Book Title: Upasakdashang Sutram Author(s): Atmaramji Maharaj, Shiv Muni Publisher: Aatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti View full book textPage 9
________________ 545555555555 次次次次次次次次次次次次次次次次次次次次次次 प्रस्तुत संस्करण प्रस्तुत संस्करण में न कुछ नया जोड़ा गया है और न ही कुछ न्यून किया गया है। इसका स्पष्ट कारण है कि प्रस्तुत टीका अपने आप में सम्पूर्ण, सर्वांगीण और समीचीन है। अपने आपमें यह सम्पूर्ण है। इतना अवश्य किया है कि कुछ प्रामाणिक प्रकाशनों से प्रस्तुत आगम के मूल पाठ को मिलाया गया है। प्रयास किया गया है कि मूलपाठ में जिन प्रयोगों को आचार्य श्री जी ने स्वयं प्रामाणिक माना है और जो शुद्ध हैं उन्हें अक्षरशः रख लिया गया है। पूर्व प्रकाशित ग्रन्थों में प्रैस सम्बन्धित त्रुटियों को भी दूर करने का प्रयास किया गया है। स्पष्ट है कि प्रस्तुत प्रकाशन में संयोजन भर मेरा है। शेष जो है वह पूज्य आचार्य श्री जी का ही है। प्रस्तुत प्रकाशन के इस पुण्यमयी अभियान पर मुझे अनेक मुनियों और श्रावकों का मंगलमय सहयोग प्राप्त हुआ है। विशेष रूप से मेरे अंतेवासी मुनिरत्न श्री शिरीष मुनि जी म. एवं साधक श्री शैलेश जी के सतत सहयोग ने मेरे कार्य को सरल और सुगम बना दिया। उन्हें मेरे साधुवाद / इसके अतिरिक्त जैन दर्शन के मर्मज्ञ पण्डित ज.प. त्रिपाठी से प्रूफ संशोधन में पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ। श्री विनोद शर्मा ने प्रूफ पठन के साथ-साथ मुद्रण दायित्व को सफलता पूर्वक संवहन कर अपने समर्पित श्रम का परिचय दिया है। उनके लिए भी साधुवाद ! आचार्य शिव मुनि 次次次次次次次次次次次次次次次次次次次次次次 RRRRRRRRRRRRRRRRRKPage Navigation
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