Book Title: Uttaradhyayana Sutra
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 212
________________ चित्रकार नामस् तेजाव 9 बी० जीव अ] सरना ००६ तो बकरीसामु तेती का मकरादिकमारसना २०६ोर बडू जीवस०डा २०२ ०एस रिकोज वादनथी जीएम 5 से०जीवस्वाद व करड नयी से०ते नास्तावि सेते जीव कुकर ६५० ९६ बजाव जीवन ६४ तं तदोसे वसते जंतू किंचित छाव शतीसोरतोस रक्षितालिसे मे उन्हाती क ०ख सर्वधनी स० वी टाड० ० नव्या पाश सेवा आडू । प्रकार असून ०६ कवर एक मु०जैसा ३० र आमा टुरसती या दिकस्तानी कार जीवन मोतिवाले नलियतीत मुलीमा सागा सारा गतेय जी दहिंमत विदितेरिता प्रज्ञा पी०जीवनवाड७] इ० या पात्रालार्थ र मनोज्ञरसास्वादन करी] ५० उ०तीकदिकर सास्वादकारी उर्जानइवइ मनोज्ञरना स्वा ० मोटोला लाइ ते वर जीवन इ पी डाउनरसनास्वादन करवानी चोरादिकधी दानविवनियोगे०तीयोदिस विनाश क ค मनोरन वेति वाले वाले है गुरु किलि॥६७ Issssss साबरील रिदे ऽनुष्यादा रक्कमेनिन विक "विद्या सं० मनोज्ञरमना स्वाद भोगादिना नोमन स्थान विकास स० प्राज्ञ ४२० शा ० यस्तो बनाई दो०दोष इकरी ते लो०डोनकरि ० बजेको काल असतोषरसनावरिग्रह मेलान विवर संतोष जीव रवी इयारका रसास्वाद्देषी ० लो वैसे तेजी तिथक जी हिंरुदसे । संभोगकाले से प्रतिज्ञलाते हु रसेन्त्र तितेय परियदसि [5] सो उसो नगरे तिहिं दो से दीपरस्सा तो नामले यदी के कार का पट २६० २० पटरसन लोकरीति० २०4टरसने वि० तो बीन० प्रा० माया सदन०पादनोवोज २० इतबारे जवाने न०तिहारिल पृथा टोली ऊरून चोरीमा के हारम‍ टम्सनुपरिक मेजवान दोरीकर की कुता बी | श्रीमं मधुकइसे रसनो तादिरका नी तेरी तो S सवाल संतोबीचक पाइ यमतीदते हुए तादा निनूत रसादिशारिणो रसन्प्रतिज्ञस्मयदेिखा” मासा मुसह तिलोत दोसा लेन)जी पोषावाल्या २०१३ सो ताक २इरसलोजी जीव २४० दिनु । मृदा सरनेम जर एलीवर इबटरमा दिक मनोज पट रस में ि एक त्याकर एबट रसने बाकि मोजमुदन किरको नेता सुनातेस० तथक काय दीड एवं दशालिसमा ईईतो 'रसेव्यतितो ऽदनत्र ऊईके काइ मनोज्ञ दरसनोति निल्नीज जैमनोज्ञबटर ए० लीटर ३२० नुमा रान किं० कलेस०] सनाच्या विज्ञान के०का बरसनाद gs ७२ लग्मुिख इसे 301 मोरसारि ७२० मनोज्ञ दरसना मोजेर कटेर सना क० हिाथ की ० स्वादानं कारक પણ કે શ્રોતુંક शिरसो । ७२॥ रसाएर तस्सनर एवं कोसद बोडक दाइ किंचित लोलोगे केलेसडरकं । निरस एकस्मत एण्डुरके 950 एमेदरसमि ग० ० अलोक ७० एम० कनीसरुनी । २०३१३ कुरी/चै०चित्रमुखी जे० जेार्मुस० तेजीतून २१०छली ०३ २० पटरसन्ना म० मनो स्वावैविधे। २०० पदे इकट्ठे ते ६० दी० द्वेषातू उरक कि दिपक परलो०रागर नासमुनी नव ११ 1लीकरी गतोयदो आधुतिको रातो विक्रिमा डोरमेदितो मनमो वली • क त

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