Book Title: Uttaradhyayana Sutra
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 143
________________ | क० किंमश्री०सीर्यकं० कुवधन्मतनीय मन्दछ। ९०९नर्तेस्वरादिकरा जाएईमाई किमो रुदा नाजे तपाइक इ३० दिदर माविचीजामती जिनमे करावक मनोहरथा ५२ एतो दिसे समादाय सूद पर तेजीत्येतमिरूपी सक्षत्रीराज बिकइनईसा उमलतानीवास समर्थ चमि०मा० साली एबाली निया एस्मा 'सज्ञामें नासियावई क० मी० [अ०क्रीमा पोताना च्यात्मामई तामनकर इस० [जेन्द्र श्री० का छोडनु सि० सिधाई बांदी बना देते एक परेड नोच्या वास किमकरपणाच्मात्मा नी०कर्मणीरजनदतथश्न | पावतानामात्मा कुन सनकर इस• सर्वसंग श्री जे ते क च्तरिकतरतेगे। तरिस्संतिकदीरो देऊहिं। आसाणंदर माइसेससंग दिल मुझे। सिछे तव नीरएलिवे हे जंतू जिमम इश्री महाबीर देवस मी मइसानलो कुलो निमशक तैरुबइ फीनामाननगर | का० मोटो दाव व्यतेसहित रा०ते नगर शिब मिमृगानामईत ते बनत स्वमतश्री नथी इतीश्री सामानगर मोसम मोरम नबिल इ२० रमली उद्यान तेरी सोनगरसो रा०राजा राजनिमय मृगान जितब 5 हीराणी मि छ ।॥ इतिश्री सेज इस या गरसमसम ॥ १८ ॥ ७ ॥ सीवेनसरे रमेका एमालसो दिए|रायास दलन मिमियात समा १०० पुत्र ममृगानं मातदिदितानईद० ज०जवर जाद० गृहस्त यतीना नेण्यानंद का लई सो०ले की०की का करेन] इस० स्त्रीसहित श्रीनामाकुमार निवडा सिलाइ पुराच्यामाच ते मानलीय तिमाहि मृगशिरवेप्रासादे० दो दो दग देवतानी पर स्वर द दिव बक्न र कहि धीरेकादे कहिं ममत्तोमदिरे अवाली अंगीकारकरी नन्तरस्य इच्छा० उरा नई पूर्वजानतात वर्तमानकालत मीकाले नंदले सोनासाराकीलिएसह ईचिहिं । देो ० प्रासादना लोगो (आ० जो इब इन०नगर | च०चार वाटप कठी सिलेति | अ० दिवइत० तिदा आरन चीवाट एक वीमि सिद दिवमातु मन माद दोगुऽमोवेश / निंमुइसमा एसो छ । मलिस्टाएको हिमतले एसादयालो ए6ि | आलोम ईन गर । चक्वतियच्चरे प्रद या देव इन इस तस्वी| च० नश्वारानेदे नि०निबद्संह सी०एस असीला गमवणी । तंव तेा तीन देव जोश | दिवशी मेल तोक क० किंडोम णाम Qरि०एड् साहसे ० अतीन 9 ते देस जमनो ५०६दार ब5 कुत्र जो दिसिंपते सिंधुतेदजसिरी । मियाकुत्ते शिनिस्कए । प्रेममादिउ दिइए जुवरामादमीसरे [नि० सदाइमु० प्रमोदसहित म० ३ ० चंद्रकातादिमली २०क केतना दि रत्नले पाइको जम्बो विलीनोतलो मानविय ४० एमइममा संजयं तव नियम संडा परोसी जगुआरे यातदेदई मिसाउने दिए मिसाल एक हिंमरिसंरुंड दि० दिग्लै सु० पुर्व इम० सा०सान ईद दर्शन येथ चरणाम्सो० सोनामी मोमो दुगयोमो दुउपकम्पो जा०जातिसमरकज्ञानस०] दे०देवलोक थी दल्यो । म० मनुष्य म० पुर्वन्नव ६ कइततेमृगा पुत्रम दिछेबुम एबुरा । ६ सा जस्स दरिस तस्सा कथक स० नवः शवसा एमिसाइले "मोहे गयस्म संतस्स "जाईमर होममुष्यणे ७ देवलो कन्हई सेतो । माण 92

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