Book Title: Vajjalaggam
Author(s): Jayvallabh
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 685
________________ 620 VAJJALAGGAM 307 96 बंधवमरणे वि हहा 459 । मग्गं चिय मलहतो बालय नाहं दूई Add. 438*3 मग्गंती मूलियमूलियाइ 553 बालं जराविलंगि 519 मज्झण्हपत्थियम्स 440 बाला असमत्तरया Add. 328*5 मडहं मालइकलिय 230 बालाकवोललावण्ण Add. 18*5 मडहुल्लियाइ किं तुह 231 बाला लावण्णणिही Add. 3186 मयणाणलसंधुक्खिय 385 बुद्धी सच्चं मित्तं Add. 90*12 मरुमरुमार त्ति 320 बेण्णि वि महणारंभे 131 मसि मलिऊण न याणसि 508. बेणि वि रणुप्पन्ना 203 मह एसि कीस पंथिय 491 बेण्णि वि डंति गईमो महणन्मि ससी महणम्मि 32 बे पुरिसा धरइ धरा 45 महिला जत्थ पहाणा Add. 50*2 बे मग्गा भुवणयले 95 | महुरारज्जे वि हरी 603 बे वि सपक्खा तह 260 मंदारयं विवजह 529 भग्गं न जाइ घडिउ Add. 349*8 मा इदिदिर तुंगसु 245 भग्ग पुणो घडिजइ Add. 349*9 | मा उण्हं पियसु जलं 441 भग्गे वि बले वलिए 163 मा जाणसि वीसरियं Add.72* भग्गो गिम्हप्पसरो 646 | मा जागह जह तुंग 202 भणिओ वि जहन 506 मा जाणह मह सुहयं 576 भद्दमुहमंडणं 542 मा झिजसु अणुदियह 113 भई कलंगणाणं Add.:471*1 माणविहूण रुंदीह 789 भमर भमंतेण तए 1255 माणससररहियाणं 263 भमरो भमरो त्ति गुणो 247 माणससरोरुहाण Add. 263*2 भमिओ चिर असेसी 541 माणं अवलंबती 357 भमिओ सि भमसि 772 माण हु तम्मि किज्जा 363 भयवं हुयास Add. 4964 | माणिणि मुएस माणं 356 भुंजइ भुंजियसेसं 455 मा दोसं चिय गेहद भुंजंति कसणडसणा 159 मा पत्तियं पि दिज्जसु 488 भूमीगयं न चत्ता 723 मा पुत्ति कुणसु माण 358 भूमीगुणेण वडपायवस्स . 735 | मा पुत्ति वंकवंक 282 भूमीसयणं जरचीर 152 मा रज सुहंजणए 641 भूसणपसाहणाडंबरेहि 554 मा रुवसु ओणयमुही महरा मयंककिरणा 395 मा रुवसु पुत्ति 546 मउलंतस्स य मुक्का 739 | मालइ पुणो वि मालइ 748 473 219 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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