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उत्तराध्ये
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शादिकर्म
12 95 एक बोरसे से
नगरमा कोसीसा।
कारे बावदेनमा दिसा लागे एक पगमादिशल्पो वैक दिलासादोरे मसकको वीजीनी में दोरजालीत लेगसा दरिखो तेन मूक्या। एहवेते- दो र विदा विलाप करती तो गतप्राणा की रकम बैते जो कें लोगो को मरीननदनिगियो । महान्मयोस्व मोनोकतोकीथको हाथ की जनोगव्यो। जीव संसार वि ताना की कर्म योनी गदै इमजाली ज्ञानरुने सासन र दुइति चोरटात ती जीगाथाये पहिलैरनुरिहिएमा विज्ञ० उ०२६ तमोदते कर्मति दिया काजे सगलेस हो दराने सने ६०० सिंध नमकथा | किए कि ग्राम नें वि एक चोर जाव देव्यले गये। एका ते ते दिज चोरसत्ता नगरना जो कसा थे मात्र जोरान देखी जोक परस्परे कहता लागा । एवै ना मात्रे चोर कि मनीको कुनै ते चोर एबी लोकानी दातमानी ॥ ९८३च्न सिकरी तेरे लीकम सामोजोय दवे कोटवाल चित्तव्यौ बोर बैत्याने कमी ने माइतिदोरनी वणिककथ कोइएकन गरिएक वाली योदाममै किन टिकीकरी आपली आजीक कुरेल
(२५)
स्त्री घाले देवानादी तिरादपि के व् एक कलाई घी बिकोले झामना जननायो तो तिल भूम की लेद नैवं चीमन मेदाम् वो ही स्त्री में घरे तो कल्पना गोतरकर मोजा ऐलान करे उसका इ छेवर करजे मुकने घेरमदानी बानी हटे। तेस्त्री ये छेद की साकरता वि चाले तो कराने घेवर प्राप्पा तिवारइस्त्रानेबाननी केला एक ते भारतारतो नाग की राष्यसि । एवेन्त्रक समा तमार्गचीनी कुलतो साथ जी म रा लागोती दारख कनोजु दाइसा मिला जिगारेकरी सासने कामकरीजादा लागो । तिवा ने सासू क हैं हो पारी करता जा होन तारनो भाग दर
वाइने दादी का जीना दुरुसाथ मे गओ दिवदुली के घेरी मृदा घरे जमाव जिदारे स्त्री सानी माते भोजन व सस्मोल्ल कने घाव सारे मनम जा एपोस्त्री चडर दोघे वर वरुससी इमरिवार धामी तदा बोल्यो न्याज में छेदर करा आते कि म रुस तान थी। ति सा नजी स्त्रीये कालो जी मै घेरी ताते खेत जा तोबो कुरा बाधा के जामें बादा की कुमारोजा गयो हतोते सा जाता कानकज वा घरे मिजात्रायातेरनी सोचाइ हो र करावी तेजी मीदिनुडागमा आज बीती सात्तासी तेसाली सेवा मनमा विषादव नोरी समे प्रथांनी कजी गामन्ा दिजइ एककाड देवै उत्तो रदी
क० कर्मसमु की ते ते वाजिनतेचा कर्मनाक द्वार नइ ततसार इ. कर्मवचीलेवामा वै कर्मवानोकान (नदी) निलेन्सरडा. कम्मरसतेत सनवे इकालेन बंधवा बंधसंवदिति ४