Book Title: Tulsi Shabda Kosh Part 01
Author(s): Bacchulal Avasthi
Publisher: Books and Books
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तुलसी सबको
503: ममचर : नभगामी। (सं० नभश्चर) । पक्षी । मा० १.३.४ नमतल : सं०० (सं० नमस्त्रल)। आकाश भाग, व्योम मण्डल । 'फलंग फलांगहू
तें घाटि नभतल भो।' हनु० ५ नमबानी : आकाशवाणी । मा० १.१७४.६ नभु : नभ+कए । 'धूप धूम नभु मेचक भयऊ ।' मा० १.३४७.१ नमत : (१) वकृ०० (सं० नमत्>प्रा० नमंत)। प्रगत होता-होते । 'जे न नमत
हरि गुर पदमूला।' मा० १.११३.४ (२) प्रणाम करते ही। 'नमत नर्मद
भुक्ति-मुक्ति-दाता।' विन० ४०.४ नमामहे : आ० उब० (सं० नमामः) । हम प्रणाम करते हैं । मा० ७.१३ छं० १-२-५ नमामि, मी : आ०उए० (सं० नमामि) । प्रणाम करता हूँ। 'राम नमामि नमामि
___ नमामी।' मा० ७.१२४.७ ममि : पूकृ० । झुकर कर, नत होकर । 'फल भारन नमि बिटप सब रहे भूमि
निअराइ ।' मा० ३.४० नमित : भूकृ०० (सं० ) । झुकाया हुआ, झुकाये हुए । 'बैठि नमित मुख सोचति
सीता।' मा० २.५८.२ नमिहै : आ०भ०ए० । झुकेगा। 'नाम के प्रसाद भारु मेरी ओर नमिहै ।' कवि०
७७१ नम्र : वि० (सं०) । विनत, प्रणत (झुका हुआ), नमनशील । 'बाहिज नम्र देखि
मोहि साईं। बिप्र पढ़ाव पुत्र की नाई।' मा० ७.१०५.६ नय : (क) सं०पु० (सं.)। (१) पद्धति, रीति, व्यवहार (२) उचित आचार
(३) दूरदर्शिता, विवेक (४) नीति, राजनीति (५) योजना (६) सिद्धान्त (७) मत, सम्मत, प्रस्थान, सम्प्रदाय (८) दार्शनिक मतवाद (6) न्याय । 'बोले बचन राम नय नागर ।' मा० २.७०.७ (ख) वि० (सं० नव) । नवीन ।
'नय नगर बसाए ।' गी० २.४६.२ नयऊ : नय+कए । नया, नवीन । 'हर गिरिजा बिहार नित नयऊ ।' मा०
१.१०३.६ नयन : सं०० (सं०) । नेत्र । मा० १.२.१ नयनन, नि नयनन्ह, न्हि : नयन+संब० । नेत्रों। 'निज नयनन्हि देखा चहहिं ।'
मा० १८८ नयनफल : नेत्रों का परम प्रयोजन, आंख पाने की सार्थकता। 'पाइ नयन-फलु होहिं
सुखारी।' मा० २.११४.३ नयनवंत : वि० (सं० नयनवत् >प्रा० नयणवंत) । नेत्रधारी । मा० २.१३६.१ नयना : नयन । मा० ३.११.२०

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