Book Title: Uttaradhyayana Sutra
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 194
________________ ० व्यार के चली सर्वेषीया कम्पना नव्वेज के बेदना झाल्या ना०नाम ततदार संस ग्लाडले कुल रु एकदा स०सर्व नोकर बदना दिनागते व की | उपाजू मुकाइ "सीतली बाई गरबती सम्प बलि चारि के दलिकमं से रखवेतिगतं बाद बेटा लिड चानयं नाम गोयं । ततोक्छा सिरांति बुझेति मुजूति । परिनिधाति सहकाल छतरे ४१० सिट कपीमुनी मर्यादीतती देत६ १०सार दिनमाथी नवगठि५० स०६मीनाधीन युग एनानावर जीवस्यानोहर जोड़ी दिककरी માવજીની મૂળનની કન્યુનષ્કલંક નિવાલની નથી ઋગતષ વસાવાત વિકાર તેની અવાટ્ન છે अस्ती सन्देस दिने निर्मल सरपडदाएते जीवे कि जयति पडिमा एएं। लाइदियो जणयति सा ते रागड लिगे। षणी स०सी० स०सर्वपापा नूतजीनस इदिती बिदेसी डान अव्यय इति बणावे जेहन थोडा विदिस्तीति न समति यदिकी सक्स दि दासमति सेसनेते करते दोन ते तीन स उगते थोडी पतिले लाक न०:०२ दिसम्म सत्तसमितिसम्ले । सदा जीव ससदी सस निरूप्य डिसेदे निईदिल दिलतद्ममितिसमा गयेसा दिन कार्यादिकनीक रवेकरी० जी० जीतू च्या चाबी दिनी याद करते करिती करना मात्र ३ सज्ञानादिसर्व पुरासन्महतले करी ने देश ज्यु जी०जीवि किं० किं स्युज० जीवन कि किंस्युज कर्ज मशिष्य मलरक दतियावनं तेजी दे किंज एमति ३ मा वलति छथरनामगोतं कामं नियति ४३ सयुसंयमानं ते जीवा किन यति जली रवीन कम बाइ सदगुण संवाए थका दिन रु ० वर दतकरी ने पुत्र दिकन कदैन स्नेहरुले न ० ग्यानादिसर्व एस ० संसारमादिजन्मन्त्रादिदौ समारमादिवती एच्चा सरिरमानसी 5 योगदान बकरी जे देह ज्यू जी०जी तकरी जनकूर्ज‍ ०पाम्बुजीत ० म्युजनपुराज शिष्पम अरातियतिरावत्ति पत्र एलजी देसारीरमा एमालपुरका नीनामी नदति ४४ चीत्तरा गया एवं तेजी जो धन छेद मानीस मोक्षस सफ० फर्स० देवद २०रसस्वादमकरादिकरू०९ वि० इ दान भूला शियति एहा एफनं ४ पालिस दोजिंदर /मसफरिस रस व मीसएसचे विरजति ७० ० माइकरी ५० रिहानइ | ५० निजेनिएल एक रिने० दे ज्यनी० जी० कि० निलजी इ० परिवहर ० दिव જીતનીય મુદ્દ स्पु०राज‍ कि गुरुउतरतान जीत विहिंडण्यात चीतराग याए ० भ्याइकरी][सं०] दुसज्य जी० जी० किम् ज० उपार्ज इसिप्पा उतरक करद्र ४५ ६ खेतिएणं यरिमदेवि मुझिएन जीव किंडा एस ति मुझिएां किं नूगंड एथति किन्टोय ॥ खेती एनं तेजीने किंडणाति च्प्र० इन्यना जोली दोरादि अडान निलाष ७६९२रत असलेकरी नंज्जी० जीव किं० किम् अन्सएल का काला करी जा० प्राय नुसते एक इन० नाथा देवीनो दिन दानेनाव जराज शिष्य इमथ के दशक कई इकरी सई नुसएफई लोलाएं रिसाएं जाने उत्तर ४ि॥ अवमाएां नेते जीवे किंडलय तिरमा एवं कामयनान्ययंता मुजुमदा करुन

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