Book Title: Vivek Manjari Part 02
Author(s): Chandranbalashreeji, Pandit Hargovinddas
Publisher: Jain Vividh Sahitya Shastramala
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परिशिष्टम् [ ३ ]
विवेकमञ्जरीवृत्तिगतप्राकृतउद्धरणानामकाराद्यनुक्रमः ॥
उद्धरणांशः
अडवीसा (बत्तीसा ) अडयाला
असणा
अणुमाणहे उदिट्टंतसाहिया
अत्थो घरे नियत्तइ
अहं देव गुरु असणं खाइमं पाणं
आयरियपरंपरेण
इग दिट्ठी छप्पुरमा
उप्पत्तिया वेणइया
ओदिसारा
ओ
करिज्ज तम्हा पडिमो
काले पत्ताण पत्ताण
खंती य मद्दवज्जवमुत्ती
जं सावयाणं करणञ्जमुक्तं
तमेव सच्चं निस्संकं
ता एवं
वित्तं
स्थानम्
[ बृ.सं./२५७ ] [सं.प्र./१२६५ ]
[ उ.प./४८ ]
[
[
[ मू.शु./८३ ]
[
[
[ उ.प./३८ ]
[ उ.प./ ४६ ]
[
[
[ मू.शु. / ८२]
[प्र.सा./५५४]
]
]
[
[
]
]
]
]
]
[पं.व./११२८ ]
गा.क्र/पृ.क्र.
६०/६१-५८९
२२-१३
४८-२०४
१०८-६१६
१३९-६३३
७०/७१-५९७
१२३-६२३
२२-१४
४८-२०४
४८-२०४
७०/७१-५९५
७०/७१-५९६
७०/७१-५९७
६८-५९२
७०/७१-५९८
१४१-६३४
७०/७१-५९४

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