Book Title: Vicharsar Prakaranam Cha
Author(s): Pradyumnasuri, Manikyasagar
Publisher: Agamoday Samiti

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Page 11
________________ सोईदिओवलद्धी होइ सुयं सेसयं तु मइनाणं । मो णं दव्वसुयं अक्खरलंभो य सेसेसु ॥ (११७). पण्णवणिज्जा भावा अणंतभागो उ अणभिलप्पाणं। पण्णवणिज्जाणं पुण अणंतभागो मुयनिबद्धो ॥ (१४१) जं चोइसपुवधरा छट्ठाणगया परोप्परं हों ति । (१४२) पुन्वं सुयपरिकम्मियमइस्स जे संपयं सुयाईयं । तं निस्सियमियरं पुण अणिस्सियं मइचउकं तं ॥ (१६९) सव्वत्ये-हा-वाया निच्छयओ मोत्तुमाइसामण्णं । संववहारत्यं पुण सव्वत्थाऽवग्गहोऽवाओ ॥ (२८५) . एग जाणं सव्वं जाणइ सव्वं च जाणमेगं ति। इय सबमयं सव्वं सम्मबिहिस्स जं वत्थु ॥ (३२०) धक्खाणओ विसेसो न हि संदेहादलक्खणया।(३४७) सच्चा हिया सयामिह संतो मुणओ गुणा पयत्या वा। तविवरीआ मोसा मीसा जा तदुभयसहावा ॥ (३७६) अणहिगया जा तीसु वि सद्दो चिय केवलो असचमुसा । (३७७) कत्यइ देसग्गहणं कत्थइ घेप्पंति निरवसेसाई। उक्कम-कमजुत्ताइं कारणवसओ निउत्ताई ॥ (३८८) पइसमयकज्जकोडीनिरविक्खो घडगयाहिलासोसि। पइसमयकज्जकालं थूलमइ ! घडम्मि लाएसि ॥ (४२३) दो वारे विजयाईसु गयस्स तिन्नऽच्चुए अहव ताई। अइरेगं नरभवियं नाणाजीवाण सव्वद्धं ॥ (४३६) एकेकमक्खरं पुण स-परपज्जायभेयओ भिन्नं । तं सम्बदव्व-पज्जायरासिमाणं मुणेयव्वं ॥ (४७७)

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