Book Title: Uttaradhyayana Sutra
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 201
________________ ०२ प्रकार मासिककलाव कोजगन जातमा प्रय होना होके तिमि साझसे ऐस एम3344 दिया। माया १२ विकार ० दी जुवेकरता रहत नौ जेली कारादिकर्मादिक आखादा सुं० न० वि लसलस० एक विक्रामणादिकया सीजन फी इतेमाचीवासन दि गद लावै नदी मे दयगमन बी ahapancकाजेस इत्यादिकका खानी देना उसरा० कामाव६पति नवे ॥१२ १का प्रवासमा 5555रिकमा च्यादिया। नीहारिमलीदारी उदार वेदीव दो सी दोदरीत पुरुड इव 303 को दूरी स०संक्षेपइकलोते दीखेचीकाली जाना ३४ १० जो० जेतलुज • जे जीवन आ० त०तेलाच्या मादी जनघन सबीने वडलो दरीत क यथकी 19 आहारवीपऊ अ० ज० जे (25) ज्ञानश समासे दिया दिया। दधन विश कलिल नाव पडदे दिया जोड़ा तो जो करे द ० गोमन रिवइ लवनगर विधाता (१०ष्करी मुदत ३० जिस माटो गर तिकटदिन में जहने या वृत्ती सेगले नविन तिमराव जा०सोनारूपदिकसा दो जनो को कुशमंद दिव राजधानीनविष‍ मार्गलोक 151Gt सिचाई एवं द एनरेगा नगर हराया हा लिनि गमे यत्रा गरे । रकेडे कह दो मुद्दा हमें डरसेवा है।। १६ । आ० जिदाताएसना होम इति सतनामाने माने विसवेधी लोकले सो ए० रेतन अल-बब: म०सार्थक दूनासाथ मुन उतरवाना व दोन दिव५२० तीनो दिनमा बनास्थान राखनेविशे०जा०वरंगली सेन्पाने दिवा तेनैव बेसनमा लोड एक मिनीन की देख० पर से हित लेगा मेकाइतेने दिवई से कूट तर दाना वा स्थान के रिपेअर एले कार सन्लिने से समाराही मेयाथजिसे पारधारे सजे संवह कोहि रिसता सुवास धरने विव देविहारे ॥5॥ | ०एतज्जखे कन्कल्प कुरादिक एकर को ए०एका स्व देने की गोरी कर रही तो मात्र कर इम वाढती खेलती हा स्थानका कलर तालिकामन्दी लोटरी०ए० पेटी०मटीने एका रे गोरा करते गोमुशि से संबनाच्या एक वेटी जो ने ६ 16 ३५० उड वाएदमिलिये रखेन ॥ कृप्यतिन एवमादी कमी वर तुरक शधरं । चरी करे २० लीग० ए रुकरे श्री नड्डा जनवरीकर रखे उनाडामाहवेडगो मुसी संगती हिमचिव दिवस २०आरसीनु विलज० ए० एलईका २६० विनूरइते करत. निश्चइका० नीले०पोरसीनु तलुन०का काल कालनामानमु०जाएको २० अततीजी पोरसी ६० उष्टी गोषको समस्त परिसीला विमानको एरमात ७० को इए कुलैथ रु ६६०० आकार च० शेरसीने से ताली एएल इकाइका० का दिना दरीत देशम० न सदिला छानेको मेलगत थको प्रवर्त पोरसीलीवनाची रीत २०० रुप ब्यानर दिव २१ तिमा परिसी ईी कार घास मेसंत नागूला एवं कानूनी रिमोट || इएक वो रसो ३० २०६ की वृत्ति म० मन उत्तेकरे जिन जालो कुई में मनात एक जा०जैसा मेध्यादि हपतित करतात श्री सः॥ मोदरां ९० एकसी) १०३ मद० प्र अधीन यादिक व १५.

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