________________
सम्पादकीय टिप्पणी
परिशिष्ट संख्या २ के रूप में वीरवाण सम्बन्धी तीन राजस्थानी वार्तायें दी गई हैं। उनके नाम इस प्रकार हैं
१ वीरमदे सलखावतरी वार्ता। . . . . . २ गोगादे वीरमोतरी वार्ता ! . . ३ राव चूण्डारी वार्ता ।
वीरवाण का विषय इतिहास की दृष्टि से बहुत उलझा हुआ है । अव तक हमारे इतिहासकारों ने हजारों की संख्या में प्राप्त होने वाली ऐसी वार्तानों को कपोलकल्पित मान कर इनको महत्व नहीं दिया है । वास्तव में ऐसी वार्ताओं का ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्व हैं।
"वीरवाण" काव्य के अनेक अंश भी इन वार्तामों में मिलते हैं, जिनसे काव्य की लोकप्रियता और सम्बन्धित विषय का ऐतिहासिक महत्व प्रकट होता है । साथ ही प्रसिद्ध ऐतिहासिक ग्रन्थों से भी इन वार्ताओं की पुष्टि होती है।