासाओ पं० ?, गो० ! बारस पुण्णिमाओ बारस अमावासाओ पं० तं० - साविट्ठी पोट्ठवई आसोई कत्तिगी मगसिरी पोसी माही फग्गुणी चेत्ती वइसाही जेट्ठामूली आसाढी, साविद्विण्णं भंते! पुण्णमासि कति णक्खत्ता जोगं जोएंति ?, गो० ! तिण्णिं णक्खत्ता जोगं जोएंति, तं०-अभिई सवणो धणिट्ठा, पोट्ठवइण्णं भंते! पुण्णिमं कइ णक्खत्ता० १, गो० ! तिण्णि तं० सयभिसया पुव्वभद्दवया उत्तरभद्दवया, अस्सोइण्णं दो० तं०-रेवई अस्सिणी य, कत्तिइण्णं दो०- भरणी कत्तिया य, मगसिरिण्णं दो - रोहिणी मगसिरं च, पोसिं तिण्णि-अद्दा पुणव्वसू माघिण्णं दो अस्सेसा मघा य, फग्गुणिं णं दोपुब्बाफग्गुणी य उत्तराफग्गुणी य, चेत्तिण्णं दो-हत्थो चित्ता य, विसाहिण्णं दो-साई विसाहा य, जेट्ठामूलिण्णं तिण्णि- अणुराहा जेट्ठा मूलो, आसाढिष्णं दो-पुव्वासाढा उत्तरासाढा, साविट्ठिण्णं भंते! पुण्णिमं किं कुलं० उवकुलं० कुलोवकुलं जोएइ ?, गो० ! कुलं वा जोएइ उंवकुलं वा जोएइ कुलोवकुलं वा जोएइ, कुलं जोएमाणे
ट्ठा क्खत्ते जो उवकुलं जोएमाणे सवणे णक्खत्ते जोएइ कुलोवकुलं जोएमाणे अभिई णक्खत्ते जोएइ, साविट्ठीण्णं पुण्णमासिणि कुलं वा जोएइ जाव कुलोवकुलं वा जोएइ, कुलेण वा जुत्ता उवकुलेण वा जुत्ता कुलोवकुलेणं व जुत्ता साविट्ठी पुण्णिमा जुत्तत्ति वत्तव्वं सिया, पोट्टवदिण्णं भंते ! पुण्णिमं किं कुलं जोएइ० पुच्छा, गो० ! कुलं वा उवकुलं वा कुलोवकुलं वा जोएइ, कुलं जोएमाणे उत्तरभद्दवया उव० पुव्वभद्दवया० कुलोव० सयभिसया णक्खत्ते जोएड, पोट्टवइण्णां पुण्णिमं कुलं वा जोएइ जाव कुलोवकुलं वा जोएइ कुलेण वा जुत्ता जाव कुलोवकुलेण वा जुत्ता पोट्ठवई पुण्णमासी जुत्तत्ति वत्तव्वं सिया, अस्सोइण्णं भंते! पुच्छा, गो० ! कुलं वा जोएइ उवकुलं वा जोएइ णो लब्भइ कुलोवकुलं, कुलं जोएमाणे अस्सिणी णक्खत्ते उवकुलं जोएमाणे रेवइणक्खत्ते जोएइ, अस्सोइण्णं पुण्णिमं कुलं बा उवकुलं ΣΟΚΟ ६६६६६६६ श्री आगमगुणमंजूषा - १२५६
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो ७
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वा जोएइ कुलेण वा उवकुलेण वा जुत्ता अस्सोई पुण्णिमा जुत्तत्ति वत्तव्वं सिया, कत्तिइण्णं भंते ! पुण्णिमं किं कुलं पुच्छा, गो० ! कुल वा उवकुलं वा णो कुलोवकुलं, मजोएइ, कुलं जोएमाणे कत्तिआणक्खत्ते जोएइ उव० भरणी कत्तिईण्णं जाव वत्तव्वं, मगसिरिण्णं भंते ! पुण्णिमं किं कुलं तं चेव दो जोएइ णो भवइ कुलोवकुलं, कुलं
जोएमाणे मग्गसिरणक्खत्ते जोएइ उव० रोहिणी, मग्गसिरी णं पुण्णिमा जाव वत्तव्वं सिआ, एवं सेसिआओऽवि जाव आसाढी, पोसिं जेट्ठामूलिं च कुलं वा उव० वाज कुलोवकुलं वा, सेसिआणं कुलं वा उवकुलं वा कुलोवकुलं ण भण्णइ, साविट्ठिण्णं भंते ! अमावासं कति णक्खत्ता जोएंति ?, गो० ! दो णक्खत्ता जोएंति, तं०. अस्सेसा य महा य, पोट्ठवइण्णं भंते ! अमावासं कति णक्खत्ता जोएंति ?, गो० ! दो०-पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी य, अस्सोइण्णं भंते ! दो-हत्थे चित्ता य, कतिइण्णं दो-साई विसाहा य, मग्गसिरिण्णं तिण्णि अणुराहा जेट्ठा मूलो