Book Title: Vajjalaggam
Author(s): Jayvallabh
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 687
________________ 213 249 622 VAJJĀLAGGAM वरिसिहिसि तुम 157 । विविहविहंगमणिवहेण 721 बवसायफलं विहवो 116 विसहरविसम्गिसंसग्ग। 387 वस पहिय अंगण रिचय 495 विहडउ मंडलिवंधो 601 वसिऊण मजा हियए 368 विडंति सुया विहांति 672 वसिऊण सग्गलोए 253 विहवक्खए वि दाणं Add. 119*1 वंकभणियाइ कत्तो Add. 284*3 विहवक्खए वि सुयणो Add. 48*5 वंक ताण न कीर Add. 284*3 | विहिणा जं चिय लिहियं 129 वंकेहि पिओ सरलेहि 298 | विहिविहियं चिय लब्भह 132 पाणियय हस्थिदंता विझेण विणा वि गया 188 वाससएण वि बद्धा Add. 16*2 वेलामहलकल्लोल 749 वालारत्ते पावालियाण Add.373 1 | वेल्लहलालाव 421 घासारते धाउधुएण Add. 445*3 वेसाण कवडसय 571 विउलं फलयं थोरा 502 वोसट्टबहलपरिमल विउलं वि जलं जल Add. 263*4| सउणो नेहसउण्णो 775 विज्ज तुहागमण रिचय 517 सकुलकलंकं नियत Add. 471*2 विज्ज न एसो जरओ 511 सक्कयमसक्कयं पि हु विज्जय अखं वारं 518 सगुणाण निग्गुणाण य विज्जुभुयंगमसहियं Add. 652*1 | सच्च अणंग कोयंड 397 वियडं सो परिसकउ 171 सच्चं चिय चवह जणो वियहा वि जंतवाया 534 | सच्चं चेय भुयंगी 598 वियलइ धणं न माणं 164 | सच्चं चेव पलासो Add. 641*3 वियलियतेएण वि 773 सच्चं जरए कुसलो 512 विलियदलं पि 250 सच्चं पलास जं 743 विलियमएण गय 190 | सच्चुच्चरणा पडियन Add. 48*4 वियसंतसरस 243 सच्छंदं बोलिज्जइ .. 148 वियसंतु नाम 229 सच्छंदिया सरूवा वियसियमुहाइ 530 सजणसलाहणिज्जे 705 विहमिगजलणजाला Add. 389*3 सट्ठीइ होइ सुहवा 478 विरहपलित्तो रे घरगइंद . सस्थत्थे पडियस्स वि 121 विरहेण मंदरेण व 381 सहपलोटें दोसेहि 24 विवरीए रइविं 501 सहालयं सरूवं 535 विवरीयरया लच्छी 611 सहावसहभीरू 23 विविहकइघिरइयाणं 3 | सम्भावबाहिरहिं 276 70 604 12 . 197 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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