Book Title: Uttaradhyayana Sutra
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 233
________________ असराखे ng [स०सबचन २०५३ लिनि०निर्मल०सी०ज०जन लो०राजलोकन नार म०मदनकु जोनयनको जनन। २० तेएक कोसना जो० जे०तिहासि६सिला कोसरलो नागनिम एकी सरबी जव सिसकी इडवि० कदी तिर्थक२६२ संदक कुंदकामा विदुरा निम्मलासना । सीता एडोम ऐतत्तो । जो गतोन रियादिय ६ सोम एस्मत कोसोवरमेतरे । तस्स को सस्सू शिव सि० सिहानी गाना तता मोक्षसि तो लोकनाथसंसारमा सिमोन उचारिनोउचलले जमनुष्यो तमाम मोटापर्वतप्रति किन दिइन नदना शिस्तारथी पुकारा गतिगत ६४००० मनुन झाए सिठाणो महणावे ६३ तब सि क्षमादानागा लोस मितिहित) नवपंचासिद्धिदर गतिगता। ६धान से दोडास जो दोशन मि ० बेहलान तितो गलीया इतमनु बनवनी देते किल्लीबाट यतेागानो बली कुमुद्वधइतिवार के हाथमा तीजका चमेदिषइ सि० सिमी गाना ः ६५ जघन्य साता एक रूमालात बननी श्रीमदेव तस् जोगने र चरमिमितिज्ञानागढ़ी पातलोटस सिक्षा योगादरण नवे '६५॥ ५०५०० व्य श्री इ बनदेक्तर्नी सियो ५०० महती गाता रहे तथा इकार ए० एककोइ एक सि६) अ० बेहडारण समस्त श्री लोइये तो जे कोवलन | ६६ अन्ते सिसबीले प्रति शराना० केवलग्यात केव अन्नुभवी जनादेशधन तेजस न्यायाल | सायादिसहित एगज्ञेण्यसादिसाच्यज दसिया दिदा (कुरुते (माती अनादिकालना ब थी डाव सियादिया । ६६ प्रक्षिणी जीणां । नौहट्स ऐस शिया उलेस ३०३ मा जे चीनन ६७ | लो०१४राज लोकना ए०एकदेव किनान केला. केद्रसद स०संसारनो परवान्यानि सिमीती मे० दिवस संसारी जीवनो | छन् "करी न ० संसारी जीजी नाए दस एसन्नियां 55 संसारपार निचिन्ना। संदिदाईगया। हा संसारला उजे जीवा ६00 छूटी कामना ० विजय वनस्पती ३०० श्रावनाजी ते तेनात्तेत्स सम् ति०० प्रकार सुजनक तथा जी छो० कला नई जेनर संपलाउनुमा जस्सनली ६७ लोगे गदेसे तेसह प्रकारे तेजी दि० तत्रसन्नथा० थात् चानथावर जीवति अकारतेस छाव मादि रजीतू प्रातिर्थ कर इ कायना अच्छी जाएवा जा 8229 5 दिहातिदिया दिया तसा यथारा देव या तातिदिदांत हि । ६ पुढ दिन दादोदेति चेतेधातिविद तिमिस तेस लेह मे ७०० वि प्रकाश्या०० | ० पान इवार यानी १०० प्रकारे । ७२ । २०० दादर जे०० पर्या | 50ी प्रकार दिन्कवी सर्वा हाली मुखी स्व० के विक འབེངས་འs༠མི1t༠།༠༩ ༢༠ཡའནཱཡ ७ विदा बुट विजीमन समादाय रात सो नमेते ढा दिया ७२ दादराजेन पडता दाते दिया दिया। सदा दा सदा जीसस ॐ ली श्री बानी पाटी स० मुरडादि उषा नाटका ४ सि० मोदीबाबा लोटतात स०सपोर२मो० सोनो २२० इत्यादिपीका. जू दारा १४ रानी सिलाए जो समुद्रादिकनोलू रु०सी०सीस‍ तकारवि० जाए वि का २० जुनी मुबी सनुस बल दोहा सदास दिहात दि। ७२ वुढ दियसकरा बालुगा नटले सिलास दो से । ततस तसीस गुरपेटा वहिरे या ७१) दिल्ल वीबंद एसब६ताकिनीती का कही न कर किं० कालीनि० नाजीर राती वाली छत्री०तिम एक लारकी जैस चल कुइ माटी मी वरोर्थकिएपनि लाय रुदरं हा लिहा मलावद। Qम महीया 5555 खासी सतीविद ७३ सिरनीद पात बच चली

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