य, पोसिण्णं दो-पुव्वासाढा उत्तरासाढा, माहिण्णं तिण्णि-अभिई सवणो धणिट्ठा, फग्गुणिं तिण्णि-सयभिसया पुव्वभद्दवया उत्तरभद्दवया, चोत्तिण्णं दो-रेवई अस्सिणी य, वइसाहिण्णं दो-भरणी कत्तिआय, जेठ्ठामूलिण्णं दो-रोहिणी मग्गसिरंच, आसाढिण्णं तिण्णि-अद्दा पुणव्वसू पुस्सो, साविट्ठिण्णं भंते ! अमावासं किं कुलं० उवकुलं० कुलोवकुलं जोएइ ?, गो० ! कुलं वा उवकुलं वा णो लब्भइ कुलोवकुलं, कुलं जोएमाणे महाणक्खत्ते जोएइ, उवकुलं जोएमाणे अस्सेसाणक्खत्ते जोएइ, साविट्ठिण्णं अमावासं कुलं वा उवकुलं वा जोएइ, कुलेण वा उवकुलेण वा जुत्ता साविट्ठिअमावासा जुत्तत्ति वत्तव्वं सिया, पोट्ठवइण्णं भंते ! अमावासं तं चेव दो जोएइ कुलं वा जोएइ उवकुलं०, कुलं जोएमाणे उत्तराफग्गुणीणक्खत्ते जोएइ उव०
पुव्वाफग्गुणी, पोट्ठवइण्णं अमावासं जाव वत्तव्वं सिआ, मग्गसिरिण्णं तं चेव कुलं मूले णक्खत्ते जोएइ उव० जेट्ठा कुलोवकु० अणुराहा जाव जुत्तत्ति वत्तव्वं सिआ, है एवं माहीए फग्गुणीए आसाढीए कुलं वा उवकुलं वा कुलोवकुलं वा, अवसेसिआणं कुलं वा उवकुलं वा जोएइ, जया णं भंते ! साविट्ठी पुण्णिमा भवइ तया णं माही
अमावासा भवइ ? जया णं भंते ! माही पुण्णिमा भवइ तया णं साविट्ठी अमावासा भवइ ?, हंता ! गो० ! जया णं साविट्ठी तं चेव वत्तव्यं, जया णं भंते ! पोट्ठवई पुण्णिमा भवइ तया णं फग्गुणी अमावासा भवइ जया णं फग्गुणी पुण्णिमा भवइ तया णं पोट्ठवई अमावासा भवइ ?, हंता ! गो०! तं चेव, एवं एतेणं अभिलावेणं इमाओ पुण्णिमाओ इमाओ अमावासाओ णेयव्वाओ अस्सिणी पुण्णिमा चेत्ती अमावासा कत्तिगी पुण्णिमा वइसाही अमावासा मग्गसिरी पुण्णिमा जेट्ठामूली अमावासा पोसी पुण्णिमा आसाढी अमावासा ।१६२। वासाणं पढमं मासं कति णक्खत्ता णेति ?,गो०! चत्तारि णक्खत्ता णेति, तं०-उत्तरासाढा अभिई सवणो धणिट्ठा, उत्तरासाढा चउद्दस अहोरत्ते णेइ अभिई सत्त अहोरत्ते णेइ सवणो अट्ठऽहोरत्ते णेइ धणिट्ठा एगं अहोरत्ते णेइ, तंसि च णं मासंसि चउरंगुलपोरसीए छायाए सूरिए अणुपरिअट्ठइ, तस्सणं मासस्स चरिमदिवसे दो पदा चत्तारि य अंगुला पोरिसी भवइ, वासाणं भंते ! दोच्चं मासं कइणक्खत्ता णेति ?, गो० ! चत्तारि धणिट्ठा सयभिसया पुव्वभद्दवया उत्तरभद्दवया, धणिट्ठा ण चउद्दस अहोरत्ते णेइ सयभिसया सत्त पुव्वभद्दवया अट्ठ उत्तरभद्दवया एगं, तंसि च णं मासंसि अटुंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्ठइ, तस्स मासस्स चरिमे दिवसे दो पया अट्ठ य अंगुला पोरिसी भवइ, वासाणं भंते ! तइयं मासं कइ णक्खत्ता णेति ?, गो० ! तिण्णि णक्खत्ताणेति तं०-उत्तरभद्दवया रेवई अस्सिणी, उत्तरभद्दवया चउद्दस राइंदिए णेइ रेवई पण्णरस अस्सिणी एगं, तंसिंचणं मासंसि दुवालसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे लेहट्ठाई तिण्णि पयाई पोरिसी भवइ, वासाणं भंते ! चउत्थं मासं कति णक्खत्ता णेति ?, गो० ! तिण्णि
अस्सिणी भरणी कत्तिया, अस्सिणी चउद्दस भरणी पन्नरस कत्तिया एगं, तंसिं च णं मासंसि सोलसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स णं मासस्स है चरमे दिवसे तिण्णि पयाइं चत्तारि अंगुलाई पोरिसी भवइ, हेमंताणं भंते ! पढमं मासं कति णक्खत्ता णेति ?, गो०! तिण्णि-कत्तिया रोहिणी मिगसिर, कत्तिया
