Book Title: Vajjalaggam
Author(s): Jayvallabh
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 682
________________ INDBX 617 102 || 167 36 72 44 तुह संगमदोहलिणीइ 423 | दाडिमफलं व पेम्म 334 तुह सुरयपवरतरु Add. 389*2 | दाणं न देइ न करे। 332 तुंगो चिय होइ मणो दाणं न देंति बहुलं 547 तुंगो थिरो विसालो 361 दारिद्दय तुज्झ गुणा 138 ते गिरिसिहरा ते 221 दारिदय तुज्झ नमो 139 ते धमा कढिणुतुंग 447 दाहिणकरेण खग्गं ते धना गरुयणियंब 446 दिट्ठा हरति दुक्ख ते धना ताण नमो ते कुसला दिट्ठीतुलाइ भुवणं 277 Add. 2845 दिट्ठी दिठिप्पसरो 391 ते धना ताण नमो ते गरुया 101 | दिठे वि हु होइ सुहं 78 ते घसा ताण नमो ते श्चिय 448 | दिटठो सि जेहि पंथिय 443 ते धना समयगइंद 449 दिढलोहसंकलाणं तोलिजति न केण वि Add. 551*1 दिनं गेण्डा अप्पेइ Add. 412*6 थणकणयकलस . Add. 312*3 | दिन थणाण अग्धं .. 211 थणजुयलं तीइ 311 | दिना पुणो वि दिज्जउ Add. 284*7 थणहारं तीइ समुन्नयं Add. 3129 | दीणं अब्भुद्धरि थद्धो वंकग्गीवो दीसंति जोयसिद्धा 141 थरथरइ धरा खुम्भंति 109 दीहरखडियाहत्थो 497 थरथरथरेइ हिययं 136 दीहं लण्हं बहुसुत्त 788 थोरगरुयाइ सुंदर 539 दीहुण्हपउरणीसास 223 थोरंसुसलिलसित्तो 386 दुक्खं कीरइ कव्वं दइयादसणतिण्हालयस्स 445 दुक्खेहि वि तुह विरहे Add. 438*2 ठूण किंसुया साहा 741 दुग्गयघरम्मि घरिणी 457 ठूण तरुणसुरयं 319 | दूइ तुम चिय कुसला . 413 ठूण रयणिमझे 322 दूइ समागमसेउल्ल 418 दरणेहणालपरिसंठियस्स 359 दूठिया न दूरे 77 दढणेहणालपसरिय Add. 349*5 दूरयरदेसपरिसंठियस्स...महंतस्स 786 दढरोसकलुसियस्स वि 35 दूरयरदेसपरिसंठियस्स...वहंतस्स दरहसियकडक्ख 552 Add. 80*2 दंतच्छोई तडवियडमोडणं 186 दूरं गए वि कयविप्पिए 340 दंतणहक्खयमहियं 323 दे पितं पि Add. 226*1 दंतुल्लिहण सवंग Add. 199*2 देमि न कस्स वि जंपइ 535 दंते तिणाइ कंठे Add. 364*1 / देवाण बंभणाण य 477 50 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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