Book Title: Vivek Manjari Part 02
Author(s): Chandranbalashreeji, Pandit Hargovinddas
Publisher: Jain Vividh Sahitya Shastramala

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Page 347
________________ १५ ४०८ ७६ ३५१, ३५२, अर्धबर्बर [ देश] ३४४ ४६४ ६७०] [विवेकमञ्जरी अनुत्तर [ देवलोक] १९५ | अरनाथ [ तीर्थनाथ] अन्निका [ जयसिंहकन्या] २६६, २६७/ अरिकेसि [ क्षोणिपति] ४०८ अनिकानाथ । २६७, २७१, २७३ | अरिदमन [ नृप] १९९, ५४५, ५४६ अनिकापुत्र अरिमर्दन [ नृप] ३०३ अनिकासूनु अरिसिंह [ जितशत्रुसूनु] अपरविदेह [ क्षेत्र] ५११ | अचिमाली [ विद्याधर] अपराजिता [ राममाता] ३५३,३७२ अर्हदासी [श्रेष्ठिप्रिया] १७३, १७५ अप्रतिचक्रा [विद्या] अवन्तिनाथ [ प्रद्योत] ५८२ अप्रतिष्ठान [ नरक] १९५, ३१६ अवन्ती [ देश] अभय . [श्रेणिकपुत्र- २०४, २०६, १२०, १२५, १४३, १४९, १५२, १६२, ३९८ अभयकुमार| अनगार] २०७, २०८, २०९, २१०, २११, २१२, २१३,| अवन्तीसुकुमाल [इभ्यपुत्र-मुनि] १२०, २१४, २२२, २२३, २२५, १२१, १२३, १२४ २२७, २२८, २२९, २३०, | अवटलङ्का [ नगरी] ३५९ २३१, २३७, २३८, २४१, अशनिवेग [खेचरेन्द्र] ७९ ३१८, २४२, २५८, २९४, • ३८९, ५१७ अशोक [अनोकहस्] .. ३६३ अभयदेव [ सूरि] ४,६३६ अशोकचन्द्र [ नृप] अभया [दधिवाहनप्रिया] १७३, १७७, अशोकवनिका | [वाटिका] ५३, ७५ १७८, १९, १८०, १८१, १८४ अशोकवनी | अभीचिग [ नक्षत्र] अष्टापद [ पर्वत] ३८, ३९, ५७, ५८, ५९, अमरपुरी [ देवनगरी] ४३३ ६५, १४३, १८९, ४३१ अमरावती [ देवनगरी] असिताक्ष [ यक्ष] ७१, ७५, ७६ अमितगति [ मुनि] ४८६ अहीन्दु [इन्द्र] अमिततेजा [ तपोधन] ५३०, ५३४, ५३७ [आ] अमृतवती [ राज्ञी] ३८० आतरङ्ग [ म्लेच्छराज] ३४४, ३४५ अमृतसागर [ गुरु] २४५ आदित्य [] ५१६ अयोध्या [पुरी] १९, ३१, ३७, ५५, ५८, आदित्यपुर [ पुर] ४७७, ४९० ६२, ३४३, ३७१, आदिनाथ | [ प्रथम तीर्थकर] ६१, २२९, ३७२, ३७६, ३७७, आदिनाथ २३०, २४३ ३८१, ३८२, ३८५ २१४ ५५२

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