Book Title: Uttaradhyayana Sutra
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 244
________________ कथा माननालु० कला ते सत छ याप्रकार क वि०कांगे० येतेय का देवता एफ० | देवेाक नादे बनाएनन २१२ दिन्देउलाधिकमादे २००तो लाइनमा देख०मध्य | रेल लाइन 3०१० | १० मध्यम चिकनो ६० हेउलो येतयन् । देवता नादेव तदनादेनाति १२ दिया दिया। वेडा एत्तरावेदगे दिन विदाउदा हिडिमा दिद्विमादेवा देवमामझमातदादिमा मारे मझमादिमातदा। २ मध्यला शिकनोमीला विनोद जनवरला विनोद देव उनवर लात्रि कूनो म० ची येक उन्न२ मात्रक तो उन परलेोदेयक २०६ए अकरिगेनो अति गरम देवता चला के मानदेव नानवेकानदेवता तिज ॥ मझिमावशमाचेत्। हिमा श्रीमातदादाचेवममितिमा तदा । रिमोद रिमदा 25 तिने दिगरसुरा । ॥ वि०विजानामाऽनुतर विमा १] स० मा सि६ विमान (२० रु व प्रकारे उत्तरवि । इ० झोप्रकारे दि० दिया। ले०खले प्रका२००९ मा १६ के०जनदेशतलो कला ए एकद ननादे जजतना ज विजमाम रे जयंतोटा) जर्मतान्। जिता १५ सङ्घ सिगारे पंचदाफ रासुरगड इतिदेमालिखाए बिगहा एव मादनार६ / लोगस्स एदि संमिते सबसगजादेवता एकट्या वजी हिंयै काका ने तेदेवतानो कन्दपु. ७ १० सं० तेचताऽश्रीच्यनादि • सदा दूर इस्तेन जी हिस्थित ) जोदते स० धितपुरीथाय तेऽश्रीतम रु અહિથી सझेरिकितिदा । ईशोकाल दिला गंड) ते सिबुद्धाच्न दिदा रखा संततिया इसा) अपडार सिदया दिया। हितिय मुजू साईला सर सिमा दिया र सा०का मेरो सा०साग उत्कष्टी हिल स्थित सोननवतिलेादि । दे०खित दस स० हजार ( २० कल्पोपट लो की उ०त्कली वि० स्थित त०] व अंतरनीज०जघन्य दन्दहरु जार रए० एक कमीज जघन्य चानी एक सागरमादि स्थित સાર્ધની सादिसंसागर एक्का नकोसेल हि तितके नामे डालजदाद सदा ससद् स्सिया।। २९७८ निदमे को से एडितिवंत राणं जद ए दस वास स्थित २२० | २०० पदम प्रे० एक. | ०३ एकला० ०/० २० यो मनोन्मन्त्रा | को० जोती नोज० जधमा २१| दे०३सागरोएमनी | ७० अकृष्टी स्थितन० | मो० सोमदेव लोटनेदि दसिया २२० लिउ म मेगेनु वासलरके एसा हिमालि नागो जोइसे सजद लिया शदी सागरोइन् माईडको से एहि तित्तरे सोदममिजद से ९० एक२०१५ | २२ (सा० का मेरा सागर दोन्ही | ७० उत्कृष्टी हि० स्थितन० | २०३शा न देवलोक | सा० का फेरावल्या | २१ | स०सात सागरोपम / उ० उत्कृष्ट समृत सन्सूनले एग सिग्मं २२ सादिया सागरादोषि जो सेडितितरे ईसामिजद ऐसोदियं निनरमं सज्ञेव सागरोदम उक्को सेल हे नवे सांड देवने ज० ज० दे० देसाग रोपसलुङ | २४| सा०जा मेवामा गरमात | उ० उत्कल दि० स्थित नऊ क०मादेइ देइनी ज ० ॥ सा०डली कूचे० ऐसागर | १२ | ३०दससागरनी उच्छक रोि भारेजदने ए दो शिवसागरोट मा २४ सा दिया सागरा ज्ञानको से एहि तिनवे मादिदमिजदले ऐसा दिया दो लिसांगरा दसरे सागराई उक्की से ००नदेवलोक नादेव | सातमा गरनस्थिर६ ० दासा गरनी उडी हिस्थित संश्लेतद्देवनी जज दिन्ट्स सागरी २० स०सतरा सागरनी १७ धूम हिरेनलो एजहले सतनसागरोदमा २६ वोट्स सागराईनको से हि निरे/लतगंष्ठिजनेणं दुसन सागरोद् मा २७ सत्तर ससागराई उ० लक्षी हि० स्थित म० देनीज० | चोद हा सागरी २०० कावा एसागरनी | उ उत्कष्टी हि० स्थित न० स० सद् श्रारदेवनी ज०३ सम्मतरा सागरनीस्थित २०० | जघन उसे एहिनि महा सके जदले चोट्स सागर दमाहारससा गराईएको सेद्वितिन३ । सदस्सारेजद लिए सतरससागरोद्मा | २४| मोत्ताग स्थित जघन्य र ન जघन्य तानिज जघन्य नकु स्थित यन्म 19 RoFas

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