Book Title: Uttaradhyayana Sutra
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 191
________________ बइ अहम सूत्राशिवट इहारी च्या० प्रानुकर्मनी १०१ कृती | य० मादे तं भूल करी बेन्दी सि० सिथल ३० बंधन यो पद पहली बाधीत अकृती लेकर इदी० ०थोडी कालनी २० स्थिति इस० दीर्घकालनी हि0 यति अपेक्षाएं उगवान सतकमा गडी मूलमंद ए०करई |तिति स्म वल इजेक बनि | मं० मंद सवल इ०० च० प्रकृतीदाते रहाउस टिल ४० दे करेति दीद काल वित्तीयांतो रस्म काल डि कुकर्मनाला अथोडा पुलकर आप्राउयो कर्म स० क ०चितद० को इए सि०कते जिसको एका २५ का दित एसएस एक रेई । च्याउ मंच कम सियरं भूति सिम लोदयति ०असातानीक०क नोवारबारनंदाई | अनादिकादिर कतर ०दीर्घपेथ माग तिमी म सं० संसार के चावी तेव्हन सि० इन बिदू जेनरिश्ते दाउरेत एद्हाने वतिक्रममोपाई २२ साझा देख लिऊंचे कम्मनो को जुडो उद दिलात मला दीयतां दस दीहम रावतसंसारकाता। खियामे द्वितीयति । २० वर्मा कथाकद वै करी व्हेन गवत जी जी हिं० २० कथा कन्दुकी नि० निर्जरा कर्म सकरवानी दीपाव३१० सिद्धांतना ०६.००माजैिनदेन कल्याण इक• कर्म निव उपार्ज तिरपूज० राजे इमसि या थके गुरु करैव विश्पज १० सिद्धांतुनी अनाद ना कर सकतकरी जी०जीव धम्मरुदा एनंतेजी दे किंडलसति क्षमादा एए निकर एवम पहावेई २दा एनावए जो आग मिसस्मनहाए कम्म निबंध २३ सु० सिद्धातनी मानकर करीन इनं०देपूज्यजी० जीव किं० किं सु०सिद्धांत नीला सारा धनाकर श्री अ०ज्ञान० कलेसनो भोग लहर २४ ९९ एका प्रसन्नमंननी स्थाव | सुन्नुर्जइम शिष्या बका गुरु उझर कदैई · नतिलकरी नं० दे०ज्य सुयसच्या राहराना एवं च्ञ या ऐखदे ति । नमस के लिस्मति २४ एगयम एसलिटे नवनइ नव तिश्न | सुमसच्या राहणमा एए मैले जीवे किं इदति जीत् किं० किं जर्ज इमनिष्ट एकएकाम० न मननी संस्थापन जीत्योदय दितेनुस०७ने देयमकरीनं हेज्जी० जीव किं०र्विस्यु (सं०७ नदेसंयमकरीच्या उग्राथ काउत्तरक दैव इकमा५ | नि०निरोधकरइ २५० राजमशिष्य ग्रोथ का गुरुत्तरकर दिनाज जार्जर समा एणेन ते जीवे किंड एटा तिएनएम पास लिट्स एम एवं विज्ञ निरोदं करेति २५ संमेलनं तेजी विकिंड एम् ति से जमे एमएलड | २६ / तो० तोट्ररी नं० पी० जीव किं० सिंए तब देवी को जुम्मामा का २६ । तदे० तदेकुरी नं० देवज्जी० जीट् किं० त०नर ने देवरी तो पुढे जे माइमा दो० कर्मन इटा लवेकरी जी०हे जी किं० की वो कर्मन इटालवेकरी पावनीला कि यार ह जलपार्जष्ज Cocoons उत्तरा तीन एकरेति । ति एक तारा मंदा नावानं वगरे लयति १६ तवेन तेजी किंडारामतितरेला दो सारगंज एमति 12919% बोलाएन जीने किंक एमति दोमोच्च किरिवाज राम ति अ० शमी क्रियारत | त० निदार सि० सर्वऽर्थनी बु० लोकलो (पु० संसार १० कुरुपदादानल ससर्व रो० २८० विषय नई इक नं० पी० जीतू सिं एछ इन १६ जावई कैनास्वरुप श्रीकाजवे करीतली ठकर 5 हिंस्यु जन्ध वर्ज६ महिष्य पुथाउत्तर क नूतथा अकिरिया एन दिश। ततो र सिशंति बुझेति मुछति। वरिनिज्ञाति: सहसाया एनते जीरे सिंड एस ति सरकारेति

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