चउद्दस रोहिणी पण्णरस मिगसिरं एगं अहोरत्तं णेइ, तंसिंच णं मासंसि वीसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स णं मासस्स जे से चरिमे दिवसे तंसि ॥ प्रचणं दिवसंसि तिण्णि पयाइं अट्ठ य अंगुलाई पोरिसी भवइ, हेमंताणं भंते ! दोच्चं मासं कति णक्खत्ता णेति ?, गो०! चत्तारि णक्खत्ता णेति तं०-मिगसिरं अद्दा
पुणब्वसू पुस्सो, मियसिरं चउद्दस राइंदियाइं णेइ अद्दा अट्ठ णेइ पुणव्वसू सत्त राइंदियाई पुस्सो एणं राइंदियं णेइ, तया णं चउव्वीसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो
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अणुपरियट्टइ, तस्स णं मासस्स जे से चरिमे दिवसे तंसि च णं दिवसंसि लेहट्ठाइं चत्तारि पयाइं पोरिसी भवइ, हेमंताणं भंते ! तच्चं मासं कति णक्खत्ता णेति ?, गो० ! तिण्णि-पुस्सो असिलेसा महा, पुस्सो चोद्दस राइंदियाइं णेइ असिलेसा पण्णरस महा एक्वं, तया णं वीसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्सणं मासस्स जे से चरिमे दिवसे तंसि च णं दिवसंसि तिण्णि पयाइं अटुंगुलाई पोरिसी भवइ, हेमंताणं भंते ! चउत्थं मासं कति णक्खत्ता णेति ?, गो० ! तिण्णि, तं०-महा पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी, महा चउद्दस राइंदियाइं णेइ पुव्वाफग्गुणी पण्णरस राइंदियाईणेइ उत्तराफग्गुणी एगं राइंदियं णेइ, तया णं सोलसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स णं मासस्सजे से चरिमे दिवसे तंसिंच णं दिवसंसि तिण्णि पयाइं चत्तारि अंगुलाई पोरिसी भवइ, गिम्हाणं भंते ! पढम मासं कति णक्खत्ता ऐति ?, गो० ! तिण्णि णक्खथ्ता णेति-उत्तराफग्गुणी हत्थो चित्ता, उत्तराफग्गुणी चउद्दस हत्थो पण्णरस चित्ता एगं राइंदियं णेइ, तया णं दुवालसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स णं मासस्स जे से चरिमे दिवसे तंसिंच णं दिवसंसि लेहट्ठाइं तिण्णि पयाइं पोरिसी भवइ, गिम्हाणं भंते ! दोच्चं मासं कति णक्खत्ता णेति ?, गो० ! तिण्णि णक्खत्ता णेति तं०-चित्ता साई विसाहा,चित्ता चउद्दस राइंदियाइं णेइं साई पण्णरस राइंदियाई णेइ विसाहा एगं राइंदियं णेइ, तया णं अटुंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स णं मासस्स जे से चरिमे दिवसे तंसिं च णं दिवसंसि दो पयाई अटुंगुलाई पोरिसी भवइ, गिम्हाणं भंते ! तच्चं मासं कति णक्खत्ताणेति ?, गो० ! चत्तारितं०-विसाहाऽणुराहा जेट्ठा मूलो, विसाहा चउद्दस अणुराहा अट्ठ जेट्ठा सत्त मूलो एक्कं राइंदियं, तया णं चउरंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स णं मासस्स जे से चरिमे दिवसे तंसिंच णं दिवसंसि दो पयाई चत्तारि य अंगुलाई पोरिसी भवइ, गिम्हाणं भंते ! चउत्थं मासं कति णक्खत्ता णेति ?, गो० ! तिण्णि तं०-मूलो पुव्वासाढा उत्तरासाढा, मूलो चउद्दस पुव्वासाढा पण्णरस उत्तरासाढा एगं राइंदियं णेइ, तया णं वट्टाए समचउरंससंठाणसंठिआए णग्गोहपरिमंडलाए सकायमणुरंगिआए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्सणं मासस्स जे से चरिमे दिवसे तंसिंच णं दिवसंसि लेहट्ठाइं दो पयाइं पोरिसी भवइ, एतेसिंणं पुव्ववण्णिआणं पयाणं इमा संगहणी, तं०-'जोगो देवय ता रग्ग गोत्त संठाण चंदरविजोगो । कुल पुण्णिम अवमंसा णेया छाया य बोद्धव्वा ॥