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अमरुद, बरगद पीपल आदि के पेडों को नहीं अमेरिका जैसे देशों में रॉयल सोसाइटी फॉर काटना चाहिए।
बर्ड प्रोटेक्शन, सोसाइटी फॉर प्रिवेंशन ऑफ __ शारीरिक स्वास्थ्य की दृष्टि से अहिंसा की क्रुआलिटी एंड वाइल्ड लाइफ प्रिजर्वेशन सोसाइटी भावना मनुष्यों को स्वस्थ रखने में सहायक होती . आदि की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य पर्यावरण है। इसके साथ-साथ मानसिक संतुलन बनाये और इकोलोजिकल संतुलन को न बिगड़ने देना रखने में भी सहायक होती है। मानसिक ही है। अहिंसा के सिद्धांत का ही इस बात असंतुलन के कारण बहुत से व्यक्ति आत्महत्या से प्रतिपादन होता है। बॉम्बे नैचुरल हिस्ट्री तक कर लेते हैं। इसलिए मानसिक शांति बनाये सोसाइटी के द्वारा मेंढकों के वध को रखने के लिये अहिंसा की भावना महत्त्वपूर्ण इकोलोजिकल डिस्टरबैंस ही बतलाया गया है। योगदान देती है।
कृषि विज्ञान और अहिंसा पर्यावरण और अहिंसा
कृषि विज्ञान की खोजों से यह प्रयत्न किया पिछले कुछ वर्षों में पर्यावरण विज्ञान जा रहा है कि कृषि को हानि पहुंचाने वाले विशेष रुप से विकसित हुआ है। इस क्षेत्र के कीटाणुओं को कैसे नष्ट किया जाए, अनेकों वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट में विशेष रूप से औषधियों का प्रयोग इन कीटाणुओं को मारने उल्लेख किया है कि पेड़ पौधों को काट देने के लिए किया जाने लगा था। डी.टी.टी. और से उन स्थानों पर रेगिस्तान जैसी स्थिति उत्पन्न गैमेक्सिन जैसे कीटनाशक के द्वारा इन कीटाणुओं हो जाती है। इसलिये भूमि बंजर हो जाती है। को नष्ट किया गया है। जब इन औषधियों के अतः वैज्ञानिकों ने भारत सरकार से विशेष रूप प्रयोग होने के पश्चात् होने वाले लाभ, हानियों से निवेदन किया है कि जंगलों के पेड पौधै पर विचार किया गया तो आश्चर्यजनक परिणाम न काटे जाए एवं नये पेड रेगिस्तान में लगाये सामने आए। डी.डी.टी. एवं गैमेक्सिन मनुष्य जायें, तो देश को सूखे से बचाया जा सकता के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालते हैं। इन पदार्थो है। पेड़-पौधों के काटने पर हिंसा होती है। से मनुष्यों की नसों में विशेष हानिकारक प्रभाव हिंसा से जगत में पाप फैलता है. जो सूखा, देखे गए जिनकी वर्तमान समय में कोई वर्षा न होने, के रूप में प्रस्फुटित होता है। चिकित्सा संभव नहीं हो सकती है। फसल के इसी प्रकार यह भी देखने में आया है कि समुद्री उत्पादन में कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता। किनारों पर एवं मांसाहारी प्रदेशों में भूकंप उत्पादन जितना अन्न कीड़े - मकोड़े खा लेते अधिक आते हैं। यह भी हिंसा का दुष्प्रभाव थे, उस अन्न की कीमत इन दवाओं की कीमत है। यह बात भी इकोलोजिस्ट को समझ में से कम ही होती है। सारांश में यह बात स्पष्ट आने लगी है पर्यावरण और इकोलोजी का होती है कि इन कीड़ों की हिंसा निरर्थक ही संतुलन अथवा प्रकृति का संतुलन समाप्त होना रही एवं मानव स्वास्थ्य पर इनकी हिंसा का अहिंसा से संबंधित ही बात है। इंग्लैंड एवं परिणाम से बुरा प्रभाव पड़ा। इस दृष्टिकोण से
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तीर्थ-सौरम
२४तYयंती वर्ष : २५
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