Book Title: Vajjalaggam
Author(s): Jayvallabh
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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610
अत्थमिए सूरे अनन्नरायर सियं
अलग्ग कयपत्त अन्ना मेहलया
अन्नं तं सयदलियं
अनं धरंति हियए अन्नं न रुच्च च्चिय
अन्नं लडइन्तणयं
असते वि पिए
भन्ने वि गामराया
अनेहिं पि न पत्ता अनो को वि सहायो
अप्प हियं कायन्वं
अप्पं परं न याणसि
अप्पानं अमुयंता अबुहा बुहाण मज्झे
अमर्थ पाइयकव्वं
अमया मभो व्व
अमरतरुकुमुममंजरि
VAJJĀLAGGAM
722 | अलिया कल व्व अलियालावे वियसंत
567
707
Add. 318*2
Add. 349*4
अनोमणेह णिज्झर
अपच्छंद पहाविर
453
अध्पणकज्जेण वि
288
अपथियं न लग्भद्द Add. 161*1
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274
521
315
555
287
226
390 |
Add. 328*1
अमुणियगुणो न जुप्पइ अमुणियजम्मुप्पत्ती अमुनियपयसंचारा अमुणिय पियमरणाए अमुहा खलो ग्व कुडिला अम्हाण तिंकुर भोयणाण अलिएण व सच्चेण व
अलियपयंपिरि
अलियं जंपेइ जणो
83
712
91
30
2
|
अवधूय अलक्क्षण
अवमाणिओ व्य संमाणिओ
अवरेण तव सूरो
अवहरइ जं न विहियं
अवहिदिहागमा
अन्वो जाणामि भई अन्तण
अब्वे जाणामि अहं तुम्ह
अन्वो जाणामि अहं पेम्मं Add.3496
अच्वो तहिं तहिं चिय अग्वो धावसु तुरियं
अन्धो न हुंति थणया असई असमत्तरया असणं विप्पिय रे
असईहि सई भणिया
असमत्थमंततंताण असरिसचित्ते दियरे
अह तोडइ नियकंध
अह भुंजइ सह पिय
अह मरइ धुरालग्गो
309
256
183
Add. 578 * 1 | अहिणवगज्जियस
Add. 318
711
65/
165
642
673
378
336
558
58
465
181
99
180
अहवा तुज्झ न दोसो Add. 421*1
अहवा मरंति गुरुवसण
अह सुप्पइ पियमालिंगिऊण
अंगारयं न याणइ
350- | अंतोकढंत मयणग्गि 72 आढत्ता सप्पुरिसेहि
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344
490
310
Add. 496* 2
489
481
652 | अहिणवघणउच्छलिया 460 अहिणवपेम्मसमागम
302 | अहिणि ब्व कुडिलगमणा 216 | अहियाइमाणिणो
629
97
98
Add.445*2
259
621
560
462
507
Add. 318-3
117
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