१२०||१६३। हिडिं ससिपरिवारो मंदरऽबाधा तहेव लोगंते । धरणितलाओ अबाधा अंतो बाहिं च उड्ढमहे ||१२१|| संठाणं च पमाणं वहंति सीहगई इद्धिमन्ता य। तारंतरऽग्गमहिसी तुडिअं पहु ठिई य अप्पबहू ।।१२२।। अत्थि णं भंते ! चंदिमसूरिआणं हिट्ठिपि तारारूवा अणुंपितुल्लावि समेवि तारारूवा अणुंपि तुल्लावि उप्पिपि तारारूवा अणुंपि तुल्लावि ?, हंता गो० ! तं चेव उच्चारेअव्वं, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-अत्थि णं०?, जहा २ णं तेसिं देवाणं तवनियमबंभचेराणि ऊसिआइं भवन्ति तहा २ णं तेसिंणं देवाणं एवं पण्णयए तं०-अणुत्ते वा तुल्लत्ते वा, जहा २ णं तेसिं देवाणं तवनियमबंभचेराणि णो ऊसिआई भवंति तहा २ णं तेसिं देवाणं णो एवं पण्णायए, तं०-अणुत्ते वा तुल्लत्ते वा ।१६४। एगमेगस्स णं भंते ! चन्दस्स केवइया महग्गहा परिवारो केवइया णक्खत्ता परिवारो केवइया तारागणकोडाकोडीओ परिवारो पं०?, गो० ! अट्ठासीई महग्गहा अट्ठावीसं णक्खत्ता छावट्ठिसहस्साइंणव सया पण्णत्तरा तारागणकोडिकोडीणं पं०।१६५। मन्दरस्स णं भंते ! पव्वयस्स केवइयाए अबाहाए जोइसं चार चरइ ?, गो० । इक्कारसहिं इक्कवीसेहिं जोअणसएहिं अबाहाए जोइंसं चारं चरत्त, लोगंताओ णं भंते ! केवइयाए अबाहाए जोइसे पं०?, गो० ! एक्कारस एक्कारसेहिं जोयणसएहिं अबाहाए जोइसे पं०, धरणितलाओ णं भंते !०, सत्तहिं णउएहिं जोयणसएहिं जोइसे चारं चरइ, एवं सूरविमाणे अट्ठहिं सएहिं चंदविमाणे अट्ठहिं असीएहिं उवरिल्ले तारारूवे नवहिं जोयणसएहिं चारं चरइ, जोइसस्स णं भंते ! हेडिल्लाओ तलाओ केवइआए अबाहाए सूरविमाणे चार चरइ ?. गो० ! दसहिं जोअणेहिं अबाहाए चार चरइ, एवं चन्दविमाणे णउईए जोयणेहिं चार चरइ, उवरिल्ले तारारूवे दसुत्तरे जोयणसए चारं चरइ, सूरविमाणाओ चन्दविमाणे असीईए जोयणेहिं चार चरइ, सूरविमाणाओ जोयणसए उवरिल्ले तारारूवे चारंभ
चरइ, चन्दविमाणाओ वीसाए जोयणेहिं उवरिल्ले णं तारारूवे चारं चरइ।१६६। जंबुद्दीवेणं दीवे अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं कयरे णक्खत्ते सव्वब्भंतरिल्लं चार चरइफ १ कयरे णक्खत्ते सव्वबाहिरं० कयरे सव्वहिट्ठिल्लं० कयरे सव्वउवरिल्लं चारं चरइ ?, गो० ! अभिई णक्खत्ते सव्वब्भंतरं मूलो सव्वबाहिरं भरणी सव्वहिडिल्लग mero55555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १२५८ ॥555555555555555555555555
