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सुलसी शब्द-कोश
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नूतन : वि० (सं०) । नवीन । मा० १.६६.४ नूपुर : सं०० (सं०) । पादभूषण-विशेष (पादाङ्ग लिभूषण)। मा० १.१६६.३ न : सं०० (सं०) । नर, मनुष्य । 'ब्याल न-कपाल-माला बिराज।' विन० १०.२ नृकेहरि : नरके हरि । कवि० ७.१२८ ।। नृग : सं०० (सं०) । इक्ष्वाकुवंश का एक राजा, जो ब्राह्मणों के शाप से गिरगिट
हो गया था और कृष्ण ने उसका उद्धार किया था। मा० २४०.२ नृत्य : सं०पु० (सं०) । लयतालयुक्त अङ्गविशेष (जिसमें अभिनय सम्मिलित हो)।
मा० ३.१०.१२ नृत्यपर : वि.पु(सं०) । नृत्य में तत्पर, नृत्यलीन । विन० १०.५ नृप : सं०० (सं०) । नरपालक, राजा । मा० २.५०.४ नृपति : नृप (सं.)। मा० १.१५८ नृपती : नृपति । मा० ७.४०.३ नपनय : राजनीति । मा० २.२५८ नपनीति : राजनीति । मा० २.३१ नृपन्ह, न्हि नपन, नि : नृप+संब० । राजाओं । 'नपन्ह केरि आसा निसि नासी ।'
मा० १.२५५.१ नपरिषि : राजरिषि । राजर्षि, जो राजा होते हुए ऋषि हो । मा० १.१४३.६ नृपाल, ला : नृप । राजा । मा० १.२८.८ नृप : नृप+कए । राजा । 'नपु कि जिइहि बिनु राम ।' मा० २.४६ नेई : संस्त्री० (सं० नीम, नेमि) । नीव, आधारशिला, कुएँ के नीचे रखा जाने
वाला दारुचक्र जिस पर ईंटें जोड़ी जाती हैं। 'दीन्हेसि अचल बिपति के नेईं।'
मा० २.२६.६ नेकु : क्रि०वि० । थोड़ा-सा । 'नेकु नयन मन प्रान जुड़ाऊ ।' मा० २.१९८.६ नेग : सं० । किसी मङ्गल अवसर पर किसी का विशेष माङ्गलिक कार्य तथा उस
कार्य के बदले मिलने वाला द्रव्यादि । 'नेगी नेग जोग सब लेहीं।' मा०
१.३५३.६ नेगचार : नेग देने का आचार । नेगचार कह नागरि गहरु न लावहिं ।' जा०म०
१३५ नेगी : वि.पु । नेग करने वाला। (१) माङ्गलिक कार्य में नेग पाने का __ अधिकारी । मा० १.३५३.६ (२) कर्तव्य कर्म का अधिकारी। 'लछिमन होहु
धरम के नेगी।' मा० ६.१०६.२ . नेगु : नेग+कए । 'नेगु मागि मुनिनायक लीन्हा ।' मा० १.३५३.२ नेति : अव्यय (सं0-न+इति) यह नहीं । एक प्रकार की अपोहन विधि जिससे
ज्ञात वस्तुओं का निषेध कर अज्ञात वस्तु जानी जाती हैं । जागतिक तत्त्वों का