Book Title: Uttaradhyayana Sutra
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 198
________________ किं०किंतु जब शर्ते मार्दा सर्जकर इक जेकम क्यान०मान की कर्म मग कम्मन का२००३ की पूर्व चाभ्यतेक भनि बकाद ॐ नन्नूवाद्र मायानजीक ० दुज्जीजी म० मानकरी विभाजकर्ज रकमको कुमेराधीनत्र २० 73 के बेनिरे ६ 32 कु०कर्म किडाएटोमिक समावेस लिडर कमान मायादिन नावयति माया दिया लिडक 5 न० एन०६० मामा कोलोननई ३ि०जीव व करीन ई० देशल्य | सोलोनम इदिल्ली से मंतोषजनकी जो लोन इजेकरिकर्मा ३० पढ्न गइ ३० कर्मनिबाजी जीतू सिंह सुजले इमक्रिष्मा विश्व कह र क०कूर्मनसेतो पडून नोकरी पुर्वे मनबंधई निडरे हुए किरणनते जीवेकिंड एयति।। जोन दिज एवं सती सीताय म्नविटा लिकमा एनई पातकर्म्म २० राग १३०० वि०मि व्यानर एविएशन इदि०जी एकरी न० दे० दे०रामदे ०६२ मि.मिष्पादन एव ना० मान १० दद्दीन ० ० ची करम किवई 38. किंतु ज०३ राजा का उत्तर क नविन इक आराधना करन६० आका ना ऊदोस मिला देस एरिए नाएट्स एदरिला राहाया झूठे मितिमायाको दिपा २०१ कारनीना जाना दली छबनिकरेति ७० पेडदोस मिठास विएलनं ते जीरे किंडलम ति क० कर्म माहिक निइता दीवान जे मोहनी की थी कर्मनी रात्रि मूकान इमोजिम पत्रकार मो० मोहुनी तिच्या विम कम्मरसम्म तिमिसाए तमसाए॥ डाहा एक छातीस तिदिदं (मोट् लिक कमाउ छायति पंचविद नाला ३२ लिऊ। ० नवप्रकारे दर्सनाली २०३१ करे०चंतराय ते एजिए कर्म० समकालिसाथइ। त०तिदाख तर दुन्नत जातक २० संज्ञान नि० आर ว ज्ञानक०स०र्यनुज्ञान आकार नवविदसणार विविदे कोत राठाए । तेतिनिधिकम्म सेड गरे खदेई । ततो खाए एक सिल | बुन्न निर ० सर्व क्षे लो० लो का जो कमी देशका मनुकेलदार (दवस समाजाला इस मननका ता० निहाल ३०६ रियादहिक०क सू० बकारी राजीव संयत लेक वजन ना० ज्ञान कारे ३० जाव मानिन्दाष‍ का रीन अि विदां जो गालोग नाग के बलवना दस समुपाति जान्यास जोगीन तितावरियादियां कमति सरिस माहिती ० विन्दा त ते कर्म तीज इनि० बाट ६ नं ० ते ३० जे नि०कर्मख मेागम इकाले समइकु दिजेता इतेतजु समानोगत १० रु कम्मर क कम्म श्री पातू याव्यात ते ०म० काज जोग तेरम समतितात तिस मनि ऐतदहं पुढं नदी रियं देदिय निजि सेवकाला कमंदरादिनतिर हाजिया तोम अ० बोबा जोक्कायानाच्या पाकमनका नारा र ०१७ काननो तीजोते ते झा० त०] माहिम० मनोव्यापर ३०२वन नोव्याएर निस पाकृतइति । निरुतायुक मालाडेरानुदारमथी उ ध्यातव रुध शवसेसान जोगनिरोदं करे माणे सऊ म किरियर डेक् ति सक्के झारा सायमाणो त ढता एम डोग निरुन्नति जो निति

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