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(१८) मूल बक्सारी ७ साई सव्वुवरिल्लगं चारं चरड़, चन्दविमाणे णं भंते! किंसंठिए पं० १, गो० ! अद्धकविट्ठसंठाणसंठिए सव्वफालिआमए अब्भुग्गयमूसिए एवं सव्वाइं णेयव्वाई, चन्दविमाणे णं भंते ! केवइयं आयामविक्खंभेणं केवइयं बाहल्लेणं ?, गो० ! 'छप्पण्णं खलु भाए विच्छिण्णं चन्दमंडलं होइ । अट्ठावीसं भाए बाहल्लं तस्स बोद्धव्वं ||१२३|| अडयालीसं भाए विच्छिण्णं सूरमंडलं होइ । चउवीसं खलु भाए बाहल्लं तस्स बोद्धव्वं ॥ १२४॥ दो कोसे य गहाणं णक्खत्ताणं तु हवइ तस्सद्धं । तस्सद्धं ताराणं तस्सद्धं चेव बाहल्लं ||१२५|| १६७। चन्दविमाणं णं भंते ! कति देवसाहस्सीओ परिवहंति ?, गो० ! सोलस देवसाहस्सीओ परिवहंति, चन्दविमाणस्स णं पुरत्थिमेणं सेआणं सुभगाणं सुप्पभाणं संखदलविमलनिम्मलदधिघणगोखीरफे णरययणिगरप्पगासाणं थिरल पउवट्टपीवरसुसिलिट्ठ विसिद्ध तिक्खदाढाविडं बिअमुहाणं रत्तुप्पलपत्तमउयसूमालतालुजीहाणं महुगुलिअपिंगलक्खाणं पीवरवरो रूपडि पुण्णविउलखधाणं मिउविसयहुमलक्खणशपसत्थवरवण्णकेसरसडोवसोहिआणं ऊसिअसुनमियसुजाय अप्फोडिअलंगूलाणं वइरामयणक्खाणं वइरामयदाढाणं वइरामयदन्ताणं तवणिज्जजीहाणं तवणिज्जतालुआणं तवणिज्जजुत्तजोत्तगसुजोइआणं कामगमाणं पीइगमाणं मणोगमाणं मणोरमाणं अमिअगईणं अमिअबलवीरअपुरिसकारपरक्कमाणं महया अप्फोडिअसीहणायबोलकलकलरवेणं महुरेणं मणहरेणं पुरेंता अंबरं दिसाओ य सोभयंता चत्तारि देवसाहस्सीओ सीहरूवधारी पुरत्थिमिल्लं बाहं वहति, चंदविमाणस्स णं दाहिणेणं सेआणं सुभगाणं सुप्पभाणं संखतलजावप्पगासाणं वइरामयकुं भजुअलसुट्ठि - अपीवरवरवइरसोड वट्टिअदित्तसुपरमप्पगासाणं अब्भुण्णयमुहाणं तवणिज्जविसालकण्णचं चलचलंताविमलुज्जलाणं महुवण्णभिसंतणिद्धपत्तलनिम्मलतिवण्णमणिरयणलो अणाणं अब्भुग्गयमउलमल्लि आधवलसरिसस ठियणिव्वणदढ कठिणफालिया-मयसुजायदन्तमुसलो वसोभियाणं कंचनकोसीपविदन्तग्गविमलमणिरयण-रूइलपेरंतचित्तरूवगविराइयाणं तवणिज्जविसालतिलगप्पमुहपरिमंडियाणं नानामणिरयणसुद्ध - गेविज्जबद्धगलयवरभूसणाणं वेरूलियविचित्तदंड निम्मलवइरामयतिक्खलट्ठ अंकुसकुं भजुयलयंतरोडियाणं तवणिज्जसुबद्धकच्छ- दप्पियबलुद्धराणं विमलघणमण्डलवइरामयलालाललियतालाणं णाणामणिरयणघण्ट पासगवय-रामयबद्धरज्जु लंबियघंटाजुयलमहुरसरमणहराणं अल्लीणपमाणजुत्तवट्टियसुजायलक्खणपसत्थरमणिज्जवालगत्तपरिपुंछणाणं उवचियपडिपुण्णकुम्मचलणलहुविक्कमाणं अंकामयणक्खाणं तवणिज्जजीहाणं जाव महयागंभीरगुलुगुलाइतरवेणं महुरे मणहरेण पूता अंबरं दिसाओ य सोभयंता चत्तारि देवसाहस्सीओ गयरूवधारीणं देवाणं दक्खिणिल्लं बाहं परिवहंति, चंदविमाणस्स णं पच्चत्थिमेणं सेयाणं सुभगाणं सुप्पभाणं चलचवलककुहसालीणं घणनिचियसुबद्धलक्खणुण्णयईसियाणयवसभोट्ठाणं चंकमियललियपुलियचलचवलगव्वियगईणं सन्नतपासाणं संगतपासाणं सुजायपासाणं पीवरवट्टियसुसंठियकडीणं ओलंबपलंबलक्खणपमाणजुत्तरमणिज्जवालगण्डाणं समखुरवालिधाणाणं समलिहियसिंगतिक्खग्गसंगयाणं तणु सुहुमसुजायणिद्धलोमच्छ विधराणं उवचियमं सलविसालपडि पुण्णखंधपएससुंदराणं वेरू लियभिसंतक डक्खसुनिरिक्खणाणं जुत्तपमाणपहाणलक्खणपसत्थरमणिज्जगग्गरमल्लसोभियाणं घरघरगसुसद्दबद्धकंठपरिमंडियाणं णाणामणिकणगरयणघंटिआवेगच्छिगसुकयमालियाणं वरघण्टागलयमालुज्जलसिरिधराणं पउमुप्पलसगलसुरभिमालाविभूसियाणं वइरखुराणं विविहवि (पी) खुराणं फालिआमयदन्ताणं तवणिज्जजीहाणं जाव महयागज्जियगंभीररवेणं महुरेणं मणहरेण पूरेंता अंबरं दिसाओ य सोभयंता चत्तारि देवसाहस्सीओ सर्वहरूवधारीणं देवाणं पच्चत्थिमिल्लं बाहं परिवहंति, चंदविमाणस्स णं उत्तरेणं सेयाणं सुभगाणं सुप्पभाणं तरमल्लिहायणाणं हरिमेलामउलमल्लियच्छाणं चंचुच्चिअललिअपुलिअचलचवलचंचलगईणं लंघणवग्गणधावणधोरणतिवइजइणसिक्खियगईणं ललंतलासगललामवरभूसणाणं सन्नयपासाणं संगयपासाणं सुजायपासाणं पीवरवट्टियसुंसंठियकडीणं ओलंबपलंबलक्खणपमाणजुत्तरमणिज्जवालपुच्छाणं तणुसुहुमसुजायणिद्धलोमच्छविहराणं मिउविसयसुहुमलक्खणपसत्थविच्छिण्णकेसरवालिहराणं ललंत.
MOMOS 55 श्री आगमगुणमंजूषा १२५९
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(१८) जंबूदीवपन्नत्ति वक्खारो ७
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(लामय) ललांडवरभूसणाणं मुहमण्डगओचूलगचामरथासगपरिमंडियकडीणं तवणिज्जखुराणं तवणिज्जजीहाणं जाव महयाहयहेसियकिलिकिलाइयरवेणं महरेणं मणहरेणं पूरेता अंबरं दिसाओय सोभयंता चत्तारि देवसाहस्सीओ हयख्वधारीणं देवाणं उत्तरिल्लं बाहं परिवहंति,-'सोलस देवसहस्सा हवंति चंदेसुचव सूरेसु। अद्वेव सहस्साइं एक्केकंमी गहविमाणे ।।१२६।। चत्तारि सहस्साइं णक्खत्तंमि य हवंति इक्किक्के । दो चेव सहस्साइं तारारूवेक्कमेक्वंसि ।।१२७।। एवं सूरविमाणाणं जाव तारारूवविमाणाणं णवर एस देवसंघाए।१६८। एतेसिंण भंते ! चंदिमसूरिअगहगणनक्खत्ततारारूवाणं कयरे सव्वसिग्घगई कयरे सव्वसिग्घगतितराए चेव ?, गो०! चन्देहितो सूरा सव्वसिग्घगई सूरेहितो गहा गहेहिंतो णक्खत्ता णक्खत्तेहिंतो तारारूवा सव्वप्पगई चंदा सव्वसिग्घगई तारारूवा ।१६९। एतेसिंणं भंते ! चंदिमसूरिअगहणक्खत्ततारारूवाणं कयरे सव्वमहिद्धिआ कयरे सव्वप्पडिढआ ?.गो०! तारारूवेहितोणक्खत्ता महिद्धिआणखत्तेहिंतो गहा महिद्धिआगहेहितो सरिआसुरेहितो चन्दा महिद्धिआ सव्वप्पिद्धिआ तारारूवा सव्वमहिदिया चन्दा।१७०। जम्बूद्दीवेणं भंते ! ताराए ताराए य केवइए अबाहाए अंतरे पं०?, गो० ! विहे अंतरे-वाघाइए य निव्वाघाइए य, निव्वाघाइए जहण्णणं पंचधणुसयाई उक्कोसेणं दो गाऊयाई, वाघाइए जहण्णेणं दोण्णि छावढे जोयणसए उक्कोसेणं बारस जोअणसहस्साई दोण्णि य बायाले जोअणसए तारारूवस्स २ अबाहाए अंतरे पं०।१७१। चन्दस्स णं भंते ! जोइसिंदस्स जोइसरण्णो कइ अग्गमहिसीओ पं०?, गो०! चत्तारि अग्गमहिसीओ पं०२०-चन्दप्पभा दोसिणाभा अच्चिमाली पभंकरा, ताओ णं एगमेगाए देवीए चत्तारि २ देवीसहस्साई परिवारो पं०, पभू णं ताओ एगमेगा देवी अन्न देवीसहस्सं विउव्वित्तए, एवामेव सपुव्वावरेणं सोलस देवीसहस्सा, सेत्तं तुडिए, पहू णं भंते ! चंदे जोइसिद जोइसराया चंदवडेंसए विमाणे चन्दाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए तुडिएणं सद्धि महयाहयणट्टगीअवाइअ जाव दिव्वाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरित्तए ?, गो०! णो इणद्वे समद्वे, से केणदेणं जाव विहरित्तए ?, गो० ! चंदस्सणं जोइसिंदस्स० चंदवडेंसए विमाणे चंदाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए माणवए चेइअखंभे वइरामएसु गोलवट्टसमुग्गएसु बंहईओ जिणसकहाओ सन्निक्खित्ताओ चिट्ठति ताओ णं चंदस्स अण्णेसिंच बहूणं देवाण य देवीण य