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18 वीं शताब्दी के बहुश्रुत विद्वान् पं. टोडरमलजी को गोम्मटसार की पूर्व पीठिका में लिखना पड़ा कि- 'बहुरि जे जीव संस्कृतादि के ज्ञानते सहित हैं किन्तु गणितादि के ज्ञान के अभाव ते मूल ग्रंथन विषय प्रवेश न पावे हैं, तिन भव्य जीवन काजै इन ग्रंथन की रचना करी है।'
साथ ही पं. टोडरमलजी ने अपनी ‘सम्यग्ज्ञान चन्द्रिका टीका में अर्थ संदृष्टि अधिकार अलग से सम्मिलित किया है। मात्र इतना ही नहीं, जैन ग्रंथों के गहन गंभीर अध्ययन हेतु गणितीय ग्रन्थों का सृजन किया है। ‘परियम्मसुत्त (परिकर्म-सूत्र) सिद्धभूपद्धति टीका', वृहद् धारा परिकर्म' के उल्लेख क्रमशः धवला, उत्तरपुराण एवं त्रिलोकसार में पाये जाते हैं। ये अपने समय के अत्यन्त महत्वपूर्ण गणितीय ग्रंथ थे जो आज उपलब्ध नहीं हैं किन्तु आचार्य श्रीधर प्रणीत 'त्रिंशतिका', आचार्य महावीर प्रणीत 'गणितसार', सिंहतिलकसूरि कृत 'गणित तिलक' टीका, ठक्करफेरू कृत 'गणितसार कौमुदी', राजादित्य कृत 'गणित विलास', महिमोदय कृत 'गणित साठसौ' एवं हेमराज कृत 'गणितसार संग्रह' हमें आज भी उपलब्ध है,10 जो जैनाचार्यों की गणितीय पारंगत एवं अभिरुचि के ज्वलंत प्रमाण हैं। हेमराज कृत 'गणितसार' महिमोदय कृत 'गणित साठसौ' जो हिन्दी भाषा में गणित विषय की अमूल्य कृतियाँ हैं। हिन्दी पद्य ग्रंथों में गणितीय विषय खूब पल्लवित हुए हैं।'' बीसवीं सदी के महान् दिगम्बर जैनाचार्य आचार्य श्री विद्यासागर जी ने अपनी कालजयी कृति मूकमाटी में गणित के नौमांक के वैशिष्ठय का उल्लेख किया है। यह प्रकरण गणितज्ञों को भले ही महत्वपूर्ण न लगे किन्तु जैनाचार्यों की गणितीय अभिरुचि को दिखाता ही है। गणिनी ज्ञानमती माताजी ने अपनी कृतियों-त्रिलोक भास्कर, जम्बूद्वीप, जैन ज्योतिर्लोक, जैन भूगोल में गणितीय विषयों को प्रमुखता से विवेचित किया है।13 एक प्राथमिक सर्वेक्षण में हमने पाया है कि आज भी जैन शास्त्र भण्डारों में 500 से अधिक गणितीय पाण्डुलिपियाँ सुरक्षित है। इस सर्वेक्षण में हम 20 अप्रकाशित गणितीय ग्रन्थों को सूचीबद्ध कर सकें हैं
1. गणित साठसौ - खतरगच्छीय जैन मुनि (श्वे.) महिमोदय (1665 ई.ल.) द्वारा प्रणीत गणित साठसौ की एक प्रति अभय ग्रथागार, बीकानेर में सग्रहीत है।'
2. गणितसार - आनंदकवि' कृति गणितसार की एक प्रति सेठिया पुस्तकालय में सुरक्षित है।
3. गणि विद्यापण्णत्ति - बंगाल ऐशियाटिक सोसायटी के प्राच्य विद्या सम्बन्धी पांडुलिपियों के संकलन में क्रमांक - 7498 पर इस शीर्षक का जैन गणित ग्रन्थ सुरक्षित है।"
4. गणित संग्रह - मैसूर एवं काम्बे की लाइब्रेरी के संस्कृत ग्रंथों की सूची के पृष्ठ 318 (नं.2879) पर यल्लाचार्य कृत गणित संग्रह शीर्षक कृति का उल्लेख है।18 तुलसी प्रज्ञा जुलाई-सितम्बर, 2008
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