Book Title: Tulsi Shabda Kosh Part 01
Author(s): Bacchulal Avasthi
Publisher: Books and Books

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Page 516
________________ 504 तुलसी शब्द-कोश नयनानंद : नेत्रसुख, दर्शन लाभ का आनन्द । मा० ५.४५.२ नयनी : (समासान्त में) वि०स्त्री० । नेत्रों वाली। 'मृग नयनी ।' मा० २.११७.४ (मृग तुल्य नेत्रों वाली) नयपाल : वि०० (सं.)। नीति-रक्षक । दो० ४४२ नयवान : वि०पू० । नीतिशाली । रा०प्र० ७.७.३ नयसाली : वि० (सं० नयशालिन्) । नीतिपूर्ण । मा० २.२६७.८ नयसील, ला : (दे० नय) वि० (सं० नयशील)। नय निभाने वाला। 'जामवंत मारुति नयसीला।' मा० ६.१०६.२ नये : नए। नयो : (१) नयऊ। नवीन । 'जसु तुम्हरो नित नयो।' मा० ६.१०६ छं० (२) भूकृ००कए० (सं० नत:>प्रा० नओ>अ. नयउ)। झुका, प्रणत हुआ। बहोरि प्रभु चरनन्हि नयो।' मा० ६.८४ छं० नर : सं०० (सं.)। (१) पुरुष । मा० १.३४३.८ (२) विष्णु के अवतार 'नर' जो नारायण के सहोदर कहे गये हैं। 'नर नारायण की तुम्ह दोऊ ।' मा० ४.१.८ (३) नारायण के बन्धु नर के अवतार अर्जुन-दे० नर नारि । नरक : सं०० (सं.)। यमलोक के कुम्भीपाक, रोख आदि निरय । मा० १.६.६ नरका : नरक । मा० ७.१००.४ नरकु : नरक+ कए ० । 'सरगु नरकु अपबरगु समाना ।' मा० २.१३१.७ नरकेसरी : सं०+वि०० (सं.)। (१) मनुष्यों में सिंहवत् सर्वोपरि ; वीरोत्तम । (२) नृसिंह भगवान् । 'राम नाम नरकेसरी कनककसिपु कलिकाल ।' मा० १.२७ नरकेहरि : नरकेसरी । 'प्रगटे नरके हरि खंभ महाँ ।' कवि० ७.८ नरदेव : राजा । गी० १.६.२२ नरनाथ : राजा । मा० १.२८६७ नरनायक : राजा। नरनायकु : नरनायक+कए० । मा० २.४२.५ नरनारि : नरनारी। (१) स्त्री-पुरुष। 'प्रनवउँ पुर नर-नारि बहोरी ।' मा० १.१६.२ (२) (दे० नर) नरावतार अर्जुन की पत्नी द्रौपदी । 'नर-नारि उघारि सभा महुँ होति ।' कवि० ७.६ नरनारी : (१) पुरुष तथा स्त्री। 'नृपहि सराहत सब नरनारी।' मा० १.२८.७ (२) द्रौपदी । 'मूपसदसि सब नृप बिलोकि, प्रभु राखु, कह्यो नर-नारी।' विन० ६३.४

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