अच्चणिज्जाओ जाव पज्जुवासणिज्जाओ, से तेणटेणं गो०! णो पभू, पभू णं चंदे सभाए सुहम्माए चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं एवं जाव दिव्वाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरित्तए केवलं परिआरिद्धीए, णो चेवणं मेहणवत्तियं. विजया वेजयंती जयंती अपराजिआ सव्वेसिं गहाईणं एयाओ अग्गमहिसीओ, छावत्तरस्सवि गहसयस्स एयाओ अग्गमहिसीओ वत्तव्वाओ, इमाहिं गाहाहिंइंगालए विआलय लोहिअंके सणिच्छरे चेव । आहुणिए पाहुणिए कणगसणामा य पंचेव ११॥१२८।। सोमे सहिए अच्चासणे य कज्जोवए अ कब्बु (प्र० व्व) रए। आतरए दुंदुभए संखसनामेवि तिण्णिव ।।१२९|| एवं भाणियव्वं जाव भावकेउस्स अग्गमहिसीओ।१७२। चंदविमाणे णं भंते ! देवाणं केवइयं कालं ठिई पं०?. गो० जह० चउभागपलिओवम उक्को० पलिओवमं वाससंयसहस्समब्भहियं, चंदविमाणेणं देवीणं० १, जह० चउभागपलिओवम उक्को० अद्धपलियोवमं पण्णासाए वाससहस्सेहिमब्भहियं, सूरविमाणे देवाणं० १, जह० चउन्भागपलिओवमं उक्को० पलिओवमं वाससहस्समब्भहियं, सूरविमाणे देवीणं० ?, जह० चउब्भागपलिओवम उक्को० अद्धपलिओवमं पंचहिं वाससएहिं अब्भहिंयं, गहविमाणे देवाणं० १, जह० चउब्भागपलिओवमं उक्को० पलिओवमं, गहविमाणे देवीणं०१. (२२३) जह० चउब्भागपलिओवम उक्को० अद्धपलिओवंमं, णक्खत्तविमाणे देवाणं० १, जह० चउभागपलिओवम उक्को० अद्धपलिओवर्म, णक्खत्तविमाणे देवीणं?, जह० चउब्भागपलिओवम उक्को० साहियं चउब्भागपलिओवम, ताराविमाणे देवाणं० ?, जह० अट्ठभागपलिओवम उक्को० चउब्भागपलिओवम, ताराविमाणे देवीणं०?, जह० अट्ठभागपलिओवमं उक्को० साइरेगं अट्ठभागपलिओवमं ।१७३।'बह्मा विण्हू य वसू वरूणे अय वुडिढ पूस
आस जमे । अग्गि पयावइ सोमे रूद्द अदिती बहस्सई सप्पे ।।१३०।। पिउ भग अज्जम सविआ तट्ठा वाऊ तहेव इंदग्गी। मित्ते इंदे निरूई आउ विस्सा य बोद्धब्वे 3॥१३१७४॥ एतेसिणं भंते ! चंदिमसूरिअगहणक्खत्ततारारूवाणं कयरे० १. गो०! चंदिमसूरिआ दुवे तुल्ला सव्वत्थोवाणक्खत्ता संखेज्जगुणा गहा संखेज्जगुणा MOVot फफफफफफफ55555555 श्रीगमनमा । १२००44956655556366555166%%856
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________________ HORO9555555555555 स लवन 5555FFFQON #5555555020 $乐乐乐乐乐乐明明乐乐乐乐乐 明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明6CM ताराओ संखेज्जगुणाओ।१७५। जंबुद्दीवे जहण्णपए वा उक्कोसएपए वा केवइआ तित्थयरा सव्वग्गेणं पं०?, गो० ! जहण्णपए चत्तारि उक्कोसपए चोत्तीसं तित्थयरा सव्वग्गेण पं०, जंबुद्दीवे केवइआ जहण्णपए वा उक्कोसपए वा चक्कवट्टी सव्वग्गेणं पं०?, गो० ! जहण्णपदे चत्तारि उक्कोसपदे तीसं चक्कवट्टी सव्वग्गेणं पं०, बलदेवा तत्तिया चेव जत्तिआ चक्कवट्टी, वासुदेवावि तत्तिया चेव, जंबुद्दीवे केवइआ निहिरयणा सव्वग्गेणं पं०?, गो० ! तिण्णि छलुत्तरा णिहिरयणसया सव्वग्गेणं पं०, जंबुद्दीवे केवइआ णिहिरयणसया परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति?, गो० ! जहण्णपए छत्तीसं उक्कोसपए दोण्णि सत्तरा णिहिरयणसया परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति, जंबुद्दीवे