Book Title: Vajjalaggam
Author(s): Jayvallabh
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 676
________________ INDEX 611 155 मारंभ चिय चदु Add. 64*41 उत्तुंगघणणिरंतर 305 आरंभो जस्स इमो 331 उद्धवच्छो पियइ जलं 445*1 आलावणेण उल्लावणेण 330 | उन्मयकंधर मा जूर 224 आविहिइ पिओ चुंबिहिइ 784 | उन्नय नीया नीया 128 भासापडणभय Add. 312*7 उब्बिबे थणहारे 306 आसन्झफलो फणसो उभिजइ सहयारो 632 आसंति संगमासा 726 उन्भेउ अंगुलिं सा 463 भासासिज्जइ चक्को 725 उयणं भुवणक्कमणं 774 इच्छाणियत्तपसरो 393 उयरे असिकप्परिए 166 इत्तो निवसइ अत्ता 496 उयह तरुकोडराओ 654 इय कइयणेहि रइए 794 उयहिवडवाणलाणं 684 इय तरुणितरुण Add.449*1 उल्लवउ को वि महि 342 इयरकुसुमेसु महुयर 246 उवरि महं चिय वम्मह 392 इय रक्खसाण वि फुडं 419 उहि लहरीहि गम्विर 763 इयरविहंगमपयपंति 720 उव्वूढभुवणभारो Add. 605*1 इह इंदधणू इह 627 ए कुसुमसरा तुह 394 इह तिवलिरमणे" इह Add. 318-1 | एक्कत्तो रुयइ पिया Add. 178*3 इहपरलोयविरुद्धण 469 एकत्थे पत्थावे इह पंथे मा वञ्चसु 373 एक्कम्मि कुले एक्कम्मि 704 इह लोए श्चिय दीसह 671 एकसरपहरदारिय 204 इंतीइ कुलहराओ Add.214*2 एकं खायइ मडयं 577 इंदिदिर छप्पय 236 | एकं चिय सलहिज्जा 65 इंदिदिर मा खिजसु Add. 252-3 | एक्कं दंतम्मि पयं 172 इदीवरच्छि सयवार Add. 454-5 एक्कं महुयरहिययं ईसिसिदिनकजल 297 एक्काइ नवरि नेहो 74 उच्चट्ठाणा वि Add.312*10 एक्केकमवइवेढिय 429 उच्च उच्चावियकंधरेण 650 एक्केण या पासपरि 262 उज्जग्गिरस्स तणुय 364 | एक्केण वि जह धुत्ती 531 उज्झसु विसयं | एक्केण विणा पियमाणुसेण बहुयाइ 780 उड्ढं वच्चंति अहो 702 एक्केण विणा पियमाणुसेण उण्हुण्हा रणरणया 384 सम्भाव 781, Add.80*3 उत्तमकुलेसु जम्म 730 क्केण वि सरउ सरेण 217 238 664 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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