Book Title: Trishashti Shalaka Purush Charitra Part 1
Author(s): Ganesh Lalwani, Rajkumari Bengani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ [ ३ वस्तु प्रदान करते हैं और दान, शील, तप, भाव रूप धर्म के उपदेशक हैं उन धर्मनाथ स्वामी की हम उपासना करते हैं । ( श्लोक १७ ) १८ जिनकी वाणी रूपी चन्द्रिका समस्त दिक्समूह को निर्मल करती है, जिनका लांछन मृग है वे शान्तिनाथ ग्रज्ञानरूप अन्धकार को शान्त कर तुम्हें शान्ति प्रदान करें । ( श्लोक १८ ) १९ जो प्रतिशय रूप ऋद्धि सम्पन्न हैं, सुरासुरनर के अद्वितीय स्वामी हैं वे कुन्थुनाथ तुम्हारे कल्याणरूप लक्ष्मी प्राप्ति का कारण बनें । ( श्लोक १९ ) कालचक्र के चतुर्थ ग्रारा रूप आकाश में जो मार्तण्ड रूप हैं वे भगवान अरनाथ तुम्हें चतुर्थ पुरुषार्थ रूप (मोक्ष) लक्ष्मी सहित विलास की अभिवृद्धि करें । ( श्लोक २० ) २१ नवीन मेघ के उदय से जिस प्रकार मयूर प्रानन्दित हो जाता है उसी प्रकार जिन्हें देखने मात्र से सुर-असुर नरपालों के चित्त ग्रानन्दित हो जाते हैं और जो कर्मरूपी अटवी के उत्खात में मत्त हाथी की भांति है उस मल्लीनाथ का मैं स्तवन करता हूँ । ( श्लोक २१ ) २२ जिनकी वाणी मोह निद्रा प्रसुप्त प्राणियों के लिए प्रभाती रूप है उन मुनि सुव्रत स्वामी का मैं स्तवन करता हूँ । ( श्लोक २२ ) २३ प्ररणान करते समय जिनके चरणों की नखप्रभा निखिल जनों के मस्तक पर पड़ती है और जो जलधारा की भांति उनके हृदय को निर्मल करतो है उन नेमिनाथ भगवान के चरणों की नखप्रभा तुम्हारी रक्षा करे । ( श्लोक २३ ) २४ यदुवंश रूपी समुद्र के लिए जो चन्द्रमा रूप हैं और कर्मरूप अरण्य के लिए हुताशन स्वरूप हैं वे अरिष्टनेमि भगवान तुम्हारे अरिष्ट या दुःखों को दूर करें । ( श्लोक २४ ) २५ कमठ और धरणेन्द्र दोनों अपना-अपना कार्य करते हैं; किन्तु दोनों ही के प्रति जिनका मनोभाव एकरूप है वे पार्श्वनाथ भगवान तुम्हारा कल्याण करें । (श्लोक २५)

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 338