Book Title: Tulsi Prajna 2008 07
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 76
________________ लिपि कन्नड़, भाषा संस्कृत एवं 9, 32. गणित संग्रह, राजादित्य, पत्र संख्या पंक्ति 7, अक्षर 48, विषय गणित, वस्तु ताड़ पत्र, लेखनकाल x अपूर्ण तथा सामान्य शुद्ध, दशा सामान्य, " जैन मठ, मूङबिद्री, ग्रन्थ संख्या 590 कन्नड़, 33. अनुपम जैन, गणित के विकास में जैनाचार्यों का योगदान, शोध प्रबंध, मेरठ, 1922 पृ. 124 34. गणित विलास, राजादित्य, पत्र संख्या 6, पंक्ति 11, अक्षर 32, लिपि कन्नड़, भाषा कन्नड़, विषय गणित, लेखनकाल x अपूर्ण, सामान्य शुद्ध, दशा सामान्य, जिनराज इन्द्र वैकणतिकारि बसदि, मूडबिद्री, ग्रन्थ संख्या 7 गणित विलास, राजादित्य, पत्र संख्या 19, पंक्ति 5, अक्षर 27, लिपि कन्नड़, भाषा कन्नड, विषय गणित, लेखनकाल x पूर्ण सामान्य शुद्ध, दशा सामान्य, जैन मठ, कारकल, ग्रन्थ संख्या 54 गणित विलास, राजादित्य, पत्र संख्या 15, पंक्ति 5, अक्षर 21, लिपि कन्नड़, भाषा कन्नड़, विषय गणित, लेखनकाल, पूर्ण तथा सामान्य शुद्ध, दशा उत्तम, जैन मठ कारकल ग्रन्थ संख्या 54 35. मनहरभाई सेठ, बैंगलोर, व्यक्तिगत पत्राचार । व्यवहार गणित प्रकाशित हो 'चुका है। 36. गणित कोष्ठक, पत्र संख्या 70, पंक्ति 6, अक्षर 11, लिपि कन्नड़, भाषा कन्नड़, विषय गणित, लेखनकाल, पूर्ण, शुद्ध, दशा सामान्य, जैन मठ कारकल, ग्रन्थ संख्या 54, देखें, संख्या 16, पृ. 299 70 Jain Education International For Private & Personal Use Only ज्ञान छाया, डी-14, सुदामानगर इन्दौर - 452009 तुलसी प्रज्ञा अंक 140 www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100