Book Title: Veervaan
Author(s): Rani Lakshmikumari Chundavat
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 191
________________ . वीरवाण . .. · नापा बोला धरती का हासल आवे उसमें से प्राधा मांगू, कल थैली आई थी उसमें से मुझे क्यों न दिया ? नर्वद ने आधे रुपये दे दिये ! वह पाली के सोनगिरों का भांजा और नापा सोनगिरों का जमाई • था । एक दिन नर्बद ने अपने मामा से पूछा "मामाजी, तुमको मैं प्यारा या नापा ? "कहा-मेरे तो तुम दोनों ही बराबर हो, परन्तु विशेष प्यारा तू है, क्योंकि तेरे पास रहते हैं। नर्बद ने कहा कि जो ऐसा है तो नापा को विष दे दो । मामा ने कहा "भाई मुझ से ऐसा नहीं हो सकता' । नर्बद ने एक दासी को लोभ देकर मिलाया और नापा को विष दिलवाया जिससे वह मर गया। अब रणधीर ने अपने अादमी मेज कामदार मृतमद्धियों से पूछाया कि यह सेना किस कार्य के लिए इकट्ठी की जाती है परन्तु उन्होंने यही उत्तर दिया कि "हम नहीं जानते।" वे आदमी पाकर दयाल मोदी की दूकान पर बैठ गये । नर्वद इस दयाल से सलाह किया करता था, जब बालक था तब से रणधीर ने उसको पालना की थी। रणधीर के मनुष्यों ने मोदी से सामान लिया । उसने और तो सब चीजें दे दी, पर तु वृत्त न दिया । जब उन्होंने घी मांगा तो उत्तर दिया कि "काले के पीला है.।" और फिर घत दिया । रणधीर के मनुष्यों ने पीछे आकर कहा-राजा, यह पता नहीं लगता कि कटक (कस पर तैयार हो रहा है । उसने पूछा-दयाल मोदी ने तुमको कुछ कहा ? उत्तर-और तो कुछ भी नहीं कहा, परन्तु घृत देते ।समय यह शब्द कहे थे कि "काले के पील बहुत है ।" रणधीर बोला-दयालिया और क्या कहता, काला मैं और पीला मेरा सुवर्ण सो वह कटक मेरे ही पर है । तब उसने भी सेना सजी, फिर आप राणा के पास गया । राणा ने पछा-मामाजी, कैमे आये ?” रणमल ने भी उत्तर दिया कि तुझे मंडोव देने के लिए अाए हैं राणा ने सहायता देनी कही । ये राणा को लेकर सत्ता पर चढ़े । सत्ता ने अपने पुत्र नर्बद से कहा कि तू भी नागोरी खान को ले बा । नर्बद कोस तीनेक तो गया, परन्तु जब ताप पड़ी तो पीछा फिर आया और छिपकर माता-पिता की बातचीत सुनने लगा । सत्ता ( अपनी स्त्री सोनगिरी से कहता है-"सोनगिरी ! नर्बद जानता है कि मेरा पिता कपूत है जो रणधीर को आधा भाग देता है, परन्तु रणधीर के बिना मंडोवर रह नहीं सकता। अब नर्वद नागौरी खान को लेने गया है सो खान पाने का नहीं, क्यों कि वह रणमल के हाथ देख चुका है। यह भी अच्छा हुआ, मै लड़ मरूंगा।" (पिता के ऐसे वचन सुनकर ) नर्बद बोल उठा--"मुझे नागोरी खान के पास किसलिए भेजा, मैं भी युद्ध करूंगा और काम आऊगा।" सत्ता बोला--"मैं भी यही कहता था।" नर्मद ने नारा बनवाया, युद्ध किया और खेत पड़ा । इतने रजपूत उसके साथ मारे गये-- ईदा चोहथ, ईदा जीवा आदि।। नवंद निपट घायल हया था और उसकी एक आंख फूट गई थी। राणाजी उसको उठवाकर अपने साथ ले गये और रणमल को राणा ने मंडोवर की गद्दी पर बिठाकर टीका दिया । सत्ता भी राणा के पास जा रहा और वहीं उसका देहांत हुआ।

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