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२७०४३
=४०५ कम्पन्न संख्या का धैवत स्वर है। मध्यम स्वर :-षड़ज स्वर से मध्यम स्वर की दूरी पर है। षड़ज स्वर की कमन
संख्या २४० को हु से गुणा करने पर मध्यम स्वर की कम्पन संख्या
ज्ञात होगी। २४०x४
-=३२० कम्पन संख्या मध्यम स्वर की है। उपर्युक्त स्वरों की कम्पन संख्याओं का बोध हमें बीणा के तार की लन्बाई और पाश्चात्य संगीत विद्वानों द्वारा निर्धारित कम्पन-संख्याओं के माध्यम से हुआ। गंधार और निषाद-स्वरों की कम्पन संख्याओं को ज्ञात करने के लिए 'महामंत्र' की मात्राओं के माध्यम से प्रकट करने का प्रयास करेंगे।
'महामंत्र' की पांचों पंक्तियों की ॐ सहित कूल ४० मात्राएं हैं । वैदिक-छन्द 'पंक्ति' की मात्राएं भी ४० हैं। 'वीणा' के तार की लम्बाई के २०" इन्च पर निषाद स्वर (मध्य सप्तक) स्थित है। गंधार स्वर :--महामंत्र, वैदिक छन्द और वीणा के तार की लम्बाई के माध्यम
से ४० की संख्या का बोध हुआ। इस संख्या के आगे बिन्दु लगाने पर ४०० बनते हैं। षड़ज-पंचम-भावानुसार ४००४३
६०० आते हैं। यह कम्पन संख्या तार सप्तक के गंधार स्वर की है। इसकी आधी ३०० की सख्या मध्य सप्तक के गंधार स्वर की होगी। इसी स्वर के द्वारा निषाद-स्वर की
कंपन संख्या का बोध होगा। निषाद-स्वर :--गंधार स्वर की कम्पन संख्या--३०० के साथ ३ का गुणा करने पर
निषाद-स्वर की कम्पन संख्या की जानकारी प्राप्त होगी
२०० =४५० कम्पन संख्या का निषाद-स्वर है। इस प्रकार यहां 'महामंत्र' के प्रत्येक वर्ण, मात्रा और पद में अदृश्य रूप में स्थित सप्त-स्वरों को विभिन्न विधाओं के माध्यम से प्रकट कर विषय की पुष्टि करने का प्रयास किया है। हो सकता है संगीतकला के विद्वान् मेरे विचारों से सहमत नहीं हों पर मंत्र की स्वर-शक्ति और शब्द-शक्ति को तो स्वीकार करना ही होगा। क्योंकि 'महामंत्र' सस्वर गाया भी जाता है। गायन में चेतन एवं अचेतन पदार्थों को प्रभावित करने की क्षमता होती है । अतः स्वर-शक्ति ही ईश्वरेच्छा-शक्ति है।।
४०
तुलसी प्रशा
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