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হল 0 টি অহমিঠা ঠাল লাল মত তাঁর
पावा (राज0)
के सुपुत्र श्री शंकर लाल जी, श्री फूल चन्द जी, श्री पुखराज जी, श्री रत्न चन्द जी, श्री राजमल जी, श्री सोहन राज जी (हाल भीवंडी) के द्वारा इस ग्रन्थ का विमोचन
किया गया।
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