केवइआ पंचिदिअरयणसया सव्वग्गेणं पं०?, गो० ! दो दसुत्तरा पंचिदिअरंयणसया सव्वग्गेणं पं०, जंबुद्दीवे जहण्णपदे वा उक्कोसपदे वा केवइआ पंचिदिअरयणसया परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति ?, गो० ! जहण्णपए अट्ठावीसं उक्कोसपए दोण्णि दसुत्तरा पंचिदिअरयणसया परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति, जंबुद्दीवे केवइआ एगिदिअरयणसया सव्वग्गेणं पं०?, गो० ! दो दसुत्तरा एगिदिअरयणसया सव्वग्गेणं पं०, जंबुद्दीवे केवइआ एगिदिअरयणसया परिभोगत्ताएक हव्वमागच्छन्ति ?,गो० ! जहण्णपए अट्ठावीसं उक्को० दोण्णि दसुत्तरा एगिदिअरयणसया परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति / 176 / जंबुद्दीवे भंते ! दीवे केवइयं आयामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं केवइयं उव्वेहेणं केवइयं उद्धउच्चत्तेणं केवइयं सव्वग्गेणं पं०?, गो० ! जंबुद्दीवे एगं जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोयणसयस्साई सोलस य सहस्साइं दोण्णि य सत्तावीसं जोयणसए तिष्णि य कोसे अट्ठावीसं च धणुसयं तेरस अंगुलाई अद्धंगुलं च किंचिविसेसाहियं परिक्खेवेणं पं०, एगं जोयणसहस्सं उव्वेहेणं णवणउतिं जोयणसहस्साइं साइरेगाइं उद्धउच्चत्तेणं साइरेगं जोयणसयसहस्सं सव्वग्गेणं पं०।१७७। जंबुद्दीवे किं सासए असासए ?, गो० ! सिय सासए सिय असासए, के केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ-सिय सासए सिय असासए ?, गो० ! दव्वट्ठयाए सासए वणपज्जवेहिं गंधरस० फासपज्जवेहिं असासए, से तेणद्वेणं गो० ! एवं वुच्चइ-सिय सासए सिय असासए, जंबुद्दीवे ! कालओ केवचिरं होइ ?, गो० ! ण कयावि णासी ण कयावि णत्थि ण कयावि ण भविस्सइ, भुविं च भवइ य भविस्सइ य, धुवे णिइए सासए अक्खए अव्वए अवट्ठिए णिच्चे जंबुद्दीवे पं० / 178 / जंबुद्दीवे णं भंते ! किं पढवीपरिणाम आउपरिणामे जीवपरिणामे पोग्गलपरिणामे ?, गो० ! पुढवीपरिणामेवि आउपरिणामेवि जीवपरिणामेवि पुग्गलपरिणामेवि, जंबुद्दीवे सव्वपाणा सव्वजीवा सव्वभूया सव्वसत्ता पुढवीकाइयत्ताए आउका० तेउ० वाउ० वणस्सइकाइयत्ताए उववण्णपुव्वा ?, हंता गो० ! असई अदुवा अणंतखुत्तो॥१७९। से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-जंबुद्दीवे तत्थ 2 देसे 2 तहिं 2 बहवे जंबूरुक्खा जंबूवणा जंबूवणसंडा णिच्वं कुसुमिआ जाव पिडिमंजरिवडेंसगधरा सिरीए अईव उवसोभेमाणा चिटुंति, जंबूए सुदंसणाए अणाढिए णामं महिंद्धीए जाव पलिओवमट्ठिइए परिवसइ, से तेणटेणं गो९ ! एवं वुच्चइ- जंबुद्दीवे 21180 / तए णं समणे भगवं महावीरे मिहिलीयाए णयरीए माणिभद्दे चेइए बहूणं समणाणं बहूणं समणीणं बहूणं सावयाणं बहूणं सावियाणं बहूणं देवाणं बहूणं देवीणं मज्झगए एवमाइक्खइ एवं भासइ एवं पण्णवेइ एवं परूवेइ-जंबूदीवपण्णत्ती णामत्ति अज्जो ! अज्झयणं, अटुं च हेउं च पसिणं चकारणं च वागरणं च भुज्जो 2 उवदंसेइत्ति बेमि / 181 / 4544155555555555555555555555555HONORY Mero555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा - 1261555555555555555555555 O Yor