Book Title: Tulsi Shabda Kosh Part 01
Author(s): Bacchulal Avasthi
Publisher: Books and Books
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तुलसी शब्द-कोश
527 २.२३४.३ (६) लोक-शास्त्र आदि के निरीक्षण से उचितानुचित का ज्ञाता।
'नीति निपुन सोइ परम सयाना ।' मा० ७.१२७.३ निपुनता : सं०स्त्री० (सं० निपुणता) । कौशल, दक्षता, मर्मज्ञता आदि । 'निपुनता
न पर कही।' मा० १.६४ छं० निपुनाई : निपुनता। मा० ६.२४.२ निफन : वि० (सं० निष्पन्न>प्रा० निष्फन्न) । सम्पन्न (क्रि०वि०-सम्पन्न रीति ___से पूर्णतः)। 'जोते बिनु बए बिनु निफन निराए बिनु, सुकत सुखेत सुख
सालि फूलि फरि गे।' गी० २.३२.२ निफल : वि. (सं० निष्फल>प्रा० निष्फल)। व्यर्थ, बेकार । 'निफल होहिं रावन
सर कैसें ।' मा० ६.९१.६ निबरत : वकृ०० (सं० निवण्वत्>प्रा० निव्वरंत)। निर्वत होता, शान्ति
पाता । 'काल कला कासीनाथ कहें निबरत हों।' कवि० ७.१६५ ।। निबर्यो : भूक० पु०कए० (सं० निवतः>प्रा० निव्वरिओ) । निर्वृत हुआ,
शान्ति-लाभ किया । 'प्रभु सों गुदरि निबर्यो हौं ।' विन० २६६.४ निबल : वि० (सं० निर्बल>प्रा० निब्बल)। बलहीन । 'प्रभु समीप छोटे बड़े रहत
निबल बलवान ।' दो० ५२७ निबह : सं०पु० (सं० निवह) । समूह, श्रेणी। 'मनहुँ उडुगन-निबह आए मिलन
तम तजि द्वेषु ।' गी० ७.६.४ /निबह, निबहइ : (सं० निर्वहति>प्रा० निव्वहइ-निभना, यथावत् परिणाम
तक पहुंचना, सफलता तक जाना, सम्पन्न होना, पूरा पड़ना) आ०प्रए० । निभता है, पूरा पड़ता है, सम्पन्न हो पाता है । 'सखा धरम निबहइ केहि
भाती।' मा० ५.४६.५ निबहति : वक०स्त्री० । निभती, बात बन जाती, पूर्ति होती। 'रावरे निबाहे
सबही की निबहति ।' विन० २४६.१ निबहते : क्रियाति.पु०ब० । तो निभ जाते ।' लक्ष्य पा जाते । 'तो. 'हम केहि
__ भांति निबहते ।' विन० ९७.३ निबहहिंगे : आ०भ००प्रब० । निभेंगे, लक्ष्य या गन्तव्य तक पहुंचेंगे। 'मेरे
बालक कैसे धौं मग निबहहिंगे।' गी० १.६६.१ निबहा : भूकृ०० । निभ गया, पूरा-खरा उतर गया। 'प्रेम नेम निबहा है।'
__ गी० २.६४.५ निबही : भूक०स्त्री० । निभ गई, पूरी पड़ गयी । 'राम रुख लखि सबकी निबही ।'
गी० ७.३७.२ निबहे : भूक००ब० । निभे, पूर्ति पा गये । 'कैसे निबहे हैं, निबहैंगे।' गी०
२.३४.३

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