Book Title: Veervaan
Author(s): Rani Lakshmikumari Chundavat
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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वीरवाण
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चई विमाणां चालिया नीसाणी १२३ चड़ वड़ धानंष चाढिया गुण कीध भणंका
१२४ तीर छछोहा छूटगा नह सूज तनंका जूझा भड़ बंका जोइया कमधन जुटिया मिडिया भड़ बंका . सग्गा रुक समाप दै . नीसाणी १२५ कहियो गे.गै हास कर
दे सग्गा ताली - जीते कर सम्मर. .. नीसाणी १२६
काठये पग गोगे कियो. . . . , " . 'पाव उलटा सांधीया . . . , , । . तो काया अझर
हुय सिध दसमो हालियो सात बीस नीसांणिया दूहा १७२ माणिया गुण सुम भाय सुध वाचीजो सकवियां दूहा १७३
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