Book Title: Vajjalaggam
Author(s): Jayvallabh
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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INDEX
615
665
4.
hE
g.
738
जस्स न गेण्हंति गुणा 698 | जा नीलजलहरोदार
651 जह कणय तह पडिमाण 771 जायासुयविरह
194 जह जह न चढह चावो 210 जारट्ठविणिम्मिय Add. 496*6 जह जहन समप्पड़
113 जारमसाणसमुभव Add. 496-7 जह नह वड्दति थणा तह तह 208 जाव न वियसह सरसा 242 जह जह वड्दति थणा वियसह 209 जीयं जलविंदुसमं जह जह वड्ढेइ ससी 265 | जूरिजइ किं न जए
769 जह जह वाएइ विही Add. 119*3 जूहाओ वणगहणं
198 जह पढमदिणे तह
279 जे के वि रसा Add.412*1 जह पढमे तह दीसह 793.| जे जे गुणिणो जे जे
140 जह पलहिगुणा परछिद्द 710 जेण विणा न वलिज्जा 557 जं चिय विहिणा लिहियं 674 जेण सम संबंधो Add. 496*1 जं जस्स मम्मभेयं
81 | जे भग्गा विहवसमीरणेण 142 जं जं डाल लंबई
124 जेहिं चिय उन्भविया जं जाणइ भणइ जणो
689 जेहिं नीओ वढि जं जाणइ भणउ जणो Add. 90*11| जेहिं सोहग्गणिही जंजि खमेइ समत्थो
87
389, Add. 389-1 जं जीहाइ विलग्गं 225 जोइक्खो गिलइ तम
776 जंतिय गुलं विमग्गसि
533 जोइसिय कीस चुक्कसि 500 जं तुह कज्ज भण तं
415 जोइसिय मा विलंबसु जं दिज्जइ पहरपरग्वसेहि 162 जो जंपिऊण जाणह
272 जं नयणेहि न दीसह
| जो जं करेइ पावइ सो त जं पक्खालियसारं
791 | जो धम्मिओ न पावइ. 522 जं सेवयाण दुक्खं
151| झणझणइ कणयडोरो जा इच्छा कावि मणो 628 झिज्जइ झीणम्मि सया
75 जाइविसुद्धाण नमो 201 झिज्जउ हिययं फुटुंतु
450 जाई रूवं विज्जा 144 झीणविहवो वि सुयणो
94 जाएण तेण धवलीको 760 | ठड्ढा खलो व सुयणो जाए माणप्पसरे
345 ठाणच्चुयाण सुंदरि Add. 312*5 जाओ पियं पियं पड़
563 || ठाणयरेहिं एहिं Add. 312*11 जामो सि कीस पंथे
733 ठाणं गुणेहि लम्भइ...हारो वि जाणिज्जइ न उ पियमप्पियं 655
Add.90*14 जा न चलइ ता अमयं Add. 349-7 ( ठाणं गुणेहि लग्न...हारो वि नेय 690
498
125
480
327
301
गुण
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