Book Title: Uttaradhyayana Sutra
Author(s): Sudharmaswami,
Publisher: ZZZ Unknown
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रामनेश्०२
सतर
ज० जिदान न बीज० च० व्या श्री] ३० रेदनान थी ले० स्थानक 5० के०के गोतम तरीके केसी गो० योतम् एस लकलकर्मी ० केयुक १०दोलतान ०बोलतातूब ितिमलता उमाशातली नृत २३२४कचन शिराच् वा दिदि दातव्हा ८ गणेसइति केलुते । केसी गाय ममहूत् । ततो के हितं (गोठा मोइएमीलिए त मानसी मि० सिह किं० सिट खेळ्यात सि० सर्व जे०९ स्थान के चि० नं० से ता० स्थान सा०सा लो० लोकनाथन २ बजे०जेस्थानकन इम्याक्ष नाग ० मताद तिरुवन ० सोचनी हार लो० लोक न वदत स्वनाधिकार जान०मा ऋषि८५ स्वतोदान्नास अशरा बादति। सिद्धांतोय रमेत्य खेमं सिदमेगाबाद। वरेतिमदेसिला सास दाम । लोअर मि दुरासदं । सपताल सोमं तिनको तेना त सानी गो० गोतम १०० सं० संदेश नं० नमस्कार से नुम् स० सर्वसूचना १० मोटा समुद्र निनाक पदार श्री स्वामीक दै उकल करेमुनी ४। श्रज्ञातेोरी २० को नइस० सं देहरहित सर्वसूचना एरगामीगोतम २० लीवर इ. मैदे हटाने के के साधे
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संधुयति सीसंतु । नयत् के सिंगोराम तिमि ॥ ॥ इतिश्री केसीगोटा मझम एतेवीसम उत्तराम सम्म ॥ ३॥ या वनमा (साच सुमतितितिन | २०० प्रति ति० तिनमुति वा० कही ।
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