Book Title: Veervaan
Author(s): Rani Lakshmikumari Chundavat
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 202
________________ वीरवाण परत - विलकुल । पल - मांस । पलचर - मांस भक्षी। पलाणी - घोड़ों पर जीन कसे । पाखती- पाव। पाखर - घोड़े के लोह के कवच । पारणां-हाथ । पाडव - चरवादार । पाड़िया - भारे । पाणी राळियो - प्रांसू बहाये । पालवा - मना करने को। पाळा - पैदल । पालिया - मना किया। पिंड -- शरीर । पेटो - भेद। पोहर - एक पहर। पोहता - पहुंचे। पोह - उपा काल । पखरिणगा - मांसाहारी पक्षी। पंखराव - गरूड़। , पंचोल -पंचायत । फरणवर - शेपनाग। फरहास -- एक प्रकार का वृक्ष । फाचरा - लकड़ी के टुकड़े। .. वगतर कुठां वीड़िया - बख्तर की कडियां कसकर। . वकारे - ललकारना । बटका - टुकड़े। वड़नाळ - एक प्रकार की बन्दूक। . वडाला - बढ़ाई युक्त । वक्के - कहते हैं। वधाया - स्वागत किया। वपसक बढाळा - जिससे बड़े-बड़े भी __ भयभीत हो जावें। स-वर्प। वाकर -बकरे। . वामण - ब्राह्मण आदि । . वारठ - बारहठ, चारण । वारा-समय। वागी झाट - जोर से तलवारें चली। वाहर - छोटी फौज । वीजळ - तलवार। बीजाई - दूसरा। विरदा रूख वाळा - यश के रक्षक । वूडसी - डूब जायगा। वेली - साथी। भथ्ये - तूणीर । भाण - सूर्य्य । भाजिया - भग गये। भारात - युद्ध । भाळवा - देखने को। भिड़ज - घोड़ा। भुजपारण - भुजबल। भंड - बदनामी। भूतावळ - भूतों से। म - मत । मन वेठियो - मन रखा । मलफाणी - शेर की उछल । महल - स्त्री। मांगे खासां - मांगकर खायेंगे। मारणस - मनुष्य । मिणधारी - मणिधारी। मियानां - म्यांनों से। गुंजावर - मजाफर । मुझ हंदा - मेरा। मुसकरण - मुश्की घोड़ा । मोकलू- भेजू। मंगर - मेला । मंडलीक - बड़ा राज। रकेवां- रकाव। रगतूर - रण के बाजे। . रत-रत्त। .

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