Book Title: Vajjalaggam
Author(s): Jayvallabh
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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नियगुणणे हखयंकर नियडकुडंगं पच्छन नियालएस मलिणा
निवसति जत्थ छेया
निहणंति धणं
नीरसकरीरखर
नीसससि रुयसि नीससिउक्कंपिय
नेच्छइ सग्गग्गमणं
नेच्छसि परावयारं
पउरजुवाणो गामो
पक्खाणिलेण पहुणो
पक्खुक्खेवं नहसूइ पञ्झरणं रोमंचो
पडिवज्जति न सुयणा पडिवचं जेण समं
पडिव दिणयर
पढमं चिय जे
पढमं चिय मह पढमारंभमणहरं पत्ते पिथपाहुण पम्मुह सुप्तं अट्ठी पर्याय को सगुणड्ढे
पयडियपयावगुण परवरगमणाल सिणी
परपत्थणापव
परपुरपवेसविन्नाण
परलोयगाणं पिहु परविवरललक्खे
परसुच्छेयपहरण
परिधूसरा वि सहयार परिमुसइ करयलेण वि परिहासवासछोडण
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778
472
41
476
177
235
Add. 559*1
777
271
580
734
Add. 226*3 | पामरव हुयाइ
406
169
46
76
66
719
INDEX
Add. 496*14 Add. 349*1
पल्लवियं करयल
पल्लिपएसे पज्जूस
पसरह जेण तमोहो पाइयकष्वम्मि रसो
पाइयकब्वस्स नमो पाइयकलावे
458
790
708
Add. 64 5 Add 4621
133 Add. 438
पायवडिओ न गणिओ
पाविज्जइ जत्थ सुईं
पासपरिसंठिलो वि हु पियकेलिसंग मोसारिएण
पिहुलं मसिभायणयं
पुकारएण विज्जय
पुकारयं परंज
पुच्छिज्जेता निय
पुणरुत्तपसारियदीह
पुरिसविसेसेण सइ पुगिसे सच्चसमिद्धे
पुव्वेण सणं पच्छेण
474
475
348
पेम्मं भणाइपरमत्थ
3.9
फणसेण समं महि
156
फरुसं न भणसि
40
114
फलसंपत्तीइ समो बद्धो सि तुमं पीओ
765
बहले तमंधयारे रमिय Add. 4968
692 | बहुले तमंधयारे विज्जुजोएणAdd. 72*8 57 बहुकूडकवडभरियाण
280
729 बहुकूडकवडभरिया माया
669
Add, 252*4
पेक्खह महाणुचोज्जं
पेम्मस्स विरोहिय
L
631 | बहुगंधलुद्ध महुयर
1582 बहुतरुवराण मज्झे 607 बहुसो वि कहिज्जत
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Add. 214*4
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